दो अज़नबी Surbhi Goli द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दो अज़नबी

"दो अजनबी!"


आज बारिश इतनी तेज थी कि रास्ते भी नजर नहीं आ रहे थे, मगर एक परेशान सा पच्चीस- छब्बीस साल का लड़का जो एक पुराना सा स्कूटर लुढ़काते हुए बारिश के पानी में बुरी तरह भीगा हुआ एक खाली और सुनसान रास्ते पर चला जा रहा था।

इस वक़्त रात के ग्यारह बज रहे थे, मन ही मन वो अपने भगवान से सिर्फ ये गुहार लगा रहा था कि वो इस झमाझम बरसती बरसात को कुछ देर के लिए रोक दे,

मगर न तो भगवान ने उसकी कभी सुनी थी और न ही वो आज कुछ सुनने के मूड में लग रहे थे।

कुछ और दूरी तय करने के बाद लड़के को पीछे से किसी वाहन के आने की आवाज आयी। उसने बिना देर किए अपने स्कूटर को स्टैंड पर लगाया और उस कार को रोकने की कोशिश करने लगा।

कार उसे पीछे छोड़ते हुए कुछ दूरी पर रुक गई, कार को रुकता देखते ही लड़का कार की ओर भागा,

उस कार में सिर्फ एक औरत थी, जिसने गुलाबी रंग की बेहद झीनी साड़ी पहन रखी थी और उस के सुर्ख होठों पर सुर्ख लिपस्टिक लगी हुई थी, वो इतनी सुंदर और साफ रंग की थी कि कोई भी आदमी उसे देख कर दीवाना हो जाता।

पर लड़के ने बस उसे देखा और बोला - "मेरा स्कूटर खराब हो गया है, क्या आप मुझे आगे तक छोड़ सकती हैं, यहां से चल कर जाने में मुझे काफी देर हो जायेगी..."

औरत ने पहले उसे अच्छी तरह से आंखों ही आंखों में तौला और फिर उसने बिना कुछ कहे ही लड़के को पीछे बैठने का इशारा किया, उस ने थेंक्स कहा और वो कार के पीछे वाली सीट पर जा बैठा।

औरत ने कार स्टार्ट कर दी मगर उसका ध्यान सड़क पर न हो कर सामने वाले मिरर पर था, जिस में गेरुए रंग का, काली साधारण आंखों और हल्के गुलाबी होठों वाला लड़का उसे ठीक ठीक नजर आ रहा था।

एक बार गलतीं से लड़के की नजर भी शीशे पर जा टकराई, और वो थोड़ा नर्वस फील करते दिखा, उसने अपनी नजरें तुरंत दुसरीं ओर घुमा लीं।

"वैसे तुम्हे उतरना कहाँ है??" औरत ने पूछा।

"बस आगे ही!" उसने कह कर जल्दी बात खत्म की।

"लेकिन आगे कहाँ?? आगे तो बहुत कुछ है...एक डांस बार भी!" कहते हुए वो अजीब ढंग से मुस्कुराई।

"जब वो जगह आ जायेगी मैं आपको बता दूंगा!" उसने चिढ़ते हुए कहा।

"अच्छा तो फिर अपना नाम ही बता दो..!"

लड़के ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा और वो चुपचाप कार के बाहर देखने की कोशिश करता रहा।

"मेरा नाम टीना है!" लड़की ने कहते हुए कार की स्पीड कम कर ली।

"अच्छा है..., आप प्लीज कार थोड़ा तेज चलाइये।" लड़के ने कहा।

"अच्छा तो तुम पीछे बैठ कर अपने आप को इस कार का मालिक और मुझे अपनी ड्राइवर समझ रहे हो हां!" औरत लड़के को तंग करने के अंदाज में बोली।

"आप अच्छी तरह जानती हैं कि मेरा मतलब क्या है, अगर आप सच मुच मेरी हेल्प कर रही हैं तो फिर हेल्प की तरह ही कीजिये, या फिर मुझे यही छोड़ दीजिये...!" लड़का भड़का।

"अरे अरे! बड़े गुस्सेल हो.., मैं तो बस इस बोरिंग से सफर को थोड़ा सा कूल करने की कोशिश कर रही थी, पर अगर तुम्हें पसंद नहीं आया तो कोई बात नहीं, मैं चुप हो जाती हूँ।" औरत ने कहा और उसने कार को सामान्य गति से चलाना शुरू कर दिया।

लड़के ने कुछ अच्छा महसूस किया मगर तभी...."लग जा गले..कि फिर ये हसीं रात हो न हो...!! शायद फिर इन जन्म में मुलाकात हो न हो!" गाने के बोल गूंजने लगे।

लड़के ने अपने कानों में जब दोनों उंगलियां डाली और जोर से चीखा तो औरत बुरी तरह बिदकी..."बंद करो इस बेहूदा गाने को!"

