एक मुलाक़ात ऐसी भी Samriti द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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एक मुलाक़ात ऐसी भी

चारों तरफ़ बर्फ़ से ढकी दुकाने थी...उन दुकानो में एक दुकान किताबों की भी थी... जिसका दरवाज़ा हमेशा खुला रहता... और दुकान मे सामने ही एक लड़की हिजाब पहने बैठी दिखायी देती... जो दुकान में आने वाले हर शख़्स को बस एक नज़र देखती और फिर अपनी किताब के पीछे छुप जाती...दुकान हिंदू की थी तो शायद वो वहाँ काम करती थी...
एक लड़का हर रोज वहाँ से गुज़रता और एक पल के लिए वहाँ रुक ही जाता...वो आँखे उसके ज़हन में बस गयी थी... वो कोशिश करता कि शायद वो एक बार और उसे देख ले...पर लड़की हमेशा अपनी किताबों में लगी रहती...ख़ामोशी से हर बार वो वहाँ से चुप चाप आ जाता...लड़के के साथ ऐसा पहली बार हुआ कि किसी से उसे इतना फ़र्क़ पड़ रहा था... आज तक वो बहुत सी लड़कियों से मिला था पर ऐसा कभी ना हुआ कि किसी की एक झलक के लिए उसने इतने चक्कर लगाए हो...
वक़्त यूँ ही गुज़र रहा था...
हर रोज़ की तरह जैसे ही वो उस दुकान की तरफ़ मुड़ने वाला था तभी उसे वो आँखे दिखी...किसी लड़के से बात करते हुए...
उसका मन बेचैन हो गया...
ये लड़का कौन है..???
बेचैनी के साथ उसके मन में बहुत सारे प्रश्न थे...वो छुप कर चुपचाप उसे देख रहा था... लड़की उसके साथ बहुत ख़ुश नज़र आ रही थी...ऐसा पहली बार हुआ था जब उसने लड़की को इतना ख़ुश देखा था...उसे अच्छा तो लगा पर...
थोड़ी देर में वो वापिस दुकान चली गयी तब वो भी अपने घर चला गया...
कमरे में लेटे लेटे लड़की के बारे में सोच ही रहा था कि...तभी बाहर गोलियाँ चलने की आवाज़ें आने लगीं...
आतंकी हमले फिर से शुरू हो गये थे...तभी उसे याद आया कि लड़की वहाँ दुकान पर है...उसके पास कुछ भी सोचने का वक़्त नही था...वो सीधा वहाँ से दुकान की तरफ़ भागा... माँ ने रोकने की कोशिश की पर...तब तक वो वहाँ से चला गया था...
गोलियों की आवाज़ें तेज़ हो गयी थी... जो भी उनके रास्ते में आ रहा था वो उनको मारते जा रहे थे...पर वो उनसे छुपता हुआ दुकान के क़रीब पहुँचा...उसकी साँसे रुक गयी... वहाँ दुकान में आतंकवादी खड़े थे...लड़की और दुकानदार को उन्होंने पकड़ा हुआ था... वो दुकान से सामान लूट रहे थे...लड़की बहुत डरी हुई थी... वो उनसे बचने की कोशिश कर रही थी... जैसे ही उन्होंने सारा सामान लूट लिया वो वहाँ से भाग गये...दुकानदार अपनी दुकान के अंदर चला गया... आतंकवादी भागते भागते लड़की के ऊपर गोली चला गये...इसी बीच लड़का गोली और लड़की के बीच में आ गया...वो वही ज़मीन पर गिर गया... गोली बाज़ू पर लगी थी...पुलिस और अबुंलेंस हर जगह से ज़ख़्मी लोगों को उठा रही थी... उन्होंने लड़के को भी अंबुलेंस में बिठाया... लड़की भी उसके साथ बैठ गयी क्योंकि लड़के की वजह से ही उसकी जान बची थी...
अस्पताल में डाक्टर ने उसकी गोली निकाल कर पट्टी कर दी...
लड़की वही खड़ी सब देख रही थी...डाक्टर के जाने के बाद वो उसके पास गयी...
लड़की- दर्द हो रहा है..???
लड़का- कहाँ..???
लड़की- बाज़ू में...
