कबीर उसको लेकर उसके बाद मल्टीप्लेक्स थिएटर गया जहां पर वह एक एक्शन कॉमेडी मूवी देखने वाले थे। यह मूवी उसके फेवरेट एक्टर की थी और वोह खूब हसी थी। उसने रियलाइज किया की उसने काफी समय से ऐसा नहीं किया था। शादी के बाद तोह बिलकुल नही। ऐसा नहीं था की वोह कबीर एस खाई नही थी, या इस शादी से, पर वोह अल्हड़पन के दिन गुज़र चुके थे। उसे तोह यह भी याद नहीं था की आखरी बार उसने कब मूवी देखी थी। शायद शादी से पहले अपने दोस्तों के साथ। वोह दोस्त जो आज बस सिर्फ जान पहचान के लिए रह गए थे। वोह तोह भूल ही गई थी मस्ती मज़ाक कैसे किया जाता है, क्योंकि कुछ महीनों से तोह कोई साथ ही नहीं था उसके। इस वक्त, उसके दिमाग का एक हिस्सा पुरानी बातों को कुरेदने में लगा हुआ था और दूसरा हिस्सा अपने फेवरेट स्टार को स्क्रीन पर देख कर खूब हस रहा था। जो आज कल की मूवीज में इलॉजिकल एक्शन और डायलॉग्स होते हैं वोह असल जिंदगी में नही होते। लेकिन फिर भी उसे बहुत पसंद है ये देखना। और वोह बहुत खुशी से मूवी देख भी रही थी लेकिन तब तक जब उसे यह महसूस नही हुआ था की कबीर तो मूवी देख ही नहीं रहा, बल्कि उसे देख रहा है। अमायरा ने धीरे से अपनी नज़रे घुमाई तो पाया की कभी की नज़रे उसी पर थी। अंधेरे में भी उसकी आंखे चमक रही थी।
"पसंद आई?" अमायरा ने मूवी की तरफ इशारा करते हुए पूछा।
"बहुत ज्यादा।" कबीर ने अभी भी उसी की तरफ देख कर जवाब दिया।
"मैं मूवी की बात कर रही हूं।"
"पर मैं मूवी की बात नहीं कर रहा।" कबीर ने फुसफुसाते हुए कहा। और अमायरा एक पल के लिए कुछ बोल ही नहीं पाई।
"मूवी वहां चल रही है।" अमायरा ने बड़ी मुश्किल से कहा।
"मुझे तुम्हारी हसी ज्यादा एंटरटेनिंग लग रही है।"
"मेरी....... उउह्ह्ह"
"बात मत करो और मूवी देखो। तुम्हारा हीरो विलेन को मार रहा है।" कबीर ने कहा और अमायरा ने अपनी नज़रे स्क्रीन की तरफ कर ली।
वोह अपना ध्यान कबीर पर से हटा कर मूवी पर करना चाहती थी और थोड़ी देर में उसे जीत मिल भी गई।
बहुत वक्त के बाद आज वोह अपने फेवरेट स्टार को बड़े स्क्रीन पर देख रही थी। जल्द ही वोह फिर हसने लगी और दूसरी दुनिया में ही खो गई। कबीर अभी भी उसे लगातार देख रहा था। वोह उसकी हसी में खोया हुआ था, उसे उसके अलावा कुछ और नही दिख रहा था। जब दो घंटे बाद मूवी खतम हुई तोह अमायरा के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी। वोह बार बार उसके फेवरेट डायलॉग्स दोहरा रही थी और कबीर उसके अलग अलग रिएक्शन देखता रहा था बिना रुके दो घंटे तक।
"भूख लगी है?" कबीर ने पूछा।
"नही। अभी तोह बिलकुल नही। अभी भी पेट भरा हुआ लग रहा है क्योंकि मैंने बहुत खाया था। पर आपका क्या? आपको भूख नही लगी?"
"नही। अभी नही। तोह इसका मतलब हमारे पास अभी भी कुछ टाइम है।"
"किसलिए।" अमायरा ने पूछा।
"शॉपिंग।"
"क्या? क्यों? किस के लिए?" अमायरा ने फिर से हैरानी से पूछा।
"तुम्हारे लिए।"
"पर मुझे कुछ नहीं चाहिए।"
"पर मैं चाहता हूं तुम कुछ खरीदो। किसी दूसरे की कंपनी में इतनी मेहनत करने का क्या फायदा जब उसकी वाइफ उसका फायदा ही ना उठा सके?"
"पर मु......"
