अपंग - 35 Pranava Bharti द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अपंग - 35

35

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बच्चे का पिता नहीं, बच्चे की माँ यानि भानु का दोस्त उन दोनों को बहुत मिस कर रहा था | जब भी वह फ़ोन करता भानु से ज़रूर पूछता कि कब आ रही है वह वापिस ? बहुत मिस कर रहा था लेकिन उसके लिए संभव नहीं था कि वह उसे कह सके कि वह उसे बहुत मिस कर रहा है | वह इतना ही कहता कि बच्चे की बहुत याद आ रही है | उतना ही मिस भानु भी उसे कर रही थी | यह बात बहुत कमाल की थी कि उसे राजेश की ज़रा याद नहीं आई जितना वह रिचार्ड को याद कर रही थी |

स्वाभाविक भी था, ज़रुरत पर उसके साथ वह विदेशी रिचार्ड ही खड़ा था, उसका पति या बच्चे का बाप नहीं | वैसे रिचार्ड की हर बात में वह राजेश को ढूंढने का प्रयत्न करती भी लेकिन एक बात भी ऐसी न पाती जो उसे प्रभावित कर पाती |

बाबा के साथ उसने फ़ैक्ट्री जाना शुरू कर दिया था | भानु ने महसूस किया कि फ़ैक्ट्री के कर्मचारियों का व्यवहार काफ़ी कुछ बदल चुका था |

बाबा मैनेजर के पास ऑफ़िस में बैठ जाते थे और वह पूरी फ़ैक्ट्री का मुआयना करने निकल जाती थी |

पुराने वर्कर्स कुछ थे शेष जा चुके थे | नए वर्कर्स काफ़ी थे जो उसे पहचानते भी नहीं थे | उनका परिचय करवाया गया, भानु ने महसूस किया कि पुराने लोग तो उसे देखकर खुश हुए लेकिन नए लोग कुछ ख़ास ख़ुश नज़र नहीं आ रहे थे |

पुराने मैनेजर की अकाल मृत्यु होने के कारण नए मैनेजर आ गए थे | भानुमति को वह नया आदमी कुछ पसंद नहीं आया |वह उसे टालने की कोशिश कर रहा था | जैसे भानुमति कहीं खीर में कंकड़ सी आ गई थी उसके लिए |भानु के गंभीरता से काम करने के सलीके को पहचानकर वह फिर से उसे एवॉयड करने का प्रयत्न करने लगा | भानु को स्पष्ट रूप से दाल में काला नज़र आ रहा था |

"मि.सक्सेना, बिटिया एक बार फ़ैक्ट्री का सारा हिसाब-किताब देखना चाहती है|"बाबा ने नए मैनेजर साहब से कहा |

"फ़ैक्ट्री आपकी है, जैसे आप ठीक समझें ---वैसे इन्हें क्यों कष्ट दें रहे हैं आप ?मैं पूरी मेहनत से पूरा काम संभालने ने कोशिश कर रहा हूँ --  " मैनेजर ने अपने कंधे ऊपर की ओर उचकाए | साफ़ पता चल रहा था कि उन्हें भानुमति को बीच में आते देखकर अच्छा नहीं लग रहा था | उसका मुँह फूल सा गया था और आँखों में नाराज़गी दिखाई दे रही थी |

"इसमें कष्ट की क्या बात है ?बाबा इतने दिन से फ़ैक्ट्री का काम देख नहीं पा रहे हैं| आप इतनी मेहनत से सारा काम संभाल रहे हैं फिर भी प्रोडक्शन इतना कम हो रहा है | चिंता की बात तो है ही ---"

"मैं तो जितना होता है उतना पूरी मशक्कत से काम कर रहा हूँ, जितना मुझसे होता है | "

"हाँ, यह बात तो है, बाबा बता रहे थे फिर भी कुछ गड़बड़ तो है ही --चिंताजनक बात है बहुत ----"

"हाँ, आप ठीक कह रही हैं, वैसे जैसा आप समझें --ठीक है |"

"हाँ, इसका बुरा मत मानिए मि.सक्सेना | आप जानते हैं मेहनत के बिना तो कुछ नहीं होता ---"

"जी--जी ---"

"पुराने वर्कर्स बहुत कम रह गए हैं --"वह धीरे-धीरे असली मुद्दे पर आ गई थी |

"जी, पुराने वर्कर्स नई जगह नौकरी पर चले गए, एक्सपीरियंस के बाद बेहतर नौकरी मिलती है न ?"

"वो तो अच्छी बात है --लेकिन हमारे यहाँ काम करने वाले केवल एक्सपीरियंस लेने ही काम करने आते हैं क्या ? उनसे कोई बॉन्ड्स आदि साइन नहीं करवाए जाते हैं क्या ? "

"ऐसा नहीं है भानुमति जी, कुछ तो हैं अभी भी आपके समय के वर्कर्स ---"

"जी, वो मैं देख रही हूँ ---" भानु ने कहा फिर बोली

"अच्छा, आप सब खाते और वर्कर्स के के रजिस्टर्स, पिछले साल का रजिस्टर शाम तक घर पर भिजवा दीजिएगा | मुझे बाबा के साथ बैठकर कुछ डिस्कशन्स करने हैं |"

" जी ---पर शाम को ही ?'

"जी हाँ, क्या कहीं दूर रखे हैं ? जहाँ तक मैं समझती हूँ हमारी फ़ैक्ट्री में दो नं का काम तो कभी नहीं हुआ | हर चीज़ आईने की तरह साफ़ रही है | बाबा ने तीस वर्षों में यह व्यवसाय कड़ी मेहनत और ईमानदारी से बढ़ाया है कि आप जानते हैं इसकी कई ब्रांचेज़ हैं ---आपको तो मालूम ही होगा यह सब, फिर किसी भी काम में देरी क्यों ?"