फूल बना हथियार - 20 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फूल बना हथियार - 20

अध्याय 20

अक्षय गहरी सोच में डूबा हुआ सेलफोन को बंद किया उसी समय उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा तो वह मुड़कर देखा।

कोदंडन खड़े हुए थे।

"फोन पर कौन है?"

"अंकल परशुराम।"

"क्या बोलें?"

"अपने को धमकी देने वाला ब्लैकमेलर का पता लगा लिया।"

"कौन?"

"फोन पर कुछ नहीं कहना। 'अप्पा को लेकर 'ग्रीन वेम्स' रेस्टोरेंट में आने को बोला है।"

कोदंडन गुस्सा हुए। "वह कौन हैं फोन पर बोलना था ना....?"

"परशुराम अंकल के ऊपर गुस्सा मत करो अप्पा। कोई कारण होगा इसीलिए ही ग्रीनवेंस रेस्टोरेंट में आपको और मुझे बुलाया है।"

"वह परशुराम एक बेवकूफ है। उस पत्रिका वाली लड़की यामिनी के विषय में बेवकूफी पन से मूव करने से ही इतनी समस्या आई। डॉलर की वर्षा में नहाने का समय है ये....

"एक-एक क्षण डर-डर कर पसीने से तरबतर हो रहे हैं.....”

"अप्पा....! इस विषय को पुलिस में जो डीजीपी के लेवल के आदमी हैं वहाँ जाकर सॉल्व नहीं कर सकते?"

"कैसे होगा अक्षय....? जब तक आंखों से शत्रु दिखाई ना दें तब तक हम कुछ नहीं कर सकते। जो पत्रिका की लड़की गुम गई है उसके बारे में सुबह पेपर देखा....? पूरे पत्रिका की दुनिया ही सिमट कर पुलिस कमिश्नर ऑफिस के सामने धरना दे दिया.... और दो दिन तक यामिनी को पुलिस वाले पता न लगा सके तो प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने चेतावनी भी दे दी है । मामला इतना सीरियस होने से डीजीपी रैंक के आदमी के पास जाएं तो मेरे पिताजी घोड़े के अंदर नहीं है जैसे कहानी हो जाएगी।"

"अब क्या करें?"

"शत्रु कौन है पता चलना चाहिए। चलो पहले परशुराम को जाकर देखते हैं वह कौन सा रेस्टोरेंट है?"

"वह कहां है तुम्हें पता है?"

"पता है...!"

"ठीक है, रवाना हो....!"

अडैयार बोर्ड क्लब गली में थोड़े अलग तरह घने पेड़ों के बीच में 'ग्रीन वेंस रेस्टोरेंट' दिखा।

पार्किंग एरिया में कुछ कार और टू व्हीलर खड़े थे। रेस्टोरेंट के अंदर आईटी में काम करने वाले युवा कॉलेज जाने वाले लड़के लड़कियां पिज्जा बर्गर खा रहे थे उनकी हंसी गूंज रही थी।

अक्षय और कोदंडन कार को पार्क करके रेस्टोरेंट के अंदर घुसे। कार्नर टेबल में परशुराम दिखाई दिए। उनका चेहरे पर परेशानी और आंखों में डर समाया था।

उनके सामने जाकर बैठे। थोड़ी देर मौन के बाद अक्षय बोला।

"बोलिए अंकल... वह ब्लैकमेलर कौन है?"

परशुराम यह दीर्घ श्वास छोड़कर सिर को झुका कर बोले "मेरा बड़ा भाई सेतुरामन!"

"कोदंडन स्तंभित रह गए। उनका और हमारा क्या संबंध है। वे क्यों हमारे विरुद्ध एक ब्लैकमेलर बनकर आएंगे ?"

"मैंने एक गलती कर दी।"

"क्या गलती?"

"उनके लड़के कैलाश को मार डाला...."

कोदंडन और अक्षय स्तंभित रह गए और एक दूसरे को देखने लगे। कोदंडन घबराए।

"यह कब हुआ....?"

"चार दिन पहले….."

"चार दिन पहले रात को 8:00 बजे के करीब मेरे भाई सेतुरामन का लड़का कैलाश इदम् ट्रस्ट बिल्डिंग में आया। आते समय ही वह नशे में था। मुझे देखते ही रोने लगा। 'चाचा जी मुझे और अप्पा में संपत्ति को लेकर कोई समस्या हो गई है । उनसे लड़ाई करके मैं घर से बाहर आ गया। एक-दो दिन अप्पा के सामने ना आकर मैं यहां रहता हूं। वे मुझे देखे बिना नहीं रह सकते। दो दिन बिना देखे रहे तो वे अपने आप मेरे कब्जे में आ जाएंगे।'

"फिर...?"

