The Author Deepak Pawar फॉलो Current Read वाड़ा - एक रहस्य - 1 By Deepak Pawar हिंदी फिक्शन कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books अपराध ही अपराध - भाग 6 अध्याय 6 “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच... आखेट महल - 7 छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक... 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उसकी आवाज़ पर ऋशिराज उसे कहता है अजय ब्रो भुला नही..आ ही रहा हु पर ..इतने वर्षों बाद देख रहा हु की मामा का गाँव बदला है या नही...है अजय अब नजदीक आकर उसका बैग अपने पास लेकर कहता है जैसा था वैसा ही है ...बस गाँव वाले बदल गए है ..पढ़ाई कर कर के ...जैसे कि तुम बदल गए । दोनो बाते करते हुए अब मामाजी के घर की तरफ चलने लगे थे बीच मे ही ऋशिराज ने अजय से पूछ लिया -अजय वो खेत वाला वाड़ा काफी बदल गया है ,पहले जैसा नही रहा अजय चलते हुए उसे जवाब देता है - हा उसकी अभी एक दीवाल बरसात में आधी गिर गई है । पर घर वालो ने वाड़े के आसपास रास्ता बंद कर दिया है कहते है कि किसी को भी अब वहां नही जाने देना है । उसकी बात खत्म होती उसके पहले ही दोनो घर के दरवाजे के अंदर दाखिल हो चुके थे ऋशिराज कि मामीजी ने दोनो को देखा और ऋशिराज के पास दौड़कर आ गई काफी समय के बाद ऋशिराज जो मामाजी के घर आया था ।दूसरे दिन हल्दी की रस्म काफी देर रात चली औऱ सभी लोगो ने खूब हल्दी खेली लड़की के परिवार औऱ लड़के के परिवार ने रस्म पूरी की जिसके बाद खाना खाने का सिलसिला शुरू हुआ था जहां सभी बाराती खाना खाने बैठे जिसमे ऋशिराज ,और मामाजी का बेटा सबको खाना परोसने का काम कर रहै थे । इस खाने की लाइन में एक बुजुर्ग भी बैठे थे करीब 80 वर्ष के आसपास उनकी उम्र चेहरे पर सफेद गले तक लगी दाढ़ी और बड़ी मुछे चेहरा चोरस लंबा बाल भी आधे से ज्यादा सर पर सफ़ेद जो लबे गर्दन तक थे सफेद कपड़ो वह एक गमछा अपने कंधे पर सफेद कपड़ा रखकर खाने की पंगत में बैठने के बावजूद सबसे अलग ही दिखाई दे रहे थे ।ऋशिराज की नज़र गई तो वह वहां खाने का सामान ले कर उनके पास गया और उन्हें कहा -दादाजी आपको कुछ चाहिए…सामने बैठे उस व्यक्ति ने सिर्फ ऋशिराज की तरफ शांत नजरो से देखा और बिना कहे ही एक पूरी अपने हाथसँ के ऋशिराज के हाथ मे रखे ट्रे से ले ली पर उनके इस तरह लेते समय ऋशिराज की नजर उनके हाथ पर गई औऱ वह हैरान था । इस बुजुर्ग दादाजी ने तो बड़े बड़े सोने के हाथों में ब्रेसलेट के मोटे पुराने जमाने के गहने पहन रखे थे,उंगलियों में सोने की अंगूठी में मोती जानो की बुजुर्ग कोई राजा महाराजा के खानदान से हो ।तभी उसके पीछे से आवाज़ आती है - भाई हमको भी दो चार पाँच पूरी दे दो और ऋशिराज पलट कर पीछे देखता है एक बाराती पूरी के लिए इशारा कर रहा था ऋशिराज उसे आने का इशारा कर फिर उसी बुजुर्ग दादाजी की तरफ पलटता है और एकदम से हैरान हो जाता है जहां वह बैठा था बुजुर्ग वहां अब कोई नही था वह जगह खाली थी,वहां ना ग्लास ओर नही खाने की कोई थाली या अन्य कोई निशान तक नही था ।ऋशिराज आसपास नजर दौड़ाता है बुजुर्ग को देखने के लिए पर वह बुजुर्ग उसे कही दिखाई नही देता ।क्रमशः › अगला प्रकरण वाड़ा - एक रहस्य - 2 Download Our App