सुकून है मेरी मां Sangeeta Choudhary द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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सुकून है मेरी मां

Man tu Hi tu khwab hai...
tu Hi tu himmat Meri...

मां तू ही तो रब है ...

मैं तू ही तो जान है...
मां तू ही तो जहान है...

मां तू ही तो मेरी जन्नत है...
मां तू ही तो मेरी मन्नत है...

मां तू ही तो मेरी आन है...
मां तू ही तो मेरी शान है...
मां तू ही मेरा गान है...

मां tuj से ही है पहचान मेरी.....
मां तुझ से ही है दिन की शरूआत मेरी....



मां तुम बिन जैसे मै...
जल बिन मछली....

मां तुम बिन ऐसे मै ...
दिया बिन बाती.....


LOVE U "MAA" ❣️❤️
👸👰👸
मां वो सितारा है
जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है,
जो मां को नहीं पूछते वो...
जिंदगी भर जन्नत को तरसता है।

ना आसमां होता ना जमीं होती,
अगर मां तुम ना होती

इतनी ताकत कहां है... मेरी कलम में ...
की में "मां" के बारे में लिख सकूं ...
फिर भी...
कोशिश है मेरी..

कुछ शब्द "मां" के नाम


खुली किताब के सफेद पेपर सा मन है जिसका
वह नाम है मां...
हमारे हर सुख दुख में जो हमें हिम्मत दे...

विश्वास दिलाती...
और कभी न हार मानने.... की मिसाल पेश करें
वह नाम है मां...
सुबह-सुबह जो हमें सबसे पहले उठाती हुई और पूरे दिन के कामों की लिस्ट बनाते हुए नजर आए..
वह है मां...
जो खुद भूखी रहकर भी अपनों के लिए खाना बचा है और पूछने पर यह कहे - "कि मेरा पेट भर गया है।"
वह है मां...
जिसे हर पल अपने बच्चों की चिंता सताये
वह है मां...
बच्चों को चोट लगने पर जो खुद रो पड़े
वह है मां...
रात भर जाग कर अपने बच्चों को सर्दी से बचाये
और गर्मी में पंखा उनकी तरफ करें
वह है मां...
जो पैसे नहीं होने पर भी अपने बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी करें वह है मां...
जो अपने परिवार को ही अपनी दुनिया माने को है
वह है मां
मां नाम ही काफी है हिम्मत बढ़ाने के लिए
बाकी सब तो फर्जी है।
Love you so much Muma
😘😘😘

मेरी प्यारी मां...
मैं आपकी लाडली
बेटी की पुकार

पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही,
जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां

आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा

खामोशी मेरी जुबान को सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भर दिया


अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा

वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी

ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था

पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था

लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है

चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए

जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी

जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी

अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को

खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे