जंगल के सामने गाड़ी खराब हो जाने पर शिवल्या और विक्रम दोनों ही परेशान है पर दूसरी तरफ समीर खुश है ये सोचकर की आज उसका दिन है। विक्रम गाड़ी से बाहर निकलकर नज़रे घुमाता है कि कहीं कोई मैकेनिक की दुकान दिख जाएं पर कोई दुकान नहीं दिखती। शिवल्या भी कुछ समय बाद कार से बाहर निकल कर कोई दुकान ढूंढती है पर बड़े बड़े पेड़ो के सिवा कुछ नहीं दिखता। दोनों ही कुछ समय में हार ही मान लेते है कि तभी एक काला कम्बल लपेटे एक बूढ़ा आदमी लालटेन लाता हुआ उन्हें दिखाई देता है जिसे देखकर उन दोनों की उम्मीद की रोशनी बढ़ जाती है कि शायद इस बुजुर्ग आदमी को यहां किसी दुकान का पता होगा लेकिन......
लेकिन कुछ कदम चलने के बाद वो बुजुर्ग रुक जाता है। हांफते हुए गहरी सांसे भरता है और हाथो के इशारे से विक्रम और शिवल्या को अपने पास बुलाता है।
विक्रम उसकी तरफ जाने को होता है पर शिवल्या उसे रोकते हुए कहती है:- क्या तुमने बोर्ड नहीं देखा?? उस पर लिखी चेतावनी नहीं देखी??? जो तुम जंगल में जा रहे हो?? वहां जाना safe नहीं है।
विक्रम थोड़ी शांति से कहता है:- तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मै जंगल में बसने जा रहा हूं। मुझे जंगली थोड़े ही बनना है। बस उस बूढ़े आदमी से मदद मांगनी है। देखो वो तो यहां आ ही रहा था ना। पर क्या करे उसकी बूढ़ी हड्डियों ने जवाब दे दिया तो वो ठहर गया। इसलिए मै बस उससे रास्ता ही तो पूछ रहा हूं। कम से कम इतना तो करने दो। एक काम करो तुम यहीं रुको मै आता हूं।
शिवल्या:- ओके। पर दस मिनट से ज्यादा मत लगाना। जाओ।
विक्रम उस बूढ़े आदमी के पास जाता है। बूढ़ा आदमी उससे पूछता है कि:- आप यहां के तो नहीं लगते। लगता है आप शहरी हो।
विक्रम कहता है:- जी ठीक पहचाना आपने। पर आप क्या जंगल में रहते हो। मतलब यहां तो खतरे का बोर्ड है तो आप कैसे??
बूढ़ा आदमी चौकन्ने भाव से:- बेटा हम यहां के नहीं है। बस काम हमारा यही से होता है इसलिए यहां आना जाना लगा रहता है। इस जंगल की सीमा पर एक गाव है। बस हम वहीं रहते है।
विक्रम पूछता है:- रात के करीब साढ़े ग्यारह हो चुके है तो क्या आप अपने घर नहीं गए?? मतलब आपका परिवार आपकी चिंता कर रहा होगा ना??
बूढ़ा आदमी:- तुमसे क्या छिपाए। कुछ दिन पहले ही बेटे का देहांत हो गया और झूठा इल्ज़ाम लगाकर मुझे गांव से निकाल दिया। तब से अपनी आखिरी सांसे यही गिन रहा हूं। अब बताओ मरते को सुरक्षा का क्या डर?? जब परिवार ना रहा तो धरती मां तो है ना सबकी। वैसे लोगो ने झूठी अफवाहें इस जंगल के बारे में फैला रखी है। वैसे मैंने सुना था कि एक वक्त पर ये जंगल शहर से भी बढ़कर एक सुंदर नगर था। पर ना जाने कैसे इसका ये हाल हो गया??
ये बताओ तुम्हे क्या दिक्कत हुई जो यहां आए गए।
विक्रम:- वो हम कही जा रहे थे। रास्ते में कार खराब हो गई तो यहां रुक गए। आप दिखे तो सोचा आपको किसी मैकेनिक की दुकान का पता हो तो....?
बूढ़ा आदमी:- ना बेटा। यहां दूर दूर तक मैकेनिक नहीं है।
तुम्हे सुबह ही कोई मदद मिल सकती है। और देखो मौसम कितना खराब हो रहा है। तुम एक काम करो मेरे साथ चलो। पास ही में एक मंदिर है तुम वहीं थोड़ी देर रह लो।
विक्रम:- नहीं अंकल जी। हम कार में ही रह लेंगे। आपने पूछा उसके लिए शुक्रिया।
बूढ़े आदमी की आंखो का रंग बदलता है और विक्रम को उस पल वो वश में करते हुए कहता है:- आप जरूर चलेंगे ना। क्योंकि मैंने तुमसे पूछा नहीं तुमसे ये करने को कहा है। करोगे ना??
विक्रम वश में:- हा हम जरूर चलेंगे।
बूढ़ा आदमी अपना वश तोड़ता है पर उसके हुकुम को विक्रम नहीं भूलता।
बूढ़ा आदमी उंगली के इशारे से कहता है:- आप उनको भी लेे आइए।
विक्रम हां में सिर हिलाते हुए शिवल्या के पास जाता है।
शिवल्या उसके खामोश चेहरे को ताड़ते हुए कहती है:- और कुछ पता चला तुम्हे?? मैंने पहले कहा था ना कि इस आदमी के पास जंगल में जाना ठीक नहीं। तुम चुप होकर क्यों बैठे हो। बताओ कुछ?? क्या हुआ??
विक्रम:- देखो शिवल्या। वो बूढ़ा आदमी बड़ा तेज है। यही रहता है पर उसकी आदत.....!
शिवल्या:- what आदत.....????
विक्रम:- वहीं टिपिकल भारतीय आदत। अतिथि देवो भवा। कहता है कि अपने गांव में हमारा स्वागत करे। क्योंकि बोर्ड कि झूठी अफवाह से उसके लोगो से कोई मिलने नहीं आता। पर मैंने मना कर दिया। कह दिया कि हम कार में रह लेंगे। मैंने ठीक किया ना??
शिवल्या:- तुम एकदम स्टुपिड हो। अगर ये लोग झूठी अफवाहों से परेशान है उनसे लड़ना चाहते है तो हमे भी उनका साथ देना चाहिए। और सोचो मिस्टर खन्ना से बड़ा इवेंट तो यही हो सकता है कि हम झूठी मानसिकता वाली सोच जो लोगो ने इस जगह को लेकर बनाई है। उसे ख़तम करे। चलो हम चलते है??
विक्रम:- ठीक है। चलो।
दोनों बूढ़े आदमी के पास जाते है और उनके साथ जंगल में चल देते है।
तो दूसरी तरह समीर शिवल्या के जंगल में पड़े पहले कदम को उसका गृहप्रवेश का पहला कदम समझता है। फूलो से लदे पेड़ो के फूल शिवल्या के ऊपर गिरकर जैसे उसका स्वागत करते है। शिवल्या को भी उस जगह से जाना पहचाना सा एहसास होता है।कुछ आवाजें उसके कानों में गूंजती है।
शायद पिछले जनम का कोई रहस्य.................