फूल बना हथियार - 22 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फूल बना हथियार - 22

अध्याय 22

“दोपहर 1:00 बजे डॉक्टर अंकल के साथ आपके सामने खडा होता हूं आंटी!"

बात करके सेलफोन को बंद करने पर उसके चेहरे पर पसीने की बूंदें चमकने लगी। रुमाल को लेकर उन्हें पोंछते हुए पोर्टिको में खड़े हुए कार की ओर चला।

डॉक्टर उत्तम रामन अपने होश में आकर आंखें खोली तभी पता चला कि वे एक अंधेरे कमरे में हैं इसे महसूस किया। उनका पीछे का सर एक लोहे के जैसे भारी था। आंखों के पलकों को बड़ी मुश्किल से खोला। अजीब-अजीब चीजें हल्के-हल्के नजर में आई। जीभ बिना पानी के सूख गई थी। पेट में भूख के कारण चूहे कूद रहें थे।

'यह कौन सी जगह है....?'

'मैं यहां कैसे...?' सर दर्द के साथ सोचा.... जो हुआ वह परछाई जैसे दिखाई दिया। घर से कार में रवाना हुआ थोड़े देर में ही कार के पीछे की सीट पर नीचे से एक आकृति उठ कर बैठी। पीठ पर बंदूक लगाकर धमकाने लगा। वह आदमी जैसे बोला वैसे कार को चलाया तो कार कई जगह होते हुए एक स्थान पर आते ही कार को एक किनारे में रोकने को बोला। उस जगह कार को रोकते ही मेरे गर्दन में एक सुई चुभाई। उसी क्षण मेरी आंखें बंद होने लगी मेरी गर्दन एक तरफ झुक गई.... ऐसे एक-एक दृश्य आंखों के सामने से जाने लगा।

"क्या हुआ डॉक्टर! आंखें खुल गई लगता है...? और एक घंटे तो बेहोश रहोगे सोचा।"

उनके पीछे की तरफ से खर-खर वाली आवाज सुनाई दी। इसके पहले नहीं सुनी हुई आवाज। कौन है मालूम करने के लिए मुड़ने की कोशिश की पर गर्दन को मोड़ नहीं पाया।

"सॉरी डॉक्टर! थोड़ी देर आप हाथ पैर हिला नहीं सकते... क्योंकि जो इंजेक्शन लगाया है वह वैसा ही है। इस इंजेक्शन का नाम आप को भी मालूम है। 'इमप्लांट' RFID डॉक्टर की आंखें फटी रह गई।"

"क्यों डर लग रहा है क्या...? इस इंजेक्शन को आपने हरिदा नामक लड़की को कितनी बार लगाकर उसके शरीर को एक शोध का पात्र जैसे उसे बदल दिया था आपने याद है आ रहा है....?"

"ह...ह... हरिदा... वह कौन...?"

"यह देखो डॉक्टर....! अभी आपने जो कहा वही आखिरी झूठ रहने दो। और एक बार आप झूठ बोलोगे तो इस कमरे से जिंदा बाहर नहीं जा सकते। मैं तुम्हें यहां किडनैप करके लेकर आया हूं उस 'फूल बना हथियार' के बारे में कुछ जानने के लिए ही लाया हूँ । आपके पार्टनर में से एक परशुराम संसार छोड़कर चले गए। बाकी बचे कोदंडन और अक्षय दोनों लोग डमी पीस है। उन लोगों के हिसाब से यह प्रोजेक्ट एक बिजनेस है। डॉलर की वर्षा में भीगने की इच्छा करने वाले पैसे वाले वर्ग के लोग हैं। आप अकेले ही सही आदमी हो। सच बता दोगे तो आप बाहर जा सकते हो और डॉक्टर के धंधे को कंटिन्यू कर सकते हो। नहीं तो घर के पीछे बिना पानी के हजार फिट गहरे बोरवेल नल के अंदर टुकड़े-टुकड़े करके डालकर समाधि बना देंगे..."

"न...न... नहीं नहीं!"

"अभी बताइए डॉक्टर.... आप हरिदा को जानते हैं या नहीं जानते?"

"जा...जा.. जानता हूं!"

'फूल बना हथियार' ऐसे एक विपरीत बात में शोध के लिए आपने उपयोग मे लाए पहले शोध का एक चूहा वह हरिदा ही तो थी?"

"हां...!"

"कौन है वह हरिदा?"

"वह सब मुझे पता नहीं। परशुराम और उसके आदमी उस हरिदा नामक लड़की को किडनैप करके ले आए थे। उसे शोध के लिए पूरा उपयोग में लाने के पहले ही परशुराम के बड़े भाई के लड़के ने हरिदा से गलत ढंग से पेश आया जिससे वह मर गई।"

"ठीक है हरिदा जैसे कितने चूहों को परशुराम ने ट्रस्ट के बिल्डिंग में रखा था....?"

"दो...! तीसरी यामिनी एक लड़की परशुराम के पास आकर मुफ्त में फंस गई।"

"उन तीनों के ऊपर शोध किया था?"

"नहीं..."

"क्यों नहीं किया...?"

"यामिनी के विषय में पुलिस को संदेह होने से तीनों लड़कियों को परशुराम ने अपने निजी पड़पई में पन्नैय के घर में रख दिया....!"

"ऐसा है तो... वह तीनों लड़कियां अभी पड़पई पन्नैय के घर में हैं?"

"नहीं है... वे तीनों लड़कियों को और पन्नैई के घर के वाचमैन को भी भगा कर कोई ले गया। ईश्वर को भी मार दिया....!"

"किसने भगाया?"

