फूल बना हथियार - 13 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फूल बना हथियार - 13

अध्याय 13

अक्षय उस मध्यरात्रि कार को 100 किलोमीटर की स्पीड से चला रहा था, डॉक्टर उत्तम रामन परेशान चेहरे से माथे पर पसीने के साथ दोनों हाथ बांधे बैठे हुए थे।

"अक्षय.... इस रात के समय हमें पड़पई के घर जाना ही है क्या...? कल सुबह भी जा सकते थे ना?"

"सॉरी अंकल.... मुझे उस यामिनी को तुरंत देखने की इच्छा है। फार्म हाउस के सुरंग जैसी कमरे में वह एक कागज के कचरे जैसे मसल कर फेंकी पड़ी होगी उसे मुझे देखना है.... तभी मुझे और मेरे मन को एक तसल्ली मिलेगी...¡"

"फिर भी इस समय स्थिति ठीक नहीं...

पुलिस परशुराम को सूंघ कर सर्च वारंट के साथ इदम् चैरिटेबल ट्रस्ट गई है।"

"पुलिस ने सूंघ लिया.... सच है... परंतु कानून अपने ऊपर कोई भी कार्यवाही करें वह पुलिस डिपार्टमेंट में रहने वाले किसी भी आदमी से नहीं हो सकता। वैसे भी कोई कार्यवाही करने जैसे होने पर भी मेरे अप्पा सब देख लेंगे। हमारे अप्पा के राजनीतिक पहुंच दिल्ली अकबर रोड तक फैला हुआ है यह आपको पता नहीं है क्या?"

"फिर भी....!"

"यह देखिए अंकल....! आप, मैं और मेरे अप्पा, परशुराम अंकल, हम चार जने मिलकर ही 'फूल बना हथियार' इस प्रोजेक्ट को लांच किया है। यह एक कानून के विरोध विषय है मालूम होने के बाद भी बिल्कुल डरे बिना उसे एग्जीक्यूट करते आ रहे हैं ‌। इसका कारण है हमारे ऊपर हो रही डालर वर्षा। उस वर्षा में हमें भीगना नहीं है क्या?"

"भीगना है"

"ऐसा है तो डरिए मत.... समस्या किसी भी रूप में कैसे भी आए उसे हमें फेस करना पड़ेगा ‌। यू.एस. में जो बायोमेडिकल साइंस चेंबरस इस प्रोजेक्ट के लिए करोड़ों-करोड़ों रुपये फेंकने को तैयार है। उसे हमें उपयोग में नहीं लाना है क्या?"

"उपयोग में लाना है...."

"आने वाली इतवार को यू.एस. से कोर्ल मैथ्यू आ रहे हैं। उनके साथ आपकी बातचीत हमारे लिए यूजफुल होनी चाहिए। अभी तात्कालिक रूप से बंद हुए डॉलर की वर्षा फिर से शुरू होगी ।"

"अक्षय मैं एक बात बोलूं?"

"क्या...?"

"यह 'फूल बना हथियार' प्रोजेक्ट बिना किसी समस्या के अच्छी तरह से जा रहा था। प्रोजेक्ट के लिए जरूरत की जैसी लड़कियों को मैं देख कर सेलेक्ट करता रहा। परशुराम इस बात में बीच में घुसकर उसको उलझा दिया। हम जिस लड़की को निशाना बनाते हैं उसके अम्मा-अप्पा... नाते रिश्तेदार कोई नहीं होना चाहिए यह एक साधारण नियम। परंतु परशुराम अपने काम करने वाले नौकर यादव और मनोज के द्वारा घर-घर जाकर फिनायल और अगरबत्ती बेचने वाली एक लड़की को जो बहुत सुंदर थी... इसी कारण की वजह से ट्रस्ट के बंगले में किडनैप करके ले आए। वह लड़की हरिदा नहीं मिली तो उसके बड़े भाई, छोटे भाई और अम्मा-अप्पा एक बहुत बड़ा उसका परिवार है... पुलिस स्टेशन चले गया.... पुलिस के ठीक से कार्यवाही ना करने के कारण कलेक्टर ऑफिस के सामने हरिदा के रिश्तेदार पूरे जिंदगी व्रत रखने के लिए धरना देकर बैठ गए और सभी मीडिया वालों की यही हॉट न्यूज़ है। कमिश्नर ने इसके लिए एक अलग आयोग बनाया और हरिदा को वे बहुत जोर शोर से ढूंढ रहे हैं...."

