उस कन्वोकेशन डे ने कबीर को बहुत कुछ रियलाइज करवाया था। वोह चाहता था की अमायरा हर समय उसके आस पास ही रहे और वोह खुद भी उसके पास रहे। वोह जनता था की उसे खुद को अमायरा के फ्रेंड्स के सामने इंट्रोड्यूस कराने की जरूरत नहीं है, पर फिर भी, उसने किया। शायद इसलिए की वोह चाहता था की लोग उसे उसके साथ जाने। उसे अच्छा लगता था जब वो उसको सबके सामने अपनी वाइफ कह कर इंट्रोड्यूस कराए। और उसे तब भी प्राउड फील होता था जब अमायरा सबके सामने उसे उसका हसबैंड कहती थी।
लेकिन वोह जनता था की यह सिर्फ कुछ समय के लिए ही है, उसे इन सब को इग्नोर करना चाहता था। उसे लगता था की वोह महिमा के साथ धोखा कर रहा है ऐसा करके। इसलिए वोह अपने आप से गुस्सा होने लगा था अमायरा के साथ खुश रहने के लिए। वोह अमायरा से दूर रहना चाहता था लेकिन वोह जब भी उसके सामने आती थी, वोह सब भूल जाता था। उसे उसके साथ बातें करना पसंद आने लगा था। उसे उसके साथ हंसना पसंद आने लगा था। उसे देखते रहना उसे अच्छा लगने लगा था। और इन सब से उसे नफरत भी हो रही थी।
जिस दिन वोह गौरव एस मिला था उसने महसूस किया था की अमायरा के पास ऑप्शन था पर उसने गेव अप कर दिया था। उसे ऐसा भी लगता था की अगर अमायरा को एक चांस मिले तोह शायद वोह अपनी खुशियां वापिस पा सकती है। पर क्या वोह इतना स्ट्रॉन्ग है की वोह उसे जाने देगा? क्या वोह फिर से उसी उदासीनता में वापिस चला जायेगा जिसे अपनी कोशिशों से अमायरा ने दूर कर दिया था? वोह इस बात से तोह श्योर था की वोह उससे प्यार नही करता। नही। वोह उसे प्यार नही करता। यह पास एक सीधा सा लगाव था। वोह उसके साथ एक ही कमरे में पिछले छह महीनों से रह रही थी। वोह बहुत ही अच्छी लड़की थी। वोह हर किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट ले आती थी अपनी इनोसेंसी से। और वोह इतनी समझदार भी थी की उसके पेरेंट्स भी उससे ज्यादा समझदार नही थे। वोह ऑल राउंडर थी बल्कि उससे भी ज्यादा। और इसका मतलब यह था की कोई भी उसकी मजोदगी से उसका आदि हो जाता था। अभी उसकी फीलिंग्स कोई सीरियस नही थी। तोह उसे अब क्या करना चाहिए? अगर वोह चाहे भी की अमायरा यहीं रहे उसके पास, उसके लिए, उसके घरवालों के पास तोह क्या अमायरा उनके रिश्ते को एक चांस देगी?
*रिश्ता? यह बात कहां से आई? मैं उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता सिवाय उसके जो अभी है उन दोनो के बीच। एक एग्रीमेंट बस। और वैसे भी वोह मुझे तोह इंटरेस्टेड है ही नही। वोह मुझे बस अपना दोस्त समझती है। और कुछ नही। वैसे भी वोह दोनो एक दूसरे के साथ कंपेटिबल नही है। वोह बहुत यंग है। उसे कम से कम मेरी वाइफ तोह नही होना चाहिए*
कबीर बहुत कन्फ्यूज्ड था की उसे अभी क्या करना चाहिए। वोह अमायरा को खुश देखना चाहता यह और साथ ही यह भी नही जानता था की वोह उसे जाने दे पाएगा की नही, अगर ऐसा कुछ हुआ तोह। और फैमिली के बारे में भी तोह सोचना पड़ेगा। अगर वोह उससे कहेगा की अपनी खुशियों के लिए वोह चली जाए तोह क्या वोह फैमिली को दुख पहुंचा कर जायेगी? और अगर वोह उसे नही जाने दे इस लवलैस रिलेशनशिप से, यह जानते हुए भी की उसकी खुशियां कोई और है, तोह किस हक से वोह उसे अपने पास रखे? और क्या खुशियां वोह दे पाएगा? क्या वोह सही है उसे अपने पास रखने से, जबकि वोह उसे कोई भी खुशी नही दे पाएगा, ना ही प्यार, ना ही बच्चे?
