कुछ स्मृतियां shivani singh द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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कुछ स्मृतियां

लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा हो गया अपनी छत पर आए हुए आज कितने दिनों बाद यहां से ढलते सूरज को देखा है..।

न जानें कहा गुम हो गये वो पल ,ज्यादा सुख सुविधाएं होने पर हम बहुत सी चीजों से वंचित हो जाते है, हम पहले की तरह

बिंदास नहीं रह पाते , आज के जमाने में एक बच्चा अपने मां - बाप के साथ जितना समय नहीं गुजारता जितना पहले आज वह मोबाइल फोन से अधिक जुड़ा है जिससे आत्मीय संबंध पहले की तरह नहीं हो पाते ।

वो भी क्या दिन थे अब भी दिन वही है पर बहुत कुछ बदल सा गया है।गर्मियो में बहुत कुछ घटित होता था पहले , अब बहुत कुछ missing है।


सुबह उठते ही नींबू पानी पीना ..।
मम्मी का बार बार कहना चलो नहा के आओ और खाना खाओ।
वाह कितने मजे आते थे ,
कूलर में पानी डालना , यह काम सबसे बोरिंग होता था । सभी को लगता होगा 🤪।
पर मजा बहुत आता था,

घर पर जो छोटा होता था उसको फ्रिज कि बॉटल भरना


यह काम तो गर्मियों में उसको बेरोजगार कहने से बचाता था 😃।
धूप में छत पर जाना , वो भी बैगर चप्पल के क्योंकी टाइम लगता चप्पल पहने में , हाए ...।
फिर इतनी स्पीड में नीचे आना जैसे कोई पीछे पड़ा हो।
दोपहर में पूरे महोल्ले में शांति दिखना एक दम शाांति


बस कुछ मास्टर पीस बच्चे जो छिपके से घर से बाहर खेलने आते वो भी कूलर की ठंडी हवा छोड़ के क्योंकी उनको परम सुख धूप में खेलने से ही मिलता है।
जैसे ही शाम होती सभी का छत पर आना , फिर छत पर पानी डालना और उस पानी के साथ खेलना ।
पानी की पाइप को पकड़ने के लिए लड़ना क्योंकि उसका पकड़कर पानी देना तो छोटे बच्चो को नसीब नहीं होता पता नहीं क्यों 😃
रात में खाने के समय लाइट का जाना यह तो एक अलग ही ड्रामा रहता था। पता नहीं बिजली बालो को क्या सुकुन मिलता था फिर गिनती गिनना की इतने तक गिनो फिर लाइट आ जाएगी पर लाइट तब भी नहीं आती ।

सब लोग अपनी अपनी छत पर खाना खाते,
और लाइट का इंतजार करते , इसी बीच कुछ बैचेन मच्छर भी अपने पूरे परिवार के साथ हम सबका खून चूसने आते तथा अपनी भूख मिटाने के लिए आ जाते।
पर लाइट नही आती। 😂
कुछ समय बाद जैसे ही लाइट आती सब लोगों के (घर के छोटे बच्चे) ऐसे नीचे भागते जैसे की अगर ये नीचे नहीं पहुंचे तो लाइट चली जाएगी , लेकिन अफसोस जैसे ही नीचे जाते लाइट चली जाती , 😃

इस मामले में सब लोगों के घर के जितने भी बड़े लोग थे वो ज्यादा एक्सपर्ट होते थे ककि वो नहीं जाते। उन्हे पता रहता की लाइट फिर से जानें बाली है ।

वाह क्या दिन थे वो।

बहुत सी बाते हैं जिन्हे अपने मन में टटोलना और हंसना ।

पहले वाले दिन तो वापस नहीं आयेंगे, पर उन यादों को अपने मन में केंद्रित रखना और उन्हे याद करना बड़ा ही दिलचस्प होता है।

वो,
खुला आसमान ,खुली जमीन

बिंदास जीवन..।💕
-shivaninany ☘️