अपंग - 12 Pranava Bharti द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

अपंग - 12

12

भानुमति को एक क्षण भर के लिए महसूस हुआ शायद राजेश खिल उठेगा, खुश हो जाएगा, झूम उठेगा पिता बनने की बात सुनकर और आने वाले अतिथि के स्वागत में उसे गले से लगा लेगा | उससे चिपट जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं था | वह उसको ऐसे खड़ा रह गया जैसे उसने किसी भूत को देख लिया हो | और भूत ही उससे कुछ बात सुन रहा हो |

"ये सच है ! ओ माइ गॉड ! ये सब क्या कह रही हो तुम ? मुझे जलाने के लिए ही कह रही हो न ?" उसने बौखलाहट में कहा |

"क्यों ? जलाने के लिए --क्या मतलब ?"

"नहीं तो अब तक क्यों नहीं बताया मुझे ?" राजेश क्रोध से पागल होने की स्थिति में जा रहा था |

"मुझे खुद परसों ही कन्फ़र्म हुआ तो तुम्हें कहाँ से बताती ? उस दिन पार्टी के बाद से तो दो दिन तुम गायब ही रहे | मैंने डॉक्टर से एपॉइंटमेंट लिया था --तभी पता चला |"

"कितने दिन हुए ?" राज ने पूछा तो एक बार फिर से भानु के मन में विश्वास की एक झलक चमकी |

"लगभग दो माह ----" भानु ने सरल, सहज उत्तर दिया |

"तो पिछले महीने आपको पता ही नहीं चला --वाह ! ख़ैर अभी भी ज़्यादा देर नहीं हुई ---" उसने लापरवाही से कहा |

"मतलब --?" वह राज के इस प्रकार कहने से सकपका सी गई |

"मतलब क्या ? अबॉर्शन करवा लेते हैं ---रुक नोज़ सम डॉक्टर, सही विल मैनेज "

कमल का बेशरम बंदा है ! अपनी पर्सनल लाइफ़ को इस प्रकार वह कैसे किसीके साथ डिस्कस कर सकता है ?

"ये क्या कह रहे हो तुम और क्यों कह रहे हो ?"

"मैं किसी भी झंझट में नहीं पड़ना चाहता और तुम भी --ये बच्चे-वच्चे पैदा करके तुम क्यों अम्मा जी बनना चाहती हो ? बर्बाद क्यों करना चाहती हो अपना भविष्य और फीगर बर्बाद ?" पता नहीं वह क्या कहना चाहता था ?

"तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है !" वह बड़बड़ करता रहा |

"देखो राजेश ! न मेरा दिमाग़ खराब है और न ही मैं तुम्हारी तरह से सोचना चाहती हूँ ---बिन ब्याही माँ भी नहीं बन रही हूँ, भागकर भी नहीं आई हूँ, मुझे किसी तरह की शर्म या झझक भी नहीं है फिर क्यों मैं ऐसा करूंगी | मैं अपने बच्चे को जन्म दूंगी| अपने माँ बनने के गौरव को प्राप्त करूंगी ही जो विधाता ने मेरी झोली में सौभाग्यवश डाल दिया है | तुम्हारी मर्ज़ी जो चाहे करो ---" भानु भी बिफर पड़ी |

"यानि की तुम इस माँस के लोथड़े को जन्म देकर ही रहोगी ?" राज का क्रोध सातवें आसमान पर था |

"माँस के लोथड़े को नहीं, एक जीते-जागते शिशु को जो मेरे हद-माँस से बना होगा, ईश्वर का एक जीता-जागता खूबसूरत अंश ! अपने आपको लगाम दो राज, वर्ना ---" "वर्ना --वर्ना क्या ? अब मुझे पाठ पढ़ाओगी तुम ?" वह फिर चीख़ा |

"नहीं, अब तक दोस्त बनकर समझने की कोशिश कर रही थी --पर --अब नहीं | और खबरदार ! नेरे या मेरे बच्चे के बारे में कुछ भी बकवास कोशिश की तो ! मैं इतनी भी कमज़ोर नहीं, मेरी चुप्पी को कमज़ोरी मत समझना --अब तक चुप थी लेकिन अब नहीं, चुप्पी का समय पूरा हो गया |" भानु ने झल्लाहट से चीख़कर कहा |

राजेश एक झटके से अचानक ही उसके पास खिसक आया, उसके कंधे झंझोड़ते हुए बोला --

"लुक! आइ वोंट बी रेस्पॉन्सिबल फॉर यू और युअर चाइल्ड--यू हैव टु बीअर इट एलोन ---" बड़बड़ करते हुए एक झट से उसे छोड़कर वॉर्डरॉब में से हैंगर से अपना कोट ज़ोर से खींचकर एपार्टमेंट का दरवाज़ा पछाड़ते हुए बाहर की और तेज़ी से निकल गया |

भानुमति अपने बैड पर धम्म से गिर पड़ी, उसका सारा जोश जैसे मिनट भर में ही समाप्त हो गया था | वह वास्तव में इस समय अकेली थी, एकाकी ! शिथिल ! उसके दिमाग़ में राज के कठोर शब्द गूंझ रहे थे --एलोन ! एलोन---यू हैव टु बीअर एलोन ---!!

न जाने भानु कितनी देर तक यूं ही पड़ी रही, उसके हाथ -पैरों की, पूरे शरीर की शक्ति किसीने निचोड़ डाली थी फिर भी उसका दिमाग़ चल रहा था और वह यह सोच रही थी कि वह कमज़ोर नहीं पड़ सकती, उसे अच्छे से जीना है अपने और अपने बच्चे के लिए | वह बहुत खुश थी अपने गर्भ धारण करने के लिए !

दूरी दूर करने के प्रयास में उसकी और राज की दूरियाँ और भी बढ़ गईं थीं| उसे अब अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के उपाय सोचने थे |