हमेशा सीखते रहिए Jatin Tyagi द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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हमेशा सीखते रहिए

एक बार की बात है गाँव के दो व्यक्तियों ने एक साथ शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया | शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा कर लिए | फिर उन्होंने उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया | दोनों का व्यवसाय अच्छा चल पड़ा | दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली |
व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरे काम चल पड़ा है | अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊंगा लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ | आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ से धरातल पर आ गिरा |
 
वह उन कारणों और गलतियों को ढूँढने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यवसाय बाज़ार की मार नहीं सह सका | सबसे पहले उसने दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जो उसके साथ गाँव से आया था और साथ ही व्यापार आरंभ किया था | वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है |


उसने एक अत्यंत आवश्यक निर्णय लिया | उसने तुरंत उसके पास जाकर मिलने का चयन किया | अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा | दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा | तब पहला व्यक्ति बोला, “दोस्त! इस वर्ष मेरा व्यवसाय बाज़ार की मार नहीं झेल पाया | तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो, तुम्हारा भी तो घाटा हुआ होगा | 

यह बात सुन दूसरा व्यक्ति बोला, “भाई! मैं तो बस सीखता जा रहा हूँ, अपनी गलती से भी और साथ ही दूसरों की गलतियों से भी | जो समस्या सामने आती है, उसमें से भी सीख लेता हूँ | इसलिए जब दोबारा वैसी समस्या सामने आती है, तो उसका सामना अच्छे से कर पाता हूँ और उसके कारण मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता | बस ये सीखने की प्रवृत्ति ही है, जो मुझे जीवन में आगे बढ़ाती जा रही है |

दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ | सफ़लता के मद में वो अति-आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था | वह यह प्रण कर वापस लौटा कि कभी सीखना नहीं छोड़ेगा | उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला गया |

"सीढीयों कि जरूरत उन्हें है, जिन्हें छत तक जाना है।
मेरी मंजील तो आसमान है, रास्ता भी खुद ही बनाना है।"

कहानी से मिलती है सीख:

जीवन में कामयाब होना ही जरूरी नहीं है, हर पल सीखते रहना भी काफी जरूरी है | यहाँ रोज नए परिवर्तन और नए विकास होते रहते हैं | यदि हम स्वयं को सर्वज्ञाता समझने की भूल करेंगे, तो जीवन की दौड़ में पिछड़ जायेंगे. क्योंकि इस दौड़ में जीतता वही है, जो लगातार दौड़ता रहता है |

 

"मैं शुक्रगुजार हूं उन तमाम लोगों का जिन्होंने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ दिया
क्योंकि उन्हें भरोसा था कि मैं मुसिबतों से अकेले हि निपट सकता हूं।"

जिंदगी में आगे बढ़ना है तो हमेशा सीखते रहिए!!

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