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तू ज़िन्दा है तू ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर

प्रेरणादायी कविता
तू ज़िन्दा है तू ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर,
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूमकर,
तू आ मेरा सिंगार कर, तू आ मुझे हसीन कर!
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है......

ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन,
ये दिन भी जाएंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन,
कभी तो होगी इस चमन पर भी बहार की नज़र!
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है......

हमारे कारवां का मंज़िलों को इन्तज़ार है,
यह आंधियों, ये बिजलियों की, पीठ पर सवार है,
जिधर पड़ेंगे ये क़दम बनेगी एक नई डगर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है......

हज़ार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी चली गई वो हार कर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है......

ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले,
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये,
मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है......

बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग़ ये,
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इन्क़लाब ये,
गिरेंगे जुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर!
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है......

वर्ष 1950 में रचित कविता
कवि: शंकर शैलेन्द्रजी

कविता का भावार्थ:
यह कविता गहरे जीवन राग और उत्साह को प्रकट करती है तथा अतीत के दु:खद पलों को भूलाकर आशा और जीत की नई दुनियाँ को स्वागत करने के लिए प्रेरणा दिया गया है ।

तू जिन्दा है तो जिन्दगी को जीत में यकीन कर ,अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर ।
अर्थ – हे मनुष्य । यदि तू जिन्दा है तो जिन्दगी में जीत होगी , यह विश्वास रखो । यदि कहीं स्वर्ग है तो तुम अपने कर्म से उसे जमीन पर उतार ले ।

ये गम के और चार …तू जिन्दा है तो …….।
अर्थ – गम और अत्याचार के कुछ दिन बीत गये । आज के दिन भी यदि तुम दुःख में है तो वे भी गुजर जाएँगे क्योंकि दु : ख के हजारों दिन बीत चुके हैं । इस जिन्दगी में कभी – न – कभी तो बहार आएँगी ही । तुम अपने सुकर्म से स्वर्ग को पृथ्वी पर ला सकते हैं । यदि तू जिन्दा है तो जिन्दगी के जीत पर विश्वास रखो ।

सुबह और शाम के…………… तू जिन्दा है तो…….।
अर्थ– सुबह और शाम लाल रंग से रंगे गगन को चुमकर जमीन झूम – झूमकर गाती है । अर्थात् सुख – दुख दोनों में एक समान रहने वाले आकाश को देखकर पृथ्वी आनन्दित हो जाती है । उसी प्रकार , हे मानव ! तभी मुझे आनन्दित कर दे । अगर कहीं स्वर्ग है तो उसे उतारकर जमीन पर ला दे । यदि तू जिन्दा है जिन्दगी की सफलता पर विश्वास करो ।

हजार भेष घर के आई मौत ………..तू जिन्दा है तो ………….।
अर्थ – दुःख हजारों रूप धारण कर तेरे द्वार पर आये लेकिन सभी हारकर चले गये । नई सुबह प्रतिदिन आकर तूझं नई उमर प्रदान करती आ रहीं है । वस्तुत : यदि स्वर्ग कहीं है तो उसे उतारकर तू जमीन पर ला दो । तू जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलताएँ अवश्य मिलेंगी , ऐसा विश्वास करो ।

हमारे कारवां को मंजिलों……….. तू जिन्दा है तो …….. !
अर्थ – हमारे काफिला ( मानव – समुदाय ) को मोजलों ( लक्ष्य ) का इंतजार है जो आँधियों और बिजलियों ( दुःख ही दुःख ) के पीठ पर सवार होकर आगे बढ़ रहे हैं । तू भी बढ़ो और कदम – से – कदम मिलाकर अपने मंजिलों को हम सब एक साथ प्राप्त करेंगे । अगर स्वर्ग कहीं है तो उसे उतारकर जमीन पर ला दो । यदि तू जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलता अवश्य मिलेगी ऐसा विश्वास रखो ।

जमीं के पेट में पली अगन , …………….तू जिन्दा है तो ………. ।
अर्थ – जमीन के गर्भ में आग और भूकम्प दोनों पलते हैं लेकिन घरती माँ कभी घबराती नहीं है । उसी प्रकार भूख ( बेकारी – बेरोजगारी ) रूपी रोग का अपना राज्य ( स्वराज ) भी नहीं टिक सकेंगे । विपत्तियों के सर कुचलकर हम सब एकता के सूत्र में बंधकर सदैव एक साथ चलते रहेंगे । अगर कहीं स्वर्ग है तो उसे उतारकर जमीन पर ले आओ । तू जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलता पर विश्वास करो ।

बुरी है आग पेट ………….तू जिन्दा है तो ………।
अर्थ – भूख और अपराध दोनों बुरे हैं । यदि ये दोनों समाप्त नहीं हुए तो एक दिन इंकलाब ( विरोध की आवाज ) बनेंगे । जिससे जुल्म के महल ढह जाएंगे । नये घर बनेंगे । अर्थात् शांति का माहौल बनेगा । अगर स्वर्ग कहीं है तो अपने परिश्रम और सत्कर्म से स्वर्ग को पृथ्वी पर ला सकते हैं । है मानव । तू यदि जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलता मिलेगी । इस बात पर विश्वास रखो ।

कविता एवं भावार्थ
संकलन: डॉ भैरवसिंह राओल

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