ग्यारह अमावस - 55 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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ग्यारह अमावस - 55



(55)

एसीपी मंदार पात्रा ने देखा कि सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे अभी भी बैठा है। वह किसी दुविधा में लग रहा था। उन्हें लगा कि उसके मन में कुछ और भी है। उन्होंने कुछ क्षण उसके बोलने का इंतज़ार किया। लेकिन जब वह कुछ नहीं बोला तो उन्होंने पूछा,
"कोई मदद चाहिए ?"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"कुछ और बातें हैं जिनके बारे में आपसे चर्चा करना है।"
एसीपी मंदार पात्रा ने उसे घूरकर देखा। उन्होंने कहा,
"अब चर्चा के लायक क्या बचा है ?"
"सर एसपी गुरुनूर कौर की हत्या के बारे में बात करनी है।"
एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,
"इस संबंध में भी कोई नई बात आई है तुम्हारे दिमाग में।"
एसीपी मंदार पात्रा ने जिस तरह यह बात कही थी वो दर्शा रहा था कि उन्हें उसका यह बात छेड़ना अच्छा नहीं लगा है। लेकिन वह जानता था कि बिना अपनी बात कहे काम नहीं चलेगा। उसने कहा,
"सर वो लाश एसपी गुरुनूर कौर की नहीं हो सकती है। एसपी मैडम इतनी कमज़ोर नहीं हैं कि कोई उनका गला रेतकर उन्हें इस तरह मार दे।"
एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,
"लगता है तुम पुलिस की नौकरी का प्रेशर झेल नहीं पा रहे हो। इस केस का तुम्हारे दिमाग पर असर पड़ा है। बहुत अधिक सोच रहे हो। अब यह नया शिगूफा छोड़ रहे हो।"
इस बार सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे खुद को काबू में नहीं रख पाया। उसने तेज़ स्वर में कहा,
"सर ये कोई शिगूफा नहीं है। मैंने पहले भी तर्क के साथ अपनी बात रखी थी। अभी भी अपनी बात को तर्क से साबित कर सकता हूँ।"
गुस्से में सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ऊँचे स्वर में बोल तो गया पर फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने धीरे से कहा,
"माफ कीजिएगा सर....पर मैं बिना आधार इस बार भी कुछ नहीं कह रहा हूँ।"
एसीपी मंदार पात्रा को उसका इस तरह बोलना अच्छा नहीं लगा था। लेकिन वह भी तर्क करना चाहते थे। उन्होंने कहा,
"जो लाश मिली है उस पर पुलिस की वर्दी है। नाम का बैज है जिस पर साफ साफ एसपी गुरुनूर कौर लिखा है। अब यहाँ किसी तरह के शक की गुंजाइश कहाँ है। मानता हूँ कि एसपी गुरुनूर कौर एक काबिल ऑफिसर थी। पर इसका मतलब यह नहीं है कि उसे मारा ना जा सके।"
"सर आपने सब सही कहा है। वर्दी पर नाम का बैज यही कहता है कि लाश एसपी मैडम की है। कद काठी भी मिलती जुलती है। पर जब पहचान के लिए इतना कुछ था तो चेहरा कुचला क्यों गया था ?"
