यह कहानी का अंतिम भाग, कहानी को समझने के लिए पिछले भाग अवश्य पढ़ें
रवीना को इस वक्त एक शहर की आलीशान कोठी में उसके प्रेमी आशीष ने धोखे से ड्रग लेने के लिए बुला लिया था, जबकि उसके आशिक ने उसके मानव शरीर के अंगो का सौदा कर दिया था, रवीना इस वक्त चार गुंडों के बीच में फंसी हुई थी,,,
रवीना,,,""यह क्या है आशीष कौन है यह लोग और यह मुझे ऐसे क्यों पकड़ रहे हैं,,"""
आशीष ,,"अरे जानेमन दरअसल हमारे बॉस जग्गू को मानव अंग की जरूरत है जो अब तुम्हारे शरीर से पूरी हो जाएगी,,"
रवीना, डर कर कापने लगी थी,,"" यह क्या कह रहे हो आशीष मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं और हम दोनों शादी करने वाले हैं तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो"",,
आशीष उसके सिर के बाल पकड़ते हुवे,,"' कर सकता हूं जानेमन ,,,कर सकता हूं"",,, फिर चिल्लाते हुवे, ""कब से मैं तुझ से पैसे मांग रहा हूं ,,पर तूने पैसे ही नहीं दिए,, इसी कारण अब मुझे मजबूरी में तुझे भाई जग्गू के हवाले करना पड़ रहा है,, ताकि तुझे काट कर बेच सके,,,""
जग्गू अपने आदमियों को इशारा करते हुए,," ले जाओ इसे और जल्दी से इसकी चीरा फाड़ी कर दो,, एक घंटे बाद हमें इसकी किडनी सप्लाई करनी है,,,"""
रवीना को गुंडे पकड़कर एक तरफ बढ़ गए थे,,,,
रवीना अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी थी उसने अपनी पूरी ताकत लगा ली थी,, पर असफलता के अलावा उसे कुछ नहीं मिला था ,,वह बड़ी जोर जोर से रोने लगी थी, और छोड़ देने के लिए गिड़गिड़ा आने लगी,
"""मैं तुम्हें ढेर सारा पैसा दे दूंगी मुझे छोड़ दो """,,
आशीष ,,"बहुत देर हो गई है ,अब पैसा नहीं, सिर्फ तेरे जिस्म के अंग हमें चाहिए,,""'
रवीना रोती गिड़गिड़ाती रह गई थी ,,पर अब उसकी सुनने वाला कोई नहीं था,,,,,,
या फिर कोई था,,,,,,,
इस वक्त पुलिस की एक बेहद बड़ी टीम जो उस कोठी के चारों तरफ तेजी से अपना जाल बिछाती चली गई थी,,
और फिर कई दर्जन पुलिस वाले कोठी के अंदर दाखिल होते चले गए थे,,,,,
रेणुका,, जो अब गेट पर खड़े गुंडे के पैर में गोली मार रही थी ,,और फिर भागते हुए अंदर दाखिल हो रही थी,,,,
उसके हाथ में थमी साइलेंसर लगी पिस्टल बार-बार गोलियां उगल रही थी,, और जो भी गुंडा सामने आ रहा था वह जमीन पर गिर रहा था,,, पुलिस वाले उन्हें तेजी से अपनी गिरफ्त में लेते जा रहे थे,,,,,
रेणुका,,, अपने मोबाइल पर नजर बनाए हुए थी, और फिर एक बड़े हॉल में आने के बाद, वह तेजी से एक अलग दरवाजे की तरफ भागती चली गई थी,,,,,
"""तुम्हें कुछ नहीं होगा रवीना, बस मैं आ रही हूं""
दरवाजा जो बंद था, जबरदस्त लात उस पर पड़ी थी और वह भड़ाक की आवाज के साथ खुला था ,सामने कुर्सी पर बैठा जग्गू अभी कुछ समझ पाता, उसके दोनों पैर टूट चुके थे,
,, आशीष जो एक तरफ पड़ा था, वह रेणुका को देखते ही पहचान गया था, पर इससे पहले कि वह अपना कदम आगे बढ़ाता , उसे अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखना पड़ गया था ,गोली ने उसके भी पैर की हड्डी को तोड़ दिया था,,,,
