डोगी का प्रेम - 6 Captain Dharnidhar द्वारा जानवरों में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

डोगी का प्रेम - 6


मेरी पोस्टिंग अरूणाचल में गच्छम क्षेत्र में थी, रात्रि के लगभग 10 बजे होंगे ..मै तो सो गया था ..क्योकि अरूणाचल में सूर्यास्त जल्दी हो जाता है ..मोबाइल की घंटी बजी..मेरी नीन्द टूटी ..मैने फोन उठाया ..पत्नी की आवाज आरही थी..अरे राम ..चेरी को क्या हो गया..चेरी !..चेरी ! ..यह क्या हो गया..मै बोला हैलो.. हैलो ..क्या हो गया ? ..पत्नी बोली चेरी कोई जहरीले जानवर को खागयी लगती है यह ..तड़फ रही है ..मै बोला बेटे को उठाओ ! इसे किसी को दिखा के लाओ ।
पत्नी बोली पास मे एक पशु चिकित्सक है.. जिनके घर से अपने यहां दूध आता है उसे बुलाती हूँ ..पत्नी ने फोन करके चिकित्सक की पत्नी (दूधवाली) को सब बात बता दी ..उसका पति (चिकित्सक) वहां आया और एक इंजेक्शन लगाया ..थोडी देर में चेरी नोर्मल हो गयी ..सबके जान में जान आई ।
पत्नी ने फोन करके बताया कि चेरी अब ठीक है .. मैने पूछा क्या बताया ? ..डाक्टर कह रहा था इसमें कैल्शियम की कमी शायद हो गयी.. इस लिए पांच दिन इंजेक्शन लगेंगे ..मैने कहा ठीक है लगवा लेना ..ठीक है शुभ रात्रि कह मैने फोन रख दिया ।
मैने सोने की कोशिश की पर नींद नही आ रही थी ..मुझे चेरी का मासूम चेहरा याद आने लगा ..उसकी बेबसी भी ..वह मुख से बोलकर कह भी तो नही सकती ...उसे क्या तकलीफ है ।

मैने सुना था कि डोगी पालने वालों को डोगी से बच्चे की तरह प्रेम हो जाता है..वह सब मैने तब महसूस भी किया ।
हमारे सनातन धर्म मे प्राणीमात्र की सेवा करने को कहा है ..मुझे समझ में आगया कि सेवा करते करते प्राणीमात्र के प्रति एक रिश्ता बन जाता है । हृदय में कोमल भाव जागने लग जाते है..जब हम किसी जीव को पालते हैं ।

चेरी को पांच दिन इंजेक्शन लगवाये और कैल्शियम की दवा भी उसको समय समय पर देना शुरू कर दिया ..किन्तु दो महिने के बाद फिर से चेरी छटपटाने लगी ..फिर से डाक्टर को बुलाया ..जबतक डाक्टर आया तब तक चेरी स्वतः ही ठीक हो गयी ..अब हमे लगने लगा कि इसको यह दौरा ही आता है.. हमने चेरी को पशु चिकित्सालय में ले जाकर दिखाया ..उसको इंजेक्शन लगवाया और डाक्टर ने एक टेबलेट शुरू कर दी ..उस टेबलेट से धीरे धीरे दौरों का वेग तो हल्का हुआ ..दौरे काफी अन्तराल से आने लगे थे और उनका समय भी एक मिनट या दो मिनट ही रह गया था ।

एक तरह का मिर्गी रोग ही था जिसमें चेरी का मुंह बंद.. आंखे लाल ..मुख से झाग ..टट्टी पेशाब भी निकल जाना ..उसका सिर उठा उठाकर नीचे पटकना .. लगता था कि वह उठना चाहती है किंतु संतुलन नही बन पा रहा इसलिए गिर जाती है .. हमें याद आया कि बच्चो ने ..इसे एक बार गिरा दिया था ..शायद.. उस समय.. इसके सिर में चोट लग गयी हो ... इसलिए इसे दौरे आने लगे हो..

चेरी से हम सबका अटैचमेंट इतना हो गया था .. जब वह दायें बायें किसी रूम में चली जाती तो .हम कहते...चेरी कहां गयी ? कोई बाहर लेकर गया है क्या ?.. तो ..वह खुद की बात सुनते ही तुरंत सामने आ जाती ..और जैसे बता रही हो.. मैं यहां हूं ..हम हंसते ..यह लो.. ये आगयी महाराणी..वह पूंछ हिलाने लगती.. तब हमारी बेटी.. चेरी की तरफ से बोलती..लो पापा मैं आगयी ..कुछ खिलाना पिलाना है क्या..? कहीं बाहर चलना है क्या ?..मैं तो तैयार हूँ चलो..

क्रमश--