अक्षय कार के गति को तेज करते हुए व्यंग्य से हंसा। "अंकल! यह लड़कियां थोड़ी सुंदर हो जाए तो बस वे अपने मन के अंदर अपने को विश्व सुंदरी समझती हैं। परशुराम अंकल का यामिनी को किडनैप करना हंड्रेड परसेंट सही है। जानकर या अनजाने में उन्होंने मेरी बड़ी मदद की है।"

"तुम उस यामिनी के बारे में बोल रहे हो...?"

"हां...!"

"तुम्हें अपमानित किया उस यामिनी ने वह अब हमारे हाथों में फंस गई इस कारण से तुम खुश हो सकते हो अक्षय। परंतु, कल यामिनी नहीं मिलने से उसका विवरण मीडिया को मालूम हो जाएगा उस समय पूरे तमिलनाडु में बड़ी बात होकर विश्व रूप धारण कर लेगी..."

"अंकल! आपको एक सच्चाई का पता नहीं। कोई भी बड़े से बड़ा समाचार हो फिर भी सिर्फ तीन दिन के लिए ही गर्म होता है। उसके बाद वह ठंडा पड़ जाता है और कोयले में बदल जाता है।"

"अक्षय! तुम्हें एक बात पता है?"

"क्या?"

"वह हरिदा अभी जिंदा नहीं है।"

"मालूम है.... परशुराम अंकल बोले थे। उनके बड़े भाई का बेटा नशे में हरिदा के सोए हुए कमरे में जाकर रेप करने की कोशिश की उसी समय अंकल ने उसे शूट कर दिया । साथ में हरिदा को भी

मार दिया। मनोज और यादव ने दोनों बॉडी को चेंगलपेट ले जाकर सुनसान जगह पर जाकर उनको जला कर आ गए....!

"अक्षय!"

"बोलिए अंकल!"

"यू.एस. में बायो-मेडिकल साइंस चेंबर से संबंधित स्कॉलरों को इस तरह के विवरण के बारे में पता चले तो वह एक मिनट में प्रोजेक्ट को कैंसिल कर देंगे.... आइंदा हमें सावधानी से रहने की जरूरत है। परशुराम से तुम्हें यह बात कहना है!"

"डोंट वरी अंकल....! मैं बात कर लूंगा....! अभी मेरी एक ही इच्छा है क्या पता है?"

"बोलो!"

"प्रोजेक्ट्स से संबंधित आप यामिनी को औषधीय रीति से जो उसका टेस्ट करोगे उसे मुझे खड़े होकर देखना है.... वह जो तड़पेगी उसको देख कर मुझे आनंदित होना है।"

"दो दिन रुको... इस पुलिस का झमेला खत्म होने दो। ट्रीटमेंट को स्टार्ट करेंगे।"

डॉक्टर उत्तम रामन के कहते समय ही अक्षय का मोबाइल बज उठा। हेडफोन को कान में लगाकर स्पीकर को ऑन करा। दूसरी तरफ से परशुराम बोल रहे थे।

"हेलो अक्षय क्या... पड़पई फार्म हाउस को जा रहे हो?"

"जा रहे हैं। और पाँच मिनट में पहुंच जाएंगे। वहां की स्थिति कैसी है?"

परशुराम जोर से हंसे। सेल्वम अपनी तरफ होने के बाद अपने को क्या फिक्र है...? आये है... ट्रस्ट के पूरे बंगले को एक घंटे से घूम-घूम कर देख खाली हाथ लौट गए.... पुलिस कमिश्नर कितने भी कमांडो को भेजें फिर भी हमने जो गलत काम किया है उनमें से एक को भी वे ढूंढ नहीं सकते।"

"फिर भी अंकल.... आइंदा इस तरह नहीं करना चाहिए। पुलिस को हमेशा ही हम धोखा नहीं दे सकते। दिल्ली से अप्पा के चेन्नई आने पर हम चारों लोग बैठकर पुलिस हमारे निकट ना आए उसके लिए हमें एक सुरक्षित कवच तैयार करना पड़ेगा.… नहीं तो कानून के हाथ किसी भी समय लंबा होकर अपने शर्ट के कॉलर को पकड़ लेगी।"

"वह मुझे मालूम है अक्षय....! अभी मैं किसलिए फोन किया मालूम है?"

"क्यों...?"

"अपने जाल में फंसी यामिनी दूसरी लड़कियों जैसे नहीं है। वह एक जर्नलिस्ट है। उसे ज्यादा दिन हमारे पास नहीं रहना चाहिए। अपने प्रोजेक्ट में जरूरत हो तब तक उसे यूज़ करके टिशू पेपर जैसे उसको मसल के डिस्पोज कर देना पड़ेगा।"

"अंकल! आप उस यामिनी के बारे में बिल्कुल फिक्र मत करिएगा.... उसे हैंडल करना अब मेरा काम है.... पहले डॉक्टर उत्तम रामन अंकल उसे शोध का चूहा जैसे देख लेंगे। उसके बाद मैं यामिनी को अपने जिम्मे ले लूंगा। उसके घमंड और अहंकार को दबा दूंगा। परंतु किसी भी कारण के वजह से वह जिंदा बाहर नहीं जानी चाहिए...."

