बिगड़ैल लड़की - 11 Parveen Negi द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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बिगड़ैल लड़की - 11

कहानी को समझने के लिए पिछले भाग अवश्य पढ़ें यह कहानी का भाग- 11

अब आगे:-

रेणुका जिस की बातें सुनकर इस वक्त रवीना का दिमाग घूम गया था और वह अपने आप को रेणुका के दिमाग में आए शक से बचाने के लिए ,अपनी धूर्तता दिखाने लगी थी ,उसने गाड़ी को वापस मुड़ गया था,,

रेणुका अब एकदम से ,,""गाड़ी रोको रवीना, मैं चाहती हूं गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर खड़ी कर दो ,अगर तुम्हें मेरे साथ घूमने जाने में भी तकलीफ है तो मुझे यही उतार दो ,,यही ज्यादा अच्छा रहेगा,,"'

रवीना, अब उसकी बात सुनकर गाड़ी को सड़क के किनारे रोक देती है ,,""तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो रवीना जब तुम मेरे बारे में इतना गलत सोच रही हो तो मैं तुम्हें अपनी गाड़ी में बैठा कर घर भी नहीं ले जाने वाली, तुम यही उतर जाओ,,""

रेणुका गाड़ी से नहीं उतरती है और रवीना की तरफ देखने लगती है,,,,,

रवीना ,,"ऐसे क्या देख रही हो चलो उत्तर गाड़ी से और अपने आंखों से नकली मगरमच्छ वाले आंसू बहाने लगी थी,,""" तुमने मेरा दिल बहुत बुरी तरह से तोड़ डाला है""",,,

रेणुका ,,उसके कंधे पर हाथ रखती है और ,,"देखो रवीना मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूं जो सही और गलत नहीं समझती हूं ,,

""फिर भी अगर तुम इतना कह रही हो तो चलो मैं तुम्हारी बात मान लेती हूं ,,तुमने कुछ नहीं किया ठीक है अब रोना बंद करो,,""'

रवीना ,,"नहीं तुमने अपने दिल की बात बोल दी है, तुम्हें अब मुझ पर विश्वास नहीं करना चाहिए ,,वरना मैं तुम्हें फिर से उन लड़कों के हवाले कर दूंगी,,,, और वे तुम्हारे बदन को नोच खाएंगे,,""

रेणुका ,,"""अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि मैं आज शाम को ही यहां से वापस निकल जाऊंगी ,,फिर तुम अपने उन अयाश और आवारा दोस्तों से साथ घूमते रहना ,,मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ,,बर्बाद होगी तो तुम्हारी जिंदगी होगी ,मेरी नहीं,,,,

"""और जिस दिन तुम बिल्कुल बर्बाद होकर बिस्तर पर पड़ी तड़प रही होगी,, उस दिन मैं तुम से आकर यह सवाल अवश्य पूछूंगी,,,,कि तुम्हारे दोस्त सही है या गलत""""

रवीना अब उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर अजीब सा महसूस करने लगी थी ,,क्योंकि वह जानती थी, कि वह गलत है उसने जो किया वह भी गलत है,, पर गलत दोस्तों के साथ मिलते ही इंसान का दिमाग वैसा ही हो जाता है,, उसके साथ भी वही हुआ था,,,,,

,,,,,पर अब रेणुका के साथ उसका दिमाग रेणुका की तरह ही व्यवहार करने लगा था,,, उसका मन अब अंदर ही अंदर कांपने लगा था,,, उसने कैसे अपनी बहन को इतने बड़े संकट में डाल दिया था ,,,,"""",मैं उसे अपनी ही तरह एक अय्याश लड़की बनाने की कोशिश कर रही थी''',,,,

रेणुका ,,अब गाड़ी से नीचे उतर गई थी ,,""जाओ रवीना तुम अपने रास्ते निकल जाओ ,,तुम्हारा और मेरा कोई मेल नहीं है"",,,

रवीना,, अब रोते हुए रेणुका के चेहरे की तरफ देखती है, और फिर दोबारा से गाड़ी मोड़ कर आगे बढ़ गई थी,,,,,

रेणुका के चेहरे पर आप कठोर भाव आते चले गए थे ,,,,,

दूसरी तरफ,,,,,,

इस वक्त शहर के बीचोबीच स्थित एक विशाल कोठी ,जो ड्रग माफिया का एक बड़ा अड्डा थी ,,और शहर के सभी अमीर लोग वहां नशा करने के लिए आते थे ,,रवीना भी जहां आती रहती थी ,,और यहां का जो सबसे बड़ा लीडर था ,,उसका नाम था जग्गू ,,और उसके सामने इस वक्त घुटनों के बल बैठकर हाथ जोड़े एक शख्स बैठा था,, जिसके सिर के बालों को ,,उसके एक गुंडे ने पकड़ा हुआ था,,,,,

जग्गू सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए ,,""क्यों बे आशीष तुझे क्या लगा था तू हर बार हमें मीठी गोली देकर निकल जाएगा,,,, पिछले एक महीने से तू बोल रहा है की आज आपको पैसे दूंगा ,,कल आपको पैसे दूंगा ,,पर तेरे पैसे आ ही नहीं रहे हैं,,,, इसलिए सोच रहा हूं आज तेरी दोनों किडनी ,,दोनों आंखें और तेरे शरीर के बाकी सब अंग निकालकर बेचकर ,अपनी रकम पूरी कर लूं,,,"""'

