फूल बना हथियार - 23 - अंतिम भाग S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फूल बना हथियार - 23 - अंतिम भाग

अध्याय 23

अक्षय को देखते ही ईश्वर के होठों पर बड़ी सी मुस्कान शुरू हुई। आवाज को धीमी करके बोला।

"करीब-करीब सब सच तो बोल दिया सर।"

अक्षय ने भी अपनी आवाज को धीमी की।

"ज़िद तो नहीं की।"

"नहीं सहाब....! परंतु मेरे पूछे पहले प्रश्न का ही झूठा जवाब दिया। मैंने तुरंत कहा आप दुबारा झूठ बोलोगे तो आपके टुकड़े-टुकड़े करके गहरे कुएं में डाल देंगे। ऐसे कहते ही वे डर गए। उसके बाद मृत्यु के डर से पूछें प्रश्नों का उत्तर सही दिया। साक्षात्कार अभी क्लाइमेक्स में था तभी आपने कॉलिंग बेल बजा दिया सर!"

"उनके बोले हुए को रिकॉर्ड कर लिया ईश्वर ?"

"कर लिया सर!"

"ठीक है! तुम जाकर साक्षात्कार को कंटिन्यू करो और जो बात कहनी है कह दो.... मैं अपने कमरे में रहूंगा।"

सिर हिलाकर ईश्वर बीच में बोला।

"सर...!"

"क्या ?"

"आपके ऊपर... किसी को शंका तो नहीं हुई ?"

"अपनी बनाई हुई योजना खराब नहीं थी साफ-सुथरी होने पर किसी को संदेह क्यों होगा...?"

"सर! आपके बारे में जब सोचता हूं तो मुझे बहुत गर्व होता है सर!"

अक्षय हंसा।

ईश्वर! यह सम्मान समारोह सब बाद में रख लेंगे। पहले डॉक्टर से जो बात करना है उसे पूरा करके फिर आओ। किसी भी कारण से अपने चेहरे को मत दिखाना... डॉक्टर और मेरे अप्पा दोनों के लिए तुम मर गए हो। मतलब डेबिट चर्च में तुम्हारी हत्या हुई उन्होंने उस हालत में तुम्हें देखा ।"

"वह मुझे मालूम है सर...? आपने जो इंजेक्शन दिया उसे देने से वह गर्दन को घुमाने की स्थिति में नहीं है सिर्फ एक लकड़ी जैसे पड़े हैं वह घूम कर भी नहीं देख सकते।"

"फिर भी तुम सावधानी से रहो। आवाज को बदल कर बोल रहे हो ना....?"

"हां.. सर!"

"ठीक... मैं कमरे में हूं। बात करके आ जाओ। अब हमारी योजना का अगला पड़ाव में जाना है !" अक्षय के बोलते समय ही घर के दाहिनी तरफ एक कमरे में जा रहे, ईश्वर दोबारा डॉक्टर उत्तम रामन के कमरे में गया उनके पीछे चेहरे दिखाये बिना बातचीत शुरू की।

"डॉक्टर !"

"हां"

"आगे बात करें। परशुराम के साथ मिलकर आपने जो अन्याय किया | उसके प्रायश्चित के लिए आपको क्या करना पता हैं ।"

"क्या... क्या करना है...?"

"अभी आपके पास जितनी संपत्ति है वह है आज के समय में उसका मूल्य क्या है ?"

"वह... वह... वह..!"

"दस करोड़ होगा ?"

"क्यों पूछ रहे हो ?"

"जो पूछे उसका जवाब दो ?"

"एक.. दस करोड़ होगा"

"उसमें से आधा अर्थात पांच करोड़ रुपए की संपत्ति को अनाथों के संस्था और बुजुर्गों के वृद्धाश्रमों के नाम करना है....!"

उत्तम रामन मौंन रहे। ईश्वर अपने हाथ में जो पिस्तौल था उसे उनके सर पर रखकर बोला।

"क्या बात है कुछ नहीं बोल रहे हो ?"

"मेरी पत्नी कारण पूछे तो ?"

