नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 51 - अंतिम भाग Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 51 - अंतिम भाग

कुछ दिनों बाद तक भी देव सबिता के साथ ही रहा। वोह उसे एक पल के लिए भी अपने से दूर नही करता था। जबकि वोह जनता था की, सबिता जानती है की वोह अपने भाई राणा को ढूंढने के लिए कितना उत्सुक है, तब भी वोह उसके साथ ही रहता था।

"देव, मैं ठीक हूं। तुम्हे जाना चाहिए। पहले मुझे इन सब के होने का अंदाजा बिलकुल नहीं था लेकिन अब मैं काफी सावधानी बरत रही हूं। जिस बॉडीगार्ड ने मुझे धोखा दिया था, बस वोही एक दुष्ट है।" सबिता ने कहा।

वोह धोखे बाज़ बॉडीगार्ड प्रजापति राज्य का ही था। उसे लगभग दो साल हो गए थे सबिता के साथ काम करके।
लेकिन उसकी अपनी एक राय थी की सबिता किस्से शादी करे। मरने से पहले उसके आखरी शब्द के मुताबिक, वोह चाहता था की सबिता रेवन्थ सेनानी से शादी कर उसकी दुल्हन बने ना की देव सिंघम की रखैल बन कर रह जाए।

"मुझे पता है, बेबी। पर अभय और मेरी टीम अच्छे से सब संभाल रही है। और मैं यहां सिर्फ तुम्हारी सेफ्टी के लिए नही हूं। बाद में तुम्हारी तबियत और खराब होने लगी थी। मैं कैसे कहीं और फोकस कर सकता हूं जब मुझे पता है की तुम्हे मेरी ज़रूरत है।"

"मैं ठीक हूं....."

"तुम नही हो।" देव ने कहा। "अगर होती तोह यहां हॉस्पिटल में नही बैठी होती।"

सबिता उसके साथ और बहस करना चाहती थी की वोही तोह है जो उसे यहां खीच कर लाया है। वोह तोह यहां आना ही नही चाहती थी। पर वोह रुक गई जब उस हॉस्पिटल के वेटिंग रूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। अनिका अंदर आई। सबिता के मन में एक अनकहे डर ने जगह बनाना शुरू कर दिया जब उसने अनिका के पीछे अभय सिंघम को आते देखा। पर अनिका मुस्कुरा रही थी। जिससे सबिता का डर कुछ हल्का होने लगा।

"यह क्या है?" देव ने पूछा। "क्या यह ठीक है?"

"ठीक से भी बहुत ज्यादा ठीक है।" अनिका ने चहकते हुए जवाब दिया। "सबिता ट्वेल्व वीक्स प्रेगनेंट है।"

चारों ओर एक दम सन्नाटा छा गया।
सबिता का मुंह तोह शॉक में खुला का खुला ही रह गया था।
प्रेगनेंट!
एंड ट्वेल्व वीक्स?
इसका मतलब....वोह तब ही प्रेगनेंट हो गई थी जब वोह और देव ने कॉटेज में मिलना शुरू किया था।

"यप! मैने भी ऐसे ही एक्सप्रेशंस दिए थे जब मुझे अपनी प्रेगनेंसी की न्यूज पता चली थी।" अनिका के चहकने की आवाज़ ने सबकी चुप्पी तोडी।

"पर....पर....कैसे?" सबिता ने पूछा, वोह अभी भी शॉक में थी। "मैने तोह हमेशा ही....और उसने भी....फिर..." सबिता खबर सुन कर ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी।

"द सिंघम्स।" अनिका धीरे से हसीं। "दे आर डैम गुड स्विमर्स।"

"पर...." सबिता ने देव की तरफ देखा जवाब के लिए।

देव के चेहरे पर एक बड़ी, संतुष्ट और गर्व की मुस्कुराहट थी। सबिता उसे घूरने लगी लेकिन देव के चेहरे पर झलक रही उसकी मुस्कुराहट और खुशी ने सबिता को ऐसा करने नही दिया। वोह तुरंत ही अपने शॉक से बाहर आ गई और खुशियों और मुस्कुराहट ने उसके चेहरे पर जगह बना ली।
देव ने उनके बीच की नज़दीकी को कम करते हुए आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया। और उसे उसके होठों पर एक आवाज़ के साथ चूम लिया। सबिता ने भी उसे उसी शिद्दत से वापिस चूम लिया।

"ऑ... मैं इस मोमेंट को मिस कर रही हूं जब हूं हमारे बच्चे के बारे में पता चला था। मुझे जल्दी ही यह मोमेंट दुबारा चाहिए!" अनिका ने कहा।

"मुझे लगता है की हमे अपने बच्चे को पहले पैदा होने देना चाहिए उसके बाद ही मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगा इस मोमेंट को जीने में।" अभय सिंघम ने दिलकश भरी आवाज़ में अनिका से कहा।