"प्लीज़ अमायरा। मैं कह रहा हूं। तुमने कभी भी मेरा लाया हुआ गिफ्ट नहीं पहना है। मुझे बहुत बुरा लगता है। कम से कम तुम अपनी चॉइस का कुछ ले लो ताकि तुम उसे पहन सको। यह पहली बार है कि मैं तुमसे कुछ मांग रहा हूं। प्लीज।" कबीर ने उसके सामने किसी छोटे बच्चे की तरह मिन्नत करते हुए कहा और अमायरा को समझ नही आया की कैसे मना करे। जल्द ही अमायरा को समझ आ गया की उससे कितनी बड़ी गलती हो गई है। क्योंकि कबीर उसे कुछ कपड़ो की दुकान पर ले गया जो उसी मॉल में थी। उसने उसे कई सारे कपड़े और सैंडल्स ट्राई करने को दिए। अमायरा ने इनकार किया लेकिन कबीर ने यह कह कर मना लिया की वोह उसके लिए बेस्ट खरीदना चाहता है। अमायरा ने अपनी पूरी जिंदगी में इतने कपड़े ट्राय नही किए थे। उसने इसलिए इन कपड़ो को ट्राय किया क्योंकि उसने सोचा की इनमे से ही कुछ वोह पहनेगी जब भी वोह कबीर के साथ बाहर जाएगी, क्योंकि उसके अपने कपड़े तोह कबीर के स्टैंडर्ड के हिसाब से मैच नही करते। पर अजीब बात तोह तब हुई जब अमायरा के इतने सारे कपड़े ट्राय करने के बाद भी कबीर ने कुछ नही खरीदा सिवाय कुछ स्टोल और एक पेयर सैंडल के। कबीर उसे लेकर दूसरे स्टोर में घुस गया। अमायरा ने उससे कुछ नही पूछा की क्यों उसने वहां से कुछ नही खरीदा, पर वोह कन्फ्यूज्ड थी। जब कबीर की शॉपिंग पूरी हुई और उसने डिक्लेयर किया तब तक अमायरा बुरी तरह थक चुकी थी। और शॉपिंग करते करते उन्हे वक्त का अंदाज़ा ही नही हुआ और शाम भी ढल चुकी थी।
"मुझे भूख लगी है। मुझे खाना चाहिए। अभी।" अमायरा ने कहा।
"ठीक है। तोह चलते हैं फिर......"
"नही। हम कहीं नहीं जा रहे। आप ने आज मुझे बहुत थका दिया की अब मैं वेट ही नही कर सकती कहीं और जा कर खाने के लिए। मुझे बर्गर चाहिए।"
"ओके। मुझे एक जगह पता है जो बहुत ही अमेजिंग बर्गर बनाते हैं।"
"मुझे जल्दी चाहिए, जो यहीं इसी मॉल में फूड कोर्ट ने मिल जायेगा।" अमायरा अड़ गई थी।
"आपने कहा था ना की यह मेरा दिन है, और मैं जो चाहूं खा सकती हो तोह मुझे अभी चाहिए।"
"अच्छा अच्छा ठीक है। इतना कहने की जरूरत नहीं है। चलो बर्गर खाते हैं।" कबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया और फूड कोर्ट की तरफ चला गया।
उन्होंने क्विक मील लिया और अमायरा को अब आखिरकार अच्छा लग रहा था। उसका इतने सारे कपड़े ट्राय करने का जो गुस्सा था वोह कम होने लगा। वोह कबीर की इच्छा को मना नहीं करना चाहती थी लेकिन वोह जानती नही थी की कबीर ऐसा कुछ करेगा। जब तक वोह मॉल से बाहर आए, बाहर अंधेरा हो चुका था। अमायरा हैरान थी की पूरा दिन बीत गया इतनी जल्दी। सुबह तो वोह सोच रही थी की कैसे वोह आज का सारा दिन कबीर के साथ अकेले बिताएगी, क्या क्या कबीर उसे कहेगा, क्या वोह करेगा उसके लिया। लेकिन बाद में तोह उसे पता ही नही चला की कैसे उसके साथ आज का पूरा दिन बीत गया वोह भी कितनी सहजता के साथ। क्योंकि कबीर पूरा दिन नॉर्मल ही रहा, ना की वोह लवर बॉय की तरह जिससे अमायरा इरिटेट हो जाती थी।
"क्या अब हम घर जा रहें हैं?" अमायरा ने पूछा जब उनकी कार मेन रोड की तरफ आ जाए थी।
"अभी नही।"
"पर पहल ही बहुत लेट हो गया है। आज का दिन खतम हो गया अब।"
"अभी नही हुआ। हमे अभी अपने फाइनल डेस्टिनेशन पर जाना है।" कबीर ने रोड की तरफ देखते हुए जवाब दिया।
कबीर ने गाड़ी मरीन ड्राइव पर जा कर रोकी। वोह दोनो गाड़ी से उतर कर फूट पाथ को क्रॉस कर के समुद्र के पास ही एक बेंच पर जा कर बैठ गए और समुद्र को देखने लगे। अंधेरे में सीमाएं सारी मिल चुकी थी। बस चारों ओर उठती लहरों की आवाज़ और दूर दूर तक सिर्फ बहता पानी सुनाई और दिखाई पड़ रहा था। अमायरा के लिए यह माहौल सुकून भरा था। उसने वहां भेल पूरी खाई जो की एक लोकल ठेले वाले से लिया था। और खट्टे चटपटे कच्चे आम जिस पर हल्के खट्टे मसालों का स्वाद था, वोह भी खाया। धीरे धीरे रात और गहराने लगी साथ ही साथ अमायरा का सुकून भी बढ़ने लगा। उसे यही तोह पसंद था। जब भी वोह अकेला महसूस करती थी तोह अक्सर यहां आ जया करती थी। पर आज वोह अकेली नहीं थी। उसने कबीर की तरफ एक नज़र देखा, जो चुपचाप समुंद्र की ओर टकटकी लगाए था, और फिर उसके कंधे पर अपना सिर रख दिया। वोह दोनो वहां काफी देर बैठे रहे। उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में बातें की, अपने बीते हुए कल के बारे में और वर्तमान के बारे में भी। अपने सुखमयी भविष्य के बारे में बाते करने का अभी सही वक्त नही आया था। अमायरा ने महसूस किया की आज का दिन, जो उसकी डेट थी, वोह इससे बेहतर तरीके से नहीं खतम हो सकती थी। बल्कि बिना किसी डायमंड रिंग, चॉपर या प्राइवेट जैट के उसने ज्यादा एंजॉय किया था। वोह सुबह जितना घबराई हुई थी उससे कहीं ज्यादा सुकून लेकर वोह घर वापिस जा रही थी।
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