"एक मनौती मैंने की है... तुम्हारे मंगलसूत्र और कुमकुम के साथ रहने के लिए वैधिश्वर के मंदिर में नाड़ी दोष देखकर ऐसा बताया है बोल देना। एक लड़की को अपने पति की संपत्ति से ज्यादा पति ही मुख्य है? आप ऐसे प्रायश्चित करने के लिए माने तभी हम आपको जीवित जाने दे सकते हैं नहीं तो कल ही सुबह फ्रीजर बॉक्स के अंदर हमेशा के लिए सो जाएंगे। फिर फूल मालाएं चढ़ेगी...."

"न...न.. नहीं मैं लिख देता हूं !"

"डॉक्टर....! आप यहां पर ठीक से हां में जवाब देकर जिंदा छोड़ने के बाद घर जाकर फिर प्रायश्चित नहीं किया तो दोबारा इस जगह पर ऐसे ही आपको सोना पड़ेगा। मुझे एक बार किसी को माफ करने की आदत है। दूसरी बार मैं माफ नहीं करता दंड ही देता हूं."

"नहीं... मैं पक्का करूंगा !"

"एक महीने के अंदर कर देना होगा !"

आज तारीख पांच है। अगले महीने के 5 तारीख को 5 करोड रुपए के बराबर संपत्ति अनाथ आश्रम नहीं तो बुजुर्गों के वृद्ध आश्रम में पहुंच जाना चाहिए।"

"पक्का हो जाएगा...!"

"मैं विश्वास कर रहा हूं...! कल सुबह 4:00 बजे आपको छोड़ देंगे। शरीर में जो सुई के कारण बदलाव हुआ है उससे आप ठीक हो जाओगे। आपकी आंखों में काली पट्टी बांधकर एक घंटे के यात्रा। बेसेंट नगर के बीच में आपको उतार देंगे और मैं कार से वापस आ जाऊंगा। 5 मिनट बाद ही आप अपने आंखों की पट्टी को खोलोगे। उसके बाद एक ऑटो या टैक्सी पकड़ कर अपने घर जाइए। यहां जो हुआ उन बातों को पुलिस में ले जाओगे या और किसी से कहोगे तो समस्या आपको ही होगी...!"

"वह मुझे मालूम है !"

"यह होशियारी हमेशा बनाए रखना ।"

ईश्वर उस कमरे से बाहर आकर दरवाजे को बंद कर ताला लगा कर अक्षय के पास कमरे में गया। लैपटॉप में कुछ कर रहे अक्षय ने उसे देखा।

"क्यों ईश्वर ! डॉक्टर प्रायश्चित करने के लिए मान गए?"

"मान गए सर... परंतु वे जिंदा बाहर जाने के बाद कैसे रहेंगे मालूम नहीं.."

"पक्का ! जैसे बोले वैसे करेंगे। क्योंकि डॉक्टर के बारे में मुझे पता है। वे बहुत डरते हैं। यहीं नहीं वह पांच करोड़ रुपए उनके लिए कोई बड़ी रकम भी नहीं है। हमारे कोर्ट में उनके अपराध के लिए जो दंड दिया है उसे जरूर दे देंगे..... कल सुबह अर्ली मॉर्निंग 4:00 बजे उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर गाड़ी में बेसेंट नगर बीच में छोड़ देना.... किसी भी कारण से डॉक्टर तुम्हें या इस स्थान को पहचान न कर पाए।"

"यह सब मैं देख लूंगा सर।"

अक्षय अपने लैपटॉप को बंद करके ईश्वर की तरफ मुड़ा।

"ईश्वर अभी हम मिलकर बात कर रहे हैं यही तुम्हारे लिए आखिरी रात है । उस ब्रीफकेस में पांच लाख रुपए हैं... आंध्रा के किसी गांव में जो तुम्हारा अपना है जैसे तुमने बोला था ना ! वहां जाकर कोई व्यवसाय करके आगे बढ़ो। 'फूल बना हथियार!' ऐसे एक विपरीत वैज्ञानिक पौधे को उसके उगने के पहले ही उसे हमने उखाड़ कर फेंक दिया, तुमने मुझे जो सहायता दी उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा । विशेषकर पड़पई पन्नैय के घर में रिमोट कंट्रोल से घर के अंदर तुमने जो साउंड इफैक्ट्स की जो आवाज निकाली तो डॉक्टर उत्तम रामन बुरी तरह से घबरा गए उसे देखकर मैंने बहुत एंजॉय किया। कुत्ते रोजर को मारने का मुझे बहुत दुख है।"