पुलिस वाले दनदनाते हुए अंदर आते जा रहे थे ,और सब को अपनी गिरफ्त में लेते जा रहे थे,,
और इधर,,,
डॉक्टर ,,,""बेहोश करने की कोई जरूरत नहीं है लाओ आरी दो ,,अब जल्दी से काम शुरू करते हैं ,हमारे पास ज्यादा समय नहीं है ,,इसे बेहोश करके किडनी निकालने का,,,""
रवीना ,""नहीं ऐसा मत करो ,,मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं, मुझे छोड़ दो ,,मैं मरना नहीं चाहती हूं ,,,तुम्हें जितना पैसा चाहिए मैं दे दूंगी,,, मुझे जाने दो,,,""
डॉक्टर,"" पैसा तो अब हम तेरे अंगों को बेचकर कमा ही लेंगे "",,,और फिर बड़ी जोर से हंसता है,,,,
और इधर,,,
रेणुका, की नजर अपने मोबाइल पर थी ,और फिर वह तेजी से एक तरफ को भागती चली गई थी, और उसने दरवाजे पर बड़ी जोर से लात मारी थी ,,,,
अब वह एक ऑपरेशन थिएटर में आ खड़ी हुई थी, जहां बिल्कुल होशो हवास में रवीना को बांधा हुआ था ,और एक खतरनाक सा नजर आने वाला डॉक्टर उस पर आरी चलाने ही वाला था,,,,,,
रेणुका के हाथ में पकड़ी पिस्टल का ट्रिगर फिर से दबा था और उस डॉक्टर के कंधे में गोली जा धसी थी,,,,,
,,सभी गुंडे एकदम हैरान रह गए थे, और उन्होंने रेणुका पर जंप लगा दी थी,, रेणुका ने फिर से ट्रिगर दबाया था, पर गोलियां खत्म हो चुकी थी,,,,
पर अगले ही पल रेणुका ने ,अब अपनी पिस्टल को हथोड़ा बना लिया था और अपने ऊपर आये गुंडे के माथे पर बड़ी जोर से उसे मारा था,,,,,
दूसरे गुंडे की नाक पर उसका जबरदस्त मुक्का जा टकराया था,,,, तीसरे गुंडे के पेट में उसकी लात जा लगीं थी
फिर वह हवा में उछली थी और चौथे गुंडे के जबड़े को उसके घुटने ने तोड़ दिया था,,,,,,
वे चारो गुंडे जमीन पर बड़े तड़पने लगे थे, और फिर इतने में बाहर से पुलिस वाले आ पहुंचे थे ,,जिन्होंने उन्हें भी गिरफ्त में ले लिया था,,,,,
रेणुका अब आगे बढ़ी थी और फिर उसने रवीना के हाथ पैरों में बंधी बेल्ट को खोलना शुरू कर दिया था,,,,,
रवीना ,,रेणुका को देखकर अब सन्नाटे में आ गई थी, और फिर उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी ,उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे,,,,,
रेणुका,,,"" चलो अब खड़ी हो जाओ ,अपराध, और नशे का यह अड्डा आज खत्म हो चुका है"",, और पलट कर जाने को होती है,,,,
रवीना ,,अब खड़ी नहीं हुई थी,,"" मुझे मर जाने दो रेणुका, मेरे साथ जो हो रहा है सही हो रहा है,, तुम क्यों आई मुझे बचाने ,,,"""
और फिर एक तरफ पड़ी आरी उठा कर अपनी गर्दन पर मारने ही वाली होती है कि रेणुका उसका हाथ पकड़ लेती है,,,,
रेणुका चिल्लाते हुए,,,""" यह क्या कर रही हो पागल हो गई हो,, क्या तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें इसलिए इतना बड़ा किया है कि तुम आत्महत्या कर लो,,""""
रवीना,," मैंने काम ही ऐसे किये है मेरी बहन,, मुझे मर जाने दो,, छोड़ दो मुझे,,,"""
रेणुका,, अब रवीना को संभालते हुए ,अपने गले से लगा लेती है ,,,"""चुप हो जाओ मेरी बहन,, अगर तुम्हें छोड़ ना होता तो मैं यहां आती ही नहीं,,
"""मुझे तो लगा था कि मैं तुम्हें धीरे-धीरे सीधे रास्ते पर ले आऊंगी ,,पर कल के वाक्य के बाद तो मुझे लगा,, अब तो बस उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ेगी ,,तभी यह मामला सब खत्म होगा,,""