"मैंने भी उसके कहने में न्याय को देखते हुए मेरे कमरे के पास वाले कमरे में ठहरने के लिए बोल दिया था। रात में तो मुझे ठीक से नींद नहीं आती है। कोई आवाज सुनकर मैं कमरे के बाहर आया। कैलाश एक चोर बिल्ली जैसे इधर-उधर देख कर ट्रस्ट बिल्डिंग के अंदर इधर-उधर जाने लगा। अपने विषय किसी को सूंघ न लें यह सोच कर मैं उसके पीछे-पीछे गया। नीले कमरे में आधी बेहोशी में पड़ी लड़की हरिता का मूर्खता पूर्वक बलात्कार करने की कोशिश की। मैंने उसे रोकने की कोशिश की। पर मैं नहीं रोक पाया। एक बार तो कैलाश ने मुझे ही मारना चाहा। दूसरा रास्ता ना होने के कारण मुझे उसे अपने साइलेंस पिस्तौल से मारना पड़ा। उसके जान छोड़ने के थोड़ी देर बाद ही हरिता भी मर गई। इस विषय को अपने आदमी यादव और मैनेजर को बताया। उन्होंने दोनों के बॉडी को डिस्पोज कर दिया। तीन दिन पहले मेरा बड़ा भाई सेतुरामन मुझे फोन करके कैलाश यहां आया था क्या पूछा। मैंने नहीं आया बताया। उन्होंने उस पर विश्वास ना करके 'तुम्हारे पास ही आया है मैंने सुना है।'

अक्षय बीच में बोला।

"अब मेरे समझ में आ रहा है अंकल....! हमें धमकी देने वाला ब्लैकमेलर तुम्हारा बड़ा भाई हो सकता है आप सोच रहे हैं नहीं...?"

"हां…....! मुझे मेरे बड़े भाई पर ही नहीं। यादव और मनोज के ऊपर भी संदेह हो रहा है। क्योंकि पिछले दो दिनों से वे भी गायब हैं। उनका सेलफोन ट्राई किया तो 'नंबर एज नॉट यूज' आ रहा है....."

कोदंडन ने परशुराम जी को देखा। "तुम्हारा बड़ा भाई सेतुरामन नहीं मिल रहा ऐसी कोई शिकायत पुलिस में की है क्या?"

"नहीं..."

"क्यों नहीं किया पूछा....?"

"पूछा"

"क्या बोला?"

"एक हफ्ता या दस दिन देखकर नहीं आए तो पुलिस में जाने की बात बोली।"

"उनके ऐसे बोलने पर तुमने भी विश्वास किया?"

"हां"

"तो... अब क्या करें?"

"यह समझ में नहीं आया तभी तो आपको फोन किया!"

कोदंडन अपने बेटे की तरफ मुड़े।

"अक्षय! तुम बोलो..... आगे इस विषय को कैसे डील करें?"

"अप्पा! मेरा केस वर्क क्या है पता है?"

"क्या?"

"हरीदा और कैलाश की बॉडी दोनों को यादव और मनोज ने डिस्पोज़ किया हैं । वे दोनों अंकल के बड़े भाई सेतुरामन से मिलकर बात बताई होगी। उसके बाद तीनों ने मिलकर रुपयों के लिए ब्लैक मेलिंग का काम शुरू किया होगा। यामिनी और दोनों लड़कियां अभी उनके कस्टडी में ही होंगी।"

"ठीक है! इसे कैसे कंफर्म करें?"

"सेतुरामन के ऊपर जासूसी करनी पड़ेगी। खासकर रात को वह कहां जाते हैं किस से मिलते हैं किससे बात करते हैं यह सब देखना पड़ेगा।"

"मैं इस काम को देख लूंगा अक्षय! तुम एक दूसरे काम को करो"

"बोलिए अंकल.... मुझे क्या करना है?"

"अपने पास काम करने वाले मनोज और यादव दोनों कहां पर है मालूम करना तुम्हारी जिम्मेदारी है। उनके मोबाइल नंबर को मैं देता हूं। उससे वह किस गांव में हैं मालूम कर सकते हैं मैं सोचता हूं।"

"पक्का हो सकता है अंकल...! मोबाइल नेटवर्क कॉरपोरेशन के एक आदमी को मैं अच्छी तरह जानता हूं। इस विषय में वे मेरी मदद करेंगे। बाय... द.… वे... अपने डॉक्टर उत्तम रामन को इस बारे में कन्वे कर दिया?"

"नहीं... सुबह 8:00 बजे उनको फोन किया। एक मुख्य सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर में है बताया। अभी उनसे बात करनी है!" परशुराम जी के कहते समय ही बैरा उनके पास आकर खड़ा हुआ।

"सर आर्डर प्लीज"

"तीन लेमन टी...!"

