यहां... वहाँ... कहाँ ? - 4 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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यहां... वहाँ... कहाँ ? - 4

अध्याय 4

उस 'रेड अलर्ट क्यूब' उस सेल के अंदर कुल 23 बड़े पुलिस अधिकारी सीधे होकर बैठे हुए थे.... कमिश्नर उपेंद्र धीमी आवाज में बात कर रहे थे। सामने के दो लाइनों में विवेक विष्णु दोनों ध्यान से उनकी बातों को सुन रहे थे।

सुबह के 10:00 बजे।

"इंडिया को घूमने के लिए आए टूरिस्ट लोगों की मोहर लगे नासा के वैज्ञानिक लोग दिल्ली से रवाना होकर अगले दिन सुबह 11:00 बजे चेन्नई एयरपोर्ट आ जाएंगे। उसमें भारत के एक वैज्ञानिक अग्निहोत्री भी होंगे।'

"यह 12 लोग तमिलनाडु टूरिज्म के द्वारा कोल्ड हॉटस्टार होटल चले जाएंगे। वे जैसे ही एयरपोर्ट से उतरे उसी समय ही अपनी सिक्योरिटी दोनों के बचाव के लिए आ जाएंगे। पहले सिक्योरिटी के लिए 5 लोग दूसरी के लिए 5 लोग इस कार्य में लगेंगे।"

"वे कौन-कौन हैं सिक्योरिटी फोर्स ने अनाउंस कर दिया.... उस लिस्ट को मैं अभी पढ़ रहा हूं। पहले रक्षा के लिए विवेक, विष्णु, चौधरी, एंटोनी, बाबू, सीपी। दूसरा बचाव दल: शैलेश कुमार, मोती, गौतम, पैरोस, रवि क्रिस्टोफर।"

'रेड अलर्ट क्यूब' सेल एक असाधारण संस्था है... कमिश्नर उपेंद्र फिर से शुरू हुए।

"नासा से आते समय यह 12 लोग एक अनोखा शोध करने के लिए आ रहे हैं। वह किस तरह का शोध है अभी तक भारत वालों को कुछ भी पता नहीं ऐसा इंडिया के वैज्ञानिकों को कहने की वजह से इससे इंडिया को किसी तरह का नुकसान नहीं है ऐसा उस संस्था के कहने की वजह से ही उससे डरने की कोई जरूरत नहीं।

"नासा के वैज्ञानिकों जो करेंगे वह फिक्स पोषण के नाम से एक अणुशोध जो कारेकुड़ी के अंदर है वहां एक नटराज की शिला का कोई एक संबंध है नासा के वैज्ञानिक अग्निहोत्री ने एक बात बोला है.... यह कहां तक सच है यह मालूम करने के लिए इनका यहां आना, यह एक अच्छा शोध कार्य की शुरूआत है......"

अधिकारी में से एक जना बीच में बोला, ,"सर! आपने एक अच्छा शोध का आरंभ किया है ऐसा बोला। यह एक अच्छी बात के लिए इंडिया में रहने वाले कुछ लोग इस संस्था के विपक्ष में क्यों है?"

कमिश्नर उपेंद्र हंसे। "कोई भी विषय के लिए विपक्ष का आधार होता ही है। अमेरिका के विचार को पसंद ना करने वाले बहुत सी संस्था के लोग भारत में हैं। इसमें संस्था की बाहरी शक्ति से संबंधित हैं। कुछ संस्थाएं विज्ञापन के लिए यह आंदोलन करती है। कुछ भी कैसा भी हो नासा के वैज्ञानिक तमिलनाडु आकर जाने तक यह समाचार बाहर नहीं आना चाहिए।"

अब विवेक बीच में बोला।" सर! यह नासा वैज्ञानिक विषय में मेरा एक विचार है बोलूं क्या?"

"प्लीज....!"

"सर! इस वैज्ञानिक युग में प्रेस, टीवी, मीडिया-पीपल्स को धोखा देना बहुत मुश्किल है। वे कैसे भी सूंघ लेते हैं। अब जो स्थिति है उसमें विपक्ष के लोग जाल फैला रहे हैं। सरकार के विपक्ष में एक छोटी-सी बात हो तो भी उसे बड़ा बनाकर मीडिया के लोग तैयार रहते हैं।"

"ऐसी परिस्थिति में 12 नासा के वैज्ञानिकों को एक जगह से दूसरी जगह कैसे मूव कर सकते हैं?"

कमिश्नर हंसे।

"आपकी फिक्र मैं समझ गया मिस्टर विवेक! उन वैज्ञानिकों को प्रेस, टीवी, मीडिया के नजरों से बचाकर रखने के लिए एक रास्ता है।"

"कौन सा है रास्ता साहब?"

कमिश्नर कुछ क्षण मोहन रहे फिर बात करना शुरू किया।

"उनके बात करते समय विजय का चेहरे पर छोटे-छोटे परिवर्तन नजर आए। उस एसी के कमरे में भी उसके माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगी।