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मै एक वकील हूं

मेरा सपना था एक वकील बनने का कुछ समाज के लिए करने का कुछ समय बाद मैंने प्रवेश ले लिया और तीन साल मै मैंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर बहुत खुश हुआ और सोचने लगा अब तो में घर और समाज के लिए बहुत कुछ करूंगा मेरा कोर्ट का पहला दिन मैंने देखा एक बुढ़िया जिसकी उम्र लगभग 60 वर्ष होगी और उसके साथ एक लड़की और एक उसका लड़का जो की पिछले 5 वर्षो से जेल मै परन्त उस गरीब परिवार की कोई भी वकील व अन्य सामाजिक संगठन उनकी जानत करवाने को राजी नहीं है जब की सभी जानते है की ये परिवार निर्दोश है मैने अपने सीनियर से पता करा क्या इन विचारों की जानत नही हो सकती है, वकील साहब , वकील साहब बोले सिख जाओगे परन्त मेरी बात का किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दिया अगले दिन समय से मै कोर्ट पहुंच गया मैंने देखा की मेरे सीनियर वकील साहब किसी महान व्यक्ति की बैल करा रहे जिसने अपनी पत्नी को घर से भगा दिया उसका बच्चा की पेट मै ही मार दिया परंतु उस व्यक्ति की बहार से बाहर जमानत करा दी मैंने पूछा ये कैसे वकील साहब बोले पैसा बोलता है पैसा कुछ भी करा सकता है फिर मैं बोला इसका मतलब तो कानून बेकार है ये तो सिर्फ कुछ पूंजीपतियों के हाथ की कट पुतली बन कर रह गया है वकील साहब बोले नही तो मैं बोला फिर हम वकीलों ने कानून को पूंजीपतियों के हाथ की कट पुतली बना दिया है हम सब वकील पैसे के पीछे ही भागते जा रहे हैं नाही इंसानियत बची है और ना ही देश के प्रति प्यार व आम जनता के प्रति स्नेह की भावना सिर्फ और सिर्फ पैसा और पैसा

जब मैंने ये सब सूना तो मुझे दुःख हुआ और लगा वकालत से अच्छा तो मैं एक प्राइवेट नौकरी कर अपना जीवन यापन कर लूंगा

कुछ देर बाद मैं घर को और चल दिया तभी मुझे अचानक मेरे दोस्त का फोन आया

मैंने पूछा क्या हाल है उधर से आवाज आई मै दीपक की पत्नी बात कर रही हूं

मै पूछा बताओ क्या हुआ कैसे कॉल किया अपने तो बोली दीपक को पुलिस ले गई है फिर मैं बोला कहा पर

उधर से जवाब मिला थाने मैंने पूछा क्यों लड़ाई हो गई थी पड़ोस मै मम्मी जी की तो उन्होंने उन्हों का भी नाम लिखवा दिया

मै बोला कोई बात नही मै आ रहा हूं मैं थाने गया तो पता चला की कोर्ट ले गए है मै वहा से कोर्ट गया तो देखा वही दो पुलिस वाले साइड मै लेकर बैठे है मै पास गया तो देखा कूच डरा हुआ सा बैठा था मैं बोला क्या हुआ दीपक बोला भाई कैसे ही बचा लो चाहे पैसा कितना भी लग जाए

मै बोला कोई नही कोशिश करते है और कूच देर बाद जज साहब आ गए और मैंने उसके जमानत के कागज पैस करे और दीपक की जमानत हो गई

और उसके बाद दीपक की हाथ की हथकड़ी खोली दी और दीपक बोला चलो घर और दीपक के पापा बोले बेटा धन्यवाद मै बोला कोई नही अंकल जी उसके कुछ मिनट रुख कर बोले बेटा क्या सहायता की जाए मै बोला कुछ नहीं ये तो घर की बात है पर उसके बाद भी अंकल जी ने मुझे जेब से पैसे निकाले जोकि तीन हजार थे बोले बेटा रख लो ......

एक बार मेरे मन मै भी आया रख लू पर तभी मेरे मन मै आया यदि मैं भी इसी प्रकार से इतने अधिक पैसे लूंगा तो उन वकीलों और आने वाले पीढ़ी के वकीलों मै क्या अंतर रह जायेगा

मैंने अंकल से कहा ठीक है अंकल जी आप मुझे इन पैसों मै से आप मुझे 500 रुपए दे दो और अंकल ने मुझे से कहा बेटा इतना कम मैंने कहा अंकल जी ये कम नही है एक मजदूर की दहाड़ी से अधिक है यदि अब की जनरेशन भी पुराने जनरेशके वकीलों के द्वारा सिर्फ और सिर्फ पैसे के पिछे भागेगी तो इस देश व समाज से कानून व न्याय से आम जनता का बिस्वास खतम हो जायेगा जोकि देश के घातक होगा और इतना कह कर हम सभी अपने अपने घर की ओर चल दिए

अच्छा अंकलजी नमस्ते "अंकलजी नमस्ते बेटा

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