नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 27 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 27

सबिता ने उसे घूरते हुए देखा और कहा, "तुमसे कितनी बार कहा है की उस रात की बात मेरे सामने मत करा करो।"

"इसमें कोई बुरी बात तोह नही है।"

"बिलकुल है।" सबिता के सामने खड़ा शख्स हमेशा ही उसे गुस्सा दिलाता था अपनी हरकतों से।

"अगर हमारे लोगों को लगता है की हम कपल हैं और आगे चल कर रिश्ता भी जुड़ सकता है तोह वोह रिलैक्स हो जायेंगे और सुरक्षित महसूस करेंगे। तुम्हे रेवन्थ सेनानी से छुटकारा भी मिल जायेगा। मुझे पता है तुम्हारे लोग दुबारा सिंघम और प्रजापति के बीच रिश्ता जुड़ता देखना चाहेंगे ना की सेनानी के साथ।" देव ने कहा।

सबिता ने अपनी भौंहे सिकोड़ी और उसकी बात समझने की कोशिश करने लगी। "मैं उस तरह की नही हूं जो यह बच्चों जैसा खेल खेलूं, सिंघम।"

"मैं भी नही हूं। मैं बस इतना कह रहा हूं की हम थोड़े वक्त के लिए एक साथ हो जाते हैं ताकि हमारे दुश्मनों से छुटकारा मिल जाए और एक दूसरे के साथ अपना वोह रिश्ता भी कायम रखते हैं।"

सबिता ने उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे देव पागल हो गया है। "नही।" सबिता ने कहा।

सबिता के मुंहफट जवाब से देव की आंखे छोटी हो गई। उसने अपने दोनो हाथों को सबिता की चेयर के दोनो साइड रख दिए। और उसकी तरफ झुक कर बोला, "कम ऑन, सबिता।"

देव के शब्द सबिता को अपने सांसों में घुलते हुए से लग रहे थे। वोह इतनी नज़दीक आ गया था की सबिता के पेट में तितलियां सी उड़ने लगी थी।

यह पहली बार था जब सबिता ने देव के मुंह से अपना नाम सुना था और वोह भी गुस्से से नही।

"मान लो! तुम्हे भी बहुत मज़ा आया था उस रात।" देव ने बोलना जारी रखा।

सबिता का शरीर फिर कपकपाने लगा। उसके हाथ उसके कपड़ो पर कस गए। वोह समझ रही थी की देव क्या करने की कोशिश कर रहा है।
"इसका मतलब यह नहीं है की मैं दुबारा यह करूंगी।"

"सच में नही?" देव ने सबिता के कान के पास आ कर धीरे से फुसफुसाया।

सबिता के रोंगटे खड़े हो गए देव की नज़दीकी से।

"क्या तुम नही चाहती की मैं तुम्हारे फिर नज़दीक आऊं?" देव ने फिर पूछा।

देव की बातों से सबिता को उस रात की याद फिल्म की तरह दिमाग में घूमने लगी थी।

सबिता ने महसूस किया की देव के होंठ उसके गर्दन को छू रहे थे। एक मन उसे दूर धकेलने को कह रहा था और दूसरा उसे हटाने से रोक रहा था। सबिता ने महसूस किया की अब देव के होंठ उसके गर्दन और गाल को सहला रहे थे।

सबिता को उस रात की एक एक याद किसी फिल्म के सीन की तरह उसके दिमाग में घूमने लगी।

"क्या सच में तुम नही चाहती मैं तुम्हारे और भी करीब आऊं और तक तक नही रुकूं जब तक तुम मुझे रुकने की भीख नही मांगती।" देव अभी भी उसे रिझाने की कोशिश कर रहा था।

जबकि देव की वल्गर बातें सुनकर सबिता को गुस्सा आने लगा था लेकिन साथ ही उसके शरीर में एक अजीब सा एहसास भी होने लगा था।

उसने इससे पहले बस एक ही आदमी के साथ रात बिताई थी। और वोह भी बहुत साल पहले जब वो टीनएजर थी।

सबिता और राघव, उस वक्त सिर्फ अठारह साल के थे, जब उन्होंने एक साथ एक दूसरे की बाहों में रात गुज़ारी थी।

क्योंकि वोह उसका पहली बार था इसलिए उसे दर्द भी बहुत हुआ था लेकिन उन दोनो के बीच स्वीट लव हुआ था।

जबकि देव सिंघम का लव स्वीट नही था। बल्कि लव ही नही था। वोह तोह बस वाइल्ड सैक्स था।

क्या उस रात तुमने एंजॉय नही किया था? यह देव का सवाल अब सबिता के दिमाग में बार बार घूमने लगा था।

उस रात की यादें किसी तस्वीर की तरफ सबिता के दिमाग में घूमने लगी। उसने याद किया की कैसे देव ने उसे कुर्सी से उठा कर डेस्क पर बिठाया था और फिर बाद में बैड पर लिटाया था। सबिता की तो हिलने की ताकत ही नही बची। इसी बीच देव ने जा कर ऑफिस रूम का दरवाज़ा अंदर से लॉक कर दिया था और आके सबिता के पास खड़ा हो गया था खुले बदन ही और सबिता को निहारने लगा था। जब वो उसके करीब बढ़ा तो सबिता का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा था। उसके धड़कने की आवाज़ उसके खुद के कानो में पड़ रही थी। कुछ देर बाद देव ने उससे कहा था,
"अपनी आंखे खोलो, और देखो हमें।"

