अधूरा पहला प्यार (आठवी किश्त) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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अधूरा पहला प्यार (आठवी किश्त)

"अच्छा तुम रुको।मैं अभी आया"मीरा के मौसा उससे बात करते हुए उसे रुकने की कहकर चले गए तो मनोहर को दाल में कुछ कला नज़र आया था।मीरा भी वही मौजूद थी।मौसा के जाने के बाद मनोहर,मीरा से बोला,"केसी हो?"
'अच्छी हूँ।तुम्हारे सामने हूँ।"अपने बारे में बताते हुए मीरा बोली,"मैने सुना है।तुम अब मथुरा मे ही रहते हो।गांव नही जाते।"
मनोहर,मीरा को चाहता था,उससे प्यार करता था और उससे उसके शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित हो चुके थे इसलिए वह उसे अपना समझता था इसलिए उसे सब कुछ सच बता दिया था।लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि मीरा को अपने बारे में सत्य बता कर उसने गलती कर दी है।अतः टॉयलेट का बहाना बनाकर वह वहाँ से खिसक आया।मीरा के मौसा के घर से निकलकर वह दौड़ा तो उसने दीना के पास आकर ही दम ली थी।
"का हुआ।इत्तो क्यो घबरा रहे है?"उसकी हालत देखकर दीना ने मनोहर से पूछा था।
"मोये लगे मीरा के मौसा ने मोये पकड़वा के काजे ही बुलायो हो।"मनोहर ने दीना को सब बता दिया था ।कुछ देर बाद मीरा के मौसाजी दो आदमियों के साथ दीना की दुकान के सामने तक आ गए।वे लोग मनोहर को ढूंढते हुए यहां तक चले आये थे।उनको देखते ही मनोहर बोला,"दादा देखो"मनोहर को जिस बात का एहसास हुआ था वो सच साबित हो रहा था।दीना ने मीरा के मौसा को आवाज देकर अपने पास बुलाया था।
"किसे ढूंढ रहे हो?"दीना ने मीरा के मौसा से पूछा था।
"किसी को भी नही।"
"किसी को नही ढूंढ रहे तो फिर यहां कर क्या रहे हो?"
"कुछ नही।बस वैसे ही।"
"इसे जानते हो?"दीना ने मनोहर की तरफ इशारा किया था।
"शायद कहीँ देखा है?"मनोहर की तरफ देखते हुए मीरा के मौसा बोले थे।
"मौसा आप झूठ भी बोल लेते है।अरे अभी अभी तो मैं आप के घर से ही भागकर आ रहा हूं।"मनोहर की बात सुनकर मौसजी सकपका गए थे।
"खेर छोड़ो।इसे भले ही न जानते हो।मुझे तो जानते हो।"
"नहीं।"
"कोई बात नही।मुझे नही जानते।मेरा नाम दीना है।मुझे देखा न हो लेकिन मेरा नाम तो सुना होगा?"
"जी सुना है।मथुरा का हर आदमी आपके नाम से अच्छी तरह वाकिफ है।"मीरा के मौसाजी ने कहा था।
"तो अब मेरी बात ध्यान से सुनो।मथुरा में या मथुरा से बाहर कहीं भी तुमने या तुम्हारे किसी गुर्गे ने मनोहर की तरफ देखने की जुर्रत की तो मैं उसकी आंखें निकाल दूंगा।इसे कोरी धमकी मत समझना,"दीना बोला,"और तुम इसके पीछे क्यों पड़े हो?अपनी लड़की से पूछो उसके कितने यार है।अपनी लड़की तो सम्हाली नही जाती और पीछे पड़े हो इसके।रोकना है तो अपनी लड़की को रोको।'
उस दिन मनोहर को शक हो गया था कि उसने मनोहर के बारे में अपने पिता को सब कुछ बता दिया है।फिर उसे पता चला कि मीरा के पिता ने मीरा की शादी एक लड़के से करने की बात चलायी थी।जब मनोहर को यह बात पता चली की मीरा शादी के लिए तैयार हो गयी है तब मनोहर को मीरा से घृणा हो गयी।उससे प्यार का दम भरने वाली किसी और कि बनने के लिए तैयार हो गयी थी।
मनोहर गांव लौट आया था।भूले भटके उसका मीरा से आमना सामना हो जाता तो वह घृणा से मुंह फेर लेता।