बसंती की बसंत पंचमी - 3 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बसंती की बसंत पंचमी - 3

श्रीमती कुनकुनवाला की इस कॉलोनी में एक ही अहाते में कई इमारतें खड़ी थीं, किंतु एक ओर बड़ा सा गार्डन भी था, जहां सुबह या शाम को थोड़ा टहलने या जॉगिंग के बहाने उनकी मित्र मंडली कभी कभी मिल भी लेती थी। ज़्यादा संपर्क तो फ़ोन के माध्यम से ही था।
लेकिन इधर दो- चार दिन में ही कई सहेलियों से जब उनकी बाईयों के काम छोड़ कर चले जाने की शिकायत मिलने लगी तो अब सबका मिलना भी दूर की कौड़ी हो गया। अब घर में पड़ा काम छोड़ कर कोई कैसे टहलने या जॉगिंग करने आए।
अब सबने इस तरफ़ दिमाग़ दौड़ाना शुरू किया कि इस मुसीबत का क्या हल निकाला जाए।
अब तक तो किसी एक की बाई छुट्टी जाती तो वो दूसरी की कामवाली को बुला लेती थी। इससे दो फ़ायदे होते। एक तो आसानी से काम भी हो जाता, और दूसरे सहेली के घर की अनसुनी बातें भी पता चल जातीं।
यही कारण था कि सबको एक - दूसरे की वो बातें भी पता रहती थीं जो ख़ुद छिपाई जाती थीं।
आज श्रीमती कुनकुनवाला बच्चों को अभी नाश्ता परोस ही रही थीं कि उनकी नज़र बेटे की स्टडी टेबल पर पड़ी। आमतौर पर बेटे की ये टेबल लैपटॉप, मोबाइल या उनकी दूसरी एसेसरीज़ और नए- नए गेज़ेट्स से भरी रहती थी। वो तो ये भी नहीं जानती थीं कि ये सब चीज़ें किस काम आती हैं और बच्चे इनके पीछे क्यों इतने दीवाने रहते हैं।
लेकिन आज उन्हें मेज पर एक ऐसी चीज़ रखी दिखाई दी कि उनकी आंखों में चमक आ गई। उन्हें बेटे पर भी मन ही मन प्यार आ गया। क्या वो भी ...?

जॉन कुनकुनवाला अपने कॉलेज की कैंटीन में बैठा किसी का इंतजार कर रहा था। उसने एक बड़ी सी टेबल को बुक कर रखा था और उसके चारों तरफ़ कुछ एक्स्ट्रा कुर्सियां लगवा कर कुछ लोगों के बैठने की व्यवस्था कर रखी थी।

कुछ देर बाद ही जॉन अपनी चार- पांच फ्रेंड्स से घिरा हुआ था। वो सब बातों में तल्लीन थे और ऑर्डर दिया जा चुका था। जॉन ने केवल लड़कियों को ही इस पार्टी में बुलाया था पर एक लड़की अपने साथ अपने बॉय फ्रेंड को भी ले आई थी।
इस तरह जॉन और आर्यन के साथ सभी लड़कियां घेरा बना कर बैठी थीं और जॉन की बात ध्यान से सुन रही थीं।
जॉन की आवाज़ इस तरह आ रही थी मानो वो कोई ख़ुफिया प्लान डिस्कस कर रहा हो। आर्यन और बाक़ी लड़कियां उसकी बात अविश्वास पर इंटरेस्ट से सुन रहे थे।
जॉन क्या बोल रहा था, इस बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि जल्दी ही ऑर्डर के आइटम्स एक एक करके आने लगे थे। उधर वेटर धुआं उड़ाती ट्रे से उठा उठा कर प्लेट्स टेबल पर रख रहा था, और इधर इधर चटखारे लेकर सब मित्र अपनी अपनी प्लेट का कब्ज़ा संभालने में लगे थे। आखिर थे तो सब बच्चे ही! जब सबकी मनपसंद डिशेज आने लगीं तो सब कुछ भूल कर खाने में जुट गए।
पार्टी तो जॉन दे रहा था, उनकी क्लास में पढ़ने वाला उनका फ्रेंड। आर्यन भी जॉन की क्लास का न सही, पर था तो उन्हीं के कॉलेज का स्टूडेंट।
कुछ देर बाद सब इस तरह बाहरनिकल रहे थे मानो पूरा प्लान तैयार है।