अध्याय 19
'मैंने उसे देख लिया!' कोदण्डन के कहते ही अक्षय, परशुराम और डॉक्टर उत्तम रामन तीनों अंधेरे में इधर-उधर देखने लगे। अक्षय घबराया। अपनी आवाज को बहुत धीमी की।
"कहां है वह अप्पा... बोलिए... इसी जगह पर उसकी कहानी को खत्म कर देते हैं!"
"थोड़ा रुको...! जल्दबाजी मत करो काम खराब हो जाएगा। मैं जो जगह बता रहा हूं उसे ध्यान से देखो.... चर्च के बाई तरफ एक पिलर है। तुम देख पा रहे हो?"
"हां... देख पा रहा हूं..!"
"उस पिलर के पीछे छुप कर बैठा हुआ है।"
"देख लिया। हवा में उसकी शर्ट थोड़ी हल्की हिल रही है..."
"बिना आवाज किए मेरे पीछे ही आओ।" कहकर कोदंडन अपने रिवाल्वर को तैयार स्थिति में रखकर अंधेरे में एक कदम उठाकर रखा। और तीनों भी अपनी सांस को रोके हुए उनके पीछे गए। चर्च के उस पुराने धूल भरी सीढ़ियो पर बिना आवाज किए चढ़ने लगे। पिलर के पीछे छुप कर बैठा हुआ आदमी अब थोड़ा हिला ऐसा लगा। कोदंडन घुटने के बल बैठकर सांस लिया।
"अक्षय" धीरे से बोलो।
"हां"
"यहीं से निशाना लगा के उसे मार दें?"
"नहीं अप्पा... पहले उसे बंदूक के नोक पर फांसते हैं। वह कौन है हमें पता चलना चाहिए। क्योंकि उसको अपने 'फूल बने हथियार' प्रोजेक्ट्स के बारे में मालूम है। इसलिए उसे कैसे पता चला मालूम करके ही फिर आगे की कार्यवाही फ्यूचर में उस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा सकते हैं....!"
"वह बच गया तो...?"
"इसके बाद वह बच नहीं सकता। वैसे वह बचकर भागने का प्रयत्न करें उसी समय उसे शूट कर देंगे। रिवाल्वर को मुझे दे दो... मैं सिर्फ उसके पास जाता हूं। तुम तीन और लोग यहीं पर रहो!" कहकर अक्षय अप्पा के हाथ से रिवाल्वर को लेकर अंधेरे में उसकी तरफ देखता हुआ एक-एक अंगुल सरक रहा था।
पिलर अब अच्छी तरह दिखाई दे रहा था। पीछे वाले का सीधा हाथ और सीधा पैर साफ दिखाई दे रहा था। अक्षय बिल्ली वाली चाल से अचानक जो सोचा नहीं एक क्षण झपट्टा मार उसके सामने रिवाल्वर लेकर खड़ा हुआ।
अगले ही क्षण-अक्षय का चेहरा बदला।
पिलर के सहारे से बैठे हुए आदमी का शरीर एक तरफ झुका हुआ था, पेट की जगह से खून बह रहा था। मारे गए चाकू पेट के अंदर गया होगा। चाकू का हैंडल ही सिर्फ बाहर दिख रहा था।
"अप्पा..."
"क्या हुआ अक्षय... क्या हुआ?"
तीनों लोग जल्दी-जल्दी आए। हत्या हुए व्यक्ति को देखकर स्तंभित होकर वैसे ही खड़े थे।
"अ ...अ... अक्षय! यह कौन है?"
"मालूम नहीं है?"
"सेलफोन के टॉर्च को उसके चेहरे पर गिरें जैसे डाल" कोदंडन कहते ही अपने सेलफोन को निकालकर प्रकाश को मरे हुए आदमी के चेहरे पर डाला। प्रकाश उसके चेहरे पर गिरा तो अक्षय की आंखें फटी रह गई।
"अप्पा... यह ईश्वर है। परशुराम अंकल के पन्नैय के घर का वॉचमैन!"