औरत ने हड़बड़ाया कर तुरंत टेप ऑफ कर दिया, और वो कुछ पल तक शांत सी बैठी रही।

जब लड़के को भी उसने शांत होता देखा तो उसने बोलने की कोशिश की - "तुम्हे - ये गाना - बेहूदा क्यों लगता है, मेरा मतलब - ये तो एक लोकप्रिय गीत है, बेहद मशहूर और हर दिल करीब गीत!" औरत ने डरते डरते अपनी बात कही।

"हां! था..था ये मेरे दिल के भी कभी बेहद करीब पर अब, अब मैं इसे सुनता हूं तो मेरे घाव ताजा हो उठते हैं।" लड़के ने तड़फ के साथ कहा।

"ओह्ह! पर ऐसा हुआ क्या था!" उस औरत ने इंटरेस्ट ले कर पर गम्भीर नजर आते हुए पूछा।

"मेरी मंजिल आ चुकी है..!" लड़के ने खुदको संभालते हुए कहा, टीना कार रोकना तो नहीं चाहती थी पर उसे डांस बार पहुँचने में काफी देर हो रही थी और वो लड़के का नेचर भी ज्यादा नहीं पर थोड़ा तो जान ही चुकी थी, इसलिए उसके साथ किसी भी तरह की जिद करने की हिम्मत वो बिल्कुल भी करना नहीं चाहती थी।

आखिर उसने कार रोक दी। लड़के ने दरवाजा खोला और वो कार से नीचे उतर गया। बारिश अब भी जारी थी। "थैंक्स!" उसने कहा और वो वहां से एक पतली अंधेरी गली में घुस गया, टीना उसे अब तक देख ही रही थी।

"ये जगह तो काफी दिनों से बंद पड़ी है, फिर ये यहां क्या करने गया है??" टीना के जिज्ञासु मन में प्रश्न जन्मा।

उसने अपनी एक फ्रेंड को मैसेज टाइप किया, जिसमे लिखा था - "मैं आज पंद्रह मिनिट लेट पहुँचूंगी, तब तक तू बार के मेनिजर को संभाले रखना!"

इसके बाद वो भी अपनी कार से निकली और उसी पतली गली में घुस गई, जहां सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था। टीना ने अंधेरे से निपटने के लिए अपने फोन की टॉर्च जला ली।

उसने अपने कदम तेजी से बढ़ाये, कुछ ही दूरी पर उसने देखा कि वो लड़का आगे चलता जा रहा है।

टीना सम्भल कर चलने लगी, वो नहीं चाहती थी कि उस लड़के को टीना के पीछा करने का राज मालूम हो।

लड़के ने भी एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा।

कुछ देर बाद एक जर्जर मकान का दरवाजा उस लड़के ने पीटना शुरू किया।

टीना ये सब बेहद दिलचप्सी से देख रही थी।

कुछ ही देर में दरवाजा भी खुला, अंदर से उसी गाने की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं जिस पर वो टीना की कार में भड़क गया था।

अचानक लड़के ने किसी की कॉलर पकड़ ली और वो किसी के साथ मार पीट करने लगा, उसके मुँह से गंदी गालियां भी निकल रहीं थीं, ये देख कर टीना की आंखे फटी रह गईं।

"लगता है ये कोई मेंटल पेशेंट है, जब ये कार में गाना सुनते ही चिड़ा था, तब भी इसकी शक्ल यही गवाही दे रही थी।" टीना मन ही मन बोली।

उस लड़के ने किसी को बुरी तरह से एक दीवार पर मारना शुरू किया और फिर उसे बुरी तरह सड़क पर उठा कर फेंक दिया।

