नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 49 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 49

सबिता उस कमरे की देख रही थी जिसमे उसे लाया गया था।

"अपने कपड़े उतारो," रेवन्थ सेनानी की कड़क आवाज़ सबिता को अपने कानों में सुनाई पड़ी।

जब सबिता ने कोई रिएक्ट नही किया और नही अपनी जगह से एक इंच भी हिली और ना ही उसने कुछ कहा तोह रेवन्थ सेनानी उसकी तरफ बढ़ने लगा।

रेवन्थ सेनानी ने कुछ पल अपनी ठंडी नज़रों से उसे देखा। और फिर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके सीने पर से उसकी शर्ट को पकड़ लिया। और फिर एक झटके में खीच कर उसकी शर्ट फाड़ दी।
"अगर तुम यह खुद से नही करना चाहती तोह, कोई बात नही मुझे और भी ज्यादा खुशी होगी तुम्हारे कपड़े अपने हाथों से उतर कर।" रेवन्थ सेनानी ने फुसफुसाते हुए सबिता से कहा।
और फिर उसने अपनी लंबी शेरवानी को उतार दिया। अब उसके ऊपरी शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था।

"दो मिनट!" रेवन्थ ने सबिता को चेतावनी देते हुए कहा। "अगर तुम अपने सारे कपड़े उतार कर बैड पर मेरा इंतजार करते हुए नही लेटी तोह तुम सोच भी नही सकती की इसका अंत कितना भयानक होगा।"

सबिता का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। वोह नही चाहती थी उसके कपड़े उतारते वक्त रेवन्थ सेनानी को उसका खंजर मिले। वोह बैड के पास गई और उसके पास ही खड़ी हो गई। वोह धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने लगी। अपने कपड़े उतारते वक्त शर्म से उसके हाथ कांपने लगे।

*"अपने ऊपर काबू रखो, सबिता।"* उसके दिमाग ने उससे कहा। "तुम इसे ज्यादा स्ट्रॉन्ग हो। यह तोह सिर्फ एक शरीर है। खाल, हड्डी और मांस से बना। क्या बुरा हो सकता है इसके साथ? वोह मेरा शरीर तोड़ सकता है, मेरा दिमाग तोह नही।

सबिता ने कुछ पल अपनी आंखे बंद करली और फिर खोल दिया फोकस करने के लिए।

वोह सबिता प्रजापति है। वोह एक लीडर है। एक फाइटर है। एक सर्वाइवर है। वोह हर लड़ाई से लड़ने के लिए सक्षम है।
उसने अपना आखरी कपड़ा भी उतार दिया और तरीके से बैड पर रख दिया।
उसका सो कॉल्ड हसबैंड तोह अपने आपको पहले से ही नग्न किए हुए था। पर लकिली उसका ध्यान टेबल पर रखे हुए उस छोटे से काले बैग पर था।

रेवन्थ सेनानी ने अपने आपको बाजू पर एक इंजेक्शन दिया। सबिता नही जानती थी की वोह एक्सेक्टली क्या है लेकिन वोह इतना समझ रही थी की यह उसकी उत्तेजना को बढ़ाने और उसकी नसों को टाइट करने के लिए ही कोई सिरिंज है।

अपने स्किन से सूई निकालने के बाद रेवन्थ सेनानी ने सबिता प्रजापति की तरफ देखा। "यह मुझे एक हफ्ते तक उत्तेजित रखेगा। तब तक सेनानी का वंश तुम्हारी कोख में आ जायेगा।" रेवन्थ सेनानी ने वादा करते हुए कहा।

सबिता अपने चेहरे पर उसको देख कर घृणा वाले भाव लाने से रोक नही पाई। उसकी आंखे रेवन्थ के नग्न शरीर पर चलने लगी। "सेनानी का इतना छोटा फैमिली ज्वेल(गुप्तांग) के साथ, मुझे तोह डाउट है की दस साल बाद यह खुद से कभी हिलेगा भी।" सबिता ने शांति से उसका उपहास उड़ाते हुए कहा।