डॉक्टर उत्तम रामन, ईश्वर के शरीर के पास जाने की कोशिश करने लगे, परशुराम घबराते हुए उनके हाथ को पकड़ लिया।
"नहीं डॉक्टर... पास में मत जाओ। उसने उन तीनों लड़कियों को ही नहीं वॉचमैन ईश्वर को भी साथ में किडनैप करने आया था। किसी समस्या के होने के कारण ईश्वर को मार डाला। अब इस जगह पर और रहना उचित नहीं है। चलते हैं। फिर से वह हमें कल कांटेक्ट करेगा। सौदा करेगा। वह जो मांगे उन रुपयों को देकर उन तीनों लड़कियों को छुड़ाना ही अभी हमारा मुख्य काम है..!"
"परशुराम का कहना ठीक, उसके अनुसार हम नहीं चले तो समस्या आएगी। इसलिए उसने ईश्वर की हत्या करके हमें बता दिया।"
"पिस्तौल को मत लेकर आओ मैंने घर पर ही कहा था। अप्पा ने सुना नहीं...."
"ठीक है.. ठीक है... हम रवाना होते हैं। यहां एक मिनट भी खड़ा होना हमारे लिए आपत्तिजनक हो सकता हैं ।"
"एक मिनट!" अक्षय बोला।
"क्या?"
"मरे हुए ईश्वर के हाथ में कोई कागज का टुकड़ा है। वह क्या है देखें?"
"वह कुछ भी होने दो.... अक्षय! अब हम यहां नहीं ठहरेंगें।"
"वह क्या है देख लेते हैं अंकल। उसमें अपने लिए कोई बात हो सकती है।"
"तुम ही जाकर देखो अक्षय!"
अक्षय सेलफोन के टॉर्च की रोशनी में खून के कीचड़ में उतर कर ईश्वर के पास गया। उसके सीधे हाथ के अंगुलियों में जो कागज का टुकड़ा फंसा था उसे खींचा।
सेलफोन के प्रकाश में देखा।
वॉल पेन से चार पांच लाइनें लिखी थी। अक्षय ने उसे जोर से पढ़ा।
आप लोगों के अन्याय में विश्वास पात्र बनकर काम करने वाला यह ईश्वर अब जिंदा नहीं है। आपके बारे में सब सच्चाईयों को जानने के बाद अब यह जिंदा रहें तो मेरे लिए और आपके लिए आफत है।
इसीलिए एक अंगुल लंबे चाकू से नीचे के पेट में घुसा कर उसके सांस को रोक दिया। छः गड्ढे तैयार हैं।
इसे आप डिस्पोज करेंगे ? नहीं तो... मैं करूं?
कागज के टुकड़े में लिखे हुए बातों को खत्म कर अक्षय के चेहरे पर डर से पसीना आ गया।
कोदंडन घबराए।
"अक्षय...! अब हम यहां नहीं रुकेंगे। रवाना हो....!"
चारों लोग तेज-तेज चलकर चर्च के बाहर आए। परशुराम तेज-तेज सांस लेते हुए पहला आदमी बनकर दौड़े। उनके पीछे कोदंडन, उत्तम रामन और अक्षय पसीने से भीगते हुए पीछे-पीछे आए। कार खड़ी हुई जगह आकर रुके तो अक्षय का सेलफोन बजा। उठाकर देखा।
नया अंक।
वही होगा।
स्पीकर को ऑन कर अक्षय बोला।
"हेलो!"
"अक्षय पहली बार की बातचीत असफल हुई। यह असफलता की कीमत ही वॉचमैन ईश्वर की मौत। कल दूसरी बार बातचीत होगी। 5 मिनट के अंदर बात खत्म होनी चाहिए। वह भी असफल हुआ तो उस असफलता की आपको एक कीमत चुकानी पड़ेगी। मैं कौन हूं उसे मालूम करने की कोशिश भी मत करिएगा। ऐसा प्रयत्न करोगे तो उसका परिणाम विपरीत होगा। तुम्हें चाहिए वह तीन लड़कियां। मुझे चाहिए एक बड़ा अमाउंट। यह एक सिंपल डील है। यदि यह सफलतापूर्वक हो जाए तो आप कोई मैं कोई....!"
