नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 33 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 33

उन दोनो को दस दिन लग गए थे एक साथ एक वक्त पर फ्री होने में, जब उन्होंने अपनी डेट फाइनल की। सबिता अपने अंदर की जिज्ञासा और अपेक्षा कम कर रही थी जैसे जैसे समय नजदीक आ रहा था डेट का। हालांकि जैसा दूसरी लड़कियां करती हैं सबिता ने अपने किए कोई फैंसी या सेक्सी ड्रेस नही सिलेक्ट की थी डेट के लिए। वोह जानती थी की वोह आसानी से ऑर्डर कर सकती है, पर उसने फैसला किया की वोह वोही पहनेगी जिसमे वोह ज्यादा कंफर्टेबल महसूस करती है।

सबिता देव को देख कर बहुत खुश हुई थी जब वोह उसे कॉटेज से पिक करने आया था अपनी स्पोर्ट्स कार में, क्योंकि उसने जींस और टी शर्ट पहना हुआ था। वोह बिलकुल अलग लग रहा था। सबिता ने ज्यादा तर उसे फॉर्मल वियर में ही देखा था। हालांकि वोह फॉर्मल वियर और इनफॉर्मल वियर दोनो में ही स्मार्ट लगता था।

"मुझे इस तरह से घूरना बंद करो नही तोह हम डेट पर जाने के लिए लेट हो जायेंगे।" देव ने चेतावनी वाली हसीं हस्ते हुए कहा। फिर उसने सबिता को अपनी स्पोर्ट्स कार में बिठाया और गाड़ी शहर के लिए मोड़ दी।

तकरीबन दो घंटे बाद गाड़ी रुकी। देव ने सबिता का हाथ पकड़ा और उसे एक बिल्डिंग की तरफ ले जाने लगा। सबिता को यही लग रहा था की देव यहां शो दिखाने लाया है लेकिन वोह यहां ऐसी जगह पहले कभी भी नही आई थी।

"तुम मुझे डेट पर यहां जिम में लाए हो?" सबिता ने आश्चर्य से पूछा।

"सिर्फ जिम नही है, फाइट क्लब है।" देव ने जवाब दिया। देव मुस्कुरा रहा था और खुश भी था।

सबिता भी मुस्कुराई। "तुम अपने बट्ट पर फिर से लात खाना चाहते हो वोह भी सबके सामने, सिंघम?"

देव ज़ोर ज़ोर से हसने लगा। "हां! मुझसे बिल्कुल भी इंतजार नही हो रहा है जब मैं तुम्हे सबके सामने लाऊंगा। खास कर तुम्हारे मूव्स।"

सबिता का हाथ अपने हाथों में लिए देव अंदर चला गया। वहां जीतने भी लोग थे वोह सभी देव को जानते थे लेकिन सबिता को देख कर सभी थोड़े हैरान और जिज्ञासु हो गए।

देव ने सबिता के हाथ पर एक पैकेट रखा। "हम्मम! तोह यह सिर्फ मर्दों का ही फाइट क्लब है। यहां कोई वूमेन चेंजिंग रूम नही है। तोह तुम अंदर चेंज करो और मैं बाहर निगरानी करता हूं।"

देव के जाने के बाद सबिता ने वोह पैकेट खोला, तो उसमे एक टैंक टॉप और टाइट्स था। बिलकुल वैसा ही जैसा उनकी आखरी प्रैक्टिस के दौरान उसने पहना था। सबिता चेंज करके बाहर आई।

"डैममिट!" देव जानबूझ कर चिल्लाते हुए बोला। "मुझसे गलती हो गई। मुझे तुम्हारे लिए लूज स्वैट शर्ट और लूज ट्रैक पैंट्स लाना चाहिए था। पिछली बार फाइट के दौरान मैं तुम्हे घूरने में बिजी था और तुमने ज़ोर दार लात मार कर मेरी कमर ही तोड़ दी थी।

