Nafrat se bandha hua pyaar - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 23

दरवाज़ा खुला और फिर बंद हो गया सामने खड़ा लंबा चौड़ा शख्स आगे बढ़ने लगा और सबिता के सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठ गया।

सबिता के सामने बैठा शख्स और कोई नही देव सिंघम था। सबिता उसकी इस हरकत पर तिलमिला उठी। वोह पूछना चाहती थी की इस तरह उसके ऑफिस में घुसने की वजह लेकिन फिर उसने अपने आप को रोक लिया जब उसने उसके चेहरे की तरफ देखा तोह वोह समझ गई की देव इस वक्त काफी गुस्से में है।

देव ने अपने हाथ को हथेली की साइड से ज़ोर से टेबल पर मारा तो टेबल पर रखा सामान हल्का सा उछल कर अपनी जगह से हिल गया। "व्हाट द फक इस दिस?" देव ने गुस्से से चीखते हुए कहा।

सबिता की भौंहे सिकुड़ गई। उसने पूछा, "तुम किस बारे में बात कर रहे.....?" सबिता बोलते बोलते चुप हो गई जब उसकी नज़र उस छोटे से कार्ड पर गई जो फूलों के गुलगस्ते के साथ आया था।

सबिता के अंदर गुस्सा फूट पड़ा। "तुम्हे मेरी पर्सनल चीज़ों से क्या मतलब?" उसने गुस्से से पूछा।

देव की गुस्से से जबड़े भींच गए और माथे की नसे तन गई। "यह अब तुम्हारा पर्सनल चीज़ नही है जब उस ब्लडी सेनानी ने मेरी प्रॉपर्टी पर लव नोट भेजा हो।" उसके स्वर में तेज़ गुस्से का एहसास हो रहा था।

"पर्सनल प्रॉपर्टी? यह तुम्हारी पर्सनल प्रॉपर्टी नही है, इसमें मेरा भी उतना ही अधिकार है जितना की तुम्हारा, सिंघम। और मैं पहले ही उन सेनानी को मेसेज भेज चुकी हूं की दुबारा यहां कोई फूल न भेजे।"

"पर उसने पहले नोट क्यों भेजा था?" देव का गुस्सा अभी भी वैसा ही था।

सबिता ने मुंह फेरते हुए कहा, "इससे तुम्हे कोई मतलब नही होना चाहिए।"

"मेरा मतलब है, जवाब दो मुझे।" देव गुस्से से दहाड़ता हुआ बोला।

सबिता उसे अपनी खतरनाक नज़रों से देखने लगी।
"गैट आउट।" उसने आराम से कहा।

देव तुरंत खड़ा हो गया और बाहर जाने के बजाय वोह सबिता की तरफ आ गया और झुक कर अपने दोनो हाथों को उसके इर्द गिर्द उसकी कुर्सी की बाह पर रख दिया।

"वाय..इस..ही..सेंडिंग..यू..फक्किंग..लव..नोट..?" देव ने एक एक शब्द को खीज खीज कर चबाते हुए और गरजते हुए फिर से पूछा।

सबिता उसकी जलती हुई आंखों को देख रही थी। "इससे पहले की मैं अपना आपा खो दूं और तुम्हे गोली मार दूं मैं तुम्हे दस सेकंड देती हूं तुरंत मेरे ऑफिस से बाहर निकल जाओ।"

उसके इतने प्यार भरे धमकी सुन कर देव और उत्तेजित हो गया। वोह उसके और करीब आ गया। "मैं उसे तुम्हे छूने नही दूंगा, और ना ही शादी करने दूंगा।"

यह सुनते ही सबिता एकदम भौचक्का हो गई। उसकी हैरानी से आंखें फैल गई। उसके मुंह से अचानक बस यही निकला, "क्या?"

सबिता का दिमाग यह समझने की कोशिश कर रहा था की वोह पागल आखिर करना क्या चाहता है। अभी थोड़ी देर पहले उसका दिमाग देव सिंघम की प्रशंसा कर रहा था। लेकिन अब उसे लगने लगा की उसे अपने शब्द वापिस ले लेने चाहिए। देव अभी भी अभिमानी और घटिया इंसान है।

"मैं तुम्हे किसी को भी नही ले जाने दूंगा।" देव ने फिर से भुनभुना कर कहा। और अगले पल ही उसके और नज़दीक जाके उसके होठों को अपने होठों के गिरफ्त में ले लिया। सबिता ने महसूस किया की देव ने अपनी मुट्ठी से उसके पीछे गर्दन की तरफ से उसके बालों को कस कर पकड़ लिया है उसे और नज़दीक करने के लिए ताकि सबिता पीछे न हट सके।

सबिता तोह दंग ही रह गई एकदम से देव की इस हरकत पर। उसके शरीर में एक सरसराहट पैदा हो गई और रोंगटे खड़े हो गए। देव उसे डीपली मैडली पैशनेट किस कर रहा था। और सबिता उससे छूटने के लिए स्ट्रगल कर रही थी। जैसे ही देव ने किस करते वक्त उसके मुंह में अपनी जीभ फैराना शुरू किया सबिता ने मौका पाते ही उसकी जीभ अपने दांतों से काट ली। उसने इतनी ज़ोर से उसकी जीभ काटी की देव की पकड़ उसके बालों पर ढीली हो गई और सबिता पीछे हट गई।