लड़का तेजी से अंदर घुसा।

टीना फ़ौरन मकान की खिड़की के पास पहुँची।

अब उसकी आंखें और कान एक औरत को भी देख और सुन रहे थे, जिसके बाल बुरी तरह बिखरे हुए थे और कपड़े अस्तव्यस्त थे।

लड़का उस से चिल्ला चिल्ला कर सवाल कर रहा था।

और वो लड़की उसका विरोध, वो भी लड़के से पूरी तरह उलझी हुई थी।

तभी लड़के ने एक जोरदार झापड उस लड़की पर रसीद किया। लड़की अपनी जगह से हिल गई।

अचानक ही लड़का उस कमरे में किसी चीज को बेसब्री से ढूंढने लगा।

लड़की ने पीछे से उस लड़के का गला अपनी चुन्नी से कस लिया।

लड़के के हाथ एक बड़ा सा चाकू लग चुका था, उसने उस लड़की के पैरों को खींचा और वो लड़की उसकी गोद मे गिरी।

"खचाक!" लड़की के पेट से खून की धार लग गयी, वो स्तब्ध सी रह गई, आंखें अब भी उसकी खुली हुईं थीं।

अचानक लड़के को होश आया, वो बोरा सा गया।

"नहीं! ये नहीं हो सकता...मैं ये नहीं कर सकता तुम्हारे साथ..." वो बुरी तरह से पगलाया हुआ दिख रहा था।

उस लड़की को जगाने की तमाम कोशिशों के बाद जब वो नहीं उठी तो लड़के ने उसी बड़े चाकू को अपने पेट में कम से कम तीन बार तेजी से मारा...

अब भी गाना रिपीट हो रहा था.."लग जा गले की फिर ये हसीं रात....हो..न हो!"

टीना ये सब देख कर बौखलाई हुई थी, उसका चेहरा बिल्कुल सफेद पड़ गया था।

वो दौड़ कर लड़के की मदद के लिए अंदर पहुँची, उसे यकीन था कि वो दोनों ही बच जायेंगे, अगर एम्बुलेंस टाइम पर आ जाये और उन्हें इलाज मिल जाये।

मगर वो जब तक अंदर पहुँची, उसने देखा कि वो कमरा पूरी तरह खाली है, उसके फोन की टॉर्च की रोशनी में, वो उस कमरे में लगे बड़े बड़े मकड़ियों के जाले, वहां की हर इक चीज पर चढ़ी धूल की मोटी परत और उस बंद पड़े टेप को देख पा रही थी जो कुछ ही देर पहले गीत गा रहा था।

टीना ये मंजर देखने के बाद अपने आप को बड़ी मुश्किल से सम्भाल पाई, वो उस कमरे से बाहर की ओर तेजी से भागी और अब उसके सामने वो आदमी भी नहीं था जिसे पीट पीट कर लड़के ने अधमरा सा कर के रास्ते पर फेंका था।

टीना की धड़कने उस के काबू में नहीं थी, वो पसीने से नहा गई थी, उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वो एक बुरे सपने से भी ज्यादा बुरा कुछ अपनी जिंदगी में देख सकती है।

वो उस पतली गली में सरपट भागती हुई जा कर अपनी कार में बैठी और कुछ ही दूरी पर बने एक बार के पार्किंग एरिया में उसे खड़ा कर दिया,

इसके बाद उसने बार के अंदर जाने में भी देरी नहीं की।

जहां डिस्को लाइट की रोशनी में, हर उम्र के मर्द के साथ क़ई जवान लड़कियां नाच रहीं थीं।

टीना के अंदर पहुँचते ही कुछ लोगो ने उसे भी नाचने के लिए खींचा मगर वो वहां से जान छुड़ा कर अपने मेकअप रूम में पहुँच गई, जहां पहले से ही कई खूबसूरत लड़कियां मौजूद थीं।

टीना ने तुरंत ही एक पानी की बोतल अपने मुँह से लगाई और पूरे पानी को एक ही बार में खत्म करके वहां रखे एक सोफे पर बैठ गई।

"क्या हुआ टीना! तू इतनी घबराई हुई क्यों लग रही है?? सब ठीक तो है न!" टीना की एक दोस्त ने उसके चेहरे के हाव भाव देख कर हैरानी से पूछा।

बाकी लड़कियां भी टीना के चेहरे को ही देखने लगीं,

टीना अपनी दोस्त से बुरी तरह लिपट गई और फफक फफक कर रोने लगी।

कुछ देर बाद जब वो शांत हुई तो उसने अपनी सहेली को अपने साथ घटी एक विचित्र सी घटना का सारा वाकया सुना दिया...