सबिता को उन दोनो की बातें सुनाई पड़ी। वोह तोह भूल ही गई थी की इस कमरे में उनके अलावा कोई और भी है। यहां तक की देव भी भूल गया था। उसने सबिता के ना के बराबर दिखने वाले बेबी बंप की तरफ देखा।
"हमारी जिंदगी पहले ही शुरू हो चुकी है, बेबी," देव ने कहा और फिर से एक प्रोमिस के साथ उसे उसके होंठों पर चूम लिया।

****

वोह दोनो सिंघम लेक हाउस में बैठे थे।

"सीरियसली, तुम सिंघम्स ने कितने कॉटेज बनवाए हैं? सबिता ने हैरत में पूछा। वोह उनमें से तीन में गई थी जिसमे यह लेक हाउस भी शामिल था।
देव ज़ोर से हस पड़ा। "शायद पांच या छह। वैसे हम वोह सारे भी देखेंगे आने वाले महीनों में।" देव ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

उस सिंघम लेक हाउस का बाहर का व्यू तो बस दिल को सुकून देने जैसा था। खासकर जब सूरज ढल रहा हो। "हम यहां लेक हाउस क्यों आएं हैं? कॉटेज क्यों नही गए?" सबिता ने पूछा।

"फैमिली ट्रेडिशन।" देव ने ज्यादा आगे नही कहा। और ना ही सबिता ने कुछ पूछा। क्योंकि उसका ध्यान भटक गया था जिस तरह से देव उसे देख रहा था।

सबिता का दिल ज़ोर से धड़क उठा जैसे ही देव उन दोनो की दूरियों को कम करने लगा।

"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, तुम जानती हो, है ना?" देव ने सबिता के सीने पर हाथ रख दिया। और फिर धीरे धीरे हाथ को नीचे ले जाते हुए उसके दिल वाली जगह पर अपनी हथेली रख दी।

"तुमने यह हजारों बार रिपीट किया है, सिंघम।" सबिता ने धीरे से प्यार से कहा।

"अच्छा है तुम्हे याद है, मिसिस सिंघम।" देव ने मिसिस पर ज़ोर देते हुए कहा।

उसी सुबह उन दोनो ने एक छोटी सी सेरेमनी कर शादी कर ली थी जिसमे सिर्फ अभय और अनिका थे, और पंडित जी।

"अच्छा है की तुम्हे पता है की मैं तुमसे प्यार करता हूं क्योंकि सच में अब मैं तुम्हारी बॉडी के साथ कुछ ऐसा करने वाला हूं जिससे तुम्हे मेरे प्यार और लगन पर सवाल होने लगे," देव ने कहा।

"ओह येअह!?" सबिता ने चैलेंज्ड करते हुए कहा। वोह उसकी गहरी नशीली आंखों को देख रही थी।

"येअह!" देव खिज़ कर बोला। "मैने सोचा था की मैं तुम्हारे साथ प्यार भरा स्वीट से रोमांस करूंगा क्योंकि आज हमारी सुहागरात है और परंपरा के मुताबिक सभी सिंघम कपल लेक हाउस से ही अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं। मैने सोचा था की मैं तुम्हारे साथ बड़ी ही नरमी से पेश आऊंगा, तुम्हे शिद्दत से प्यार करूंगा। पर फिर, तुमने ये डिसाइड कर लिया हमारी सुहाग रात पर पहन ने के लिए।" देव ने उसे उसकी ड्रेस पर प्वाइंट करते हुए कहा जैसे उसे कोस रहा हो। सबिता ने जो नाइट ड्रेस पहनी थी वोह उसे अनिका ने गिफ्ट करी थी आज रात सुहागरात के लिए।

सबिता ज़ोर से हस पड़ी। " तुम्हे पक्का यकीन है की यह नाइट ड्रेस की वजह से ही है?" सबिता ने पूछा। "क्योंकि जहां तक मुझे याद है तुम्हारे ये वाले एक्सप्रेशन उस वक्त भी थे जब हम मंडप में शादी कर रहे थे।"

"आंह! हां। तुम उस वक्त इतनी खूबसूरत लग रही थी की मेरी सांसे ही रुक गई थी। और तुम्हारा शादी का जोड़ा मुझे उस वक्त की याद दिला गया था जब तुमने अभय और अनिका की शादी पर ऐसा ही कुछ पहना था। मैं उस वक्त तुमसे नफरत करता था और चाहता था की तुम वहां से कहीं चली जाओ। पर उससे पहले मैं तुम्हारे साथ कुछ गंदा करना चाहता था और फिर तुम्हे तुम्हारे रास्ते भेज देता।"