"नहीं सर... कुत्ता रोजर को हमारा उसे खत्म करना कोई गलत नहीं था। क्योंकि रोजर कुछ दिनों से ठीक नहीं था। मुझे दो बार काटने के लिए आया। वह पागल होने के स्टेज में था। इसीलिए उसे खत्म करने के लिए ही मैंने पन्नैय के घर आने का फैसला किया।"

अक्षय उठा।

"ओके... ईश्वर...! मैं रवाना होता हूं। डॉक्टर श्री हरि ने मुझे दो बार फोन कर दिया। मुझे वहां जाकर अपने योजना के मुताबिक उसे पूरा करना है। तुम यहां के सभी कामों को पूरा करके कार के चाबी को सामने के गुलाब के पौधे के नीचे रख कर चले जाना.!"

"ठीक है... सर!" ईश्वर हाथ जोड़कर आंखों में आंसू लिए नमस्कार किया, तो अक्षय ने उसके पीठ थपथपा कर घर से बाहर आया और पोर्टिको में खड़ी गाड़ी में चढ़कर रवाना हुआ।

चेन्नई की ओरकटम की जगह।

सुनसान जगह जहां पर आने-जाने वाले राहगीर भी नहीं है वहां के किनारे में श्री हरि हॉस्पिटल की रोशनी में पाँच मंजिल की इमारत दिख रही थी।

जब अक्षय ने गाड़ी को पार्किंग में खड़ा किया तब कोई भी रिसेप्शन में नहीं था। उसके प्रवेश करते ही डॉक्टर श्री हरि थोड़े से नाराज लगे।

"क्या है अक्षय....! 9:00 बजे आने की बोल कर! अभी 10 बजे।"

"सॉरी .. डॉक्टर....! ईश्वर को जाकर देख कर सब इंस्ट्रक्शंस और सेटलमेंट करने में देर हो गई...!"

"यामिनी और दोनों लड़कियां करीब एक घंटे से तुम्हारा इंतजार कर रही हैं.....!"

"चलो... अब बात कर लेते हैं....!"

खड़े हुए और लिफ्ट के अंदर गए। पांचवी मंजिल के लिए बटन को दबाते हुए अक्षय ने पूछा।

"डॉक्टर यामिनी और दूसरी दो लड़कियों की हेल्थ अभी नॉर्मल है ना ?"

"क्या है अक्षय....! ऐसे क्यों पूछ रहे हो.....? यामिनी और वे दो लड़कियों को ईश्वर यहां लाकर एडमिट करके तीन घंटे के अंदर वे अपने होश में आ गई थी। उसके बाद मैंने जो स्पीड रिकवरी ट्रीटमेंट दिया उसकी वजह से उनकी तबीयत बहुत अच्छी स्थिति में वापस आ गई है.... यामिनी से मैंने तुम्हारे बारे में सभी बातें बता दिया।"

अक्षय धीरे से हंसा।

"यामिनी का क्या रिस्पॉन्स था ?"

"पहले तुम्हारे नाम को सुनते ही गुस्से में आई। उसे और दोनों लड़कियों को बचाने वाले और ट्रीटमेंट के लिए लाने वाले तुम ही हो बोलते ही आश्चर्य में पड़ गई। उसके बाद 'फूल बना हथियार' ऐसे एक विपरीत प्रोजेक्ट को तुमने बंद करवा दिया। उसके बारे में बोलते ही वह स्तंभित रह गई। उसी समय से तुमसे मिलने की इच्छा से इंतजार कर रही है.... इसीलिए मैंने तुम्हें दो बार फोन किया!"

लिफ्ट पांचवी मंजिल पर पहुंची। बाहर निकल कर बरामदे में चलने लगे।

"डॉक्टर! उन तीनों लोगों को ट्रीटमेंट देने की बात हॉस्पिटल में दूसरे किसी और लोगों को तो पता नहीं है?"

