पहाडिन - 2 Jayesh Gandhi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पहाडिन - 2

कहते है अगर आप किसीको सच्चे दिलसे याद करोगे तो आपकी पुकार वो कही भी हो सुन लेता है। यही चंदा और सूरज के साथ हुवा दोनों एक दूसरे को एक बार मिलना चाहते थे। कुदरत ने उन्हें मौका दे दिया। राम मनोहर ने चंदा से कहा जाओ सूरज और आकाश को सेक्री पहाड़ी से दूर मुख्य रास्ता है जहा से चमोली जा सके, रास्ता दिखाके आओ।
" जी ,बापू , कह के वो बहार आ गई। सूरज से दोबारा मिलने की बात ने ही उसे खुशी से दीवाना बना दिया। वो हिरन की तरह दौड़ती अपनी सहेली रैना के पास पहुंची। रैना ने उसे देखते ही बोली, " अब ज्यादा तितली मत बन ,सास ले। बता क्या हुआ हे ?
"वो दो आये हे न , उनको छोडन जांदी ह। ठीक है में आती हु। कह के रैना अंदर गई और २ मिनिट के बाद बहार आयी।
दोनों ने फिर चंदा के घर आयी। राम मनोहर ने दोनों लड़को को बुलाया और कहा चंदा और ये रैना तुम्हे दुलिये रस्ते के पास छोड़ जाएगी वहासे तुम्हे शाम की आखरी बस मिल जाएगी जो तुम्हे चमोली ले जाएगी।
" ठीक है जी। " दोनों ने नमस्कार किये और अपना सामान उठाके चल ने लगे। उनके पीछे पीछे दो कमसिन लड़किया भी।
चारों हिमाचल की ठंडी हवा और प्रकृति का आनंद लेते गुजर रहे थे। चंदा अपनी सहेली से बोली
" रैना , पहाड़ के लोग , पहाड़ के जैसे ही अटल और सच्चे होते है। दूसरे लोग पानी की झरने की तरह कही भी बह सकते है।" कहने के बाद तिरछी निगाह से सूरज की और देखा ,
सूरज बोला, " हम शहर वालो से आप इतना जलते क्यों हो ? आप सच्चे है तो हम भी जूठे नही। हम तो आपका शुक्रिया अदा करना चाहते है। खास तोर से उस खाने के लिए,"
रैना बोली -"अच्छा " तुम्हारे लोग सुक्रिया भी मानते है।
आकाश जो की कब से चुप था। बोला - अरे हम लोग क्या जानवर है,जैसे आप हो वैसे ही तो हम है।। एक मुँह दो हाथ दो पैर ,।
रैना बोली - तुम क्यों बीचमे टपके ?
आकाश उनको घूरे जा रहा था। जब की दो मासूम दिल खामोस हो के एक दूसरे के और देख रहे थे।
"नजर से नजर ने मुलाकात कर ली ,दोनों खामोश रहे फिर भी बात कर ली"
अबकी बार सूरज सीधा ही चंदा से बोला " आप हमें इन जगहों के बारे में कुछ बताएगी तो आप की मेहरबानी होगी"
"तूम जब ऐसे बात करते हो तो तुम्हे कोण मना कर शकता है? चलो हम लोग थोड़ा आगे चलते है वो लोग पीछे पीछे आएंगे
" चंदा ,वो मेरा दोस्त है .......... और वो तेरी सहेली...."
