नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 25 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 25

"हमने उसे ढूंढ लिया।" अभय की आवाज़ सुनाई पड़ी कार में स्पीकर से। उसकी आवाज़ में कुछ अशुभ सूचना का आभास हो रहा था।

"कहां?" देव ने कहा।

रायडू एक चालक लोमड़ी की तरह है। वोह लगातार अपनी ठिकाना बदल रहा था इन्वेस्टीगेटर को चकमा देने के लिए। जब भी कभी कोई लीड मिलती थी रायडू के बारे में देव या फिर अभय उसकी तलाश में निकल जाते थे। इस बार अभय गया था पता लगाने।

"वोह बुरी तरह जख्मी है और इस वक्त हॉस्पिटल में भर्ती है।" अभय ने जवाब दिया।

"शिट! क्या हुआ था? हमारे इन्वेस्टिगेटर कल ही तो उसे ट्रैक करने गए थे।"

"मुझे पता है। जब मैं वहां पहुंचा तोह मुझे कहा गया की वोह काफी देर से अपने होटल रूम से बाहर नहीं निकला है। जब हम अंदर गए तोह वोह खून से लत पत पड़ा था उसे गोली लगी हुई थी।

"व्हाट द हैल?"

"यस, डेफिनेटली हैल। पर वोह ज़िंदा है बस बेहोश है।" अभय ने निराशा से और थके हुए स्वर में कहा।

देव सोचने लगा की आखिर क्यों और कैसे किसी ने उसे मारने की कोशिश की होगी। "होटल कैमरा....."

"नही है कहीं, ना ही होटल में ना ही आस पास की जगह पर।"

"फोन?"

"नही! उसके पास कोई फोन नही था। वोह सिर्फ कैश का इस्तेमाल करता था और लैंडलाइन का इस्तेमाल करता था। उसने हमसे बचने की हर मुमकिन कोशिश कर रखी थी।"

"किस ने उसे मारने की कोशिश की होगी? और वोह हमसे पहले उस तक पहुंचा कैसे होगा?"

"कुछ समझ नही आ रहा। लेकिन इतना यकीन है की यह कोई एक्सीडेंट नही था। क्योंकि जिसने भी उसका पता लगाया और उसे मारा है वोह बहुत ही शातिर है। उसने पुलिस वालों और हमारे इन्वेस्टीगेटर के लिए कोई सुराग नहीं छोड़ा।

देव को अब चिड़चिड़ाहट होने लगी थी। "किसी प्रोफेशनल का काम हो सकता है?"

"हम्मम! जरूर कोई प्रोफेशनल ही है।"
"पर जो भी उसे मारने आया था वोह उसे जान से मारने नही आया था।" फिर कुछ पल रुक कर अभय ने आगे कहा। "मुझे डॉक्टर ने बताया है की जितनी भी उसे गोलियां लगी है वोह उसे ऐसी जगह पर लगी है जिससे उसकी जान नही जाती बस जख्मी हो जाता है। बिलकुल वैसे......."

"तोह मारने वाला उसे जिंदा रखना चाहता था।" देव ने उसकी बात पूरी की।
"लेकिन यह बात कुछ हजम नही हुई, अभय।" देव ने कहा।

"हम्मम पता है।"

"तोह अब हमें उसे ढूंढना होगा जिसने उस शूटर को हायर किया और फिलहाल वोह रायडू को जिंदा रखना चाहता है।"

"हां।"

"डैमइट! अब किसी और को ढूंढो।" "क्या तुम वहीं रुक रहे हो जब तक रायडू को होश नही आ जाता?"

"नही! मैं जल्दी ही वापिस आ रहा हूं।" अभय ने जवाब दिया। "मैं रायडू को तभी वापिस लाऊंगा अगर वोह तब तक जिंदा रहा।"

"ठीक है! मैं यहां सारी तैयारियां कर देता हूं ताकि उसकी कस्टडी हमे मिल जाए आसानी से। मैं कुछ ऐसे पेपर्स बनवा सकता हूं जिससे यह साबित हो जायेगा की वोह हमारे परिवार का ही है।"

देव की चिड़चिड़ाहट अभी भी जारी थी।
जब तक रायडू को होश नही आता तब तक, बीस साल पहले हुए उस मंदिर हत्याकांड का राज़, राज़ ही रहेगा।

"क्या सब ठीक है? अभय ने पूछा।

"किस बारे में?

"कुछ खास नही। मैने इन जनरल पूछा।" फिर कुछ पल रुककर अभय ने कहा। "पर क्या कुछ है जिसके बारे में तुम मुझसे बात करना चाहते हो?" अभय ने पूछा।

"नही। सब सही चल रहा है।" देव ने जवाब दिया।
देव ने महसूस किया की कुछ हद तक उसका गुस्सा और चिड़चिड़ाहट कम हो गई है। हालांकि अभय ने उससे ज्यादा सफाई नही मांगी और ज्यादा पूछताछ नही की।

"ठीक है, फिर मैं चलता हूं।" अभय ने कहा।

"मैं शायद पूरी रात ही साइट पर रुकूंगा। तोह अगर कल सुबह निकलने से पहले मेरी कुछ जरूरत पड़े तो मुझे कॉल करना।"

"हम्मम! ठीक है।"

फोन कटने के बाद देव ने साइट की तरफ फिर गाड़ी तेज़ करदी। वहां पहुंचने से पहले उसने कई फोन कॉल्स किए अपने बिजनेस से रिलेटेड। वोह खुश था की उसके पास इतना काम है और वोह दिन रात इतना बिज़ी रहता है की कुछ और सोचने के लिए उसके पास वक्त ही नही है।

