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अनसुनी कहानियाँ - 1 - (भानगढ़ भुतहा किला)

हेल्लो दोस्तों कैसे है।
रहस्मय जगह के बारे में और उनसे जुडी
रहस्मय और डरावनी कहानियां उम्मीद करता हूँ आपको काफी पसन्द होगी।
मै आपके सामने लेकर के आया हूँ ।
एक ऐसी ही भूतिया ,डरावनी और रहस्यमय जगह और उस से जुडी कुछ ,दिलचस्प जानकारी के साथ वहां के लोगो द्वारा प्रचलित कुछ अनसुनी कहानियां।
जिसकी गवाही वो जगह आज भी देती है।

राजस्थान ये एक बहुत ही खूबसूरत राज्य है।
जिसको धोरों का राज्य भी कहा जाती है।
कहा जाता है की यहां की मिट्टी में बहुत से राज दफन है।
यहां के शहर में आपको पुराने किले मिल जाएंगे।
जो अपने आप में बहुत से राज बहुत सी कहानिया समाए हुए है।

आज हम बात कर रहे राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ किले की जो भारत ही नही बल्कि दुनिया से सबसी डरावनी जगह में बारे में जाना जाता है।
भानगढ़ का किला अपने बर्बाद होने के इतिहास और रहस्मयी घटनाओं के कारण प्रसिद्ध है।

जिसकी वजह से आज भी ये एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।
सुना है की रात होते ही वहां रहने वाली आत्माए जाग जाती है। जिसे रात को वहां से अजीबोगरीब आवाज आती है । जिसके कारण सूर्य अस्त के बाद कोई भी यहां आने की हिम्मत नही करता सब वहां जाने से डरते है।

किले का इतिहास

कहा जाता है की भानगढ़ के किले का निर्माण 1583 में आमेर के राजा भगवंत दास ने करवाया था।

इस किले का निर्माण भगवंत दास जी ने अपने छोटे बेटे माधो सिंह प्रथम के लिए करवाया था। जो राजा मान सिंह छोटे भाई थे । राजा मान सिंह मुग़ल सम्राट अकबर के सेनापति और उनके नवरत्नो में से एक थे।

1613 में माधो सिंह ने इस किले में अपनी रिहाइश बना ली थी। माधो सिंह के 3 पुत्र थे सुजान सिंह ,छत्र सिंह तेज सिंह । माधो सिंह की मृत्य उपरांत यह किला छत्र सिंह को मिला । छत्र सिंह का पुत्र अजब सिंह था

जिसने भानगढ़ को नजदीक छोड़ अजबगढ बसाया और उसे अपनी रिहाईश बनाई।
उसके 3 पुत्र थे जिनमे से हरी सिंह ने अजब गढ़ छोड़ वापस भानगड़ को अपनई रिहाईश बनाई।
हरि सिंह के दो पुत्र थे जिन्होंने औरंगजेब के प्रभाव में आके मुस्लिम धर्म अपना लिया ।
जिनका नाम बाद में मोहम्मद कुलीज और मोहम्मद दहलीज पड़ा।

जिनको औरंगज़ेब ने भानगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी थी।
मुगल शासन जब कमजोर पड़ने लगा । तब राजा सवाई सिंह ने दोनों को मार भानगढ़ पर कब्ज़ा कर लिया था
भानगढ़ किला अपने बनने से लेकर लगभग 300 वर्षों तक आबाद रहा।और अपनी खूबसूरती की वजह से चर्चा में रहा। और बर्बाद होने के बाद भी रहस्मयी घटनाओ के कारण प्रसिद्ध रहा है


भानगढ़ का रहस्य

भानगढ़ किला यहां यहां होने वाली रहस्मयी और डरावनी घटनाओ के लिए जाना जाता है। लोगो का मानना है की वहां उन लोगो की आत्मा बस्ती है जिन्हें किले में बेहरेमी से मारा गया था। इनकी चीखे और तलवारों के टकराने के साथ उसमे महिलाओं के रोने और उनकी चूड़ियों के खनक और टूटने की आवाजें आती है।
ऐसी हि कुछ घटनाएं इस किले को रहस्मयी बना देती है।
जिसके सबन्ध ने कई कहानियां प्रचलित है।
जो किले की बर्बादी से जुडी हुई है।

1 बलुनाथ के श्राप की कहानी
इस कहानी के अनुसार कहते है जिस जगह पर राजा भगवंत सिंह किले का निर्माण करवा रहे थे ।
वह जगह योगी बलुनाथ की तपस्यस्थल हुआ करता था।
उन्होंने किले के निर्माण के वक्त महाराज से वचन लिया था की किले की परछाई किसी भी कीमत पर उनकी तपस्या स्थल पर नही पड़नी चाहिए।

