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Secret Admirer - Part 23

"हम्मम। जब उन्होंने अपनी आंखे खोली तोह उन्होंने अपने आस पास देखा। मैं उनके पास ही बिलकुल सामने बैठी थी। उन्होंने मुझे देख कर स्माइल तक पास नही की। और इशिता दी के बारे में पूछने लगी। क्यों? क्योंकि मैं उनकी बेटी हूं और दी उनकी ज़िमेदारी? वोह उनके साथ नाइंसाफी नहीं कर सकती लेकिन मेरे साथ कर सकती हैं, वोह भी इस कंडीशन में भी? जब मैने आज उन्हे बेहोश देखा तोह मैं बहुत डर गई थी। यह उनका सेकंड अटैक था और डॉक्टर ने कहा है की कोई गारंटी नहीं है की वोह ठीक हो पाएंगी की नही। ऐसे समय जब मैं इतना डर गई थी की उन्हे दुबारा देख पाऊंगी की नही, वोह दी को पूछ रही थी, मुझे नही। क्यों? और तब आप कहते हैं वोह मेरी मॉम हैं। कैसे? मैं पिछले दस साल से यह समझने की कोशिश कर रही हूं, और अभी तक भी, मैं फेल ही होती हूं हर बार।" अमायरा ने बहुत भावुक होते हुए कहा।

"इशिता.... उउह्ह....इशिता उनकी बेटी नही है?"

"नही। नही है। हैरानी की बात है, है ना?" वोह खुद पर ही हस पड़ी।

"पर कैसे.... मेरा मतलब है, की किसी को क्यों नही पता? मॉम तोह उनकी बचपन की दोस्त हैं पर उन्हें भी यह बात नही पता होगी। तुम्हे पक्का यकीन है की इशिता को गोद लिया गया था?"

"हां। मैने खुद सुना था। मैने यह सीक्रेट अपने तक दस साल तक छुपा कर रखा। पापा के एक्सीडेंट में मरने से पहले उन्होंने मॉम को बोला था की उसे यह बात बिलकुल भी नही पता चलनी चाहिए। मैने यह बात सुन ली थी। तोह मॉम ने मुझे यह बात दी को या किसी और की भी बताने से मना किया था क्योंकि उससे दी को बुरा लग जाता। क्योंकि दी के पास तोह कोई और है नही फैमिली कहने के लिया हमारे अलावा, इसलिए हम उन्हे कभी नही बताएंगे।" अमायरा ने सच्चाई बताई और कबीर अभी भी उभरने की कोशिश कर रहा था इस खुलासे से।

"पर मेरी मॉम यह सब क्यों नही जानती? कैसे?"

"पापा के जाने के बाद मैंने मॉम से पूछा था इस बारे में, उन्होंने मुझे बताया था की, उन्होंने अपनी शादी के कुछ टाइम बाद ही दी को एडॉप्ट कर लिया था। दी पापा के दोस्त की बेटी थी। उनकी मां उन्हे जन्म देते ही मर गई और उनके पापा उन्हे रखना नही चाहते थे इसलिए मेरे पापा उन्हे ले आए और एडॉप्ट कर लिया। क्योंकि अपनी शादी के शुरुआती समय में वोह दुबई में रहते थे इसलिए दी की अडॉप्शन के बारे में किसी को नही पता। और जब वोह इंडिया वापिस आए तो दी को अपनी बेटी कह कर ही सबको बताया। सिर्फ दादा दादी यह बात जानते थे।"

"और तब से अब तक मैं अपने आप से यह झूठ बोलती आईं हूं की दी मेरी बहन है, और मेरी मॉम बिलकुल भी पक्षपाती नही है। यह सब मेरे लिए एक बुरे सपने की तरह है जिसे मैं जल्द ही दूर करना चाहती हूं।" अमायरा ने अपना चेहरा अपने हाथों में छुपा लिया।

"अमायरा। शांत हो जाओ प्लीज। रो मत।" कबीर ने अमायरा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। और अमायरा अपना सिर उठा कर देखने लगी।

"कौन रो रहा है? मैं नही रो रही। मुझसे तो कहा गया था की समझदार बनो, बहादुर बनो, और मजबूत बनो। और मैं यह सब बहुत अच्छे से कर रही हूं। और अभी जब मैं रोना चाहती हूं, तोह मैं रो नही सकती।" वोह हस तोह रही थी लेकिन उसकी आंखों में नमी बनी हुई थी।