"पता है मुझे।" सबिता ने रहस्यमई मुस्कान के साथ कहा। "इसलिए तोह मैने कपड़े देखते ही तुरंत पहन लिए।"

देव ज़ोर से खिल खिला कर हस पड़ा। "तुम बहुत चालाक हो, प्रजापति।"

सबिता मुस्कुराई। "मैं बहुत ही गंदा खेलती हूं और ज्यादा तर अपनी शर्तों पर ही लड़ती हूं।" सबिता ने अपनी नज़रे देव के शरीर पर नीचे से ऊपर घुमाते हुए कहा। "तुम काफी विचलित लग रहे हो, सिंघम।"
देव ने सिर्फ जिम शॉर्ट्स पहना हुआ था और ऊपर कुछ नही पहना था।

"चलो, अपने सभी फाइटिंग मूव्स दिखाओ।" सबिता को अपने साथ चेंजिंग रूम से बाहर ले जाते हुआ देव ने कहा।

एक अजीब सी खुशी सबिता को महसूस हो रही थी जब वोह देव के साथ फाइटिंग रिंग में पहुंची जहां उनके लिए उसे खाली करा दिया गया था।

तकरीबन एक घंटे से भी ज्यादा देर तक वोह दोनो रिंग में रहें। सबिता को बहुत खुशी हो रही थी की देव ने उसे अपने पीछे नहीं रखा। उसे अपने साथ अपनी सभी चीजों में शामिल किया। जब भी देव फाइट में सबिता पर हावी होता तोह वोह उसे समझाने लगता की अलग अलग एंगल से कैसे लड़ा जाता है।

सबिता सब गौर से देख रही थी और उससे इंप्रेस हो रही थी। उसे ऐसा महसूस होने लगा था की देव सिर्फ उससे संभोग करने में ही सक्षम नहीं है बल्कि उसका दिल जीतने में भी सक्षम है। लेकिन, ऑफ कोर्स, अगर यह फाइट फेयर होती तोह। पहले भी सिंघम एस्टेट में जब दोनो के बीच फाइट हुई थी तो सबिता ने ज्यादा चोट लग जाने का नाटक किया था ताकी देव को उल्लू बना सके और उसके चंगुल से भाग जाए। और उसके बाद उसको चकमा दे कर अपने पैरो से उसका गला दबाने की कोशिश की थी।

देव उसके साथ लगातार मुक्के बाज़ी करता रहा। और जल्द ही दोनो थक गए और पसीने से लतपत हो गए।

जैसे ही वोह राउंड खतम हुआ देव रुक गया। फिर धीरे से सबिता को अपनी तरफ खीच कर देव ने सबिता के गाल पर प्यार से किस किया बिना इसकी परवाह किए की यहां कई लोग हैं और उन्हें देख रहें हैं।
"क्या तुम तैयार हो हमारी डेट के अगले भाग की तरफ जाने के लिए? देव ने पूछा।

सबिता ने बस सिर हिला दिया। देव ने उसे अपने और करीब किया और उसे शावर एरिया की तरफ ले जाने लगा। सबिता ने देखा देव उन लोगों पर अपनी आंखें छोटी करके और एक भौंहे चढ़ा कर घूर कर चिल्ला रहा है जो लोग उन्हें घूर रहे थे।

"मुझे इस बात का बिलकुल भी अंदाज़ा नही था।" थोड़ी देर बाद देव ने कहा।

"किस बात का? सबिता ने पूछा।

"यह कैसे किसी भी आदमी को इतना इफेक्ट कर सकता है। मैं उन बेचारों को ब्लेम नही कर रहा हूं, लेकिन मैं खुश भी नही हूं।"

"तुम किस बारे में बात कर रहे हो, सिंघम?"

