Baate adhuri si - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

बाते अधूरी सी... - भाग ४

होटल रूम में आने के बाद भी सिद्धार्थ जब सोने की कोशिश कर रहा था तब भी उसके दिमाग में उस लड़की का ही ख्याल बार बार आ रहा था, ना चाहते हुए भी वो बस उस लड़की के बारे में ही सोच रहा था, सिद्दार्थ उससे कभी मिला भी नही था उसने उस लड़की को पहली बार ही देखा था, लेकिन ना जाने क्यों वो उस लड़की से एक खीचाव महसूस कर रहा था, कुछ तो ऐसा था जिससे सिद्धार्थ को उस लड़की के लिए बहुत अपनापन लग रहा था.

अगले दिन सुबह ग्यारह बजे ही सिद्धार्थ और रोहन की मुंबई से दिल्ली के लिए फ्लाइट थी, फ्लाइट में बैठने के बाद रोहन तो अपनी बुक्स में बिजी हो गया लेकिन सिद्धार्थ को तो रात भर ना सोने की वजह से बहुत नींद आ रही थी, इसलिए सिद्धार्थ तो से गया था, फ्लाइट के लैंड होने के बाद भी सिद्धार्थ की नींद ही नहीं खुली थी, रोहन ने ही उसे आवाज दे दे कर जगाया था, जोर जोर से आवाज देने के कारण रोहन बहुत गुस्से में थे, रोहन को गुस्से में देख कर सिद्धार्थ की तो मानो बोलती ही बंद हो गई थी, आखिर वो बोलता भी क्या गलती तो खुद उसकी ही थी ना.

घर आने के बाद भी सिद्धार्थ अपने रूम में सोने चला गया था रात को भी डिनर करने के बाद वो अपने रूम में सोता ही रहा, सुबह उसका कॉलेज था, सुबह समय पर रोहन उसके घर कॉलेज जाने के लिए आ गया था.

लगता है बहुत थक गए है साहबजादे?? सिद्धार्थ के पापा डाइनिंग टेबल पर बैठ कर नाश्ता कर रहे थे, रोहन को देख कर उन्होंने रोहन से सिद्धार्थ के रूम की तरफ इशारा करते हुए पूछा.

हां अंकल वो कल हम लोग हील स्टेशन पर गए थे न तो वह पर ज्यादा चलने की वजह से शायद सिद्धार्थ बहुत ज्यादा थक गया है, रोहन ने थोड़ा धीमे आवाज में सिद्धार्थ के पापा की तरफ देखते हुए कहा, बीस रोहन का तो मन कर रहा था की सिद्धार्थ के पापा को हील स्टेशन वाली सारी बात बता दे लेकिन उसे भी पता था की सिद्धार्थ के पापा कितने स्ट्रिक्ट है, अगर उन्हें ये लड़की वड़की के चक्कर के बारे में पता चल गया तो सिद्धार्थ के साथ साथ उसकी भी पिटाई हो जायेगी इसलिए उसने चुप रहना ही ठीक समझा.

अब तक सिद्धार्थ भी नीचे आ गया था, सिद्धार्थ को आता देख उसके पापा ने उससे ही सवाल कर लिया- जब सहनशक्ति नही है तो जाते ही क्यों हो ऐसी जगहों पर कहा थकान हो जाए?? अपने पापा का सवाल सुन कर सिद्धार्थ एक दम चुप खड़ा था, सब जानते थे सिद्धार्थ अपने पापा से बहुत डरता था, उसके पापा को डांटते हुए देख कर उसकी दादी ने सिद्धार्थ का बचाव करते हुए कहा- बलवीर बेटा क्यू मेरे बच्चे को डांट रहा है, बच्चा है अभी, अभी ही तो उसके घूमने फिरने के दिन है, और क्या हो गया थक गया होगा इसलिए थोड़ा ज्यादा सो लिया.

अपनी मां के आगे सिद्धार्थ के पापा कुछ नही बोले और अपना ब्रेक फास्ट कर के अपने ऑफिस के लिए निकल गए, अपने पापा के जाने के बाद सिद्धार्थ ने राहत की सांस ली और पेट भर के नाश्ता किया, अपने पापा की बात सुन कर तो उसे ऐसा लगा जैसे रोहन ने उसके पापा को सारी बात बता दी हो लेकिन फिर अपनी दादी की बाते सुन कर उसने थोड़ी चैन की सांस ली.

अब तक सुबह के ग्यारह बज चुके थे सिद्धार्थ और रोहन भी अपने कॉलेज पहुंच गए थे, कॉलेज आने के बाद उन दोनो को पता चला की ठीक एक महीने बाद उनके कॉलेज के फेस्ट स्टार्ट होने वाले है, इसलिए कॉलेज में एक महीने तक पढ़ाई का कोई लोड नही रहेगा.