"आज जब वोह हॉस्पिटल में पड़ी हुई हैं, मैं नही जानती की मैं अब कभी उनसे बात कर पाऊंगी या नही, मैं नही जानती की दी जैसा प्यार कभी मुझे मिल पाएगा या नहीं। इसलिए आज मुझे ऐसा लग रहा था की कहीं मैने गलत तोह नही सुना था की दी को नही मुझे एडॉप्ट किया होगा उन्होंने। मैं चाहती हूं की कोई मुझे कहे की उन्होंने जिस बच्चे को एडॉप्ट किया है वोह मैं हूं, तोह मुझे बहुत खुशी होगी और शांति मिलेगी, फिर मैं कह सकूंगी की वोह एक बहुत अच्छी एडोप्टेड मदर हैं। मैं आज जब देखती हूं की वोह दी के लिए बहुत अच्छी हैं, और मेरे लिए नही, तोह मेरा दिल टूटता है। हर बार। हर समय।"

"मुझे यह सब नही पता था। पर मुझे नही लगता की आंटी ने यह सब जान बूझ कर किया होगा। शायद इसके पीछे कोई कारण हो।" कबीर भी ठीक से नही सोच पा रहा था।

"क्या कारण? क्या कारण हो सकता है की उन्होंने मुझे दस साल पहले चुप रहने को कहा और दी को उनका सारा प्यार ले जाने दिया? क्या कारण हो सकता है की हमेशा कपड़े सिलेक्ट करते वक्त वोह सबसे पहले दी से चूस कराती थी? क्या कारण हो सकता है की दी को उनके हाथ का बना खाना मिलता था और मुझे कहा जाता था की जो पसंद हो बाहर से खरीद कर खा लूं? और अब क्या कारण था की उन्होंने यह भी नही सोचा की मुझे जिंदगी से कुछ और चाहिए हो सकता है ना की वोह जो वोह मुझे चूस करने को कह रही थी?"
"हां। उन्होंने मुझे ऑप्शन दिया था। उन्होंने मुझे कहा था की मैं ना करदू इस शादी के लिए। पर उन्हे मेरी ज़रूरत क्यों पड़ी ना करने के लिए? वोह यह काम खुद क्यूं नही कर सकती थी? वोह जानती थी की गौरव ने मुझे प्रपोज किया है और मैने जवाब नही दिया है। पर फिर भी जब आपका प्रपोजल आया तोह उन्होंने मुझसे कहा की मैं ना कर दू अगर नही चाहती तोह। क्यों? क्यों मैं? क्या वोह डिसाइड नही कर सकती की मेरे लिए क्या बेस्ट है? वोह जानती थी की मैं अपनी खुशियों के ऊपर दी की खुशियां चूस करूंगी। क्योंकि यही तोह वोह मुझसे हमेशा से कहती आईं हैं।" अमायरा सब कुछ कह रही थी जो भी उसके दिल में था। और कबीर चौकने लगा था। वोह जनता था की अमायरा ने अपने दिल में बहुत कुछ छुपा कर रखा है लेकिन इस तरीके से सब पता चलेगा यह उसके लिए शॉकिंग था।
"मैने अपनी पूरी जिंदगी सब्र रखा है। हमेशा एक परफेक्ट बेटी रही, फिर भी कोई रिजल्ट नही। मैने वोह सब किया जो मुझसे एक्सपेक्ट किया जाता था। पर वोह यह क्यों नही सोचती की मैं क्या एक्सपेक्ट करती हूं उनसे। क्यों?" अमायरा ने अपना दिल खाली कर दिया था लेकिन फिर भी उसे शांति नही मिल रही थी।

कबीर चुप चाप बस शॉक्ड बैठा था। उसे अमायरा की कोशिशें सुन कर दुख हो रहा था। कबीर कन्फ्यूज्ड हो गया था अमायरा के शादी को लेकर डिसीजन सुन कर दुखी होने में या फिर अमायरा का दर्द सुन कर उसके लिए बुरा लगने में।

"और इसीलिए मुझे लगता है की मुझे एडॉप्ट किया गया है, और मैं यही सुनना भी चाहती हूं, लेकिन मेरा चेहरा हमेशा मुझे सबूत देदेता है। वोह मुझे यकीन दिलाता है की मैं उनकी ही बेटी हूं। मुझे नफरत है अपने चेहरे से वोह क्यों इतना मिलता है उनसे। जबकि मैं उनके लिए अनवांटेड हूं।"

"शशश.....तुम अनवांटेड नही हो। कभी नही हो।" कबीर अमायरा को खीच कर अपनी बाहों में भर लिया था और अमायरा ने कोई आपत्ती भी नही की। वोह दोनो काफी देर तक एक दूसरे को गले लगाए हुए थे। अब बिलकुल भी बोलने के लिए जान नही बची थी इसलिए अमायरा ने कबीर को कस कर पकड़ लिया था, अपने आप को तसल्ली देने के लिए की कोई तोह है जो उसके साथ है, उसके लिए है।