"मालूम नहीं...! फोन करके धमकी दी। पहले पैसे की डिमांड की। फिर पैसा नहीं चाहिए हमारे जान को निशाना बनाया। पहले परशुराम को खत्म कर दिया।"

"वह कौन है?"

"मालूम नहीं..."

"ठीक है..! वह कोई भी हो जाने दो... वह आपके गुट की समस्या है। उस प्रोजेक्ट के क्या कांसेप्ट है?"

"वह.. वह.!"

"यह देखो डॉक्टर..... आपको जिंदा रहने की इच्छा है तो सच बोल दो। फूल बना हथियार क्या है?"

"डॉक्टर उत्तम रामन अपने सूखे हुए होठों पर जीभ फेर कर गीला कर धीमी आवाज में कहना शुरू किया। वह दवाई के विज्ञान में एक तरह का स्टेम सेल टेक्नोलॉजी है। इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर प्राकृतिक ढंग से एक डिब और शुक्राणु को तैयार करने का एक प्रोजेक्ट है। उसे ही 'फूल बना हथियार' जो ओवम डोनेशन एमपीरियो डोनेशन में कितनी ही बदमाशियां होती है। स्वास्थ्य पूर्वक पैदा किए हुए 'ओवम सिर्फ 'एमपीरियो' लड़कियों की डिब बनाने में उपयोग में लाने के लिए चाहिए इसलिए यूएस में बायोमेडिकल फ्यूचर साइंस चेंबर के साथ हमने ठेका लेकर इस स्टेम सेल टेक्नोलॉजी को यहां पर शुरू किया।"

"हम लोग माने कौन-कौन?"

"कोदंडन, अक्षय, परशुराम और मैं...."

"यूएस साइड से कौन थे पार्टनर्स?"

"डॉक्टर कैम्बलर, उसके बाद रिसर्च स्कॉलर कार्ल मैथ्यू...! इस प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रूपया खर्च किया है। थरमणि और पड़पई में इसके लिए दो पन्नैय घर बनवाया। उसमें जो जो सुविधा चाहिए वह भी करवाया। यह एक अच्छा प्रोजेक्ट है। ठीक दिशा में उपयोग में लाएं तो आज के दवाई के संसार में एक बड़ा वर प्रसाद जैसे होगा। परंतु..."

"यूएस के डॉक्टर कैम्रलिन, रिसर्च स्कॉलर मैथ्यू मुझे अलग से स्टेम सेल टेक्नोलॉजी को रखें दूसरी तरह की चीजें बनाने को बोला।"

"दूसरी तरीके का मतलब?"

"लड़कियों के भ्रूण के लिए जो ओवम को तैयार कर सकते हैं तो इस प्रयोग से स्टेम सेल के द्वारा हम अचानक मृत्यु हो गए लोगों के ह्रदय से भी हम स्टेम सेल्स को बढ़ाकर क्यों नहीं हम एक ह्रदय को बना नहीं सकते है ऐसे ही मनुष्य की आंखें की रोशनी चली जाए तो उसके लिए भी बनाने की कोशिश कर सकते हैं। मैंने सोचा मैं इस तरह के शोध के काम करूँ तो बहुत पैसा खर्च होगा मैं बोला तो उन्होंने स्वयं देने की बात कही । तो मैंने एक बडी अमाउंट की इच्छा से उसको कोंटेक्ट किया। मैंने एक मिली मीटर जितना एक छोटा ह्रदय बनाया जो 1 मिनट में 30 बार धड़का।

"उस छोटे ह्रदय को तैयार करने के समय हरिदा जिंदा थी उस समय उसके हृदय से कुछ अपूर्व सेल को अलग करके निकाला। इस तरह के छोटे ह्रदय को मनुष्य के हृदय के साथ जोड़कर रखें तो अचानक हार्ट अटैक होने को हम रोक सकते हैं। इस तरह के शोध के लिए 'ऑरलेट हेल्थ काउंसिल' ने मना किया।

"वह... कानून के विरोध में शोध था?"

"हां!"

"आप इस तरह के कानून के विरोध में शोध करते हैं यह बात कोदंडन, अक्षय, परशुराम इन तीनों को पता था?"

"नहीं मालूम..."

"अभी जो आप बोल रहे हैं वह सब सच है ना.... इसमें झूठ मिला हुआ तो नहीं है?"

"नहीं...."

" 'फूल बना हथियार' प्रोजेक्ट के लिए अभी तक कितने लड़कियों का शोध के नाम पर आपने जान ली है...?

"हरीदा को भी मिलाकर दो लोग....!"

"उन लोगों के परिवार के बारे में आप कभी सोच कर दुखी हुए..... डॉक्टर....?"

उत्तम रामन मौंन रहे। फिर उसी ने आगे बात की।

"आपको क्या दंड दें... बोलिए!'

"तुम मुझे माफ कर दो..... मैं अब एक अच्छा डॉक्टर बनकर अपने डॉक्टर का पेशा करता रहूंगा....! मुझे माफ करना, नहीं माफ करना वह तुम्हारी इच्छा है।"

"आपने जो गलतियां की है उसका प्रायश्चित नहीं करना है क्या?"

"आप अपनी बात से मुकरोंगे तो नहीं?"

"नहीं!"

जैसे ही उत्तम रामन ने सिर हिलाया उसी समय दरवाजे की घंटी बजी। पीछे खड़ी हुई आकृति जल्दी से पीछे घुम गई।

कमरे में जो अंधेरा था उसी में वह चलकर दरवाजे की तरफ गया। बंद दरवाजे को खोला।

दरवाजा खुलते ही... बाहर अक्षय खड़ा हुआ था। उसके चेहरे में एक मुस्कान थी।

"क्या बात है... ईश्वर! डॉक्टर उत्तम रामन ने सब सच्चाईयों को बता दिया?"