प्यार ऐसा भी - 1 सीमा बी. द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार ऐसा भी - 1

ये कहानी एक ऐसे प्यार की है जो ज्योति के लिए सब कुछ था पर प्रकाश के लिए एक अवसर..... एक स्वार्थ की कहानी और भावनाओ से खिलवाड़ करने वाले की कहानी...... एक ऐसे लड़के की कहानी जो अपनी गलती कभी समझ ही नही पाया।

मेरी पहली कहानी "स्त्री" को इतना प्यार देने के लिए आपका दिल से आभार 🙏🙏 .... इस कहानी को भी पढिएगा जरूर.. आपकी राय का इंतजार रहेगा ...

प्यार ऐसा भी (भाग --1)

मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर आप सब सोच रहे होगें की लो एक और प्रेम कहानी!!
मैं आप सब से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि ये है तो प्रेम पर कैसा?? वो आप पर छोड़ता हूँ।

मैं प्रकाश हूँ, एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ। घर की आर्थिक स्थिति और जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले ही आत्मनिर्भर
बना दिया। जब मेरे दोस्त कॉलेज मे मस्ती करते थे तब मैं बस कमा रहा था।

पापा का असमय जाना, भाई बहन की पढ़ाई और बाकी जरूरते पूरी करता 33 साल का हो गया पता ही नही चला था।

छोटी बहन की शादी अच्छे से निपटा कर मैं
चिंता से मुक्त हो गया था। यूँ तो साथ काम करने वालों से दोस्ती थी पर सिर्फ बाहर तक।
आभासी दुनिया में भी काफी लोगों से जुड़ा था, बस वो भी एक टाइम पास जरिया था।

ऐसे ही एक दिन मैंने एक लड़की को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी । काफी दिन तक उसने कोई जवाब नही दिया। वो ऑन लाइन कम आती थी शायद। उसके प्रोफाइल में कोई फोटो भी नहीं था। नहीं तो सोचता कि ज्यादा खूबसूरत है इसलिए भाव खा रही है।

खैर एक दिन उसने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। वो भी दिन भर काम में बिजी रहती थी।
रात को सब काम से फ्री हो कर हम कुछ देर बात कर लिया करते थे।

उसके भी दोस्त नहीं थे, इसलिए हमारी दोस्ती जल्दी हो गई। उसकी सोच और स्वभाव ने मुझे काफी इंप्रेस कर दिया था। वो मुझसे 5 साल बड़ी है, उसी ने बताया था। दोस्ती में उम्र नहीं देखी जाती तो बस फिर क्या था हम दोस्त बन गए। इतना ही नहीं उसने पहले ही दिन बोल दिया कि," आशिक प्राजाति के हो तो किसी और को देखो, क्योंकि मैं स्पेशल हूँ जिन्हे आप जैसे आम लोग विकलांग कहते हैं"।



मुझे उसका अपनी कमी को भी यूँ बेबाकी से कह जाना पसंद आया। कुछ दिन मैसेंजर से बात करते रहे, फिर एक दिन मैंने उसका मोबाइल नं माँग लिया और उसने झट से दे भी दिया।

मैंने उससे मजाक में पूछा, "तुम ऐसे ही सबको अपना नंबर दे देती हो क्या "? उसने कहा , "नहीं इतनी नौबत कभी आई नहीं, क्योंकि मैं किसी से खास बात नही करती, और मेरी फ्रेंडलिस्ट में अधिकतर परिवार से ही हैं"।

अरे याद आया मैंने आपको उसका नाम नहीं बताया। उसका नाम ज्योति है। धीरे धीरे वॉटसप्प पर बात होने लगी। सारा दिन हम अपने काम में रहते। रात का खाना खा कर हम थोडी देर बातें करते मैसेज से । मुझे अच्छा लगता था ज्योति से बातें करना।

फोन पर कॉल से बात करने को मैंने कभी
नहीं कहा, लगता था कि वो बुरा ना मान जाए। धीरे धीरे हम एक दूसरे की पसंद नापसंद को जान रहे थे। एक दिन उसने अचानक फोन किया तो मैंने पूछा, आज तुमने फोन कैसे कर लिया? वो बोली, "तुम मेरे अच्छे पक्के वाले दोस्त बनोगे "?

मैंने उसको चिढाते हुए कह, "क्यों अभी तक हम कच्चे दोस्त थे "?? उस दिन पहली बार हमने एक दूसरे की आवाज सुनी थी, इससे पहले तो सिर्फ मैसेज से ही बातें होती थी।
"मेरी आवाज उसको कैसी लगी थी '? इसका पता नहीं पर मुझे उसकी आवाज अच्छी लगी थी।

मुझे हमेशा एक ही ख्याल रहा है कि मुझे अपनी सबसे अच्छी दोस्त का ध्यान रखना है।
आत्मविश्वासी और उत्साह से भरपूर ही तो थी। मैंने उसे नहीं देखा था, पर उसने मुझे जरूर देखा था मेरे प्रोफाइल में।

काफी दिनों के बाद एक दिन मैंने उससे पूछा, "तुम किसी से बात नहीं करती थी तो मुझसे कैसे दोस्ती कर ली"? उसने कहा," क्योंकि तुमने अपने परिवार के साथ काफी फोटो शेयर की हुई थी , तो लगा कि तुम बदतमीज तो नहीं होंगे"। मैं उसके लॉजिक पर हँस दिया और खुद से वादा किया कि इस साफ दिल की लड़की के दुख का कारण कभी नहीं बनूँगा।

क्रमश: