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नैनी 

अलका प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका थी उसके पति सौरभ सरकारी कार्यालय में कार्यरत थे । उनका चार वर्ष का बेटा था, जो सीनियर के जी में जाता था । दोपहर बारह बजे उनका बेटा निवान स्कूल से वापस आता था। अलका तीन बजे स्कूल से वापस आती थी और सौरभ लगभग शाम को छह बजे तक घर लौट पाता था । लगभग तीन घंटे निवान को नैनी के साथ रहना होता था । नैनी उसका अच्छे से ख़्याल रखती थी । निवान बहुत ही शैतान और चंचल बच्चा था । मां के घर पर ना रहने से वह उस समय काफी मनमानी भी करता और नैनी को भी बेहद परेशान किया करता था । कभी-कभी नैनी भी बेहद परेशान हो जाती थी और झुंझला कर उसे डांट भी देती थी । अलका पांचवी कक्षा की शिक्षिका थी उसकी कक्षा के कुछ बच्चे बड़े ही शैतान थे ।

आज सुबह-सुबह अलका की अपने पति से थोड़ी कहा सुनी हो गई, जो कि पति-पत्नी के बीच आम बात है । सुबह की भागम भाग में अक्सर ऐसा हो जाया करता है । कहा सुनी होने की वजह से अलका को आज विद्यालय पहुंचने में कुछ देर हो गई । आज अलका को प्रिंसिपल की डांट भी सुननी पड़ी । उसके बाद अलका अपनी कक्षा में पहुंची, खाली कक्षा होने की वजह से बच्चे बहुत ही मस्ती कर रहे थे । कक्षा में पहुंचते ही अलका का गुस्सा सातवें आसमान पर था । उसने पूरी कक्षा के बच्चों को ज़ोरदार डांट लगा दी और सबको पांच मिनट खड़ा रहने का आदेश दिया और फ़िर एक-एक कर सभी बच्चों की गृह कार्य की नोट बुक चेक करने लगी। कक्षा के एक दो बच्चे बिना गृह कार्य करे ही आए थे । तब गुस्से में तिलमिलाती अलका ने उन बच्चों को एक-एक चांटा गाल पर लगा दिया और खड़े होकर अपना गृह कार्य पूरा करने के लिए कहा ।

तदुपरांत अलका ने कक्षा में पढ़ाना शुरू किया। आज का दिन अलका का कुछ अच्छा नहीं गया । दोपहर को छुट्टी होते ही वह बस से घर के लिए निकल गई ।

घर पहुंचते ही जैसे ही वह घंटी बजाने के लिए बटन पर हाथ ले गई, उसे नैनी की आवाज़ सुनाई दी । उस वक्त नैनी निवान को डांट रही थी । अलका ने आगे पीछे कुछ नहीं पूछा और अंदर आकर नैनी को बहुत भला बुरा कहने लगी । अलका ने यह तक पूछने की कोशिश नहीं करी कि आख़िर हुआ क्या था । सीधे अलका ने नैनी को कह दिया, "तुम्हें निवान को संभालने के लिए रखा है, डांटने के लिए नहीं । तुम चली जाओ कल से काम पर मत आना"

नैनी दंग होकर अलका को देख रही थी । नैनी बच्चे की देख रेख बहुत अच्छे से करती थी । उस समय निवान बहुत ही शैतानी कर रहा था । चीजें उठाकर इधर उधर फेंक रहा था। तभी उसके हाथ से स्टील का एक चम्मच टीवी पर जा लगा था इसीलिए नैनी ने उसे डांट दिया था ।

नैनी ने सारी बात अलका को बताई । कमरे में फैली हुई वस्तुएं देखकर अलका थोड़ी सी तनाव ग्रस्त हो गई और सोचने लगी कि रोज़ नैनी निवान को संभालने के उपरांत कभी उसकी शिकायत नहीं करती । हर रोज़ घर के सभी कमरे उसे व्यवस्थित ही मिलते हैं । लेकिन निवान तो हर रोज़ ही इतनी मस्ती करता होगा ।

अलका को बीच में टोकते हुए नैनी ने कहा, "मैडम मैं तो निवान को बहुत अच्छे से ही रखती हूं । बच्चा है शैतानी भी करता है पर कभी-कभी अचानक ही आवाज़ थोड़ी ऊंची हो जाती है । मुझे माफ़ करना मैडम।"

फ़िर नैनी जाने लगी लेकिन जाते-जाते उसने अलका से एक प्रश्न कर ही लिया, "अलका मैडम, आप तो इतने बच्चों को पढ़ाते हैं । क्या आपने बच्चों को कभी भी नहीं डांटा?"

नैनी के प्रश्न का उत्तर तो अलका ना दे पाई लेकिन हाथ पकड़ कर नैनी को रोक जरूर लिया क्योंकि अलका भी जानती थी कि सरला जितनी अच्छी नैनी उन्हें निवान के लिए नहीं मिलेगी।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

स्वरचित और मौलिक

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