वाड़ा - एक रहस्य - 3 Deepak Pawar द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वाड़ा - एक रहस्य - 3

अब ऋषिराज उस चीख की आने की दिशा में गया था सामने बेहद ख़ौफ़नाक नज़ारा था । जिसे देख ऋषिराज की शराब का नशा उतरने लगा था । सामने एक बुजुर्ग सफेद कपड़ो में जो आप अरब के देशों में देखा करते है ठीक वैसे ही पहनकर अपने आगे एक बारात में आई महिला को पूरी तरह नग्न हालात में सुलाकर उसका दिल उसके सीने से निकलकर उसे देख रहे थे ।और वह महिला दर्द से तड़फड़ा रही थी । नज़ारा इतना बेहद ख़ौफ़नाक था कि ऋषिराज अपनी आँखों पर भरोसा ही नही कर पा रहा था । बस यह जगह कुछ कदमों की दूरी पर थी जहां अभी संगीत और डांस का कार्यक्रम हो रहा था पर यहां एक शैतान बुजुर्ग इस महिला के सीने को फाड़कर उसके दिल को जो अभी जिंदा था ,हिल रहा था उसे अपने हाथों में लेकर उसे देख रहा था ,महिला तड़प रही थी चीख़ रही थी । यह देखकर ऋषिराज बिल्कुल ही बर्फ के तरह ठंडा पड़ गया था अब क्या करे ना करे यह उसकी हालत थी मानो कोई जादू काम कर रहा है इसतरह वह अपनी जगज पर ही फ्रिज हो गया जम गया था । बस उसकी आँखें देख पा रही थी और कान सुन पा रहे थे । तभी वह बुजुर्ग अपनी जगह पर पलटा और ऋषिराज को देखकर मुस्कुराते हुए पास आया । अरबी भाषा मे बड़ी शांति से उसने कुछ कहा और उस दिल को ऋषिराज को दिखाते हुए महिला की तरफ इशारा किया अब उस महिला की तड़प दिखाते हुए उस बुजुर्ग ने फिर अरबी में कुछ लाइन कही और ऊपर देख कर दिल पर फूक मार दी ..बस देखते देखते उस बुजुर्ग के हाथ मे खून से सना वह दिल हवाओ में गायब हो गया और महिला अब तड़प से मारी गई । ऋषिराज के समझ मे नही आ रहा था यह सब ,डर से उसका बुरा हाल था पर वह ना हिल पा रहा था और ना ही कुछ कर सकता था पर इस खूनी दृश्य को देख कर वह अब अपने हाश खो बैठा और बेहोशी के हालात में आ गया था । अब वह बुजुर्ग उसके पास आया और अपने नीली शांत गहरी सुर्ख आखों से बिना कुछ बोले ऋषिराज को देखने लगा उसकी आँखों मे देखते ही ऋषिराज के मानो हाश खत्म ही हो गए उसे अहसास हो गया कि अब मौत निश्चित है पर दिमाग यह भी कह रहा था कि शायद यह शराब पीने से वहम हो या नशे में यह सब हो । पर ज्यादा सोचने से पहले ही बुजुर्ग उसके पास आया और उसके सामने एक वाक्य कहने लगा बुर्ज वाडा पाचंग्री । बस यह आखरी शब्द थे जो ऋषिराज समझ पाया और उसकी आँखें बंद हो गई ।
सुबह -सुबह गाँव मे मामा के घर के सामने खुले चबूतरे पर ऋषिराज सोया हुआ था मामी ने उसे देखा तो उसे उठाने आ गई ।
ऋषि ...क्या यही सो गया था रात को?..उठ चल नहा ले सब मेहमान आज जा रहे है...
ऋषिराज की आँखे खुली तो अब भी वह डरा हुआ था इस लिए उसने उठाने के तुरंत बाद आसपास देखा मामी को देखा उसे यककिं नही हो रहा था कि बीती रात उसके साथ जो हुआ वह सत्य था या नही ।
उसने मामी को देखा और कहा ।
वो...मामा के जो पहचान वाले परिवार रात ...
मामी ने बीच मे ही कहा
हा.. वह लोग तो सुबह निकल गए शहर ...और तुम कहा थे रात भर ...
अब ऋषिराज को समझ आया कि वह कल रात से गायब था ।
पर उसने मामी को कुछ नही कहा । मामी भी मेहमानों में थी वह वहां से आगे चली गई ।
वही ऋषिराज उठ खड़ा हुआ और मामा के घर के आगे थोड़े से दूर वही वाड़ा था जिसे देखने लगा मानो कल की रात वह वहां अंदर था ।
तभी बगल के एक घर से रोने के आवजे आने लगी ऋषिराज भी वाड़ा देखने के बाद उस आवाज को सुन उधर निकल गया यह घर मामाजी के बगल में ही था जिनका नाम दासु डांस था । अब इस घर मे एक महिला की मौत हो गई थी जिसकी वजह से गाव के लोग यहां घर के बाहर भीड़ लगाए हुए थे । महिला का पति लगभग 60 वर्ष का दासु था । लोग दासु से पूछ रहे थे क्या हुआ था और दासु उन्हें बता रहा था । कि कल रात बाबा खान को मानत मांगने के बाद मेरी बीबी सुंदरी वाड़े के दरवाजे पर गई थी और वापस आकर सोई ,कई घण्टे तक वह चिल्लाने चीखने लगती थी और वह।मर गई ..
उसकी बात सुनकर ऋषिराज को अजीब लगा वह भीड़ को हटाकर उसके घर मे जहां सुंदरी की लाश थी वहां आया और उका मुह देखकर एकदम से डर गया था यह वही महिला थी जो रात उस बुजुर्ग ने उसका दिल चिर कर निकाल लिया था ।
जिसके बाद भीड़ से बाहर ऋषिराज दौड़ा पता नही कितने दूर पर ....