" मेने कब मना किया .... ? देखो हमारा साथ थोड़े दूर तक है और में चाहती हु की तुम मेरे साथ बात करते रहो चलते रहे चलते रहे....।
" ठीक है , जैसा तुम चाहो तुमको देख के मुझे भी ऐसा लगा की हम दोनों युही साथ साथ चलते रहे हम दोनों कभी कभी अलग न हो।
" तो ले जाओ अपने घर, अपने शहर ...।
"क्या ??? ,सूरज पुरे का पूरा बोखला गया।
उनकी हालत देख कर चंदा इतनी खुलके हँसी के पास के पेड़ो से तोते उड़के दूसरी जगह चले गये। एक दम शांत वादियों में चंदा की हँसी की गूंज सुनाई दी, पीछे वाले लोग भी अब तो करीब आ गए सूरज चंदा को मुँह ताकते खड़ा ही रहा।
चंदा ने उनका हाथ अपने हाथ में दे के उसको ज़िन्ज़ोडा तब वो नार्मल हुआ। " में तो युही मजाक कर रही थी मेरी इतनी सी बात पर तुम्हारे तोते उड़ गए तुम क्या साथ चलोगे ?
" चंदा में तुम्हे मासूम और भोली पहाड़िन समजता हु ,तुम बहोत पवित्र हो ,साफ़ दिल की हो तुम्हारे मन को जाने बिना में कोई भी जवाब कैसे दे दू।। में तुम्हे दिलसे बहोत चाहता हु पर तुम गलत सम्जोगी इसलिए चुप रहा मेरा प्यार उतना ही पवित्र है जितना की ये झरने का पानी ,,ये वादियों में गूजती तुम्हारी हँसी "
" बस बस ये प्यार ब्यार की बाते छोडो ,यहाँ हर मौसम में लोग आते है ,जैसे मौसम बदला , पढ़े लिखे लोग मिजाज भी बदल देते है। तुम लोग किसी के दिल के साथ खेलोगे और चले जाओगे फिर हम इधरही इंतज़ार करते रहेंगे, दिन ,महीनो और सालो का लम्बा इतंज़ार "
आकाश और रैना इतने करीब थे की दोनों की बात चित साफ़ सुन सकते है।
"ठीक है , चंदा मेरा प्यार सही है की गलत वो वक्त बताएगा ,और हमारा साथ भी पल दो पल का है मेरे लिए तुम अपना वक्त मत गवाना तुम लोग अपने रिवाज़ के मुताबिक ब्याह कर देना ,तुम्हारे क्षेत्रपाल भगवन तुम्हे तुम्हारी मर्जी का जीवन साथी दे तुम खुश रहोगी तो मेरा प्यार सफल रहेगा "
आकाश कुछ कहना चाहता था पर रैना ने इशारे से रोक दिया।
चंदा चलते चलते सूरज के करीब आ गई उनका हाथ अपने हाथ में ले के बोली "तुम्हारे अंदर की सच्चाई मुझे तुम्हारे और करीब ले आयी
है। सच कहु तो मेरा खुद पर काबू नहीं है मन कहता है की आनेवाले परदेसी झूठे वादे करके चले जाते है उनपे भरोसा मत कर ,दिल कहता है की सूरज सच्चा है भगवान् क्षेत्रपाल ने तुम्हारे लिए ही चुना है इसलिए रास्ता भटकते वो तुम्हारे पास पंहुचा। में तुम्हे खोना नहीं चाहती पर तुम मेरे नसीब में हो की नहीं ये भी तो नहीं मालुम ,तुम पढ़े लिखे ,बड़े खानदान वाले, में ठहरी अनपढ़ ,गवार एक पहाड़िन.......। ,
सूरज को अपने हाथ पे कुछ गर्म सा मह्सुश हुआ ,देखा तो चंदा की आँख से दो बून्द आंसू की हाथ पर गिरी थी। उन आँसू की तपिस सूरज को अंदर तक दहला गई।
सूरज ने चंदा का चहेरा अपने हाथो से ऊपर किया तो दो काली आँखों में नमी तैर रही थी।