रवीना,,,"" तुम मुझे बचाने के लिए यहां तक आ गई,,, वह आशीष जिसे मैं प्यार करती थी, उसने मेरे शरीर को बेच दिया, अगर तुम समय पर नहीं आती तो आज तुम्हारी बहन मर चुकी होती,,"""""
रेणुका,," ऐसे कैसे मर जाती ,,तुम्हारी जैकेट की जेब में मैंने एक माइक्रो स्पीकर डाल दिया था,, जो तुम्हारी लोकेशन भी मुझे दिखा रहा था,, तुम्हारी हर बात मुझे सुनाई दे रही थी ,,और साथ -साथ में पूरे पुलिस कंट्रोल रूम में,,
""पुलिस की टीम पहले से ही तैयार थी,, इसलिए हमने यहां आने में पल भर की भी देर नहीं लगाई,,,,
रवीना,, अब हैरान थी यह सब सुनकर,," क्या तुम पुलिस में हो''',
,
रेणुका मुस्कुराते हुए ,,""नहीं,, फिर धीरे से उसके कान में ""मैं भारत की खुफिया एजेंसी के लिए काम करती हूं ,और यह बात सीक्रेट है,,, चलो अब घर चलो,,,""
रवीना ,,अपने आंसू पूछते हुए ,,"अब मैं क्या मुंह लेकर अपने घर जाऊंगी,, और यह नशे का शौक तो मेरा पीछा ही नहीं छोड़ेगा ,,कैसे मैं अपने आप को रोक पाऊंगी बिना नशे के"",,,
रेणुका ,,"तुम्हें कोशिश करनी होगी, हम सब तुम्हारे साथ हैं बस तुम अपने गुस्से पर कंट्रोल रखो ,,तुमसे भी ज्यादा बड़े बड़े ड्रग एडिक्ट लोगों ने नशा छोड़ दिया है,, तुम भी छोड़ सकती हो,,, बस अपने अंदर की इच्छा शक्ति हो मजबूत कर लो,,,""""
रवीना ,,""अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मैं जरूर नशे को छोड़ दूंगी,,, तुम मुझे अपने साथ गांव ले चलो ,मैं ताऊ जी के साथ वहीं रहूंगी,,,"""
रेणुका,,"" ठीक है,, अब जरा चेहरे पर मुस्कान ले आओ, तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान ही अच्छी लगती है"", और उसके गालों को पकड़ती है,,,,
रवीना,, दोबारा से रेणुका के गले लग जाती है ,,और उसे कसकर अपनी बाहों में भर लेती हैं,,,,
पुलिस इंस्पेक्टर,,"" मैडम सभी अपराधी पकड़े गए हैं "",,
रेणुका,,"" ठीक है "",और फिर रवीना का हाथ पकड़कर वहां से बाहर निकलती चली जाती है,,,,
रवीना और रेणुका ,,अब तेजी से कार में बैठकर घर की तरफ बढ़ गए थे ,,,दोनों के चेहरों पर मुस्कान थी,,,
रेणुका,,, अब बेहद शांत बैठी हुए थे,,,
रवीना ,,जो गाड़ी चला रही थी अभी एकदम से सड़क पर आए कुत्ते को बचाने के लिए गाड़ी को ब्रेक लगाकर रोक देती हैं,,,,
रेणुका ,,""अब तुम्हें जिंदगी का महत्व का पता लग चुका है रवीना,,,, मुझे खुशी है तुम अब बहुत जल्द अपनी जिंदगी बदल लोगी और अपने पिता के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाओगी,,,""""
रवीना,," मुझे जिंदगी ने बहुत बड़ा सबक दिया है आज मेरा नया जन्म हुआ है और मेरा यह नया जन्म तुम्हारी देन है,,, मैं भी अब तुम्हारी ही तरह बनूंगी,,,""
रेणुका,," बहुत अच्छा मेरी बहन ,,,चलो अब घर बाद में चलेंगे,,, पहले कहीं घूमने चलते हैं"",, और हंसने लगती है,,,,,
रवीना, भी अब रेणुका की हंसी में अपना साथ देने लगती है, और फिर दोनों बहने खुशी -खुशी घर से जिस काम के लिए निकले थे,,, घूमने ,,,उसी काम पर निकल गये थे ,,,,
समाप्त,,, समाप्त,,,