यह कहकर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने एसीपी मंदार पात्रा की तरफ देखा। उसके इस तर्क में दम था। एसीपी मंदार पात्रा सोच में पड़ गए। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"सर.... अगर लाश एसपी मैडम की होती तो चेहरा बिगाड़ने की ज़रूरत ना होती। असलियत यह है कि एसपी मैडम की कद काठी से मिलती जुलती लाश को उनकी वर्दी पहनाई गई है।‌ हमें गुमराह करने के लिए। चेहरा कुचल दिया गया ताकि हम इसे ही सच मान लें। अपराधी ने हमें अपने हिसाब से सच दिखाने की कोशिश की है।"
एसीपी मंदार पात्रा अभी भी चुप थे। वह गंभीरता से इंस्पेक्टर आकाश दुबे की बात पर विचार कर रहे थे। उन्हें चुप देखकर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"सर मैं शर्मिंदा हूँ कि मैंने ऊँची आवाज़ में बात की। लेकिन मेरा यकीन मानिए। मेरा इरादा केवल सच सामने लाने का है।"
एसीपी मंदार पात्रा ने उसकी तरफ देखकर कहा,
"तुमने सीनियर ऑफिसर के साथ पेश आने का अनुशासन तोड़ा है। पर जो कुछ तुमने कहा उसके बाद मैं तुम्हारी मनःस्थिति समझ सकता हूँ। जो तर्क तुमने दिया वो विचार करने लायक है। लेकिन सिर्फ इस आधार पर हम यह नहीं कह सकते हैं कि लाश एसपी गुरुनूर कौर की नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा कुछ सामने नहीं आया है।"
"सर डीएनए टेस्ट एक रास्ता है। एसपी मैडम के पिता जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर उनकी लाश लेने के लिए खुद आ रहे हैं। हम एक बार उनसे बात करके देखते हैं।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने अपनी सलाह दी। एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,
"एक आदमी जो अपनी बेटी की लाश लेने आ रहा है उसे इस तरह परेशान करना क्या ठीक होगा।"
"सर...एक बाप के लिए यह उम्मीद कि उसकी बेटी जीवित हो सकती है खुशी देने वाली होगी।"
"अगर रिपोर्ट के हिसाब से लाश एसपी गुरुनूर कौर की ही हुई तो ?"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कुछ सोचकर कहा,
"सर... मुझे पूरा विश्वास है कि लाश एसपी मैडम की नहीं है। लेकिन अगर मैं गलत भी हुआ तो हम यह सब सिर्फ सच जानने के लिए कर रहे हैं। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंँचाने के लिए नहीं। जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर फौजी रहे हैं। उन्हें समझाया जा सकता है।"
एसीपी मंदार पात्रा एक बार फिर कुछ सोचकर बोले,
"डीएनए टेस्ट में कुछ समय लगेगा। तब तक हमें लाश को रोककर रखना होगा। हम इसका क्या जवाब देंगे।"
"सर क्यों ना हम एक बार जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर से बात कर लें।"
एसीपी मंदार पात्रा उसकी सलाह पर विचार कर रहे थे तभी उन्हें सूचना मिली कि जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर उनसे मिलने आए हैं। यह एक अच्छा संयोग था। एसीपी मंदार पात्रा ने उन्हें अंदर भेजने के लिए कहा। कुछ ही देर में जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर अंदर आ गए। एसीपी मंदार पात्रा और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने उनका यथोचित स्वागत किया। जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर का व्यक्तित्व प्रभावशाली था। उनके चेहरे पर अपने व्यक्तिगत दुख की झलक देखी जा सकती थी। एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,
"मुझे बहुत अफसोस है कि हम एसपी गुरुनूर कौर को बचा नहीं पाए।"
जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने गंभीरता से कहा,
"पात्रा साहब हमारा खानदान फोर्स में रहकर देश की सेवा करता रहा है। गुरुनूर ने भी इसी उद्देश्य से पुलिस फोर्स ज्वाइन की थी। अपने फर्ज़ को निभाते हुए उसने बलिदान दिया यह बाप के लिए दुख तो है पर फौज के रिटायर्ड जनरल के लिए फख्र की बात है।"
कहते हुए उनकी आँखें नम हो गईं। पर एक फौजी होने के नाते उन्होंने फौरन अपने आप को नियंत्रित कर लिया। उन्होंने कहा,
