"क्या तुम्हे उससे कुछ नही कहना? कबीर ने अमायरा से पूछा।
"हां। कहना है। मैं जानती हूं की आप दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। मैं आप दोनो की यह बताना चाहती हूं की मैं कभी भी आप दोनो के प्यार के बीच नही आऊंगी। कोई भी किसी से इस तरह प्यार नही करता। मुझे खुशी है की मैं आप दोनो के प्यार की गवाह बनी। और मुझे उम्मीद है की आप दोनो हमेशा एक दूसरे से ऐसे ही प्यार करते रहेंगे। मैं कभी भी तुम्हारी जगह लेने की कोशिश नही करूंगी, महिमा।" अमायरा ने कहा तोह महिमा की कब्र और कबीर के सामने कहा लेकिन प्रोमिस खुद से किया था।
"मिस्टर मैहरा, क्या मैं जा कर गाड़ी में बैठ सकती हूं? आप इनसे बात कीजिए और फिर थोड़ी देर बाद आ जायेगा," अमायरा ने कहा। वोह अब ज्यादा देर तक अपने इमोशंस को कंट्रोल नही कर सकती थी। उसे इस वक्त रोने का मन कर रहा था, लेकिन क्यों, पता नही। पहली बार उसे लगा था की कबीर ने सही मायने में उसे अपनी जिंदगी में शामिल किया है।
"हां। जाओ। मैं थोड़ी देर में आता हूं।" कबीर ने कहा और अमायरा महिमा की कब्र की तरफ हाथ हिला कर बाय कह कर चली गई।
****
*"तुम यह क्या कर रहे हो कबीर?"* कबीर को एक आवाज़ सुनाई पड़ी और वोह चौंक गया।
"महिमा? तुम? तहां?"
*"ऐसे चौंको मत। मुझे आना पड़ा यहां, अब तुम पूरी तरीके से बेवकूफ बन गए हो।"*
"क्या? कैसे?" कबीर ने कन्फ्यूज्ड होते हुए पूछा।
*"उसने अभी क्या कहा था? की वोह कभी हमारे बीच नहीं आएगी। क्या तुम इसी तरह अपनी जिंदगी प्लान कर रहे हो, आदर्शवादी बन कर?"* महिमा ने अविश्वास रूप से पूछा।
"पर मैं क्या कर सकता हूं?"
*"सच में कबीर? यह तुम कह रहे हो? क्या तुम उसे प्यार नही करते?"*
"मैं करता हूं। पर मैं उसे फोर्स तो नही कर सकता की वोह भी मुझे प्यार करे।" कबीर ने जवाब दिया।
*"पर तुम उसे बता तोह सकते हो की तुम उससे प्यार करने लगे हो। और कितना समय तुम बर्बाद करोगे बोलने में?"*
"और अगर वोह मुझसे नफरत करने लगे तोह? मैं ऐसा नहीं होने दे सकता। मैं अब उसे भी नही खो सकता।"
*"कबीर। तुमने मुझे नही खोया है। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। तुम जानते हो, ना?"*
"यह मुझे दिलासा देने के लिए है। पर सच बात तो यह है की तुम मुझे पीछे छोड़ कर चली गई हो। अकेला। और अब मुझे अपनी किस्मत पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है। क्या होगा अगर मैं उसके सामने इजहार कर दूं, और वोह मुझसे नफरत करने लगे, उसे लगेगा की मैं तुमसे झूठे प्यार का दिखावा करता हूं, और अब कितनी आसानी से उससे प्यार करने लगा हूं। लेकिन मैं जानता हूं की मुझे कितने साल लगे हैं तुम्हारे जाने के बाद यह समझ में की मुझे अब आगे बढ़ना चाहिए। और अब मैं उसकी नफरत बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा।"
*"कबीर। अगर तुम अपने आप को एक चांस नहीं दोगे तोह अपनी खुशियां कैसे पाओगे? तुम हमेशा के लिए अपने बीते वक्त में तोह नही रह सकते।"*