सिद्धार्थ और रोहन अपनी क्लास की तरफ जा रहे थे की तभी उन दोनों को ही कॉरिडोर में खड़ा उनका सीनियर सुशांत मिल गया, सुशांत वहा पर खड़ा दो लड़कों से कुछ बाते कर रहा था, सिद्दार्थ और रोहन को वहा से निकलता देख सुशांत ने उन दोनो को आवाज देकर रोक लिया था, सुशांत ने उन दोनो लडको को जाने के लिए बोल कर अब सिद्धार्थ और रोहन के पास आकर खड़ा हो गया और बोला- अच्छा हुआ सिद्धार्थ तुम मुझे यही मिल गए मैं तुम्हे अभी फोन लगाने ही वाला था, एक महीने बाद कॉलेज के फेस्टिवल्स स्टार्ट होने वाले है, तुम बहुत अच्छा फुट बॉल खेलते हो ना तो मैं सोच रहा था की तुम हमारी फुटबॉल टीम के वाइस कैप्टन बन जाओ , सुशांत ने सिद्धार्थ की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा, सुशांत कॉलेज की फुटबॉल टीम का कैप्टन था, उसे कॉलेज की फुटबॉल टीम का कैप्टन बने हुए तीन साल हो चुके थे.

सिद्धार्थ भी स्कूल में फुटबॉल चैंपियन था और सुशांत इस बात को अच्छे से जानता था, कॉलेज ज्वाइन करने के बाद भी सिद्धार्थ ने फुटबॉल खेलना नही छोड़ा था, इसलिए सुशांत चाहता था की वह कॉलेज की फुटबॉल टीम का वाइस कैप्टन बने, सुशांत की बाते सुन कर सिद्धार्थ ने भी उसे हां बोल दिया, सुशांत ने फुटबॉल प्रैक्टिस का टाइम सिद्धार्थ को बता दिया था, और साथ में ये भी बता दिया था, की कॉलेज फेस्ट में कॉलेज की ही फुटबॉल की दो टीम के बीच मैच होगा इस मैच में जो टीम जीतेगी वो अब से पांच महीने बाद होने वाले कॉलेज टूर्नामेंट में खेलेगी और ये टूर्नामेंट कोई छोटा मोटा टूर्नामेंट नही था बल्कि स्टेट के आठ सबसे बड़ी यूनिवर्सिटीज का टूर्नामेंट था इसके बाद नेशनल लेवल के टूर्नामेंट के बारे में भी सुशांत ने सिद्धार्थ को बता दिया था.

और हां रोहन अगर तुम्हे फुटबॉल में कोई इंट्रेस्ट नही है तो तुम जा कर मिस्टर शुक्ला सिर से मिल सकते हो, वो कॉलेज के स्टेज प्रोग्राम के इंचार्ज है, अगर तुम्हे स्टेज में कोई दिलचस्पी है तो तुम कर सकते हो.

ओके सुशांत थैंक यू, हम लोग कल ही मुंबई से आए है इसलिए हमे कॉलेज फेस्ट की कोई जानकारी नहीं थी, रोहन ने सुशांत से कहा, हमे आज ही इस बारे में पता चल है, हम शुक्ला सिर से मिल कर इसके बारे में सारी इन्फरमेशन ले लेते है.

ओके!! सुशांत ने कहा और फिर वहा से चला गया, सुशांत के जाने के बाद सिद्धार्थ और रोहन ऑडिटोरियम की ओर चल दिए, कॉलेज फेस्ट की सारी तैयारियां वही पर होती थी, किस स्टूडेंट को किस एक्टिविटी में हिस्सा लेना है ये सब वही पर ही डिसाइड होता था.

जब सिद्धार्थ और रोहन दोनो ऑडिटोरियम में अपाहुचे तब वहा बहुत सारे स्टूडेंट्स थे जो अपनी अपनी बातो में मशगूल थे, ऑडिटोरियम में दस टीचर्स भी थे जो अलग अलग एक्टिविटी के इंचार्ज थे और वे सभी कॉलेज के सीनियर स्टूडेंट्स से कुछ बाते कर रहे थे, ऑडिटोरियम में पूछ कर सिद्धार्थ और रोहन शुक्ला सिर के पास चले गए, सिद्दार्थ को तो शुक्ला सिर से कोई जरूरी काम तो था नही, इसलिए वह रोहन को उनसे बाते करने का बोल कर ऑडिटोरियम में ही घूमने लगा.

ऑडिटोरियम की दीवार पर जगह जगह वहा पर होने वाली एक्टिविटीज की तस्वीरें लगी हुई थी साथ में ही उस पर उस एक्टिविटी के विनर या जो ग्रुप विनर रहा है उनके नाम के साथ ही उनकी तस्वीर भी लगी हुई थी.