सबिता फिर ज़ोर ज़ोर से हस पड़ी।
तब से अब तक देव और सबिता काफी दूर आ चुके थे। लगभग एक साल में उन दोनो की नफरत अब बहुत गहरे, मजबूत और कभी ना खतम होने वाले प्यार में बदल चुकी थी।
वोह भगवान को शुक्रिया करना चाहती थी की उन्होंने उसे देव सिंघम दिया। वोह जानती थी की जिससे वोह बेइंतिहा प्यार करती है, एक समय पर वोह इंसान उसे नुकसान पहुंचाना चाहता था, वोह उसे डराना धमकाना चोट पहुंचाना चाहता था। लेकिन इससे कोई फर्क नही पड़ता, आखिर अंत में, वोही इंसान था जिसकी वजह से वो मुस्कुराई थी, जिसकी वजह से आज वोह जिंदा थी। वोह उससे इतना प्यार करती थी की कभी कभी उसे लगता था की यह एक ख्वाब है और हकीकत नही।
वोह जानती थी की उनकी दुनिया में सब कुछ जादू से नही मिल जाता, चुटकी बजाओ और हाजिर। उनकी जिंदगी परफेक्ट से कोसों दूर थी। अभी भी उन्हे कई चैलेंजेस फेस करने थे। नीलांबरी अभी भी मिसिंग थी और उसकी खोज जारी थी। देव अभी भी अपने भाई राणा को ढूंढ रहा था। और देव और सबिता दोनो जानना चाहते थे की मंदिर में उस हत्या कांड के वक्त क्या हुआ था। देव अपनी शादी भी जल्द से जल्द अनाउंस करना चाहता था।
इतने उतार चढ़ाव और मुश्किलों वाली जिंदगी के बावजूद, वोह दोनो जब भी साथ होते थे, कोई भी मुश्किल बड़ी नही होती थी, कुछ भी ऐसा नहीं था जिसपर वो जीत हासिल ना कर ले। वोह जानते थे वोह जो चाहते है वोह हासिल करके ही रहेंगे।
जब भी जितना भी समय मिलता था वो एक दूसरे के साथ बिताने के लिए ढूंढ ही निकलते थे, कुछ नया डिस्कवर करने के लिए, और प्यार करने के लिए, एक दूसरे में दूब जाने के लिए, एक दूसरे के साथ के लिए।
सबिता की सोच को तब विराम मिला जब उसके पति देव सिंघम ने उसे बाहों में उठा लिया और अंदर ले गया। उसने उसे बैड पर लेटा दिया। देव उसके ऊपर आ गया और उसपर अपना वजन ना डालते हुए अपनी बाहों पर सब वजन डाल दिया। देव के शरीर पर उभरती हुई मसल्स और उसकी हक जताने वाली नज़र ने सबिता के एहसासों को जगा दिया।
सबिता शरारत से मुस्कुरा गई। "मुझे स्लो और स्वीट लव नही चाहिए, सिंघम। मुझे तुम्हारा पूरा प्यार चाहिए।" सबिता ने जैसे आदेश देते हुए कहा।

"पहले यह बताओ, की तुम मेरी हो," उसने प्यार से मांग करते हुए उसकी थाईज अपनी बांह से पकड़ ली।

"मैं तुम्हारी हूं," सबिता ने जवाब दिया।

जैसा देव ने वादा किया था उनके बीच रोमांस स्लो और स्वीट नही रहा। लक्किली सबिता को हर समय स्वीट और स्लो नही पसंद था। वोह डर्टी और फास्ट प्रेफर करती थी।

वोह चाहती थी की उनकी सांसे एक हो जाए भले ही वोह दोनो हवा के लिए बाद में हाफने लगते थे। वोह चाहती थी तब भी वोह दोनो एक दूसरे में समाय रहें जब वोह दोनो ही अपना आपा खो बैठते थे। जब देव अपना कंट्रोल खोने लगता था सबिता के टच से तोह सबिता को उसका चेहरा देखना पसंद था। और सबिता को उसके प्यार का एहसास ऐसा लगता था जैसे वोह पहाड़ की चोटी पर पहुंच गई है।

उस रात उसने बस उसके प्यार को महसूस किया था। देव ने उस रात सबिता के ना ही दिल और रूह की तृप्त किया था.....बल्कि उसके शरीर की भी तृप्त कर दिया था।

काफी देर बाद उसी रात जब उनकी जरुरते काम होने लगी तब देव थोड़ा नर्म पड़ने लगा। उसने पहले अपनी नाक को सबिता के गाल पर रगड़ा, फिर उसकी गर्दन पर रगड़ा और फिर उसके चेहरे और शरीर पर कोई जगह चूम लिया। जब चूमते चूमते वोह उसके पेट तक पहुंचा तोह वोह रुक गया। उसने उसके पेट पर भी कई बार चूमा जहां उसका छोटा सा बेबी अंदर आराम कर रह था।

उसकी आंखे सबिता की आंखों से जा टकराई। "हमेशा के लिए," देव ने कहा।

"हमेशा के लिए," सबिता ने प्यार से स्वीकृति दी।



**The End**






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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)
प्यार करने वालों की कहानी कभी खत्म नहीं होती, यह तोह इनकी नई जिंदगी की शुरवात है।
आप लोगों के साथ और प्यार के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। जितने भी कमेंट्स आते थे, सभी बहुत प्यारे होते थे, मुझे बहुत खुशी मिलती थी पढ़ कर। वैसे इसका अगला भाग कब लिखना शुरू करूंगी नही पता, कोई समय नही दे सकती लेकिन लिखूंगी जरूर। इस अलग सी नफरत प्यार की कहानी अभी चलती रहेगी सो keep in touch
Love you all 🥰🥰🥰