और सबिता ने फिर वोही किया। उसने अपनी आंखों खोली और साक्षी बनी जो भी दोनो के बीच हो रहा था। दोनो एक दूसरे में पूरी तरह से खोए हुए थे।

सबिता ने गहरी सांस ली और उन यादों से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
"क्या वोह रात हसीन नही थी?" देव की आवाज़ फिर से सबिता के कान में पड़ी।
देव उसके बालों में हाथ फेरने लगा। उसने उसकी चोटी को पकड़ कर आगे कर दिया। और फिर अपनी गरम सांसों को सबिता के कान के पीछे छोड़ने लगा, जिससे सबिता सिहरने लगी।

"आज फिर क्यों ना वोह रात दोहराई जाए!", ऐसा बोलते हुए देव के हाथ सबिता की चोटी पर से फिसलने लगे। जैसे ही देव के हाथ सबिता की स्किन को टच हुए सबिता को जैसे करेंट का झटका सा लगा।

सबिता को भी उस रात के बाद देव के ही सपने आते थे। रात भर सिर्फ देव हो छाया रहता था सबिता के सपनो में भी और दिमाग में भी। और अगली सुबह अपने धड़कते दिल के साथ वोह उठती थी। उस अजीब से एहसासों के साथ उसे कुछ चिड़चिड़ाहट भी होती थी।

"यू विल लव इट," देव ने सबिता के कान पर हल्का सा बाइट करते हुए कहा।
एक दर्द के साथ सबिता के शरीर में सरसराहट पैदा हो गई।

"इस बार मैं तुम्हे भी वोह करने दूंगा जो तुम मेरे साथ करना चाहती हो," देव ने अपनी गर्म सांसे सबिता के गर्दन पर छोड़ते हुए कहा।

सबिता का दिल जोरों से धड़क रहा था पर वो देव को कुछ नही बोल रही थी और उसकी बातें सुनती जा रही थी।

"मैं इसे क्यों इजाजत दे रही हूं की यह मुझे छुए? और मेरा शरीर इसकी बातें सुनकर ऐसे क्यों रिएक्ट कर रहा है?
अपने मन में ऐसा सोचते हुए सबिता ने धीरे से अपना सिर उठाया और देव की तरफ देखा। सबिता ने पाया की देव उसे अपनी गहरी नशीली आंखों से उसे देख रहा है।
सबिता ने उसकी तरफ थोड़ी देर ऐसे ही देखा जैसे खुद से वोह कोई जंग लड़ रही हो।

इससे पहले की उसका दिमाग उसे कुछ इशारा करता उसने देव के बाल पीछे से कस कर पकड़ लिए और देव के होंठों से अपने होंठ मिला दिए।

देव ने भी उसके होंठों को अपने होंठों से पकड़ लिया और उसे कुर्सी से उठा लिया। सबिता ने अपने पैरों को देव की कमर के इर्द गिर्द लपेट दिया। देव ने अपने कदम उसके ऑफिस के कमरे में बने एक दरवाज़े की तरफ मोड़ लिए जहां एक छोटा सा बैड रूम बना हुआ था। उसने सबिता को बिस्तर पर लेटाया लेकिन चूमना जारी रखा। सबिता ने देव की शर्ट को ऊपर किया और अपने हाथ को देव के कंधे, पीठ और सीने पर चलाने लगी। देव ने भी सबिता के कंधे पर से उसका टॉप हल्का नीचे किया और कंधे पर किस करने लगा।
"जो भी हमारे बीच हो रहा है.....हम दोनो ही जानते हैं हम दोनो ही चाहते थे.....और अब आगे हमेशा होगा। मैं तुमसे लड़ते लड़ते थक चुका हूं। तुम्हारी सहमति चाहिए मुझे," देव ने अपनी उखड़ती सांसों से रुक रुक कर सबिता से कहा।

सबिता ने कोई जवाब नही दिया। वोह बस अपने होठों से देव के शरीर पर चूमने में बिज़ी थी।
"मुझे मंज़ूर है, लेकिन मेरी एक शर्त है," साबित ने देव के सीने पर अपने होंठ रगड़ते हुए कहा

"क्या?" देव ने चिढ़ते हुए पूछा।

"हम हमारे लोगों को कोई कमिटमेंट नही करेंगे। हम उनसे हमारे संधि की कोई बात नही करेंगे। हम यह सब उसी वक्त खत्म कर देंगे जिस वक्त मैं चाहूंगी। ऑफकोर्स, तुम भी यह संबंध जब चाहो खतम कर सकते हो, मुझे कोई आपत्ती नही है।" सबिता ने जवाब दिया।

देव के हाथ सबिता की कमर पर कस गए। उसने पलट कर सबिता को अपने ऊपर ले लिया। देव उसकी गर्दन और कंधे पर किस कर रहा था। वोह अपने दांतों से निशान बनाने लगा। उसने सबिता के बाल पकड़ कर उसे हल्का सा उठाया ताकी उसका चेहरा देख सके। देव के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे उसका ही सबिता पर बस अधिकार है, फिर भी उसने भुनभुनाते हुए कहा,
"डील।"

























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(पढ़ने के लिए धन्यवाद)

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