गरीब और न्याय NEELKAMAL GAUTAM द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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गरीब और न्याय

बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था पास के ही जानने वालो ने एक अपने मिलने वाले वकील का नंबर दिया था कोर्ट का पहला दिन था मन मै अलग अलग विचार थे कोई नही दिन बहुत अच्छा बीता
शाम को घर आ गए
अगले दिन सुबह नहा कर नाश्ता कर के कोर्ट पहुंच गए मेरे सीनियर वकील साहब बोले बेटा कमरा नंबर 2 से तारीख लगवा कर आओ मैं कहा ठीक है सर मैने देखा कि वहा बैठे पेशकार टेबल के नीचे से कुछ लेन देन कर रहे है मैने बाहर निकल कर इस आदमी से पूछा जिस की तारीख की ये क्या था वो बोला कुछ नहीं उनकी फीस होती है मैने सोचा होती होगी और हम चैंबर मै आ गए
वकील साहब लगवा दी तारीख
मैने कहा जी...
वकील साहब कोई परेशानी तो नहीं आई मैने कहा नही पर टेबल के नीचे से फीस ये समझ नही आया
वकील साहब समय लगेगा सब समझ जाओगे
वकील साहब बोले चलो
कोर्ट मै बहस दिखाते कैसी होती है मैने कहा ठीक चलो जिस कोर्ट मै गए थे वहा वकील साहब को सरकारी वकील बना रखा था तो मैंने देखा एक गरीब दुजुर्ग महिला और उसके साथ उसकी लड़की और उसका लड़का उन्हों की हालत बिल्कुल कमजोर सी आंखों मै पानी उसे देख मेरी आंखों मै पानी सा आ गया जज साहब से बहस मै वकील साहब बोले सर 4 साल से जेल मै है
जज साहब तो बैल कराओ
वकील साहब सर जमानती नही है इनके पास इनके अपने रिश्तेदार राजस्थान मै रहते है पर कोई आने को राजी नहीं है
इतना सुनकर अगली तारीख लगा कर अगले मुकदमे का नाम बोल दिया गया बाहर निकल मैने पूछा सर ये क्या था और इन्हों की बैल क्यों नही हो रही है
वकील साहब ने बताया की ये यही पर चाय बेचा करती थी
मैने पूछा फिर ये जेल मै क्यों
वकील साहब इन्हे किसी ने झूठे मुकदमे में फशाया गया है
फिर ये बहार कैसे आयेंगे वकील साहब बेटा अभी नए हो सिख जाओगे
मैने फिर पूछा वकील साहब ने जवाब दिया न्याय पैसों से मिलता है ना की मुफ्त मै
मैने कहा ऐसा क्यों वकील साहब किसी भी अपराध को करने के बाद गलत हो या सही बैल यानी की जमानत करनी पड़ती है जब तक जमानती नही होंगे जमानत नही होगी
मैने कहा ये तो गलत है हमारे कानून मै
वकील साहब नही ये कानून की गलती नही है ये समाज की नीति और हमारी सरकारों की नीतियों की गलती है
मैने कहा वो कैसे वकील साहब क्या आप यहा समाज सेवा करने आए हो क्या मैने कहा नही पैसा कमाने फिर मैने।कहा इसका मतलब ये तो नही हुआ इंसानियत भूल जाओ वाले हा बिलकुल नहीं भूलना चाहिए
मैने कहा सर मै अपने जीवन मै किसी भी गरीब को नही दुख नही पहुंचाऊंगा और गरीबों का मुफ्त मै मुकदमा लडूंगा
सर बोले बेटा कहना आसान है मगर करना बहुत कठिन है
मैने कुछ जबान नही दिया क्यों की अभी समय बहुत है