लड़का- हम्म.......
लड़की- आपको बीच मे नही आना चाहिए था...सब ऐसी जगह से भाग जाते है जब भी ये हमले होते है...
लड़का- तो सबको अपनी जान बचाने का हक़ है...
लड़की- आपने क्यो नही बचायी अपनी जान?? आपको क्या ज़रूरत थी बीच में आने की...
लड़का- बचायी तो है.... आप नही समझोगी...
तभी बाहर अजान की आवाज़ होती है...
लड़का- अजान हो रही है...
लड़की- मैं हिंदू हूँ...
लड़का- फिर ये हिजाब...?????
लड़की कुछ नही कहती और वहाँ से जाने लगती है...
लड़का- रुको...मैं भी चलता हूँ...
अब बाहर बहुत शांति थी...
लड़का उसे दुकान छोड़ कर जाने लगता है...
लड़की- सुनो...
लड़की की आवाज़ सुन कर वो रुक जाता है...
लड़की- तुम जानना चाहते हो ना कि ये दुपट्टा क्यो.....ये हिजाब क्यों...
लड़का- हम्म...
लड़की दुपट्टा हटाने लगती है... लड़का जैसे ही उसकी तरफ़ देखता है उसके होश उड़ जाते है...उस एक पल के लिए उसकी साँसे रुक जाती है...
लड़का- नही.... ये नही हो सकता...
लड़की हसने लगती है...
लड़की- कुछ याद आया...
लड़के को यक़ीन ही नही हो रहा था...
लड़का- आप............
लड़की- हाँ मैं वही हूँ जिसके ऊपर आप और आपका दोस्त तेज़ाब फेंक कर चले गये थे और एक बार भी पीछे मुड़ कर नही देखा था...
लड़का बस उसकी गरदन के जले हुए निशानो को देख रहा था...
लड़के को इतनी तकलीफ़ अपनी बाज़ू में लगी गोली से नही हुई थी जितनी उसके ज़ख़्मों को देख कर हो रही थी...
लड़की- अब आप क्या करेंगे... बाक़ी बचे हुए हिस्से को भी जला देंगे...
वो हँस रही थी जैसे अब उसे किसी चीज़ से फ़र्क़ ही नही पड़ता था...
लड़का- मुझे माफ़ कर दो...
लड़की- माफ़.....क्या आपकी माफ़ी हमारी ज़िंदगी हमें वापिस कर सकती है...???? बताइए.........
लड़का को कुछ भी समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे...
लड़की- ये दुकान हमारी है और मैं वक़्त गुज़ारने के लिए यहाँ आती हूँ... मैंने तुम्हें पहले दिन ही पहचान लिया था पर चुप रही क्योंकि मुझे अब किसी से कोई फ़र्क़ नही पड़ता... और अगर तुम सोचते हो कि जिस भी लड़की को तुम चाहोगे वो तुम्हें मिलनी ही चाहिए तो अब तुम्हारा क्या इरादा है?????
लड़का चुप खड़ा था... शायद उसे अपनी ग़लती का एहसास हो गया था... वो वहाँ से चला गया...
लड़की भी दुकान के अंदर चली गयी...
कुछ समय बाद....
लड़का दरवाज़े पर खड़ा था...
वो धीरे से अंदर आया... उसके साथ उसकी माँ भी थी...
लड़का- क्या तुम मेरे साथ अपनी ज़िंदगी गुज़ारना पसंद करोगी...??
लड़की- मुझे अब तुम्हारी सहानुभूति नही चाहिए... कृपया मुझे अकेला छोड़ दे....
लड़का- मुझे माफ़ कर दो मेने जो भी तुम्हारे साथ किया... मैं अपनी माँ को भी साथ लाया हूँ और इनको मैंने सब कुछ बता दिया है...मैं तुमसे दिल से माफ़ी माँगना चाहता हूँ...
लड़की कुछ नही कहती...
लड़की के पिता- बेटा... भूल जा जो कुछ भी हुआ...अब माफ़ कर दे...
लड़की- हम्म...
कुछ वक़्त के बाद दोनो का विवाह हो जाता है... और ख़ुशी से अपनी ज़िंदगी व्यतीत करते है...

ये तो बस एक कहानी है...क्या असल में ऐसी लड़की की ज़िंदगी ख़ुशहाल होती है...????

-स्मृति