बाल कथाएं - 3 - जितना है उसमें संतुष्ट रहो। Akshika Aggarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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बाल कथाएं - 3 - जितना है उसमें संतुष्ट रहो।

एक समय की बात है। लखनऊ शहर में एक बहोत ही अमीरआदमी अमित मिश्रा रहता था। वो बहोत अमीर था। उसका लाखो करोड़ो रूपये का कारोबार था। उसके पास नोकर चाकर, गाड़ी, बंगला घर बार बीवी बच्चे सब थे। एक माँ भी थी जो उसे हमेशा खुश रहने के लिए कहते थे। क्योंकि उनके पास जो कुछ था वह उसमे हमेशा संतुष्ठ रहते थे पर अमित हमेशा ज्यादा से ज्यादा धन संपत्ति कमाने की होड़ में लगा रहता था। अपने से अमीर आदमी को देखकर उसे हमेशा घृणा ही हुआ करती थी वो भारत का सबसे अमीर आदमी बन ना चाहता था। दिन रात ऑफिस के कामो में और अत्यअधिक धन कमाने के लिए ज्यादा तर वक्त दफ्तर में ही बिताता था। एक दिन उसकी छोटी सी बच्ची निलायशा ने कहा "पापा हम कितने दिनों से बाहर नहीं गए, चलिएआज हम कहीं घूम के आते है। अमित चिढ़ कर बोला -"मेरे पास इन फालतू कामो के लिए वक्त नहीं अच्छा होगा तुम ड्राइवर और अपनी माँ के साथ चली जाओ। अब जाओ मुझे काम करने दो।" बेटी रोते हुये माँ पास गई और बोली"पापा मुझसे कभी प्यार से बात नहीं करते। सब बच्चों के पापा उन्हें घूमाने ले जाते हैं। मेरे पापा नही ले जाते" बेटी को चुप कराते हुए उसकी पत्नी कमला बोली "नहीं बेटा ऐसा नही है। पापा आपसे बहोत प्यार करते है। बस वो बिजी हैं। आज हम दोनों घूमने जाएंगे। और खूब मस्ती करेंगें।" इतना सुनकर बेटी तो मुस्कुराने लगी। पर अंदर ही अंदर अमित का ये रवैये कमला को भी पसंद नहीं था वो भी चाहती थी कि अमित घर मे सबको वक्त दे पर ऐसा नहीं था। वो अमित के पास गई और बोली अमित निलायशा का बहोत मन है तुम उसे पिकनिक ले जाओ तो आज तुम घर जल्दी आजाना फिर हम सब घूमने चलेंगे।" बहू की बात सुनकर उसकी हाँ में हां मिलाते हुए उसकी मां कमरे में आई और उन्होंने भी बोला" बहू सही कह रही है घर मे भी थोड़ा समय दिया करो तब ही घर मे लक्ष्मी जी का वास होता है। घर वाले खुश नहीं रहेंगे तो ऐसी कमाई का क्या काम?" अमित को यह बात अच्छी नहीं लगती और वह बिना कुछ कहे वहाँ से चला जाता है। पर फिर शाम को कुछ ऐसा होता है की उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। उसी शाम को अमित की पत्नी और बच्ची पिकनिक से लौट रहे होते है। कि उनकी कार का एक्सीडेंट हो जाता है।अमित की बीवी तो बच गयी पर निलायशा को गहरी चोट होती है और उसको अस्पताल ले जाया जाता है। वहां उसकी हालत को देख डॉ रमन सिंह बोलते है "बच्ची की हालत गम्भीर है उसे B खून की जरूरत है। तुरंत इंतज़ाम करे। कमला यह सुन कर घबरा गई और अमित को फोन लगाने लगी। पर हमेशा की तरह अमित मीटिंग में बिजी होता है। और फोने नही उठता उधर कमला परेशान हो कर इधर उधर जा कर खून का इंतजाम तो कर लेती है। पर इस बार वो अमित को सबक सिखाने के लिए रात को जब अमित घर आता है तो वो अमित को झूठ बोलती है कि अब वो अपनी बेटी को कभी नही देख पायेगा उसकी बेटी एक्सीडेंट में चल बसी। यह कहकर कमला रोने लगती है। अमित यह बात सुनकर टूट जाता है। उसको वो पल याद आते है जब उसकी बेटी उसके साथ घूमने जाना चाहती थी।वह रोते कहता है।"निलायशा तुम वापिस आजाओ मैं तुम्हे घुमाने ले जाया करूँगा, तुम्हारे साथ खेला करूँगा, अब से सारा वक्त तुम्हारे लिए होगा बस तुम लौट आओ" और रोते हुए वो अपने घुटनों पर बैठ जाता है। इतना सुनते ही उसकी बूढ़ी माँ अंदर आती है और उसको सारा सच बताती है की किस तरह कमला ने भाग दौड़ करके खून का इंतज़ाम किया और निलायशा की जान बचाई। यह सुन कर अमित कमला और उसकी माँ को गले लगा कर बोलता है"आज के बाद मैं पैसों के पीछे नहीं भागूँगा औऱ अब से मेरा सारा समय तुम लोगो का मेरे पास जितना भी है मैं उसमे खुश हूं। कुछ समय बाद निलायशा पूरी तरह ठीक हो कर आ गईतब से अमित अपना ज्यादा समय घर पर बिताने लगा।
हमे इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमे वक्त का कुछ पता नहीं होता इसलिए जितना है उसमें ही परिवार के साथ खुश रहना चाहिए।