राजा भगवंत सिंह ने वचन का मान भी रखा। किन्तु उनके पुत्र माधोसिंह ने वचन की अवहेलना कर जब किले की ऊपरी मंजिल का निर्माण करवाया जिसके कारण किले की परछाई बलुनाथ जी के तपस्यास्थल पर पड़ गयी।
जिसे क्रोधित हो योगी बलुनाथ जी ने श्राप दिया की
ये किला कभी आबाद नही रहेगा।
तब से इसमें ऐसे घटनाए होती रहती है। और मन जाता है की उनके श्राप के कारण ये किला बर्बाद हो गया।

2) रानी रत्नावती और तांत्रिक की कहानी

दूसरी कहानी के अनुसार भानगढ़ के राजा छत्र सिंह का विवाह राजा तितरवाडा की पुत्री रत्नावती से हुआ था।
जो बहुत ही रूपवती थी। जिसकी चर्चा पुरे भानगढ़ में ही नही बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी होती थी।
रानी रत्नावती रूपवती होने के साथ तंत्रविदया में भी निपुण थी।

एक दिन भानगढ़ में एक काले जादू में निपुण तांत्रिक सिंधु सेवड़ा आया ।और किले की सामने वाली पहाड़ी पर साधना करने लगा । एक दिन वह साधना करने की तैयारी कर रहा था की उसकी दृष्टि रानी रत्नावती पर पड गयी।

तभी से वह उसके रूप पर मोहित हो गया और मन उसको पाने का करने लगा। वह किसी भी हालात में रानी को पाना चाहता था। परंतु ये आसान नही था क्योंकि वो राजा की पत्नी और भानगढ़ की रानी थी।

इस लिए उसने रानी को पाने के लिए अपनी काली शक्तियों का सहारा लिया। और इसमें रानी की दासी को भी शामिल कर लिया।
एक बार रानी अपनी सहेलियों के साथ बाजार घूमने आई थी । सभी दुकानों पर घूमने के पश्चात् वह इत्र की दुकान पर पहुंची और उसे एक इत्र बहुत पसन्द आया ।
और उसने दासी को उसे महल में लाने को कहा
जब रानी की दासी बाजार से उनके लिए इत्र लेकर जा रही थी । तब तांत्रिक ने इत्र पर वशीकरण मन्त्र कर रानी के पास भिजवा दिया। ताकि जब रानी उसका प्रयोग करे तो उसकी तरफ खींची चली आए। पर वह इस बात से वाक़िफ़ नही था की रानी भी तांत्रिक विद्या में निपुण है।

रानी ने इत्र को देख कर सब जान लिया । और उसने वह इत्र की शीशी सामने की एक चट्टान पर फैंक दी।
उस मन्त्र के प्रभाव से वो चट्टान उस सिंधु सेवड़े की तरफ तेज गति से जाने लगी। चट्टान को अपनी तरफ आता देख तांत्रिक सब कुछ समझ गया उसको अपनी मौत सामने नजर आ रही थी।
तब उसने श्राप दिया की भानगढ़ बर्बाद हो जाएगा। इसमें मौजूद सब लोगो की हत्या जो जाएगी।
और उनकी आत्मा हमेशा हमेशा के लिए यहां भटकती रहेगी । इतना बोल वो चट्टान के नीचे दब कर मर गया।


और इसके कुछ वर्ष पशचात भानगढ़ और अजबगढ के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमे भानगढ़ की हार हुई और वहां के सभी लोग बेहरमी से मारे गए।
जिसमे रानी रत्नावती की भी मृत्यु हो गयी।

जिसके बाद सारा भानगढ़ सुनसान और वीरान हो गया
और लोगो का मानना है की वहां पर मरे हुए लोगो की आत्मा आज भी भटकती है। उनकी चीखे आज भी सुनाई देती है । जिसकी वजह से इसको डरावना और भुतह किला कहा जाता है।
आज भी वहां पर ये सब आवाजे आती है और ऐसी घटनाए होती है। कहते है की जो भी वहां रुकता है अगली सुबह वो मृत पाया जाता है।

जिसकी वजह से सूर्य अस्त के बाद वहां जाने से पुरातत्व विभाग ने मना कर रखा है।

पता नही ये कहानिया सच है या नही पर स्थानीय लोगो का यही माना है ।
इसी वजह से बहुत से सैलानी हर साल इस किले की तरह रुख करते है
अगर आप भी कभी घूमने जाए तो सुबह 8 से शाम 6 के बीच ही जाए।


आप सब का धनयवाद यहां तक पढ़ने के लिए
आप सब को भानगढ़ का इतिहास और इसकी रहस्मय कहानिया पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताए।

Thank you🍫🍫🍫




From :- Karan Mahich

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