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह सब करने की, यू क्रेज़ी बास्टार्ड!", सबिता ने कहा और अपने हाथ के पीछे के हिस्से से अपना मुंह साफ करने लगी जैसे उसके एहसास को साफ करना चाहती हो।

दोनो की ही सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और दोनो ही तेज़ तेज़ सांसे ले रहे थे। सबिता ने देखा देव उसे ही लगातार देख रहा है और उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है साथ ही कुछ ऐसा भी है जो सबिता समझ नही पा रही थी। सबिता का गुस्सा और बढ़ता ही जा रहा था और वो भी उसे जलती हुई निगाहें से देख रही थी।

जब भी देव उसके आस पास आता था तो हमेशा सबिता एक अजीब सी बेचैनी महसूस करती थी और उसे अनदेखा करने की कोशिश करती थी।

और फिर सबिता को उसके अंदर की आवाज़ ने कुछ कहा।

वोह आगे बड़ी और अपने दोनो हाथों से देव के पीछे बालों को कस कर पकड़ लिया। और उसके होठों को अपने होठों के गिरफ्त में ले लिया। सबिता उसे बेहतशा चूमने लगी। वोह खुद भी उसे चूम रही थी और देव को भी उसे चूमने की इजाज़त दे रही थी।

सबिता उसके एहसास में इतना ज्यादा खोई हुई थी और उसे चूमने में इतनी मग्न थी की उसे होश ही नहीं रहा की कब देव ने उसे कुर्सी से उठा कर टेबल के किनारे पर बैठा दिया है। देव के हाथ सबिता के शरीर पर उसके कपड़ो के ऊपर से ही इधर उधर फिसल रहे थे।

तभी सबिता ने देव के सीने की तरफ से उसकी शर्ट को अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया और ज़ोर से खींचा ताकी उसके बटन टूट जाएं और शर्ट अलग हो जाए। सबिता के हाथ देव के सीने पर फिसल रहे थे और फिर धीरे धीरे अपने हाथों को नीचे ले जाने लगी।

सबिता उसकी पैंट की बैल्ट को खोलने लगी, एक बार को उसके हाथ डगमगाए लेकिन फिर अगले ही पल उसने उसे खोलने की कोशिश करने लगी। जब उससे नही खुला तोह वोह फ्रस्ट्रेशन में अजीब आवाजें निकालने लगी। देव ने उसकी हरकत समझ कर अपने हाथ से अपनी पैंट की बैल्ट खोल दी और पैंट का बटन भी खोल दिया। लेकिन उसको किस करना नही छोड़ा। वोह पैंट खोलते वक्त भी उसके होठों को लगातार चूम रहा था। देव, सबिता के हाथों की छुअन, अपने निचले शरीर पर महसूस कर और भी मदहोश होने लगा।

सबिता ने महसूस किया देव उसके शर्ट के बटन खोल रहा है और उसको पूरी तरह से खोलने के बाद उसका हाथ सबिता के खाकी पैंट पर चला गया और बिना वक्त गवाए बिना सबिता की मदद के उसने उसकी खाकी पैंट का बटन भी खोल दिया। सबिता ने अपने आप को हल्का सा उठाया ताकी देव उसकी पैंट उतार सके। उसके बाद फिर उसने हल्का सा अपने आप को उठाया ताकी उसके अंडरगार्मेंट्स को भी उतार सके लेकिन उसकी जरूरत ही नही पड़ी क्योंकि देव ने उसे जोश में आके फाड़ ही दिया। देव ने सबिता को टेबल के किनारे पर बैठाया और उसमे समा गया। देव इतना ज्यादा जोश से भरा हुआ था की सबिता को दर्द होने लगा था लेकिन दर्द में भी उसकी संतुष्टि का आभास होने लगा था। देव का जोश इतना ज्यादा था की या तोह वोह उसमे पिघल कर समा जाए या फिर वोह सबिता को दो टुकड़ों में बाट दें। दोनो ही जोश से भरे हुए थे और अपना आपा खोने लगे थे।

कुछ ही देर में दोनो एक दूसरे में पूरी तरह से डूब गए और एक दूसरे को पैशनेटली और डीप्ली प्यार कर रहे थे।

सबिता ने शॉक से अपनी आंखे खोली। देव के फोर्सफुली लव से सबिता का शरीर अब कांपने लगा था। तभी उसे अपने गले और कंधे पर देव के होंठों और दांतों का एहसास होने लगा। उसके लव बाइट से उसे दर्द का एहसास होने लगा था।

काफी देर दोनो के बीच लव चलता रहा। जब दोनो को अपनी अपनी संतुष्टि का एहसास हो गया तोह दोनो शांत होने लगे। देव अभी भी उसके ऊपर ही था और थमने का नाम ही नहीं ले रहा था।

कुछ देर बाद देव ने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

काफी देर गुजरने के बाद भी दोनो ऐसे ही थे। सबिता अभी भी हैरान सी लेटी हुई थी देव के भारी भरकम ताकतवर शरीर को अपनी बाहों में लिए।














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(पढ़ने के लिए धन्यवाद
लेकिन कमेंट्स करना और रेटिंग देना भूल जाते है आप लोग)








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