"मुझे और सिर्फ एक नर्स को ही पता है। शी इज ए रिलायबल पर्सन। उस नर्स के द्वारा बात बाहर नहीं जाएगी।"

"डॉक्टर ! आप मेरे अप्पा के दोस्त हैं। फिर भी यामिनी के विषय में आपने जो मदद की उसको मैं कभी नहीं भूलूंगा।"

श्री हरि हंसे। अक्षय! तुम्हारे अप्पा रुपए कमाने के लिए एक दीवाने ना हो तो उनके जैसे अच्छे आदमी को देख नहीं सकते। आज तुमने उनके रुपए की इच्छा का अंत कर दिया। एक वैज्ञानिक शोध जो कानून के विरोध था उसे तुमने प्रयत्न करके बंद कर उनके दोष के लिए 50 करोड़ रुपयों का दंड दे दिया। अब आपके अप्पा कोदंडन सभी विषयों पर होशियारी से काम लेंगे !"

उस लंबे बरामदे को एक मिनट चलकर खत्म होते ही उस कमरे के सामने के सामने खड़े हुए।

अब डॉक्टर ने दरवाजे को धीरे से खटकाया अगले कुछ ही सेकंड में दरवाजा खुला।

यामिनी दिखाई दी। कुछ दिन पहले डॉक्टर उमैयाल के घर देखें वही यामिनी। आंखों में हल्का सा शोक दिखाई दे रहा था और होंठों पर वही हंसी। उसके पीछे दो लड़कियां बेहद खुश दिखाई दे रहीं थीं।

यामिनी बोली "बहुत धन्यवाद मिस्टर अक्षय।"

"किसलिए धन्यवाद?"

"उस दिन मेरी निगाहों में आप एक विलन थे। बट आज एक हीरो मालूम होते हो। एक विज्ञान का विपरीत आचरण करने वाले को आपने ऐसे एक तरीके से लड़ाई करके जीत गए ....! क्यों ऐसे देख रहे हो अक्षय। डॉक्टर श्री हरि 'फूल बना हथियार' से संबंधित सभी बातों को मुझे कह दिया। पुलिस को इस विषय के बारे में बिना बताए आपने ही सबको उनके किए कार्य के लिए दंडित किया।"

"इसमें एक सुधार मिस यामिनी?"

"क्या?"

"परशुराम जी को सिर्फ भगवान ने दंड दिया। उस दिन रेस्टोरेंट में अधिक भावना में बहकर मेसिव अटैक।"

"अच्छा! हम तीनों को यहां से कब छुटकारा?"

"आज ही अभी ही....! परंतु उसके पहले तुम तीनों लोगों को मुझसे एक प्रतिज्ञा करनी पड़ेगी।"

"कौन सी प्रतिज्ञा...?"

"तुम तीनों लोगों को परशुराम ने पन्नैय के घर में कैद करके रखा था इस सच को कभी भी किसी को भी मत बताना...."

"मुझे वह पता नहीं है क्या ?" यामिनी के बोलते ही दूसरी लड़कियों को भी क्या है करके अक्षय ने देखा।

वे दोनों आगे आई।

"सर! हमारे अप्पा अम्मा नहीं है! पालैयकोट्टैय अनाथ आश्रम के लड़कियों की संस्था में हम दोनों रहते थे।

सिनेमा में काम करने की इच्छा होने से हम चेन्नई आए तो परशुराम अंकल के चंगुल में फंस गए। अब हम वापस उस अनाथाश्रम में नहीं जा सकते। यहीं चेन्नई में किसी एक संस्था में हमें भर्ती करा दीजिए।"

"वह जिम्मेदारी मेरी है।" यामिनी बोली।

"अब सिर्फ एक ही विषय बाकी है!" अक्षय बोला।

"क्या?"

"नकुल को इन सब बातों को बताना है।"

डॉ. श्री हरि हंसे। आधे घंटे पहले ही मेरे सेलफोन के द्वारा फोन करके यामिनी से बात करा दिया.... नकुल अभी आ रहा होगा।"

"यह काम खत्म हो गया...? फिर भी एक काम बच गया डॉक्टर।"

"क्या?"

"नकुल ने यामिनी की फोटो को मुझे दिखाया तो मैंने यामिनी को नहीं जानता जैसे बोला। इसके लिए मुझे उससे क्षमा मांगनी है!"

"माफ कर दिया!"

दरवाजे के पास से एक आवाज सुनकर सब लोगों ने मुड़कर देखा।

छाती पर दोनों हाथों को बांधे हुए होठों पर जमी हुई मुस्कान लिए नकुल खड़ा था।

समाप्त