किसी भी टॉपिक पर बात करता अपनी सोच के हिसाब से खुल कर अपनी बात कहती। " "अच्छा, ज्योति तुम्हारा कोई बॉय फ्रैंड था"? एक दिन मैंने उसकी टाँग खींचते हुए पूछा, हालाँकि मैं जानता था कि उसका जवाब ना ही होगा। "हाँ था, वो बहुत गरीब परिवार से था, उसने सोचा कि इस विकलांग को प्यार और शादी का झाँसा दूँगा तो कुछ पैसा आ जाएगा, और हुआ भी यही, बस इतना है कि
वो थोड़े से ही पैसे ले कर भाग गया"।
मैं हैरान हो कर उसकी बातें सुन रहा था। वो परत दर परत अपने दिल की बात कहती जा रही थी। " प्रकाश तुम्हे पता है, वो वैसे ही पैसे माँगता तब भी उसको दे देती, पर नहीं उसने तो मुझे अपने प्यार का यकीन ही दिला दिया था जो गलत था"।
"ज्योति मुझे पूछना तो नहीं चाहिए पर पूछने से अपने आप को रोक नही पा रहा", मेरे ऐसे कहने पर वो बोली," बिदांस पूछो जो दिल में है"।
मैं-- क्या तुम उससे प्यार करने लगी थी?
ज्योति-- हाँ ।।
मैं -- "क्या तुमने ऐसा कुछ ऐसा किया जिसका अब तुम्हे अफसोस हो"?
वो -- "नहीं यार"।
मैं --" तुम समझी गयी ना जो मेरे पूछने का मतलब था"? मैं उसकी "नहीं" से संतुष्ट नही था, क्योंकि मैं खुद ही कुछ लड़कियों के साथ हर पार कर चुका था।
वो-- "हाँ समझ गई कि तुम पूछ रहे हो कि मैंने उसके साथ सेक्स किया या नहीं"?
मैं -- "हाँ वही", उसकी बेबाकी से उस दिन मैं ही झेंप गया ।
वो-- "मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे मैं अपने आप से ही नजरे ना मिला पाऊँ"।
मैंने बातचीत को फिर से मजाक की ओर मोडते हुए कहा, "फिर तो वो झूठा ही नहीं साला गधा भी था, जिसने कुछ नहीं किया!"
वो खिलखिलाते हुए बोली - "सिर्फ गधा मत कहो बड़े वाला गधा कहो"।
"तुम अपना बताओ, कोई खास तो होगी तुम्हारी लाइफ में", उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा," है नहीं थी और अब उसकी शादी हुए भी काफी समय हो गया, और हाँ, मैंने सब कुछ किया था , तुम पूछो उससे पहले ही बता दिया"। वो बोली," फिर तुमने उससे शादी क्यों नहीं की"? "यार तब मेरे घर के हालात ठीक नहीं थे, और उसको भी अहसास था कि उसके घर वाले नहीं मानेंगे"।
मेरी बातें शायद उसको पसंद ना भी आई हो।
उसने मुझसे कहा कुछ नहीं, पता नहीं मुझे क्यों इतनी चिंता हो रही थी कि वो मुझे बुरा इंसान ना समझ ले ??
उसने फिर कभी उस बारे में कुछ नहीं कहा वो पहले जैसे ही तो बातें करती थी। फिर भी मैंने अपने मन में चल रही उथल पुथल को शांत करने के लिए पूछा , "ज्योति मेरा इतिहास जानने के बाद तुम्हारी मेरे बारे में राय बदल तो नहीं गयी ना"?
"नहीं , तुम मेरे लिए जैसे थे वैसे ही हो । मुझे अच्छा लगा कि तुमने कुछ छुपाया नहीं"। सुन कर राहत की साँस ली। धीरे धीरे हम एक दूसरे के परिवार और रिश्तेदारों के बारे में जान रहे थे।
मैं इतने दिनों तक कभी किसी से बात नहीं कर पाता था पर ज्योति के पास इतनी बातें होती थी कि बस उसकों सुनता रहता था। उसकी आवाज में सुकून था और हर मैसेज में दोस्ती और अपनापन। मैं उसका ध्यान रखना चाहता था , उसकी हर तकलीफ को बाँट कर कम करना चाहता । बस अगर कुछ नहीं कर सकता था तो वो उसकी शारीरिक कमी को दूर !!
वो जब भी अपने परिवार के बारे में बात करती तो मैं उसकी आवाज में खुशी महसूस करता और भगवान को धन्यवाद देता कि कम से कम परिवार में खुश तो है ।
कुछ तो था जो मेरे अंदर बदल रहा था। मुझे ज्योति से प्यार हो गया था। "ज्योति मुझे तुमसे प्यार हो गया है"। रात को मैसेज करके अपने दिल की बात बिना देर किए बता दी।
"यह कैसे और कब हो गया? मेरी तस्वीर ही देखी है अभी तुमने, यकीन जानो असल में तो और बुरी दिखती हूँ "!!! जब उसने ये कहा तो मुझे बहुत गुस्सा आया। "तुम जैसी भी हो मुझे तुमसे प्यार है"। मेरा ऐसा कहने पर बोली "ठीक है"। "यार ये कैसा जवाब है?? कम से कम ऑय लव यू टू तो बोल देती"। मेरे मन मुताबिक जवाब न मिलने से मैं खीज कर बोला।
उसको सब कुछ मजाक ही लग रहा था। "हमारा स्टेटस मैच नहीं करता मैं जानता हूँ, तुम्हे ऐसे नहीं रख पाऊँगा जैसे तुम रहती हो"।
मैं उसको फोन पर बोलता चला गया और वो मैडम सिर्फ इतना बोली," अभी सो जाओ, कल बात करेंगे"। मुझे यकीन था कि वो "हाँ" कहेगी। शायद दिल के एक कोने में अपनी पर्सनेल्टी पर गुरूर था।
क्रमश:
सीमा बत्रा