सूरज ने बड़े प्यार से उसके आंसू पोंछे। बोला " अभी तो बड़ी बड़ी बाते करती थी ,एक दम से रो दिया " किसी ने सच ही कहा हे की प्यार आंसू का दूसरा नाम है। में तुम्हे वचन देता हु की कभी भी धोका नहीं दूंगा अगर तुम मेरे जीवन में आना चाहती हो में सबसे लड़ जाऊँगा पर हमारे प्यार पर कभी आंच नहीं आने दुगा, में मेरे समाज की ,खानदान ,या उच्च नीच ऐसी किसी बात को नहीं मानता। में सुकून ,प्यार अहसास ,और विस्वास में जीने वाला हु।
रैना भी नजदीक आई और अपनी और खिंच लिया चंदा को, चंदा को जैसे कंधे की तलाश थी रैना का कन्धा मिलते ही फफक से रो पड़ी।
सूरज समज ही नहीं पाया। वो चंदा को रोते नहीं देख सकता है। अपने आप को कसूरवार समज के आसमान की और देखता रहा।
रैना ने आकाश और सूरज को खा जाने वाली नजरो से देखा।
वो आकाश कहने लगी " तुम्हारे दोस्त को समजा देना, मेरी मासूम सहेली को रुला दिया अभी दो दिन भी पुरे नहीं हुए और इस पगली को कही का नहीं रहने दिया। ये तुम्हे अपना दिल दे बैठी है और तुम छोड़ के जा रहे हो इस लिए वो रो रही है। यहाँ अक्सर जो भी आता है सपने दिखाकर चला जाता है।
आकाश सीधा चंदा के पास गया " जब तक आकाश है ने भाभी ,सूरज और चंदा को कोई जुदा नहीं करेगा , रही मेरे दोस्त की बात , अगर आज के जमाने भी ये विस्वामित्र ही है आज तक कोई मेनका इनका तप भंग नहीं कर शकी ,एक चंदा नाम की पहाड़िन ने मेरे दोस्त को मुझसे छीन लिया कह के वो हसने लगा।
चंदा को भाभी कहा वो अच्छा लगा ,वो भी अपने चहेरा को ठीक कर के करीब आ गयी। अब चारो चलते चलते सेक्री पहाड़ियों के पास खड़े थे।
वहासे एक कच्चा रास्ता ढलानों से उतरता मुख्य सड़क की और जाता है। और दूसरा बीचमे से मुड़के जंगल की और जाता था
चंदा ने कहा " सूरज, ये पहाड़ के जंगल में हमारे पुरखो के देवी "लासक्ति का मंदिर है ,कहते है की वहा जो सच्चे दिलसे जो भी मांगते है
मिल जाता है, लेकिन वहा जाने के लिए बहोत अंदर तक चलते हुए जाना पड़ता है।
"अच्छा, चंदा वो सामने जो बरगद जैसा दीखता है वो क्या है ?"
" वो "गूलर " का पेड़ है ,हमारे लोग ख़ास दिन उनकी पूजा करते है इनके फल हमें सकती देते है ये पेड़ हमारे क्षेत्रपाल भगवन का प्रिय है।
सूरज ने रैना को करीब बुलाया ,चंदा का हाथ उनके हाथ में थमा दिया, बोला " मेरी जिंदगी आप को सौंप के जा रहां हु , इन दो आँखों में कभी भी कोई आंसू ना आने देना, में फिर वापिस आउ तो मेरी चंदा मुझे हसती , चिडियो की जैसी चहचाती और खुस मिले। कह के वो रैना के कदमो में गिर पड़ा। रैना पहड़न थी लेकिन बहोत ही सुलजी थी वो समज गई की ये दो मासूम दिल किस हालत से गुजर रहे है। वो प्रत्यक्ष बोली " में तो मेरी सहेली को संभाल लुंगी। तुम अपना पता एक कागज में लिख के जाओ ,और तुम एक हफ्ते का अंदर वापिस ना आये तो ये पगली इसी पहाड़ से खाई में कूद जायेगी.....। "