"एक हॉट लड़की जिसे फाइट करना पसंद है..... वोह सब तुम्हे देख कर अपनी लार टपका रहे थे, बेवकूफ कहीं के।" देव ने गरजते हुए कहा।

सबिता देव के भोलेपन को देख कर हसने लगी।

****

एक घंटे बाद, सबिता एक आलीशान से रेस्टोरेंट में बैठी हुई थी और देव उसके सामने, उस जगह के हिसाब से ड्रेस्ड किया हुआ, बैठा था।

"मैने इस जगह के हिसाब से कपड़े नही पहने।" सबिता ने धीरे से दूसरी औरतों की तरफ देखते हुए कहा।

"इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की तुमने कैसी ड्रेस पहनी है। तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। तुम्हे माहौल के हिसाब से कपड़े पहने हो या ना पहनें हो खास कर जब बिलकुल कुछ भी नही पहना हो, तुम हर तरीके में शानदार लगती हो।

सबिता देव के तारीफ करने के अंदाज से मुस्कुराई। "अब मुझे समझ आया की लड़कियां देव सिंघम के चारों तरफ इतनी मंडराती क्यों हैं।"

देव हसने लगा और वेटर को इशारा किया की मीनू ले जाए टेबल से। क्योंकि सबिता अल्कोहल नही पीती थी और ना ही कोई शूगरी सॉफ्ट ड्रिंक इसलिए उसने लेमोनेड लिया था बस।

"तुमने कभी पढ़ना और लिखना क्यों नही सीखा?" देव ने सबिता से पूछा। क्योंकि सबिता ने ही देव से कहा था की उसका ऑर्डर डिसाइड करने के लिए क्योंकि उसे मीनू पढ़ना नहीं आता था।

सबिता ने अपनी नज़रे ड्रिंक से हटा कर देव पर टिका दी। उसने नोटिस किया की देव ने उससे यह सवाल मज़ाक उड़ाने के लहज़े से नही पूछा। उसके सवाल में असल में उत्सुकता ही लग रही थी जानने की।

"मैने ऐसी लड़की कभी नही देखी जो इतनी एंबिशियस है, जो इतनी समझदार है, जो सब कुछ कितनी आसानी से संभालती है वोह बस यूहीं पढ़ना लिखना नहीं चाहती हो। जरूर कोई बड़ा कारण है।"

सबिता ने एक घूट पानी का पिया। "हां, है।" उसने जवाब दिया। "आई एम डिस्लेक्सीक (dyslexic)।"

देव चुप रहा।

"डिस्लेक्सीक मीन्स...."

"मुझे पता है डिस्लेक्सीक का क्या मतलब होता है, सबिता।" देव ने धीरे से कहा। "तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"

"यह कोई ऐसी बात है क्या जो मैं लाउड स्पीकर में बोल कर सबको सुनाऊं या फिर इतनी इंपोर्टेंट की इस बार सबसे बात करूं। और अगर तुम्हे बता भी देती तोह मुझे नही लगता था इससे हमारे बीच कुछ बदल जाता।" सबिता ने जवाब दिया।

देव अपनी भौंहे सिकोड़ हुए उसकी बात सुन रहा था। "बिलकुल बदलता। सबसे पहले तोह मैं तुम्हारे लिए ऑडियो फाइल्स तैयार करवाता उन सभी डॉक्यूमेंट्स और प्लान्स के जो मीटिंग में डिस्कस हुए थे। तुम्हे दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर नही रहना पड़ता।"

"अगर वोह कोई इंपोर्टेंट डॉक्यूमेंट होता तोह मैं दो या तीन लोगों से पढ़वा कर कन्फर्म होती तभी अप्रूव करती।" सबिता ने कहा।

देव ने उसकी बात समझते हुए सिर हिला दिया। तभी वेटर वापिस आ गया ड्रिंक्स और एप्टिटाइजर लेकर। उन दोनो ने वेट किया जब तक वेटर ने उनकी प्लेट में एप्टिटाइजर और ड्रिंक सर्व नही कर दिया और चला नही गया।

सबिता ने फिश अपीटाइजर की एक बाइट ली और वोह पूरा उसके मुंह में घुल गई। उसने महसूस किया की इसमें कॉर्न फ्लोर, रैड चिल्ली सॉस, और कुछ हल्के मसाले पड़े हैं। जब से उसने वापिस कुकिंग करना शुरू किया था, नई नई रेसिपी जानने की उसकी इच्छा बढ़ने लगी थी।

