The Author Akshika Aggarwal फॉलो Current Read बाल कथाएं - 4 - कभी झूठ मत बोलो By Akshika Aggarwal हिंदी रोमांचक कहानियाँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books अपराध ही अपराध - भाग 24 अध्याय 24 धना के ‘अपार्टमेंट’ के अंदर ड्र... स्वयंवधू - 31 विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश... प्रेम और युद्ध - 5 अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत... Krick और Nakchadi - 2 " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क... Devil I Hate You - 21 जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Akshika Aggarwal द्वारा हिंदी रोमांचक कहानियाँ कुल प्रकरण : 6 शेयर करे बाल कथाएं - 4 - कभी झूठ मत बोलो (1) 3.1k 5.8k 1 एक समय की बात है एक जंगल मे शेरा और भागिरा नाम के दो शेर रहते थे दोनो में गहरी दोस्ती थीपर भागिरा एक बाघ था तो शेरा एक बब्बरशेर तो दोनों की इस दोस्ती से उनके परिवार वाले जलते थे। एक दिन वो दोनो अपने अपने शिकार के लिए एक साथ अपनी गुफाओंसे बाहर निकले। दोनो रासते में जा ही रहे थे कि भागिरा के पैर पर किसी शिकारी ने तीर चला दिया उसका आगे का दाई ना पर पैर चोटिल हो गया। वो ज़ोर से दर्द की वजह से धहारने लगा भागिरा बोला"मेरे पैर में चोट लगी है। मुझे बहोत दर्द हो रहा है।" शेरा ने अपने मुँह से खींच कर भागिरा का तीर निकाला और फ़िर उसका घाव चाटकर साफ करने लगा। तभी शेरा का भाई भीमा वहा आया उसने कहा "भैया जल्दी चलो हमारे पिता पर एक शिकारी ने हमला किया है। हमारे पिता जंगल की नदी में मछलियां पकड रहे थे।" शेरा शेर भागिरा को छोड़कर अपने पिता की जान बचाने नदी पर गया। उसके जाते ही शेरा के भाई ने भागिरा के कान भरने शुरू कर दिए वो बोला ''देखा हमारे भैया आज तुम्हें छोड़ हमारे पिता के पास गए है। असल बात तो यह है कि हमारे भाई तुम्हें बिल्कुल पसंद नही करते बस वो तुम इस जंगल के राजा हो इसलिए तुम्हारे साथ राजा हो इसलिए तुम्हारी तारीफ करते है। सच कहूँतो जंगल का राजा तो हमारे भाई को बनना चाहिए था। पता नही तुम जंगल के सभी जानवर कैसे मेहरबान हो गए"?उसने भागिरा को धुत्कारा। यह सुन के भागिरा दुखी हो कर वहां से अपना घायल पैर लेकर बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया। और वही दूसरी और जब शेरा नदी किनारे पहुँच गया तो उसने देखा कि उसके पिता जी बिल्कुल ठीक है। वो अपने पंजो से मछलियों को पकड़कर खा रहे थे। शेरा बोला "पिताजी आप सही सलामत है भीम तो कह रहा था कि आप पर शिकारी ने हमला किया है।" उसके पिता बोले हो सकता है जरूर उसे कोई गलत फहमी हुई हो या अफवाह फैली हो । मैं बिल्कुल ठीक हूँ।" शेरा बोला "मैं उसे भागिरा के पास छोड़कर आया हूँ। भागिरा घायल था। वह भी चिन्ताकरता होगा। "शेरा झट से वहां से उस जगह पहोंचा जहा भागिरा खड़ा था। वहाँजा कर देखा तो भागिरा वहाँ नही था। उसने अपने भाई से पूछा तो उसने शेरा को भी झूठ बोल दिया। "जब आप यहाँ से गये भागिरा भाई ने मुझे बताया कि वो आपकोअपना दोस्त मान कर वो पछता रहे है। उन्हें अब आपकी जरूरत नहीं है वो कह रहे थे कि वह अब जंगल के राजा है उनको बाकी जानवरों के साथ दोस्ती करना शोभा नही देती। इसलिये वह दोस्ती तोड़कर जा रहे है। "यह सुनकर शेरा भी दुखी हो गया। वह वहां से जा ही रहा था कि कुछ दूर चलने के बाद एक मनुष्य ने शेरा पर जाल बिछा दिया। वह मदद के लिए धहाड ही रहा था कि वहां से भागिरा गुजर रहा था उसने शेरा को देखा तो उसकी सोई हुई दोस्ती फिर से जाग गयी वह वहां जाल को अपने नोकीले नाखूनों से काटने जा ही रहा था के भीम द्वारा बोला गया झूठ जिसे वो सच मान रहा था वो याद आ गया वह वहां से मुड़ कर जाने लगा। कि शेरा बोला "जाओ जाओ!राजा अब तुम हम जैसे सिंह की मदद क्यों करोगे। तुम्हारे घमंड को ठुकरा ता हूँ मैं मुझे भी तुम्हारी मदद नही चाहिये।" यह सुनकर भागिरा भड़क गया वह गुस्से से बोला"मैं घमंडी नहीं हूं बल्कि तुम जैसे सिंह को लगता है राजा तुम्हे होना चाहिये था और तुम मतलबी दोस्त बने फिरते थे। वो तो अच्छा हुआ भीम ने बताया मुझे वरना मैं गलत फहमी में जीता रहता।" ये सुनकर शेरा को आश्चर्य हुआ कि ये भागिरा क्या बोल रहा है? वह बोला "ऐसा नही है दोस्त, भीम ने झूठ बोला है। मैं तुम्हें सच्चा दोस्त मानता हूँ बल्कि उसने मुझे बोला कि तुम मेरे दोस्त नही बने रहना चाहते।" अब भागिराऔर शेरा को भीम की चाल समझ आ गई कि वह इन दोनो को अलग करना चाहता है। भागिरा ने शेरा का जाल काटा, शिकारी को वहां से भगाया और अगले दिन भागिरा ने सभी जानवरों के आगे भीम को बुलाकर जंगल के सभी जानवरों के आगे बेइज़्ज़त करके जँगल से निकाला। इसके बाद शेराऔर भागिरा सच्चेऔर पक्के दोस्त बन कर रहे। और भीम सभी से अलग हो कर दर दर भटकता रहा। इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है झूठ बोलने वाले कहीं के नही रहते। ‹ पिछला प्रकरणबाल कथाएं - 3 - जितना है उसमें संतुष्ट रहो। › अगला प्रकरण बाल कथाएं - 5 - जादुई मछली Download Our App