रेवन्थ सेनानी का असामान्य रूप से बहुत ही छोटा गुप्तांग था। जिसे सबिता ने अनुमान लगाया था की कोई स्टीरॉयड किसी तरह का टेस्टोस्टेरोन का साइड इफेक्ट है।

सबिता के धीरे से ही सही मगर ताने को सुन कर रेवन्थ सेनानी की देहक्ति आंखों में गुस्सा फूट पड़ा। वोह उसके नज़दीक आया और उसके पास खड़ा हो गया।
उसके इस तरह से अचानक उसका भड़कना अनएक्सपेक्टेड नही था। भले ही वोह अपने आपको नियंत्रित किए हुए था फिर उसे दिल पर चोट तोह लगी थी।

"तुम एक अभ्रद कुटिया हो। मैं तुम्हारे इस बरताव को कई बार नजरंदाज किया है। पर अब....जब तुम मेरी पत्नी हो तोह तुम्हे अपने ऊपर नियंत्रण रखना होगा और कुछ भी बोलने से पहले दस बार सोचना होगा।" रेवन्थ सेनानी ने बोलने से पहले सबिता के गाल की हड्डी पर एक मुक्का जड़ दिया।

सबिता को दुखने लगा जहां उसे चोट लगी थी। इससे पहले की वोह अपनी दर्द से नम आंख पर अपनी उंगलियों को रखती, रेवन्थ सेनानी ने उसकी बाजू से उसे पकड़ लिया। सबिता की बाजू दर्द से झनझनाने लगी। उसी पल रेवन्थ ने उसे झटके से बैड पर फेक दिया। एक ज़ोर दार झटके ने सबिता को गद्दे पर गिरा दिया। इससे पहले की वोह सांस लेती रेवन्थ सेनानी ने उसका गला पकड़ लिया और ज़ोर से दबाने लगा। सबिता की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा। सबिता को लगने लगा की अब वोह मर ही जायेगी। पर अचानक ही रेवन्थ की पकड़ ढीली हो गई। सबिता लंबी लंबी सांस लेते हुए खांसने लगी और हवा अपने अंदर जब्त करने की कोशिश करने लगी।

"सबिता," सबिता ने रेवन्थ सेनानी की आवाज़ सुनी और रेवन्थ उसके गले को पकड़ ने की वजह से जो सबिता के मुंह से जो थोड़ा खून निकलने लगा था उसे साफ करने लगा।

"मैं तुम्हे दर्द नही देना चाहता, जैसा मैंने दूसरी औरतों को दिया है। क्योंकि तुम मानो या ना मानो, पर मैं तुमसे सच में प्यार करता हूं।"

जब सबिता ना ही हिली और ना ही कुछ रिएक्ट किया तोह रेवन्थ सेनानी ने एक लंबी सांस ली। वोह उसके ऊपर आ गया और उसकी आंखों के कोने में प्यार से किस करने लगा।

"तुमने मुझे मजबूर किया है ऐसा करने में।" रेवन्थ सेनानी ने कहा।

"तुम ने सिम्पली मुझसे शादी करने के लिए हां क्यों नहीं कहा? तुमने मुझे क्यों धोखा दिया?"

सबिता ने अपनी आंखे बंद कर ली। वोह बस उसका चेहरा देखना नही चाहती थी।

रेवन्थ सेनानी ने फिर उसे चांटा मारा। "मेरी तरफ देखा करो, जब मैं तुमसे बात करता हूं!" उसने चिल्लाते हुए कहा।

पर सबिता ने अपनी आंखे पूरी तरीके से नहीं खोली। रेवन्थ उसे और मारता रहा। और थोड़ी देर बाद चिल्लाते हुए माफी भी मांगनी लगा।