"नहीं रैना दीदी नहीं ....। ऐसा मत कहिये अब वो मेरी अमानत है में १० दिनों के बाद मेरे मम्मी पापा को समजा कर इसे लेने आउगा।
आकाश ने रस्ते का पता लगा दिया था अब बस ढलानों से निचे उतरे की उनकी मजिल करीब ही थी।
सूरज चंदा के पास गया चंदा ने उसे कुछ भी बोलने मना किया वो सूरज को पैर छूकर बोली " मेरे प्यार के देवता , मेंने मेरी सारी जिंदगी तुम्हारे नाम करदी है। ये दिल ,सरीर और आत्मा अब सिर्फ तुम्हारी अमानत है। बस तुम जाओ इसका मुझे गम नहीं। भूल ना जाओ इसका डर है।
" चंदा , मेरी जिंदगी अगर तेरे जीवन में ख़ुशी ना ला सकी तो वो किसी काम की नहीं। अब मेरा तो जीना मरना एक चंदा के लिए है में मेरी साँस लेना भूल सकता हु लेकिन चंदा को नहीं। "
अब बहोत देर हुई ,तुम वापस अपने घर जाओ ,में वापिस जरूर आऊंगा ,मेरा शरीर तुम्हे छोड़ के जा सकता है मेरा दिल नहीं वो में तुम्हारे सीने में रख के जा रहा हु। वो जितनी बार धड़केगा उतनी बार तुम समज लेना की मेने तुम्हे याद किया। "
आकाश आया " देखो , तुम दोनों एक दूसरे को वचन दो की जबतक दो बारा ना मिलो कोइ भी ना रोएगा और ना खाना पीना छोड़ेगा "
रैना भी बोली " ये बात तो सही है, और हमारे यहाँ जब बारिस की सरुआत होती है तो गांव में एक मेला सा लगता है ,हम लोग नाचते है ,ढोल बजाते है। तब तुम आना और मिल लेना चंदा से क्यों चंदा ठीक है ने चंदा ,?
" हां , "
" अब तुम दोनों एक साथ बोलो , ये पहाड़ो के देवता ,हमारे प्यार की रक्षा करना और हमें आपस में ब्याह करने की अनुमति देना "
दोनों ने हाथ उठाकर ऐसा बोला।
ऐसा करने से आप दोना का प्यार सलामत रहेगा ,इसमें कोई बाधा नहीं आएगी।
अब विदाई वो घडी आयी ,जो दोनों दिलो पर छुरी चलाने जैसा था ,दोनों मासूम ,दुनिया से अनजान ,पहला प्यार ,कमसिन उम्र और विदाई के लम्हे।
जैसे ही सूरज ने जाने की लिए मुड़ा,चंदा की आँखे भर आयी ,जबरन मुस्कराती वो पगली एक हाथ से विदा कर रही थी और दूसरे से आंसू पोंछ रही थी ,उस बेचारी का दिल जैसे किसी ने मुठी में लेके दबोच लिया हो ऐसा लगता था। सूरज भी मानो अपना पूरा वजूद छोड़ के जा रहा था ,उनके कदम इतने भारी हो गए की उठाने लिए आकाश का सहारा लेना पड़ रहा था।
मासूम प्यार को परवान चढ़ने देना अब नियति के हाथ में है। आकाश ,रैना ,चंदा ,सूरज देखा जाये तो प्रकृति और नियति के ही रूप है।
लेकिन कहते है की प्यार से बड़ी कोई ताकत नहीं होती फिर भी एक बड़ी ताकत उनसे भिड़ने के लिए बेताब थी वो थी नियति। नियति ने उन दोनों के बारे में कुछ और सोचा है नियति के नियम अनुसार चाँद और सूरज कभी नहीं मिले तो फिर चंदा अपनी चादंनी किसे देगा ?
रैना -जिसका अर्थ है रात्रि , लोको को आराम देना उनका काम है , तपते सूरज को आराम दे पायेगी ये ?
आकाश एक सुलझा हुआ मन मोजी इंसान अपने नाम की तरह खुला मन ,खुला दिल रखने वाला चंदा और सूरज को साथ देगा या फिर ?
मौसम के बादल आकाश को ढक देंगे ?

(क्रमश)