"गुरुनूर बहुत बहादुर थी। हार मानना उसने नहीं सीखा था। मारे जाने से पहले उसने लड़ाई ज़रूर लड़ी होगी। पर मन ना जाने क्यों यह मानने को तैयार नहीं है कि मेरी बेटी इस तरह मारी गई।"
जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने वही बात कही थी जो सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के मन में थी। उसने एसीपी मंदार पात्रा की तरफ देखा। उन्होंने इशारे से उसे अपनी बात कहने के लिए कहा। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे बोला,
"जनरल साहब मैं एसपी मैडम के साथ इस केस पर काम कर रहा था। मैंने उन्हें नज़दीक से जाना था। सचमुच एसपी मैडम हार मानने वाली नहीं थीं। इसलिए मेरे लिए भी यकीन कर पाना कठिन हो रहा है कि एसपी मैडम अब हमारे साथ नहीं हैं। उनकी हत्या कर दी गई है।"
जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने उसकी बात पर सहमति जताते हुए कहा,
"हांँ..... लेकिन सच्चाई तो यही है कि अब वह हमारे साथ नहीं है।"
यह कहते हुए एक बार वह फिर भावुक हो गए। इस बार पिता का पलड़ा भारी था। उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे। एसीपी मंदार पात्रा उठकर उनके पास गए और उन्हें सांत्वना दी। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे भी उनके पास आ गया। उसने कहा,
"जनरल साहब मुझे यकीन है कि एसपी मैडम अभी भी ज़िंदा हैं।"
यह सुनकर जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने उन्हें वो सब बता दिया जो उसने एसीपी मंदार पात्रा से कहा था। सब सुनने के बाद जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने कहा,
"तुमने जो तर्क दिए हैं वो मेरे विश्वास को मजबूत कर रहे हैं कि मेरी बेटी अभी जीवित है।"
एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,
"जनरल भुल्लर क्या आप डीएनए टेस्ट के लिए तैयार हैं ?"

यह सुनकर जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर अचानक परेशान हो गए। एसीपी मंदार पात्रा और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे समझ नहीं पा रहे थे कि बात क्या है। अपनी बेटी के जीवित होने की उम्मीद से उनके चेहरे पर चमक आ गई थी। लेकिन डीएनए टेस्ट की बात सुनकर वो परेशान लग रहे थे। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"सर.... डीएनए टेस्ट साबित कर देगा कि जंगल में मिली लाश आपकी बेटी की नहीं है।"
जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने उसकी तरफ देखकर कहा,
"डीएनए टेस्ट यह तो साबित कर देगा कि मेरे डीएनए से लाश का डीएनए मैच नहीं करता है। फिर भी यह साबित नहीं होगा कि लाश मेरी बेटी की नहीं है।"
यह बात और अधिक चौंकाने वाली थी। एसीपी मंदार पात्रा और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे आश्चर्य से उनकी तरफ देखने लगे। उन्होंने कहा,
"मैं और मेरी पत्नी गुरुनूर के माता पिता तो हैं पर जन्म देने वाले नहीं हैं। हमने एक अनाथालय से उसे गोद लिया था। तब वह बस कुछ ही महीनों की थी। हालांकि हमने समझदार होने पर गुरुनूर को सारी बात बता दी थी।"
जो सच सामने आया था वह चौंकाने वाला था। अब डीएनए टेस्ट कुछ साबित नहीं कर सकता था। एसीपी मंदार पात्रा और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे परेशान हो गए। जनरल कुलदीप सिंह भुल्लर ने कहा,
"डीएनए टेस्ट कुछ साबित नहीं कर सकता है। पर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के तर्क ने मेरे मन में विश्वास पैदा कर दिया है कि गुरुनूर अभी ज़िंदा है।"
उन्होंने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे से कहा,
"तुम मेरे और अपने विश्वास के सहारे आगे बढ़ो और सच सामने ले आओ।"
यह सुनकर एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,
"आकाश मैं तुम्हें पूरी मदद करने को तैयार हूँ। अब असली गुनहगार को सामने लेकर आओ। बहुत समय नहीं है। जितनी जल्दी हो सके यह काम करो।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे उत्साह से भर गया था। उसने अब किसी भी कीमत पर सच सामने लाने का संकल्प किया।