सिद्धार्थ अभी ये सब देख ही रहा था की उसकी नजर एक ऐसी तस्वीर पर पड़ी जिसको देख कर वो वही जम सा गया
इस तस्वीर में और कोई नही बल्कि वो ही लड़की थी जो उसे वहा हील स्टेशन के सनसेट प्वाइंट पर बैठी हुई मिली तो जो शायद अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी, इस तस्वीर में वह लड़की बड़ी मासूमियत से पियानो के सामने बैठी थी, शायद ये एक पियानो प्लेयर थी, तस्वीर को और ध्यान से देखने पर उसे उसका नाम भी लिखा हुआ दिखाई दिया "आकांक्षा शर्मा", ओह तो इसका नाम आकांक्षा शर्मा है, सिद्दार्थ ने अपनी आंखे बंद की ओर एक गहरी सांस लेते हुए अपने आप से ही बात की.

सिद्धार्थ ने उस तस्वीर के आस पास नजर दौड़ा कर देखा की शायद उसे कही दिख जाए की क्या ये किसी कंपटीशन की तस्वीर है या नहीं, लेकिन उसे वहा कुछ भी लिखा हुआ नही दिखा, उसे वहा खड़ा देख उसकी सीनियर निकिता वहा आ गई, निकिता ने देख लिया था की सिद्धार्थ आकांक्षा की तस्वीर को बड़े गौर से देख रहा है और कुछ सोच में डूबा हुआ है.

निकिता ने सिद्धार्थ के पास आ कर उसके कंधे पर हल्का सा मारा और पूछा- है!! क्या देख रहे हो?? सिद्धार्थ को कुछ न बोलता देख निकिता ने ही उसे बता दिया की ये आकांक्षा है, लेकिन ये बात तो सिद्धार्थ को तभी पता चल गई थी जब उसने उसका नाम पढ़ा था, सिद्दार् ने अब निकिता से पूछा- क्या इस कॉलेज में पियानो कंपटीशन भी होता है??

सिद्धार्थ की बात सुन कर निकिता अब थोड़ी कन्फ्यूज स्माइल दे कर बोली- नही तो, यह पर कोई पियानो कंपीटीशन नही होता है, क्या तुम्हे पियानो प्ले करना है??

निकिता की बात सुन कर सिद्धार्थ को लगा की इसे अगर इस लड़की के बारे में बता दिया तो शायद ये मेरी बातो का गलत मतलब ना निकल ले इसलिए सिद्धार्थ ने निकिता से कहा की उसे भी पियानो कंपीशन में हिस्सा लेना है, क्या वह उसकी मदद कर सकती है??

सिद्धार्थ की बाते सुन कर निकिता को जोर से हंसी आ गई, उसने हंसते हुए सिद्धार्थ से कहा- अरे सिद्धार्थ हमारे कॉलेज में कोई पियानो कम नहीं होता है, दरअसल ये आकांक्षा शर्मा है, ये बहुत अच्छा पियानो बजती है साथ ही ये पियानो की अपनी नई नई धुन भी क्रिएट करती है, और ये शायरी भी बहुत अच्छी लिखती है, ईन शायरी को ये अपनी पियानो की धुन के साथ मैच करती है, और अगर इसकी पियानो की धुन ले कर इसे पे करता है तो उन रूपयों को ये अनाथालय के बच्चो को दान कर देती है, इसके पापा इस कॉलेज के ट्रस्टी भी है.

मैं तो इसके बारे में बस इतना ही जानती हु लेकिन मेने इसके बारे में बहुत कुछ सुन रखा है, बहुत से लोग कहते है की इसका एक डार्क सीक्रेट भी है, लेकिन मैं इसके ऐसे कोई डार्क सीक्रेट के बारे में जानती नही हूं, लेकिन मैने भी देखा है अक्सर ये अकेली ही रहती है और अगर बात भी करती है तो ज्यादातर यह ये टीचर्स से ही करती है बाकी स्टूडेंट्स से मैने इसे बहुत कम बाते करता देखा है, इसलिए इसे यहां के बहुत से स्टूडेंट्स घमंडी भी समझते है, लेकिन टीचर्स कहते है की ये दिल की बहुत अच्छी और समझदार लड़की है, अब क्या पता ये कैसी है मुझे क्या करना है?? वैसे मेरा तो मानना है की इसके पापा यह के ट्रस्टी है इसीलिए टीचर्स इसे इतना भाव देते है, खैर मुझे क्या चलाओ बाय मुझे कुछ काम है, कहकर निकिता वहा से चली गई.

निकिता के जाने के बाद सिद्धार्थ फिर से उस तस्वीर की ओर देखने लगा और अपने ही ख्यालों में कही गुम हो गया.
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