*मैं नही कर सकता।*
इन सब चीजों की वजह से कबीर घबरा भी रहा था और साथ ही इरिटेट भी हो रहा था। तोह जब सुबह अमायरा उसके पास कमरे में आई थी उसे ब्रेकफास्ट के लिए ले जाने तोह वोह बिना किसी वजह के उस पर बुरी तरह चिल्ला पड़ा था जिस वजह से अमायरा चुप चाप कमरे से बाहर निकल गई थी। उसके बाद कबीर ऑफिस के लिए निकल गया था और अमायरा अपनी सास के साथ शॉपिंग पर चली गई थी। और अब ऑफिस में बैठे कबीर को बहुत ही बुरा लग रहा था क्योंकि वोह जनता था उसने गलत किया। वोह उससे माफी मांगना चाहता था पर साथ ही साथ वोह यह भी सोच रहा था की इसी बहाने उनके बीच अब एक डिस्टेंस मेंटेन होने लगेगा। वोह उसके बहुत करीब आ गई थी जिसे कबीर आगे बढ़ाना नही चाहता था। इसलिए उसने अपना फोन टेबल के ड्राइवर में डाल दिया और अपनी एक जरूरी मीटिंग के लिए चला गया। जिसकी वजह से वोह सारा दिन बिज़ी रहा और ख्यालों से भी छुटकारा मिल गया।
कुछ घंटे बाद जब कबीर अपने केबिन में वापिस आया तोह उसने अपना फोन चैक किया जिसमे कई सारे मिस्ड कॉल थे उसकी फैमिली से। जिसमे सबसे पहला मिस्ड कॉल था अमायरा को वोह भी बस एक बार। कबीर ने तुरंत अमायरा को कॉल किया लेकिन उसका फोन नॉट रीचेबल जा रहा था। इससे पहले की वोह दूसरे फैमिली मेंबर को फोन लगाता उसकी नज़र एक मैसेज पर पड़ी। वोह एक बैंक ट्रांजेक्शन का मैसेज था। वोह ट्रांजेक्शन जो अमायरा ने किया था। क्योंकि उनका ज्वाइंट अकाउंट था इसलिए कोई भी ट्रांजेक्शन का मैसेज कबीर के इनबॉक्स में भी आता था। कबीर घबराने लगा क्योंकि वोह ट्रांजेक्शन हॉस्पिटल में किया गया था। वोह अमायरा की सलामती की कामना करने लगा और दूसरे नंबर पर फोन लगाने ही वाला था की उसका फोन बज पड़ा। कबीर ने तुरंत फोन उठा लिया।
"आप कहां हो भाई? मैं आपको दुपहर से फोन लगा रहा हूं।" इशान दूसरी तरफ से चिल्लाते हुए बोला।
"क्या अमायरा ठीक है?" कबीर ने घबराहट में पूछा।
"अमायरा? हां। वोह अब ठीक हैं। वोह पहले बहुत घबराई हुई थी लेकिन अब ठीक हैं। एनीवे उनकी मॉम को हार्ट अटैक आया है आज और वोह इस वक्त हॉस्पिटल में हैं। लक्किली भाभी आज ऐसे ही उनसे मिलने चली गई थी और उन्हे मॉम को बेहोश मिली थी। हमने आपकी कई बार फोन किया लेकिन आपने ने उठाया ही नही। इशिता अपनी कांफ्रेंस के लिए मलेशिया गई हुई है इसलिए वोह कल सुबह तक ही आ पाएगी।" इशान ने पूरी बात बताई तोह कबीर को थोड़ी शांति हुई की अमायरा ठीक है।
"थैंक गॉड।"
"क्या? आप क्या कह रहे हो? आंटी हॉस्पिटल में हैं और आप कह रहे हो थैंक गॉड? इशान ने पूछा।
"हां। मेरा मतलब है ओह गॉड। उम्मीद करता हूं की वोह जल्दी ठीक हो जाए। कौनसे हॉस्पिटल में हैं वोह? मैं बस अभी निकल रहा हूं।"
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"भाई यह क्या बात हुई। सबके आपका मजाक बनाने की वजह मत बनो। अंदर तोह आ जाओ। पार्किंग में कार में बैठे रहने का क्या मतलब है?"
"सभी लोग अंदर हैं इशान। मैं वहां क्या करूंगा? अमायरा को बता दो मैं उसका बाहर इंतजार कर रहा हूं जब वोह चलना चाहे आ जाए।" कबीर ने फोन पर इशान से कहा। वोह हॉस्पिटल की पार्किंग में कर खड़ी करके उसमे बैठा था।
"भाई सब क्या सोचेंगे? और भाभी आपके बारे में क्या सोचेंगी अगर आप अभी अंदर नही आए? इशान उसे मनाने की कोशिश कर रहा था।
"वोह समझती है। उसे कहो मैं बाहर ही हूं जब उसे मेरी ज़रूरत हो आ जाए।
"उन्होंने घर चलने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा है की वोह आज रात आंटी के साथ ही रहेंगी।"
"कोई बात नही। मैं बाहर ही इंतजार कर रहा हूं।" कबीर ने सख्ती से जवाब दिया।
"ओके मैं उन्हे मनाने की कोशिश करता हूं की वोह आज रात घर चली जाए। वोह कल सुबह फिर आ सकती है।" इशान ने इतना कह कर फोन कट कर दिया।
कबीर वहीं कार में कुछ देर बैठा हुआ था। वोह थोड़ा डर रहा था और घबरा रहा था अंदर जाने के लिए। उसका मन कह रहा था की अंदर चला जाए, उसका हाथ थाम ले और उससे कहे की उसकी मॉम जल्द ही ठीक हो जाएंगी। उसका मन बस अभी उसे यह समझा रहा था की उसे अंदर जाना चाहिए या नही की तभी उसकी गाड़ी का दरवाज़ा खुला और अमायरा अंदर आके बैठ गई।
"अमायरा, आई... आई एम सॉरी। मैं अंदर नही आ पाया। क्या आंटी को किसी चीज़ की जरूरत है?" कबीर लगातार बड़बड़ करने लगा।
"नही। आपको सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है। आपकी अंदर जरूरत नही थी। जैसे की मेरी।" अमायरा ने बिना किसी भाव के कहा। और कबीर सोच में पड़ गया की अंदर क्या हुआ, अमायरा ने ऐसा क्यों कहा।
"क्या.....क्या आंटी अब ठीक है?"
"पर आप अंदर क्यों नही आए?" अमायरा ने कबीर के सवाल को इग्नोर कर दूसरा सवाल पूछ दिया।
"मुझे लगा इशान तोह पहले से ही अंदर है। अगर आंटी को किसी चीज़ की जरूरत हुई तोह वोह देख लेगा।" कबीर ने बिना अमायरा की आंखों में देखे कहा। क्योंकि इसमें अमायरा बेहतर थी, वोह उसकी आंखों से समझ जाती की कबीर सच बोल रहा है या झूठ।
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