"एनी स्नैक्स"

"नहीं।'

बैरा चला गया। कोदंडन परशुराम की तरफ मुड़े।

"तुम्हारा बड़ा भाई सेतुरामन अभी कहां है?"

"अपने घर में..."

"उनको फोन लगाओ!"

"अभी किस लिए उनको फोन?"

"सेतुरामन तुमसे बात करते समय किस तरह के शब्दों का उपयोग करते हैं मुझे सुनना है। उनके बेटे कैलाश के नहीं मिलने के बारे में उन्हें सचमुच में फ़िक्र है... कि नहीं है मैं मालूम कर सकता हूं। फोन लगाकर बात करो.!"

परशुराम अपने मोबाइल से सेतुरामन के नंबर को दबाया। स्पीकर को ऑन करके बात करने लगे।

"अन्ना.... मैं परशुराम...!"

"बोलो...!" दूसरी तरफ से सेतुरामन की आवाज सुनाई दी। कोदंडन उस वार्ता को ध्यान से सुन रहे थे तो परशुराम ने आगे बात की।

"कैलाश घर वापस आ गया?"

"अभी नहीं आया....! और दो दिन के अंदर आ जाएगा ऐसा सोचता हूं!"

"अन्ना इस विषय में लेट मत करो। पुलिस में जाकर कंप्लेंट कर दो....!"

"गुम जाने के लिए क्या वह छोटा बच्चा है...? संपत्ति का बंटवारा करो बोला। मैंने मना कर दिया। नाराज होकर घर छोड़कर चला गया। तुम्हारे पास ही आया होगा सोचा। तुम्हारे मना करने से वह कहीं छुपा हुआ है लगता है..."

"उसके फ्रेंड्स के घरों में फोन करके पूछ कर देखा?"

"हां.... पूछा। कैलाश किसी के घर नहीं गया। यह देखो परशुराम! तुम उसके बारे में फिक्र मत करो और अपने काम को देखो। वह एक पियक्कड़ है। संपत्ति का अभी बंटवारा कर दें तो सब को बेच कर खा जाएगा। इसीलिए मैं संपत्ति का बंटवारा नहीं कर रहा। इसके अलावा एक कारण और भी है!"

"वह क्या?"

"वह अपने साथ पैदा हुई छोटी बहन को संपत्ति नहीं देना चाहिए बोलता है। सब जायदाद उसी के नाम से होना चाहिए क्या ?"

"वह तो गलत है?"

"वह अभी ठीक नहीं है | परशुराम! तुम कैलाश की चिंता बिल्कुल मत करो.... वह बदमाश हफ्ता दस दिन सारी दुनिया में घूम कर जब भूखा मरेगा तो घर आ जाएगा। तू अपने मन को परेशान मत कर।"

वार्ता खत्म हुई।

परशुराम अपने फोन को स्विच ऑफ किया उसी समय उन्होंने कुछ बदलाव अनुभव किया। मुंह के अंदर थूक ज्यादा आने लगा। थोड़ी देर में ही वह खट्टा सा लगने लगा। वह क्या है सोचने के पहले ही मुंह के कोने से एक धारा जैसे बहने लगी। अपने बाएं हाथ के अंगुली से डर के छू कर देखा।

खून!

सामने बैठे अक्षय और कोदंडन दोनों सदमे से उठे।

हॉस्पिटल।

आईसीयू के बाहर अक्षय और कोदंडन दोनों के चेहरे सदमे से काले पड़े हुए थे उन्होंने डॉक्टर उमैयाल को देखा।

क्या कह रहे हो डॉक्टर.... परशुराम के जिंदा रहने की उम्मीद कम है....?"

"बहुत-बहुत कम है... सडन मेसिव अटैक। आप और अक्षय रेस्टोरेंट्स से तुरंत उन्हें हॉस्पिटल लेकर आ गए। यह साधारण हार्ट अटैक होता तो इस समय परशुराम उठ कर बैठ जाते। बट यह साधारण नहीं सीवियर अटैक है। मेडिकली इसका नाम कार्डियो वैस्कुलर अटैक। हॉट पलजिंग भी है। लिकर बहुत पीते हैं क्या?"

अक्षय ने हां में सिर हिलाया।

"आंटी...! परशुराम अंकल रोज लिकर लेते थे। परंतु देखने में हेल्थी ही लगते थे। रेस्टोरेंट में हमारे साथ बैठकर बात करते समय भी एक्टिव थे?"

"यह देखो अक्षय....! लिकर पीने वाले बाहर से देखने में स्वस्थ ही दिखते हैं। परंतु उनके अंदर के अवयव खासतौर से

किडनी, ह्रदय दोनों अच्छी स्थिति में नहीं होते। कभी भी किसी भी समय वैस्कुलर अटैक आ सकता है।"