दोपहर के २ बज रहे थे...दरवाज़ा खुला...
- ओ सिया...तुम अकेले ही आयी हो???
वो कॉलेज से घर आयी ही थी कि माँ ने सवाल शुरू कर दिए...पसीने की बूँदे माथे से लुढ़कती हुई ज़मीन पर गिर रही थी...
सिया- माँ... भाई को फोन किया था वो बिजी था तो मैं अकेले आ गयी...
माँ- चल ठीक है... तू कपड़े बदल कर खाना खा ले...
उसे बहुत भूख लगी थी... जल्दी से कपड़े बदल कर खाना लेने रसोई में गयी तो माँ बोली...
माँ- कल कॉलेज नहीं जाना...लड़के वाले तुझे देखने आ रहे है...
सिया ने जैसे ही ये सुना उसकी दिल की धड़कन तेज़ हो गयी थी... अब तो शायद उसकी भूख भी मर गयी थी...
सिया- हम्म ...
माँ अपने कमरे में चली गयी...
शायद ये वक़्त सबके लिए मुश्किल होता है...किसी ऐसे इंसान से मिलना और अपना जीवनसाथी चुनना जिसे आप जानते ही नहीं हो...
सिया को शादी से कोई दिक्कत नहीं थी पर... उसे बस डर था कि पता नहीं वो कैसा होगा...और वो उसे समझेगा या नहीं...
जैसे तैसे सुबह हो गयी...
लड़के वाले १० बजे आने वाले थे...
जैसे जैसे वक़्त पास आता जा रहा था उसकी धड़कने तेज़ होती जा रही थी...
बेल बजीं...
सब खिड़की से लड़के को देख रहे थे पर वो... वो बस ख़ुद को शांत रखने की कोशिश कर रही थी...
माँ- ये चाय ले कर जाओ वहाँ...
उसने ट्रे ले ली...नाज़ुक से क़दमों से वो उस कमरे मे गयी...उसके कांपते हाथो की वजह से ट्रे में रखे कप भी हिल रहे थे...
५ मिनट वो वहा बेठी और फिर सबने उनको अकेले बात करने के लिए दूसरे कमरे में भेज दिया...
कुछ देर तक उन दोनो में से किसी ने कोई बात नहीं की...
अरनव- क्या आप मेरे बारे में कुछ जानती है??
सिया ने ना में सिर हिला दिया...
अरनव- आप पहले शांत हो जाए... मैं यहाँ कोई परीक्षा लेने नहीं आया हूँ...
सिया के चेहरे पर हँसी आ गयी...
अरनव- शुक्र है आप हँसी तो... वेसे जब आप चाय लेकर आयी थी तो मैं तो डर गया कि कही आप मेरे ऊपर ही ना गिरा दे...
सिया शर्माते हुए हसने लगी...
अरनव भी साथ में हसने लगा...
अरनव- आप मुझसे कुछ पूछना चाहती है तो पूछ सकतीं है...
सिया ने ना में सिर हिला दिया...
अरनव- आप इस रिश्ते के लिए तैयार है ना...कोई ज़बरदस्ती तो नहीं है ना???
सिया- नहीं... पर हमें आपको कुछ बताना है...
अरनव- हाँ... आराम से बताओ...
सिया- हमें नहीं पता की हमें ये बताना चाहिए या नहीं...पर फिर भी... हमें लगता है कि आपको सब कुछ पता होना चाहिए...
अरनव- हम्म
सिया- आपसे पहले हमारा एक रिश्ता हुआ था...
अरनव ने सिया को बीच में ही रोक दिया...
अरनव- मुझे बीते हुए कल से कोई मतलब नहीं है...मैं चाहता हूँ कि आप अब की बात करे...क्या अब आपको कोई परेशानी है???
सिया ने ना में सिर हिला दिया...
सिया- क्या सच में आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता???
अरनव- हाँ...सच में मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता...बीता हुआ कल बीत चुका है...उसके आधार पर किसी को भी परखा नहीं जा सकता...
अब सिया की धड़कने कम हो गयी थी...शायद सच में ऐसे लोग होते है जो दिल से अच्छे होते हैं...
अरनव- क्या तुम्हें रिश्ता मंज़ूर है???
सिया ने हाँ में सिर हिलाया...
अरनव और उसके घरवाले जा चुके थे...पर वो अब भी वही बेठी थी और अरनव के बारे में सोच कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी...
-स्मृति