अक्षय कार के ड्राइविंग सीट पर चढ़ते हुए बड़बड़या।
"यह देखो...! हमारे अप्पा पिस्तौल लेकर आए वह गलत था। अब ऐसी कोई गलती नहीं होगी। तुम्हारा डिमांड क्या है, बोलो। कितना रुपया चाहिए?"
"कल बोलूंगा....!"
"कितने बजे?"
"कल राहुकाल कितने बजे है कैलेंडर में देखो.... उस समय मेरा फोन आएगा।"
अक्षय आगे बोलने की कोशिश की तो दूसरी जगह से काट दिया।
दूसरे दिन सुबह 10:30 बजे डॉक्टर उमैयाल हॉस्पिटल।
डॉक्टर अब अम्मा को कोई परेशानी तो नहीं है?"
"कोई परेशानी नहीं। बीपी, शुगर और प्लस सब कुछ नॉर्मल हो गया। इन तीनों में से कोई भी 100 से आगे ना बढ़े तो इनकी आयु 100 साल।"
"अम्मा को अब घर लेकर चलें?"
"अभी इतनी जल्दी क्या है अक्षय.... अम्मा को दो दिन और मेरे हॉस्पिटल में रहने दो। कब डिस्चार्ज करना है मैं ही बोलूंगी....! और फिर एक बात अक्षय"
"क्या है आंटी...?"
"उसे तुमसे कहकर कोई फायदा नहीं। तुम्हारे अप्पा से ही कहना है" कहकर हंसने लगी उमैयाल, कोदंडन की तरफ मुड़ी। यह देखिए मिस्टर कोदंडन! तुम्हारी पत्नी रोहिणी रिकवर होकर पहले जैसे स्वास्थ्य हो गई। उन्हें ऐसे ही स्वस्थ्य रखना है तो अक्षय की जल्दी से शादी कर दो। अगले एक साल के अंदर पोता-पोती पैदा हो जाए तो तुम्हारी वाइफ को मेरे पास आने की जरूरत नहीं पड़ेगी!"
"यस...यस....! जल्दी ही अक्षय के लिए अच्छी लड़की देख कर शादी कर देंगे।"
"वह ठीक है कोदंडन... आप क्यों इस तरह से डल हो...? आपकी पत्नी की तबीयत ठीक है बोला तो उसके बाद भी आपके चेहरे पर कोई खुशी दिखाई नहीं दी? हेल्थ के हिसाब से कोई समस्या...? सिम्स टू बी हाइपरटेंशन.....!"
"नो.... नो..... ऐसा कुछ नहीं है डॉक्टर.... कुछ बिजनेस प्रॉब्लम। दिल्ली से कल ही लौटा। टीडीएस जर्नी। रात को भी ठीक से नींद नहीं.."
उमैयाल एक दीर्घ श्वास छोड़कर बोली “रुपयों के पीछे की मत दौड़िए कोदंडन। आप महीने में 10 करोड़ रुपए भी कमाए तो सुबह चार इडली दोपहर को दो कटोरी चावल रात को दो चपाती। शरीर बीमार हो जाएं तो आप कितना करोड़ भी खर्च कर लो वह सब सफेद कागज ही है।"
"व्हाट यू आर सेइंग इज करेक्ट डॉक्टर! परंतु इस दौड़ को मैं रोक नहीं पा रहा हूं... थोड़ा-थोड़ा प्रयत्न में कर रहा हूं...!"
"डेट्स गुड!" उमैयाल बोल रही थी उसी समय अक्षय का मोबाइल बज उठा। कौन बोल रहा है देखा।
परशुराम।
डॉक्टर उमैयाल को एक 'सॉरी' बोलकर कमरे से बाहर आया। इधर-उधर चारों तरफ देखकर फोन को उठाकर बाएं कान पर लगाया।
"बोलिए अंकल"
"तुम और अप्पा अभी कहां हो?"
"हॉस्पिटल में"
"अक्षय! हमें ब्लैकमेल करने वाला कौन है मैंने मालूम कर लिया।"
"कौन है अंकल?"
"फोन पर कुछ नहीं। तुम और अप्पा हॉस्पिटल से सीधे निकलकर 'ग्रीन वेम्स' रेस्टोरेंट में आ जाओ। मैं वहां वेट कर रहा हूं। लेट मत करो। मैटर इज वेरी अर्जेंट।"