सबिता जानती थी की जो इंसान उसके ऊपर है वोह जल्द ही उसके शरीर को रौंद देगा। उसने खुद को इसके लिए तैयार कर लिया। या यूं कहो की उसने इस सच से हार मान ली थी।
उसके मन में बस एक ही खयाल था जिसकी वजह से वोह चुप भी थी और रिएक्ट भी नही कर रही थी, वोह था बस अपने हथियार तक पहुंचना। और यह ऐसा था की अगर सौ आदमी भी आ कर उसके शरीर को रौंद जाए तो भी वोह उसे कोई फर्क नही पड़ता। क्योंकि वोह ले जाते तोह क्या ले जाते, ज्यादा से ज्यादा उसका शरीर ही ना। उसकी रूह को तोह नही ले कर जा सकते। वोह उसके शरीर को ही सिर्फ छू सकते हैं।

उसका दिल और आत्म की छूने की काबिलियत तोह सिर्फ देव सिंघम में है। वोही एक लौटा इंसान है जिसने उसकी जिंदगी को रोशन किया है और दोनो ने अपने शरीर को, अपनी आत्मा को एक किया है।

कोई भी कभी ऐसा नहीं कर सकता उसके साथ।

उस हिंसक आदमी की तरह नही जिसने जबरदस्ती उससे शादी की और उसे चोट पहुंचाई। देव तोह उसके साथ हमेशा नरमी से पेश आया है। देव के साथ उसे हमेशा ही सुरक्षित महसूस होता था। वोह उसे दुलारता था, प्यार करता था, और चाहता था।

सबिता के आंखों के सामने दिमाग में देव के मदहोश करने वाले मुस्कुराते चेहरे की झलकियां घूमने लगी।

*"माय ब्यूटीफुल जिप्सी।"* देव कभी कभी उसे प्यार से इस नाम से भी बुलाता था। सबिता को देव के मुंह से अपना नाम सुनना भी बहुत पसंद था। उसे अच्छा लगता था जब वोह उसे बेबी बुलाता था।

"सबिता!"

सबिता ने देव की आवाज़ सुनी जो उसे पुकार रहा था। उसने एक बार फिर उसकी पुकार सुनी। मगर इस बार वोह आवाज़ कुछ घबराई हुई सी थी।

*"क्या यह मेरी कल्पना है"* सबिता को आश्चर्य हुआ।

पर उसे देव की आवाज़ बार बार अपने कानों में सुनाई पड़ने लगी।
यह देव ही है।

इसका मतलब पक्का अनिका को बचा लिया गया होगा और वोह अब सेफ होगी। उसे यकीन था की पक्का देव और उसके भाई अभय ने उसे बचा लिया होगा।

तुरंत ही उसने अपने शरीर को स्थिर कर लिया और धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर की तरफ ले जाने लगी। तकिए के नीचे उसका हाथ पहुंचते ही उसे वोह मिल गया। उसके खंजर के हैंडल को उसने अपनी मुठ्ठी में कस लिया।
उसने अपनी आंखे खोली और पलट कर देखा उस आदमी की तरफ जो उसके ऊपर था। रेवन्थ सेनानी फ्रस्ट्रेशन से खुद को ही छू रहा था। यह तोह होना ही था। जो केमिकल वोह अपने शरीर में लेता है यह उसका ही साइड इफेक्ट होगा।

सबिता यह देख कर खुश थी।

रेवन्थ सेनानी अपनी फ्रस्ट्रेशन में इतना गुम था की उसने किसी और बात पर ध्यान ही नही दिया। सबिता की नज़रे रेवन्थ के गले पर ठहर गई जिसमे सांस लेने की फड़फड़ाहट साफ नज़र आ रही थी। तुरंत ही उसने उस तकिए के नीचे से अपना हाथ निकाल लिया जहां उसने कपड़े उतारते वक्त अपना खंजर छुपाया था। बिना एक पल भी गवाए उसने अपने खंजर से उसके गले पर वार कर दिया। एक झटके में रेवन्थ के गला कट गया।

सबिता ने अपना सिर दूसरी तरफ मोड़ लिया क्योंकि रेवन्थ के गले से खून की फुहार निकल पड़ी थी जो सबिता के शरीर को भिगो रही थी। तड़पते हुए रेवन्थ को धकेल कर सबिता उठ खड़ी हुई। उसने अपनी फटी हुई शर्ट उठाई और अपना खून से सना हुआ चेहरा और ऊपर का शरीर साफ किया।