"डिस्लेक्सीक तुम्हारी पढ़ने की क्षमता को कितना एफेक्ट करता है?" देव ने पूछा।

"बहुत।" सबिता ने जवाब दिया। "मेरा बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है। मेरा दिमाग नही समझ पता उन शब्दों को जो में देखती हूं। मुझे पता है असल में अक्षर कैसे दिखते हैं, लेकिन कागज़ पर मेरा दिमाग उसे पहचान नहीं पाता। हर बार मुझे अलग ही नज़र आता है इसलिए मैं अंदाज़ा भी नही लगा पाती की क्या लिखा है।"

"आई सी।"

"और ये जेनेटिक है।" सबिता ने बातों बातों में बता गई। "मेरे पापा भी डिस्लेक्सीक थे।"

देव के हाथ रुक गए जैसे ही वोह ड्रिंक का एक सिप लेने वाला था। सबिता का खुलासा सुन कर देव जम सा गया। "तुम्हारे पापा भी पढ़ना लिखना नहीं जानते थे?"

"नही।"

सबिता देव के चेहरे को देख रही थी जैसे वोह यह बात को समझने की कोशिश कर रहा हो। सबिता जानती थी की देव को पूरा शक है की उसके पापा ने ही देव की मां का मर्डर किया है क्योंकि उसके पापा ने देव की मां को लैटर्स लिखे थे।

"आई सी।" देव ने कुछ पल बाद कहा।

सबिता को उम्मीद नही थी देव ऐसा रिएक्ट करेगा लेकिन देव ने अपनी ड्रिंक साइड में रख कर सबिता का हाथ पकड़ लिया। अपने पास ला कर उसने उसके हथेली पर किस कर लिया।

"मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब बात हमारी होती है तोह," देव ने प्यार कहा।

सबिता समझ रही थी की देव क्या कहना चाह रहा है। एक अनचाहा एहसास उभर गया सबिता के दिल में, देव की आंखों में और उसके भाव देख कर। उसे अपने दिल और दिमाग के बीच कन्फ्यूजन होने लगी। वोह अपने इमोशंस को देव के सामने नही लाना चाहती थी। इसलिए उसने तुंरत अपना हाथ खीच लिया और कुर्सी से उठ खड़ी हुई।
"मुझे वाशरूम जाना है," इतना कह कर बिना देव की तरफ देखे वोह चली गई।

जब वोह वाशरूम में पहुंची तोह वाशबेसिन के पास काउंटर पर अपने दोनो हाथ रख कर थोड़ा झुक कर वोह अपना चेहरा आईने में देखने लगी।

तुम यह क्या कर रही थी, सबिता। उसने अपने आप से सवाल किया।
यह सब तुम्हारे लिए नही है। तुम किसी आदमी के साथ डेट पर नही जा सकती। तुम किसी आदमी को अपने सीक्रेट्स नही बता सकती। देव सिंघम के साथ अपने आप को महसूस कर उसके दिमाग में खतरे की घंटी बजने लगी थी।

"एक्सक्यूज़ मी!" किसी ने सबिता के पैनिक अटैक को बीच में रोक दिया।

सबिता पलटी और देखा उसके पीछे दो लड़कियां खड़ी थी। उन्होंने बिलकुल हाई प्रोफाइल जैसे कपड़े पहने थे जैसे इस रेस्टोरेंट के हिसाब से सूट करते। उनमें से एक उसे जानी पहचानी लगी।

"क्या तुम यहां देव के साथ आई हो?" जो सबिता को जानी पहचानी लगी उसी ने पूछा।

जब सबिता ने जवाब नही दिया तोह वोह लड़की मुस्कुराने लगी। "आई एम टिया माथुर, देव'स गर्लफ्रेंड।"







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(पढ़ने के लिए धन्यवाद)
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