Nafrat se bandha hua pyaar - 28 books and stories free download online pdf in Hindi

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 28

देव, सबिता प्रजापति को, कपड़े पहनते हुए देख रहा था। जब शाम के समय सबिता उसके ऑफिस केबिन में आई थी तो देव को उमीद थी की सबिता नाराजगी दिखाएगी, या गुस्सा दिखाएगी। लेकिन अभी जो खुशी वोह महसूस कर रहा था, उसने पूरी तरह से उसके ख्याल को झुकला दिया था।
देव को भी अब लगने लगा था वोह, जो सबिता ने कुछ हफ्ते पहले उसे कहा था, *"की वोह एक पागल कमीना है।"*
देव को भी नही पता था की उसने उससे यह डील क्यों की, लेकिन वोह यह जान गया था की उसे सबिता चाहिए। वोह उसे पाना चाहता है अब पूरी तरह से, हर तरीके से।
"मेरे साथ आज रात मेरे कॉटेज में चलो," देव ने उसे सुझाव दिया। एक कॉटेज सिंघम का साइट के पास ही था और प्राइवेसी के लिए परफेक्ट।

"मैं नही आ सकती।" सबिता ने आराम से जवाब दिया। "मुझे सुबह सात बजे से पहले घर पहुंचना है। मुझे और भी बहुत सारे काम है। और वैसे भी, मैं अपने लोगों को ऐसे नही छोड़ के जा सकती तुम्हारे साथ।"

"हम सुबह होने से पहले वापिस आ जायेंगे। मेरा कॉटेज यहां से सिर्फ आधे घंटे की दूरी पर ही है। और तुम्हारे आदमी खुद का ख्याल रख सकते है रात भर।"

सबिता ने ना में सिर हिला दिया लेकिन उसे देख कर लग रहा था जैसे वोह ना नही कहना चाहती हो।

"बस हम दोनो होंगे और कोई नही होगा हमे डिस्टर्ब करने के लिए," देव ने आगे कहा। "फिर हमे कोई जल्दी नहीं होगी, बल्कि पूरी रात होगी। और तुम जितना चाहो आवाज़े निकाल सकती हो।"

सबिता देव को एक समान नज़रों से देख रही थी। "मुझे पता है तुम मुझे बहलाने की कोशिश कर रहे हो ताकी मैं तुम्हारी बात को मान जाऊं, सिंघम।" सबिता ने कहा।

देव मुस्कुराया। "बिलकुल, मैं ऐसा ही कर रहा हूं। मेरा मन तुम से भरा नही है, अभी तोह शुरुवात है।" देव ने कहा। "मैं बस हमारे बारे में सोचता रहता हूं, कब हम मिलें और मैं अपने मन की इच्छा को पूरा करूं।"

सबिता की आंखे बड़ी हो गई। "तुम मेरे बारे में सोचते हो?" सबिता ने पूछा।

"हां।" देव ने सबिता को अपनी तरफ खींचते हुए जवाब दिया। उसने सबिता को बैड पर धक्का दिया और उसके ऊपर आ गया। देव ने अपने होंठ सबिता के गर्दन पर रख दिए। वोह गहराई से उसकी खुशबू को सूंघने लगा, उसे अपने अंदर जब्त करने लगा। सबिता ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया ताकि देव को और जगह मिल सके। वोह धीरे धीरे अपनी जीभ को उसकी गर्दन पर फिराने लगा। "बताओ, तुम भी मेरे बारे में सोचती रहती हो ना," देव ने कहा।
देव चाहता था की सबिता भी वोही महसूस करे जो वोह महसूस कर रहा था इतने दिनो से।

"मैं भी," सबिता ने प्यार से मान लिया था।
वो
"बताओ कितना?" देव ने उसकी गर्दन पर बाइट लेते हुए फिर पूछा।

"बहुत ज्यादा," सबिता ने अपने हाथ देव की पीठ पर कसते हुए कहा।

"तोह फिर चलो मेरे साथ आज रात।" देव ने कहा।

"मैं नही आ सकती," सबिता ने जवाब दिया। "अपने लोगों से बात करने के बाद मुझे जाना है घर। मेरी और भी मीटिंग्स हैं आज रात। और कल एक छोटी सी सर्जरी है मेरे दादाजी की, मुझे उन्हे लेकर सिटी में हॉस्पिटल जाना है।"

"ओह अच्छा!" देव निराश हो गया था यह जान कर की सबिता आज रात क्यों नही आ सकती उसके साथ और साथ ही वो कल भी साइट पर नही आयेगी।

सबिता झटपटाने लगी देव के नीचे से निकलने के लिए। और फिर उसे धकेल कर बैड पर ही उसके साइड में कर दिया।

"चलो अब," सबिता ने आराम से कहा। "अगली शिफ्ट स्टार्ट होने वाली है और लोग ज़रूर एक जगह जुटना शुरू हो गाएं होंगे।"

उसने आराम से अपने लंबे बालों को देव के नीचे से हटाया और उठ खड़ी हुई। उसने अपने कपड़े ठीक किए। वोह बहुत आकर्षक लग रही थी। उसने टेबल से अपनी गन और फोन उठाया और दरवाज़े की तरफ चली गई। दरवाज़ा के पास पहुंच के उसे खोलने से पहले सबिता ने पलट कर देव की तरफ देखा।
"मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे कॉटेज कल रात को चलूंगी।" इतना कह कर वोह तुरंत रूम से बाहर निकल गई।

और जैसे की देव कोई टीनएज लड़का हो जिसे अपनी पहली क्रश से मिलना हो, उसे इंतजार ही नही हो रहा था कल रात का। उसने तुरंत अपने कपड़े पहने और रूम से बाहर निकल गया, उसे भी सबिता के साथ उसके लोगों को एड्रेस करना था।












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(पढ़ने के लिए धन्यवाद)

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