उड़ान - 4 ArUu द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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उड़ान - 4

कॉलेज खत्म होने में सिर्फ एक महीना बाक़ी था।
सब लोग अपने एक्सम्स की तैयारी में बिजी थे। काव्या का मन पड़ने से कम रुद्र को देखने में चला जाता। एक दिन वो अकेले क्लास मे बैठी थी। उसके सारे फ्रेंड्स विनी पीहू राज निशि वीर कैंटीन गए थे ऐसा नही था की उन्होंने काव्या को अपने साथ चलने को नही बोला... काव्या ने विनी को कह दिया था की आज उसका कहीं जाने का मन नहीं है।
तभी उसे अकेला देख कर रुद्र उसके पास आया। टेबल पर सिर नीचे कर के सो रही काव्या के काँधे पर हाथ रखा और कहा काव्या...
काव्या को एक पल लगा जैसे वो सपना देख रही है पर दूसरे ही पल उसने खुद को संभाला और कहा
"हाँ कहो ना"
वो कहना चाहती थी की मै तो कब से तुम्हारे मुह से कुछ भी सुनने को तरस गयी हु पर वो बस इतना ही कह पायी।
उसने रुद्र की आँखों में देखा उसे अपने पहले वाला रुद्र नज़र आया पर अगले ही पल उसने अपने अंदाज़ बदल दिये।

उसने कहा कितनी बार कहा है की नही करनी तुमसे बात क्यों नहीं समझती तुम। जबरदस्ती पीछे पड़ी हो।
ये कहते हुए वह क्लास से बाहर चला गया। वह उसे जाते देखती रही तभी उसका ध्यान दरवाजे पर खड़ी पीहू और निशि पर गया।
उसे रुद्र के ऐसे बर्ताव से बहुत ठेस पहुंची।
वो सोचने लगी मैने तो नहीं कहा न उसे की मेरे पास आये फिर भी मेरी बेइज्जती करना जरूरी जो था मेरी फ्रेंड्स के सामने।
वह चाहती की जा कर कह दे उसे की ना करे वो ऐसा हर बार... उसे बात नही करनी तो न करे दूर जाना है तो बेशक जाए पर हर बार सबके सामने उसे बेइज्जत ना करे। पर वह पिछले दिनों की मधुर याद में खो गई।
और रुद्र का बुरा बर्ताव भूल गयी।
याद है उसे अपनी और रुद्र की पहली मुलाकात...
एक दिन कॉलेज की कैंटीन में वह पीहू विनी राज और वीर बैठे थे
निशि नहीं थी क्युकी निशि उनकी फ्रेंड उस वक़्त नहीं थी। वह तो अभी कुछ दिनों से उनसे ज्यादा मिल रही वरना तो कहा वो लोग निशि को जानते थे।
वह भी निशि को ज्यादा पसंद नहीं करती थी वजह तो वह नही जानती पर उसे लगता की निशि वास्तव में वैसी नहीं है जैसी वो नजर आती है इसलिए वह निशि से कम ही बात करती।
उस दिन भी कैंटीन में वो 5 फ्रेंड्स ही थे तभी वीनी ने कहा
"आज की ट्रीट काव्या की तरफ से... वह पूरी क्लास में फस्ट आयी है... है ना काव्या" उसने काव्या की तरफ आँख मारते हुए कहा।
काव्या ने हँस कर कहा "हाँ बाबा ठीक है... में अभी लेकर आती हु पर पहले कॉफी पीने का मन है... क्या कहते हो?? उसने सबकी और देखते हुए कहा।
सबने हाँ में स्वीकृति दी तो चल दी वह कॉफ़ी लेने।

"रामु भईया 5 कप कॉफी" कह कर वह वहा बन रहे खाने को निहारने लगी।
रामु भईया ने कॉफी के कप ऊपर रखे जब वह कप ले जाने लगी तो उसे लगा की कोई कप पकड़ के खड़ा है। उसे देखा तो सामने एक लड़का खड़ा था। उसे उसने कॉलेज में पहली बार देखा था। रंग उसके जैसा ही सावला था पर दिखने में काफी आकर्षक था कोई भी नार्मल लड़की आसानी से उस पर दिल हार सकती थी। पर काव्या नहीं वह तो अपने कॉफी कप भी उसे देने के मूड में नहीं लग रही थी।
उसने कहा "Excuse me... पहले कॉफी मैने ऑर्डर की तो आप क्यों ये कप इतनी मजबूती से पकड़ कर बैठे है? काव्या ने लगभग गुस्से में बोला
वह शक्स बोला " Sorry मैडम आप लेट है " बिना किसी भाव के उसने उत्तर दिया और आगे कहा "वैसे में बैठ नहीं खड़ा हु "
"तुम बैठो या खड़े रहो मुझे कोई फर्क नही पड़ता फिलहाल तुम मेरे कप मुझे वापस करो और अपने लिए नये ऑर्डर कर दो im getting late" काव्या ने छिड़ते हुए कहा
"अच्छा! फिर पूछ लो रामु भईया से किसका ऑर्डर है ये... तुम आराम से पूछताछ करो मै चलता हु। Side please.
कह कर वह शक्स कॉफी लेकर निकल गया काव्या गुस्से में उसे देखती रही।
तभी रामु भईया ने कहा ये लो मैडम आपका ऑर्डर।
तब उसे पता चला की खाना निहारने में वह इतना बिजी हो गयी की उसे पता नहीं चला की उसके पास कोई शक्स खडा था।
उसे अपनी गलती पर हँसी आई और वह अपने फ्रेंड्स के पास लौट आया पर आते टाइम वह सोच रही थी की ये शक्स कौन है और आज से पहले इसे कॉलेज में देखा क्यों नहीं??