उनमें से कई के चेहरे की चमक गायब हो चुकी थी।

"तुझे...तुझे...मोहिनी का आशिक जितेंद्र मिला था??? और तूने भी वो सब देखा जो अब से करीब पांच साल पहले हो चुका है.." टीना की दोस्त ने हैरानी से कहा।

टीना अपनी दोस्त का चेहरा उलझन भरे भावों से निहार रही थी, मानो वो उस से सब कुछ जानने की कोशिश कर रही हो।

"हां टीना! मोहिनी भी हम में से एक थी, जो कभी इस बार की शान हुआ करती थी, लेकिन जितेंद्र...जितेंद्र उसे सिर्फ और सिर्फ अपना बनाना चाहता था, मगर मोहिनी के अंदर सिर्फ पैसों की भूख रहती थी, उसे बस एक शोहरत की जिंदगी जीनी थी,

इसलिए उसने हमेशा जितेंद्र के साथ धोखा किया, जो वो हर इक आदमी के साथ करती थी, हर इक से कहती थी 'मैं बस तेरी हूँ!' पर होती कभी किसी की नहीं थी।

मगर जितेंद्र को मोहिनी पर अपने आप से भी ज्यादा यकीन हो गया था, वो अपने गाँव से हर रविवार को मोहिनी से मिलने उसके घर जाया करता था।

लेकिन एक रात वो बहुत गुस्से में उस के घर पहुँचा, कहा जाता है कि उसे किसी से मोहिनी के धोखे की सच्चाई पता लग गई थी, उसे पता चल गया था कि वो उस से झूठ बोल कर हर वो काम करती है जो जितेंद्र कभी नहीं चाहता!

और ये वही रात थी जब जितेंद्र ने मोहिनी की सच्चाई को अपनी आंखों से देख लिया था।

उस रात दो नहीं, बल्कि तीन लोग मारे गए थे,

मोहिनी का एक और आशिक, खुद मोहिनी और जितेंद्र!

जितेंद्र ने ही मोहिनी और उस आदमी का मर्डर कर के अपनी जान भी ले ली थी!" टीना की सहेली टीना को उस भयानक रात की कहानी सुनाते हुए बोली।

"हाँ.. और मैंने तो ये भी सुना है कि उन तीनों की मौत के बाद मोहिनी के घर से रोज उसी टाइम, जब ये सब हुआ था, लड़ाई झगड़े के साथ साथ दर्दनाक चींखो की आवाज भी आती हैं, वहां के लोग ये सब देख कर इतने डर गए थे कि सभी ने बारी बारी से वहां से अपना डेरा हटा लिया, और अब वहां कोई जाने की हिम्मत भी नहीं करता..सिर्फ तुम्हारी तरह किसी अजनबी के!" दुसरीं लड़की ने उस सुई पटक सन्नाटे में कहा।

"तो क्या जितेंद्र की आत्मा रोज उस सुनसान रास्ते पर किसी न किसी मुसाफिर को रोकती है???" टीना ने थूक निगलते हुए कहा।

"शायद! और तुम जानती हो टीना...जो उस घटना को अपनी आंखों से देख लेता है वो उसे कभी भुला नहीं पाता, उसे हर वक़्त जितेंद्र की आत्मा नजर आती रहती है, कई लोगो ने तो उस से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या कर ली, और क़ई अब भी पागलखाने में भर्ती हैं!" टीना की सहेली ने कहा।

"चुप... तुम लोग अब कुछ ज्यादा ही कर रही हो, मुझे डराओ मत!" टीना के गुलाबी होठ सूखने लगे थे।

तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया, एक लड़की ने खोला..."टीना जी! आप और कितना वक्त लेंगी?? आपके दीवानो को आज क्या आपके दर्शन लिए बिना ही अपने घर लौटना पडेगा???" एक काले, मोटे आदमी ने अपनी पीली आंखों से टीना को देखते हुए उसे ताना देने के अंदाज में कहा।