पर कभी कभी, कुछ हफ्ते पहले बीते सबिता के साथ वोह रात और उसके अगले दिन की घटना के बारे में सोच कर उसको गुस्सा आने लगता है और चिड़चिड़ाहट भी।

उस उन दोनो के बीच जो भी हुआ, लेकिन देव ने सबिता के साथ अपने काम के रिलेशनशिप को बनाए रखा ताकि काम करने में कोई अड़चन न आए और सब ठीक से होता रहे। बस एक बार ही उसने उससे एक पर्सनल सवाल पूछा था यह जानने के लिए की उस रात के बाद की वजह से उसे कोई परेशानी तो नहीं हो रही।
क्योंकि उसने एक बार अनिका को अपने पेट पकड़ते हुए देखा था जब अनिका लाइब्रेरी में किताब पढ़ रही थी।

इसी तरह से जब उसने सबिता को देखा तो सवाल पूछ दिया पर उसके जवाब में सबिता एक दम खीरे की तरह ठंडी दिखाई दी।

*"नही।" सबिता ने रूखे पन से जवाब दिया।*

*"क्या तुम मुझे ठीक से बताएगी?" देव ने पूछा। "क्योंकि उस रात मैने कोई प्रोटेक्शन इस्तेमाल नहीं किया था। और जहां तक मुझे लगता है तुमने भी कोई कंट्रेसेप्टिव का इस्तेमाल नहीं किया होगा जिससे तुम यह कह सको की तुम प्रेगनेंट नही हो हमारी उस रात के बाद।"*

*सबिता के चेहरे के भाव एक दम ठंडे पड़ गए। "क्या मैने इस्तेमाल किया था और क्या नहीं इससे तुम्हे कोई मतलब नहीं। वैसे मैं जानती हूं की मैं प्रेगनेंट नही हूं।"*

*"कैसे? देव ने पूछा। "शायद तुम्हे याद हो, उस रात हमने कई बार सेक्स किया था और यह वजह काफी है तुम्हे प्रेगनेंट बनाने में। वैसे तोह यह बहुत जल्दी है, लेकिन मुझे कन्फर्मेशन चाहिए।"*

*सबिता की आंखे हैरानी से फैल गई। "मैने तुम्हे कहा था ना उस रात के बारे में मुझसे कोई बात मत करना।" सबिता ने कहा। सबिता ने एक गहरी सांस ली और अपने आप को शांत करते हुए उसने कहा, "मैने बर्थ कंट्रोल पिल ली थी, तोह तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है की मैं मां बन जाऊंगी तुम्हारे बच्चे की और सिंघम्स को बर्बाद कर दूंगी।"*

*देव जनता था की सबिता ने जो ताना मारा वोह जानबूझ कर मारा, और यह काफी था देव को गुस्सा दिलाने में। इसलिए वोह गुस्से से उठ कर तुरंत रूम से बाहर चला गया।*

देव अब एकतरफा प्रेमी की तरह बरताव करते करते ऊब गया था जबकि उसने उसके साथ शायद ही कोई रात साइट पर रुका था। लेकिन जब भी वो उसके बारे में सोचता था उसकी चिंता और झल्लाहट बढ़ जाती थी।

शायद इसलिए की वोही था जो लड़कियों के साथ इंगेज होने के बाद मना कर दिया करता था। आमतौर पर वोही था जो रिलेशन तोड़ दिया करता था और लड़कियां उसके लिए उसके आगे पीछे घूमती रहती थी। लेकिन इस बार उल्टा हो रहा था।

जब बात सबिता की आई तोह देव को बाहर निकाल दिया गया बल्कि गोली ही मार दी गई उसके बैड से उसको हटाने के लिए। और यह उसके बाद हुआ जब दोनो के बीच सबसे बेहतरीन सेक्स हुआ था।

ऐसा नहीं है की देव ने इससे पहले इतनी अच्छी परफॉर्मेंस नही दी थी। बल्कि उससे हमेशा ही हर लड़की सेटिस्फाई रहती थी।

असल में इस बार इस रात की याद दोनो के ही ज़हन में बस गई थी और दोनो ही उस लम्हे को अपने दिमाग से निकाल नही पा रहे थे। बल्कि दुबारा एक दूसरे को पाने की इच्छा प्रबल हो गई थी।

*शायद मुझे उसकी यादें अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए। अगर किसी और लड़की के बारे में सोचूं तो शायद सबिता की याद ज़हन से निकल जायेगी। और साथ ही दूसरी लड़की मेरे साथ खुश रहेगी ना की मुझे गोली मारेगी।*

देव जनता था वोह कुछ भी कर ले लेकिन उसकी बारे में सोचना और उसकी यादें उसके दिमाग से नहीं निकलने वाली। बल्कि उसकी यादें किसी बीमारी की तरह उसे खा रही थी।

देव ने एक गहरी सांस ली और यह निश्चय किया अब सबिता को अपने दिमाग पर और कब्ज़ा नही करने देगा। अब बस बहुत हो गया उसके बारे में सोचना। अब मैं अपनी एनर्जी अपने इन्वेस्टिगेटर और अपने काम पर लगाऊंगा।

अंदर ही अंदर देव जनता था की सबिता के मामले में वोह उससे हार रहा है।

















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(पढ़ने के लिए धन्यवाद)
(कॉमेंट के लिए कहना बेकार है समझ गई मैं)