"तुम्हे आराम की जरूरत है। चलो अब सो जाओ।" कबीर ने उसे बैड पर अच्छे से लेता दिया था और खुद भी उसके साथ ही बैड पर लेट गया था। लेकिन उस एक दूरी बना कर रखी थी दोनो के बीच जिसकी वजह से कबीर बेचैन हो रहा था। और अमायरा भी बेचैन हो रही थी लेकिन अपनी खुद के मन में चल रही उथल पुथल की वजह से। उसने कई बार इधर उधर करवट बदली लेकिन वोह सो नही पा रही थी। अमायरा की बेचैनी देखते हुए कबीर उसके नज़दीक हुआ और उसे बाहों में भर लिया और अपना एक हाथ उसके ऊपर रख दिया।

"सो जाओ अमायरा। हम इसके बारे में कल बात करते हैं।" कबीर ने फुसफुसाते हुए कहा। कबीर के यह सदा शब्द भी अमायरा को मीठी लोरी के तरह लगे। और उसने भी अपना हाथ कबीर के ऊपर रख दिया और तुंरत ही गहरी नींद में चली गई।

****

"गुड मॉर्निंग," कबीर अपने कमरे में आया और अमायरा को वाशरूम से बाहर निकलते देख उससे बोला और फिर मुस्कुरा दिया।

"गुड मॉर्निंग," अमायरा ने कहा। उसे कुछ अजीब लग रहा था।

"मैं हमारे लिए ब्रेकफास्ट लाया हूं। चलो खालो और फिर हॉस्पिटल चली जाना।" कबीर ने कहा।

"मैं नही जाऊंगी वहां।"

"क्या? क्यों? कबीर ने पूछा।

"कल रात के बाद अभी भी आपको कोई और एक्सप्लेनेशन की जरूरत है?" अमायरा ने पूछा।

"उउह्ह...नही। जो भी है पर वोह तुम्हारी माँ हैं। तुम्हे जाना चाहिए।"

"अब बहुत हो चुका अच्छी बेटी बनते बनते। मैं तब ही जाऊंगी जब वोह मुझे बुलाएंगी। नही तोह मुझे कोई जरूरत नही है। दी अब तक आ गईं होंगी और जीजू उन्हे एयरपोर्ट से डायरेक्ट ले कर जायेंगे हॉस्पिटल।"

"अमायरा मुझे पता है तुम उनसे बहुत गुस्सा हो। और तुमने सालों तक अपने गुस्से को अपने अंदर दबा कर रखा है। कम से कम उनके लिए। तुम जानती हो उनकी कंडीशन क्रिटिकल है, और वोह खुद से सब नही कर पाएंगी। अपनी अच्छाई पर अपने गुस्से को मत हावी होने दो। वोह ही अमायरा रहो, मुझे गर्व है उस पर।" कबीर ने कहते हुए अपनी हथेली में उसका चेहरा भर लिया।

"आपको मुझ पर गर्व है?" अमायरा ने अपनी आंखे मटकाते हुए पूछा।

"हां है। तुम जैसी बेस्ट और परफेक्ट इंसान से मैं आज तक नही मिला। बहुत बहादुर और दिल की बहुत अच्छी। अपने गुस्से को इस वक्त अपनी समझ पर हावी मत होने दो क्योंकि तुम जानती हो तुम खुद भी यह नहीं करना चाहती," कबीर ने कहा और अमायरा ने अपना सिर हिला दिया।

"तोह तुम जा रही हो हॉस्पिटल?"

"यस।"

"गुड। डेट्स माय गर्ल। तुम चाहती हो की मैं भी तुम्हारे साथ वहां अंदर चलूं?" अगर तुम कहोगी तोह मैं तुम्हारे साथ आऊंगा।"

"नही। प्लीज नही। आपने कहा बस मेरे लिए यही बहुत है। थैंक यू।"

"ओके। तोह फिर चलो ब्रेकफास्ट कर लेते हैं। और हमेशा याद रखना की मैं तुम्हारे साथ हूं, हमेशा।" कबीर ने इतना कहा और उसके माथे पर प्यार से चूम लिया। कबीर ने उसे गले लग लिया और अमायरा ने भी उसे ऐसा करने दिया बल्कि उसने भी कस उसे गले लगा लिया उससे स्ट्रेंथ गेन करने के लिए।

****

"मुझे पता है की मुझे यह आपको बताने की जरूरत नहीं है, पर प्लीज किसी से भी दी के बारे में वोह बात शेयर मत करना।" अमायरा ने हॉस्पिटल पहुंच कर गाड़ी से उतरने से पहले कबीर से कहा।

"मुझे पता है, मैं नही करूंगा।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा और गाड़ी आगे बढ़ा दी।
























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