"मैं बस! बस मैं आ ही रही हूं...मैनेजर साहब!" टीना ने हकलाते हुए कहा।

"जल्दी आ जा! मुझडे दोबारा तखलीफ़ न करनी पड़े.." उस आदमी ने धमकाते हुए कहा और वहां से चला गया।

टीना फ़ौरन तैयार हो कर रंगीन लाइटों की चमक दमक में निकल आयी,

और वो उस किस्से को भूलने की तमाम कोशिशें करती हुई आदमियों के बीच नाचने लगी।

पर तभी वो एक आदमी से टकराई, उसे इन टकराहटों से कोई फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन जब उसने उस आदमी का चेहरा देखा तो वो आवाक सी उसे देखती ही रह गई।

टीना के सामने जितेंद्र था।

दो साल बाद-----

"टीना...टीना..." दरवाजे पर किसी ने दस्तक देते हुए पुकारा। "ये टीना दरवाजे क्यों नहीं खोल रहीं!" ये टीना की सहेली रीना थी, टीना के घर का दरवाजा खटखटा रही थी।

उसने अब टीना को कॉल करना ही ठीक समझा, लेकिन कॉल का भी कोई जवाब नहीं मिल रहा था।

"इसे हुआ क्या है?? मुझे यहां बुला कर अब दरवाजे भी नहीं खोल रही...??" रीना अपने आप में ही बड़बड़ाई।

उसने टीना के वॉचमेन को आवाज दे कर बुलाया।

"जी मेडम!" उसने कहा।

"दरवाजा अंदर से बंद है और टीना दरवाजा भी नहीं खोल रही है, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा, क्या तुम...इस दरवाजे को तोड़ सकते हो..??" रीना ने हल्की सी घबराहट के साथ कहा।

वॉचमेन कुछ देर असमंजस में रहा, उसने खुद भी डोर बेल्स बजाई, दरवाजे खटखटाये मगर कोई रिस्पॉन्स नहीं था।

"टीना मैडम दो घण्टे पहले ही अपनी कार से घर लौटी थीं और उसके बाद वो बाहर नहीं निकलीं।" वॉचमेन ने कहा।

"तब सोच क्या रहे हो, तोड़ो दरवाजा! वो ऐसा कभी नहीं करती.." रीना बेचैनी से बोली।

वॉचमेन ने अपने मजबूत बाजुओं से करीब छः से सात धक्कों में ही उस दरवाजे को तोड़ दिया था।

रीना तेजी से उसके कमरे के पास भागी जो बंद नहीं थे,

लेकिन टीना का कमरा भी खाली था।

"टीना तो यहां भी नहीं है!" रीना बेहद परेशानी भरी आवाज में बोली।

उन दोनों ने मिल कर सारा घर छान लिया पर टीना नहीं थी,

"टेरिस पर चलते हैं..." रीना ने कहा।

टेरिस पर भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा।

"टीना आखिर बंद कमरे से जा कहाँ सकती है?? मैंने देखा था कि सारी खिड़कियां भी बंद थीं!" रीना भागा दौड़ी में हांफने लगी थी।

"हां! मैडम हमेशा खिड़कियां बंद ही रखती हैं, और मुझे हमेशा दरवाजे के पास ही रहने के लिए कहती हैं, न जाने क्यों उनके चेहरे से ऐसा लगता है कि वो किसी चीज से बुरी तरह डरी हुईं हैं।" वॉचमेन ने कहा।

रीना मायूस सी हो कर बॉण्डरी के पास जा कर हताशा से झुक गई, "उस रात के बाद मैंने अपनी टीना को कभी पहले जैसा नहीं पाया...!" रीना ने कहा और सिर उठा कर नीचे की ओर देखा...

उस की आंखें फटी हुई थीं..."टीना...." वो बुरी तरह चीखी।

वॉचमेन सरपट बॉण्डरी के पास पहुँचा, उसने देखा कि - टीना सख्त जमीन पर उल्टी पड़ी हुई है, और उसके सिर के पास खून का फैलाव है।

"उस लड़के के भूत ने, मेरी सहेली की भी जान ले ली!" रीना फूट फूट कर रोने लगी।

समाप्त!

सुरभि गोली...✍️