Basanti ki Basant panchmi - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

बसंती की बसंत पंचमी - 9

श्रीमती कुनकुनवाला अब देखते देखते अपनी सब सहेलियों की मुखिया बन गईं। वो फ़ोन पर सबको समझाती थीं कि देखो, मैंने तो बाई के जाने के बाद फ़िर कोई काम वाली बाई रखी ही नहीं, अपने हाथ से ही सब काम करती रही, इसीलिए तो आज मुझे किसी का एक रुपया भी नहीं देना, और आप लोगों ने लॉक डाउन लगते - लगते भी खोज- खोज कर नई बाई रख ली... तो अब भुगतो। दो उसे अब पूरे छः महीने की पगार।
सबके मुंह पर ताला लग गया।
अब यह तय किया गया कि जब भी अनलॉक होने के बाद सबका इधर- उधर आना- जाना शुरू होगा तो सब महिलाएं श्रीमती कुनकुनवाला के घर ही इकट्ठी होंगी ताकि भविष्य में बाई संबंधी समस्या के हल हेतु कोई ठोस नीति बना कर सब उस पर इकट्ठी चल सकें।
श्रीमती कुनकुनवाला इस तरह सबकी लीडर बन गईं और उन्होंने इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में अपने घर पर एक शानदार पार्टी रख ली। आखिर वो ऐसा मौका क्यों छोड़तीं जिसमें उन्हें सब सहेलियों के बीच सिरमौर बनने का मौक़ा मिल रहा था।
ये तय हुआ कि अगले रविवार को सब श्रीमती कुनकुनवाला के घर पर इकट्ठी होंगी और इतने समय के व्यवधान के बाद आयोजित होने वाली शानदार पार्टी का आनंद लेंगी।
घर घर में अगले रविवार की प्रतीक्षा ज़ोर- शोर से होने लगी।
इधर श्रीमती कुनकुनवाला भी इस जोड़ - तोड़ में लग गईं कि पार्टी में कौन- कौन से शानदार व्यंजन बनाए जाएं। उनके हाथ बड़े दिन बाद ऐसा मौक़ा आया था जिसमें वो सबके बीच अपनी विजय पताका फहरा सकें।

अभी श्रीमती कुनकुनवाला के घर होने वाली पार्टी में कुछ ही दिन शेष थे कि सहसा एक धमाका हुआ। धमाका कोई बम या पटाख़े का नहीं था, ये तो ऐसा धमाका था कि श्रीमती कुनकुनवाला के साथ- साथ बाक़ी सभी महिलाओं की भी किस्मत खुल गई।
हुआ यूं कि एक फ़िल्म प्रोड्यूसर ने उनसे फ़ोन पर संपर्क किया और कहा कि वो एक फ़िल्म बना रहा है जिसकी शूटिंग वो श्रीमती कुनकुनवाला की कॉलोनी में ही करना चाहता है। उसने कॉलोनी की सोसायटी से इसकी परमीशन भी ले ली है, लेकिन एक दिक्कत ये आ रही है कि अभी शहर में बाहर से आने वालों के लिए पूरी तरह से आवागमन के साधन आसानी से उपलब्धनहीं हो सके हैं, इसलिए वो फ़िल्म निर्माता यहीं से लोकल कलाकारों को ही लेकर अपनी फिल्म पूरी करना चाहता है।
जैसे ही श्रीमती कुनकुनवाला को ये बताया गया कि इस फ़िल्म में आठ - दस महिलाओं की ही भूमिका है तो उनका मन बल्लियों उछलने लगा।
उन्होंने सब काम छोड़ कर पहले अपनी सब सहेलियों को यह सूचना दी। जिस जिस ने भी सुना, उसके दिल के तारों पर मानो जल तरंग सी बजने लगी।
फ़िल्म में काम? वो भी घर बैठे - बैठे? वो भी अपनी ही कॉलोनी में? सबका मन मयूर नाचने लगा।
ख़ुदा जब देता है तो छप्पर फाड़कर ही देता है। कहां तो इतने दिनों तक सब अपने अपने घर में कैद होकर घर के काम में ही कोल्हू के बैल की तरह जुटी हुई थीं और अब सीधे फ़िल्म एक्ट्रेस बनने का मौका???
वाह! मज़ा आ गया।
श्रीमती कुन कुनवाला ने सबको बताया कि जिस दिन अपनी पार्टी है उसी दिन यहां प्रोड्यूसर साहब को भी बुला लिया है। वो यहीं सबको एक साथ फ़िल्म की कहानी भी सुना देंगे। डायरेक्टर साहब भी आयेंगे।
अब तो समय काटे नहीं कट रहा था। सबको इंतजार था, पार्टी वाले दिन का..!


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