"मैं करना तोह चाहता हूं महिमा। पर मैं नही जानता की यह सही होगा या नहीं होगा। मुझे बहुत डर लगता है। और जब मुझे लगता है की मुझे उसे बता देना चाहिए, मुझे तुम्हारी याद आ जाती है, और मुझे लगने लगता है की मैं तुम्हे धोखा दे रहा हूं और अपना वादा तोड़ रहा हूं।"
*"कबीर। तुम किसीको धोखा नही दे रहे हो। तुमने मुझसे बेहद प्यार किया है। तुमने मुझे अपनी यादों में जिंदा रखा है। पर तुम्हे अब समझना होगा की वोह वादे, जो हमने मिलकल लिए थे वोह, मेरी मौत के साथ ही दफन हो गए। अब तुम उन वादों से बिलकुल भी बंधे नही हो।"*
"ऐसा मत कहो। मैने तुम्हे प्रोमिस किया था की तुम्हे जिंदगी भर प्यार करूंगा। मैं अपने वादे को यूंही इतनी आसानी से मरने नही दे सकता।"
*"कबीर, तुम अभी भी अपना प्रोमिस निभा रहे हो, लेकिन तुम इस वजह से जिंदगी जीना तोह नही छोड़ सकते। यह तुम्हे सिर्फ दर्द देगा और कुछ नही। जाओ और अपनी जिंदगी जियो। खुश रहो। एक बार फिर प्यार में पड़ो। बताओ जा कर उसे की तुम उससे प्यार करते हो। अगर वोह इनकार करदे तोह, उसे पाने की कोशिश करो। उसे अपने प्यार पर यकीन दिलाओ, जैसे तुमने मुझे दिलाया था। और कोई नही कहता की मुझे प्यार करना बंद कर दो अगर तुम उससे प्यार करते हो।"*
"क्या तुम्हे यकीन है की मुझे उसे बता देना चाहिए?"
*"हां। अब बहुत हो गया। अब मुझे जाने दो कबीर। तुमने यहां मुझे बहुत लंबे समय से रखा हुआ है, और अब शांति से आराम करने की जरूरत है। अब मैं जब जानती हूं की कोई है जो तुम्हारा ख्याल रख सकता है तोह मैं आसानी से जा सकती हूं।"*
"मैं तुम्हे कैसे जाने दे सकता हूं?" कबीर ने इमोशनल होकर पूछा।
*"तुम जानते हो की मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारे दिल में।"*
"पर....."
*"जाओ कबीर। तुम्हारी जिंदगी तुम्हारा इंतजार कर रही है। मैं कभी वापिस नही आ सकती लेकिन तुम मुझे खुशी से सकते हो खुद खुश रह कर।"* महिमा ने उसे उकसाते हुए कहा।
"महिमा.... मैं...."
*"यह तुम भी जानते हो की मैं बस तुम्हारी इमेजिनेशन हूं। तुम्हे अब उसको इमेजिन करना है और उसके सपने देखने हैं। मेरे नही।₹* महिमा मुस्कुराई और कबीर भी मुस्कुरा गया।
"थैंक यू। आई लव यू। फोरेवर।"
*"जानती हूं और यह भी जानती हूं की किसी और से प्यार करने से तुम्हारा मेरे लिए प्यार कम नही हो जायेगा। तोह जाओ। और यह अच्छा बच्चा बनना बंद करो और बता दो उसे। बाय।"* महिमा ने कहा और कबीर ने बाय में हाथ हिला दिया।
वोह गायब हो गई अब बस उसकी कब्र ही दिख रही थी। कबीर जनता था की महिमा उसे खुश देखना चाहती है। उसके साथ या उसके बिना। वोह हमेशा उससे यह कहती थी की उसे अपनी खुशियों की तरफ बढ़ने के लिए एक कदम उठाना चाहिए।
अब वोह समय आ गया था की कबीर को एक कदम अपनी नई जिंदगी की तरफ उठाना चाहिए।
****
थोड़ी देर बाद कबीर और अमायरा वापिस अपने घर के लिए निकल गए। रास्ते भर दोनो ही बिलकुल चुप थे। दोनो ही खुश थे लेकिन अपनी अपनी वजहों से। कबीर के लिए यह एक आश्वासन था की वोह महिमा को अमायरा के लिए धोखा नही दे रहा है।