आशीष,," नहीं जग्गू भाई ऐसा मत करो ,,मैं तुम्हारी पाई पाई लौटा दूंगा मुझे थोड़ा समय तो दो,,,""""

जग्गू ,,"कोई समय नहीं मिलेगा ,,जाओ इसे ले जाओ,, हमारे ऑपरेशन थिएटर में और हमारे डॉक्टर को बुला लो,,""

आशीष ,,अब एकदम से ,,"मुझे मुझे सिर्फ 1 घंटे की मोहलत दे दो ,,,देखो तुम मुझे मार कर मेरे सारे शरीर के अंग निकालना चाहते हो,, मैं तुम्हें एक दूसरा शरीर दे दूंगा तुम उसके सारे अंग निकाल लेना,,,,""

जग्गू ,,यह बात सुनकर उसे गहरी नजरों से देखता है,"" ''बात तो तूने यह बहुत अच्छी कही है, पर तू एक मानव का बंदोबस्त कर पाएगा,,,""""

आशीष एकदम से,," हां क्यों नहीं, बस एक घंटे में कर देता हूं आप मुझे मौका तो दीजिए, मैं अपनी गर्लफ्रेंड की बलि आपको दे दूंगा ,,,उसे मैं यहीं बुला लूंगा वह यहां नशा लेने आती भी है,,,,""""

जग्गू यह बात सुनकर ,,""अच्छा पर कोई गड़बड़ तो नहीं हो जाएगी ,,यहां आने वाले सब लोग बहुत अमीर घरों के हैं,,""""

आशीष ,,"कुछ नहीं होगा जग्गू भाई, आप मेरा भरोसा रखिए आप मेरी गर्लफ्रेंड के सारे शरीर के अंग निकाल लेना वैसे भी मैं उससे काफी समय से पैसे की मांग कर रहा हूं ,,,पर वह कमीनी हर वक्त मुझे धोखा दे रही है,,,,"""

जग्गू ,,"देख मुझे आज इंसान के अंग डिलीवरी करने हैं मेरे पास बड़ा ऑर्डर आया हुआ है ,,और अगर तूने यह काम नहीं किया अभी ,,,,,,तो फिर तू गया काम से,,,,""""

आशीष अपना फोन निकाल लेता है ,,""मैं अभी अपनी गर्लफ्रेंड को यहां पर बुलाता हूं बस आप मुझे कुछ मत रहना,,,""

जग्गू ,,,"""पर एक बात याद रखना,, तेरी गर्लफ्रेंड के बाद भी तू मुझे मेरी आधी रकम और देगा,,, समझा,,""

आशीष ,,"ठीक है"",, और फिर जल्दी से फोन निकालकर रवीना को मिला देता है ,,जो इस वक्त अकेले ही झील के किनारे आ पहुंची थी और वहां पर बैठी थी,,,,,

रवीना फोन उठाते हुए ,,"हेलो आशीष कैसे फोन किया"",,,

आशीष ,,"यार में ड्रग के अड्डे पर हूं ,और मैंने थोड़ी ज्यादा नशे की टेबलेट खरीद ली है,, तू जल्दी से आजा,,,""

रवीना, आशीष की बात सुनकर एक बार तो अजीब सा फील करती है ,,पर दूसरे ही पल उसकी सांसों में नशे की महक उठने लगी थी ,,और उसके होठ उसकी जीभ पर चलने लगे थे,,,,,,

आशीष ,,"क्या हुआ तुम कुछ बोल नहीं रही हो ,जल्दी से आ जाओ यार वरना मैं सब खा जाऊंगा,,,"""

रवीना एक गहरी सांस लेती है और अपनी काँपती हुई आवाज में,," ठीक है मैं आ रही हूं"",,

अब रवीना अपनी गाड़ी में तेजी से ड्रग के उस बड़े अड्डे की तरफ लेकर बढ़ गई थी ,,,जिसने शहर के जवान बच्चों को बर्बाद करके रख रखा था,,,,,,

लगभग 20 मिनट के बाद,,,

रवीना इस वक्त उस कोठी के अंदर आशीष के साथ खड़ी थी और आशीष उसका हाथ पकड़कर एक तरफ तेजी से बढ़ गया था,,,,,,,

रवीना ,,आशीष को इस तरह हाथ पकड़कर एक तरफ ले जाते देखकर,,,""" वहां कहां ले जा रहे हो आशीष क्या है उधर""",,,

आशीष मुस्कुराते हुए ,,""आओ तो सही तुम्हें आज जन्नत की सैर कराता हूं ,,तुम्हारा दिल खुश हो जाएगा,,,"""

और फिर आशीष रवीना को एक बड़े से हॉल में ले आया था ,,,जहां एक बड़ी सी कुर्सी पर जग्गू बैठा हुआ था,,,,,

रवीना अभी कुछ समझ पाती ,,उसके चारों तरफ चार हट्टे कट्टे गुंडे खड़े हो गए थे ,,,और उन्होंने रवीना को पकड़ लिया था ,,,रवीना अब एकदम से कांप गई थी,,,,

क्रमशः

क्या होगा अब रवीना के साथ ,,क्या वह अपने आप को बचा पाएगी,,, क्या आशीष को उसकी करनी का फल मिलेगा ,,,जानने के लिए बने रहे कहानी के साथ,,,