"ठीक... तुम दोनों शहर कब लौट रहे हो?"

"सुबह तक वापस आ जाएंगे।"

"देखकर सुरक्षित....! इस रात के समय कोल्ड ड्रिंक मत लेना। पुलिस यहां-वहां विथ एनालिसिस के साथ इंतजार कर रहे होंगे..."

"यू डोंट वरी .... वी टेक केयर अंकल!"

कार एक बहुत बड़े कंपाउंड गेट के सामने आकर खड़ी हुई। अक्षय ने जोर से हॉर्न को दबाया। कंपाउंड के गेट को खुलने का इंतजार करने लगा।

कुछ सेकंड तक इंतजार करने में चिड़चिड़ा गया तो फिर से तेज हॉर्न बजाया। अबकी अंदर से कुत्ता जोर से भौंकने लगा।

वॉचमैन ईश्वर क्या कर रहा है.... पीकर सो रहा है क्या?"

"अक्षय...! मैं उतर के देखूँ क्या?"

"आप बैठिए अंकल...! मैं उतर कर देखता हूं।" अक्षय एक बार और हॉर्न बजाकर गेट को धक्का दिया। अंदर से ताला लगा हुआ था। पास में पड़े हुए एक पत्थर पर चढ़कर झांक कर देखा।

हाथ में टॉर्च को लिए हुए वॉचमैन ईश्वर बंगले के अंदर दौड़ता हुआ आ रहा था।

"आ गया साहब!"

अक्षय गुस्से से चिल्लाया "गेट के पास खड़े नहीं हो कर तुझे और क्या काम है रे...?"

"माफ कीजिए साहब...! बंगले के अंदर कोई आवाज आई ऐसे लगा। इसलिए अंदर जाकर देख कर आ रहा हूं।" बोलता हुआ दौड़-दौड़ कर आ वॉचमैन ईश्वर हांफता हुआ गेट को खोला। वह काला कुत्ता रोज़र उसके पीछे भौंकता हुआ दौड़कर आया। अक्षय के ऊपर खिलाते हुए चढ़ने और भौंकने लगा। अक्षय उसके सिर को सहलाने लगा।

"क्या है रे रोज़र पिछले दफे से ज्यादा मोटा हो गये! ज्यादा बीफ खाते हो क्या?" कहते अक्षय वॉचमैन की तरफ मुडा। एक कुत्ता यदि इमली के बोरी जैसे रहे कैसे तेज दौड़ेगा? कोई अंदर घुसे हैं तो कैसे उसे भागकर पकड़ेगा? उसके एक समय के खाने को कम करो।'

"ठीक है...!" ईश्वर कहकर भव्यता से एक तरफ खड़ा रहा, अक्षय कार में आकर उसे चलाकर बंगले के अंदर पोर्टिको में ले जाकर खड़ा किया।

"ईश्वर !" अक्षय ने बुलाया।

"साहब...!"

"बंगले में कोई आवाज आई बोला ना ! कैसी आवाज?"

"कोई चल रहा है जैसे.... कुर्सी को खींच कर उठ रहा जैसे.... कभी बात कर रहे हैं जैसे..."

डॉक्टर उत्तम रामन ने पूछा "अंदर कितनी लड़कियां है?"

"तीन लोग..."

"नई आई उस लड़की यामिनी को मिलाकर ही ना बोल रहे हो?"

"हां साहब! यह तीनों लड़कियां अच्छी तरह बेहोशी की हालत में है। कहीं होश आने पर बचकर ना चली जाए इसलिए उनको पलंग के साथ बांध दिया है। मुंह पर प्लास्टर भी चिपका दिया है।"

"अक्षय अपने माथे को जोर-जोर से कुछ क्षण मल कर कुछ सोच ईश्वर की तरफ मुड़ा।

"ऐसा होने के बाद भी तुझे अंदर से कोई है ऐसी आवाज आ रही है...!"

"हां साहब!"

"वह तुम्हारा भ्रम है। रात के पीने को पहले छोड़ो।

अक्षय के बात करते समय ही....

बंगला के अंदर से आवाज आई।

"चंचलंरीरर"

कांच के टूट कर बिखरने की आवाज आई!