एक झटके के साथ कमरे का दरवाज़ा टूटा। देव और उसके आदमी अंदर आए। अंदर का नज़ारा देख कर देव के आदमी तुरंत बाहर चले गए। पर देव कुछ पल स्तब्ध रह गया। उसके सामने उसकी चाहत बिना कपड़ों के खून से सनी हुई खड़ी थी। कुछ पल बाद सबिता ने नोटिस किया देव के हाथ में खून से सनी हुई एक कुल्हाड़ी थी जिससे पक्का उसने बाहर कई लोगों को मारा होगा और इसी से दरवाज़ा भी खोला होगा। कुछ पल तक दोनो एक दूसरे को यूहीं खड़े देखते रहे। जबकि बाहर से चीखने चिल्लाने और स्ट्रगल करने की आवाज़ें आ रही थी। और उसी कमरे से उस घटिया इंसान रेवन्थ सेनानी की तड़पने की आवाज़ें भी आ रही थी। देव अपनी समाधि तोड़ते हुए, लंबे पग भरते हुए आगे बढ़ने लगा। जैसे ही वोह सबिता के नज़दीक आया उसने अपने शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिया। शर्ट उतार कर उसने तुरंत सबिता को पहना दी। जब तक सबिता देव की पहनाई हुई शर्ट के बटन बंद करने लगी देव उस आदमी की तरफ बढ़ गया जो जमीन पर पड़ा हुआ था। सबिता को देव के घुरघुराने की आवाज़ सुनाई पड़ी जब देव ने रेवन्थ के शरीर पर लात मारना शुरू किया। और उसके बाद काटने की आवाज़ें आने लगी क्योंकि देव ने रेवन्थ को कुल्हाड़ी से मारना शुरू कर दिया।

देव रेवन्थ सेनानी पर लगातार कुल्हाड़ी से वार किए जा रहा था, किए जा रहा था।

कुछ पल बाद सबिता बैड के उस और गई तोह उसने देखा की देव ने रेवन्थ सेनानी की अनगिनत टुकड़े कर दिए थे, जो की कुछ देर पहले तक उसका पति थी। सामने का नज़ारा देख कर सबिता के पल के लिए हिचकिचाई नही।

सेनानियों को रेवन्थ सेनानी का अंतिम क्रिया कर्म करने में बहुत मुश्किल आने वाली थी।

देव अभी भी उसे लगातार काटे जा रहा था।

"देव!" सबिता ने धीरे से उसे पुकारा।

देव ने रेवन्थ पर अगला वार करने के लिए कुल्हाड़ी उठा रखी थी। उसके हाथ वहीं बीच में ही रुक गए जब उसने सबिता की आवाज़ सुनी।

"वोह मर गया है, देव।" सबिता ने आगे कहा।

देव की नाक गुस्से से और फूल गई। और एक आखरी बार ज़ोर दार देव ने रेवन्थ पर फिर वार किया। और फिर देव ने कुल्हाड़ी को उसके शरीर पर ही छोड़ दिया या फिर जो भी कुछ गूदा जैसा बचा था उस पर।

देव सबिता के पास आया। उसकी आंखों में अभी भी खून उतरा हुआ था। पर जैसे ही वोह सबिता के नजदीक आया उसने अपना चेहरा सौम्य कर लिया।

उसने बड़े ही प्यार से सबिता के माथे पर चूम लिया। फिर उसकी दोनो आंखों को, नाक के टिप को और फिर उसके होंठों को। उसने अपनी कांपती सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए कहा, "लेट्स गो, बेबी। हम इस पूरी जगह को जला देंगे।" देव ने कसम खाई।

सबिता ने अपना सिर हिला दिया। उसने अपने खंजर की स्ट्रैप को वापिस बांधा और खंजर उस में लगा दिया। उसने वोह गन हाथ में पकड़ ली जो देव ने अभी अभी उसे पकड़ाई।






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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)