और अमायरा के लिए यह एक संतुष्टि थी की कबीर ने उसे अपनी जिंदगी का इतना इंपोर्टेंट हिस्सा माना की उसने उसे उस दीवार के अंदर कदम रखने की अनुमति दी जिस दीवार को कबीर ने अपने चारों तरफ खड़ा कर रखा था, जिसे पार करने की अनुमति किसी को भी नही थी।
आज का पूरा दिन दोनो के ही लिए अच्छा बिता था, और दोनो के ही कारण अलग अलग थे।
****
इसके बाद कुछ दिन कबीर के लिए बहुत मुश्किल भरे बीते। उसने बहुत कोशिश की थी अमायरा की बताने की लेकिन हिम्मत नही कर पाया। अमायरा वैसे भी साहिल की सगाई की प्रिपेरिशन में बिज़ी थी, और बहुत थकी हुई होती थी जब वोह रूम में आती थी, जिससे कबीर की खराब लगने लगता था। रोज़ सुबह वोह जल्दी से उठ कर कमरे से निकल जाती थी सुमित्रा जी के साथ शॉपिंग पर जाने के लिए, और जब कभी वोह घर पर होती तोह फोन पर कॉर्डिनेट करने में लगी रहती कभी कैटरर के साथ, कभी डेकोरेटर, कभी डीजे या फिर कोरियोग्राफर। तोह कबीर को उससे बात किए बिना ही ऑफिस के लिए निकलना पड़ता।
साहिल की सगाई नजदीक आ रही थी और अमायरा चाहती थी की उसमे कोई कमी ना रह जाए, सब अच्छे से हो जाए। और यह सब कबीर को बेचैन कर रहा था। यह कोई छोटी बात थोड़ी ना थी की कबीर उसे बस यूहीं बता देता। वोह चाहता था की अमायरा उसे पूरा अटेंशन दे जब वोह उससे अपनी फीलिंग्स का इजहार करे, जो इस वक्त पॉसिबल नही लग रहा था। हालांकि कबीर अब ज्यादा से ज्यादा उसके करीब रहने लगा था। वोह अक्सर उसके आस पास ही घूमता रहता था, ऐसे ही कोई बात करते करते हाथ पकड़ लेता था, और कभी तोह अपना हाथ उसकी कमर पर रख देता था जब अमायरा उसे डीजे और कोरियोग्राफर से मिलवा रही थी। जब वोह उसे घूर कर देखती तोह कबीर यूहीं बात टाल देता। दूसरी तरफ अमायरा कबीर में कुछ कुछ बदलाव महसूस करने लगी थी पर उसने इग्नोर कर दिया था यह सोच कर शायद कबीर ऐसे ही दोस्त की तरह कैजुअल हो रहा है।
एक दिन ऐसे ही अमायरा जब अपने कमरे में आई तोह शीशे के सामने बैठ गई। वोह बहुत थकी हुई थी।
"थक गई हो?" अमायरा ने कबीर की आवाज़ सुनी।
"हां। लगता है साहिल ने पूरी दुनिया को ही इनवाइट कर डाला है। और मैं तोह पागल हो गई हूं उसकी डिमांड पूरी करते करते। और यह तोह बस सगाई है। पता नही शादी के वक्त क्या क्या होगा? थैंक गॉड कम से कम शादी हम तोह नही होस्ट कर रहे।"
"तुम अपने आप को इतना मत थकाओ। अगर तुम्हे थकावट लग रही है, तोह प्लानर को बोलो की और एम्पलाइज बढ़ा दे।" कबीर ने अमायरा के पीछे आ कर और शीशे में अमायरा के चेहरे को देखते हुए कहा।
*यह कितनी थकी हुई लग रही है, और फिर भी कितनी खूबसूरत लग रही है। गॉश! मैं बार बार बस यही क्यों सोचता रहता हूं।*
*क्या यह बुरा मान जायेगी अगर मैं इसे छुऊंगा?*
"तुम थकी हुई दिख रही हो। मैं तुम्हे मसाज दे देता हूं।" अमायरा के कुछ बोलने या विरोध करने से पहले ही कबीर ने अपने हाथ उसके कंधे पर रख दिए।
_______________________
कहानी अभी जारी है..
रेटिंग करना ना भूले...
कहानी पर कोई टिप्पणी करनी हो या कहानी से रिलेटेड कोई सवाल हो तोह कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर सकते हैं..
अब तक पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