बिगड़ैल लड़की - 9 Parveen Negi द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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बिगड़ैल लड़की - 9

कहानी को समझने के लिए पिछले भाग अवश्य पढ़ें यह कहानी का भाग 9

अब आगे

रवीना और आशीष का बनाया सारा प्लान फेल हो गया था आशीष के दोनों साथी अनिल और राजू रेणुका के साथ जिस्मानी संबंध बनाने में असफल हो गए थे ,,,

रवीना दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ते हुवे,,"" अच्छा मैं चलती हूं अब घर जाकर पहले रेणुका को भी संभालना होगा वरना वह बेवजह इस सब का आरोप मेरे सिर पर लगा देगी"",

आशीष रवीना के जाने की बात सुनकर," यह क्या कह रही हो यार हम इतने दिनों के बाद मिले हैं चलो किसी होटल में चलते हैं कुछ समय जॉय करेंगे"", और उसके दोनों हाथ थाम लेता है

रवीना ,,"नहीं आशीष आज नहीं, रेणुका के पास पहुंचना बहुत जरूरी है और उसे संभालना ,,,वरना शाम को अगर रेणुका ने पापा को सब बता दिया तो पापा को जवाब देना भारी पड़ जाएगा कि मैंने रेणुका का ध्यान क्यों नहीं रखा, उसकी बिगड़ी हालत को देखकर,,,

"ऊपर से रेणुका को भी शक हो जाएगा वह यही सोचती रह जाएगी कि उसकी बहन को उसकी हालत से कोई मतलब नहीं है उसे फिल्म कुछ ज्यादा ही पसंद है,,""

आशीष अब अपने मन को समझाने लगा था ""ठीक है यार जाओ तुम आज का तो दिन ही खराब है"",,,

रवीना अब तेजी से हॉल से बाहर निकलती चली गई थी और अपनी गाड़ी लेकर घर की तरफ बढ़ गई थी,,,

आशीष अब अपना फोन निकालता है और एक नंबर मिला था चला जाता है कुछ ही सेकंड के बाद फोन उठा लिया गया था,,,

अब आशीष की जुबान पर शहद से भी ज्यादा मिठास आ गई थी"" हेलो सूजी कैसी हो तुम,,,"

सूजी ,आशीष की आवाज सुनकर,,", ओ माय गॉड आज इतने दिनों के बाद मुझे कैसे फोन किया तुम्हारी तो आवाज सुनने के लिए मैं तरस गई थी तुम तो मेरा फोन ही नहीं उठाते हो,, लगता है कोई और पसंद आ गई है तुम्हें आजकल,,,""

आशीष उसकी बात सुनकर ,,"अरे अरे अरे तुम तो बस रेलगाड़ी की तरह शुरू हो गई मेरी भी सुन लो ,मैंने तुम्हें बताया नहीं था कि मेरे एग्जाम शुरू होने वाले हैं अब जाकर मैं थोड़ा फ्री हुआ हूं और जैसे ही फ्री हुआ सबसे पहले तुम्हें ही कॉल लगाई है,,"""

सूजी यह सुनते ही चहक उठी थी ,,"ओहो क्या वाकई में तुम सच बोल रहे हो या फिर मुझे रिझाने की कोशिश कर रहे हो,,""

आशीष ,,"अरे यार तुम भी हर वक्त मुझ पर शक करती रहती हो आकर देखो मेरी अलमारी सिर्फ किताबों से भरी है पढ़ते-पढ़ते हालत खराब हो जाती है ,सोलह- 16 घंटे किताब पढ़ रहा हूं ताकि एक अच्छा पढ़ा लिखा इंसान बन सकूं ,वरना तुम्हारा बाप तो तुम्हारा हाथ सौंपने से रहा,,""

सूजी ,"हां यह तो तुमने बिल्कुल ठीक कहा मेरे पापा मेरे लिए इंजीनियर से कम लड़का तो पसंद करेंगे नहीं तुम्हें इंजीनियर ही बनना पड़ेगा मिस्टर आशीष,,""

आशीष हंसते हुए,," अरे यार तुम छोड़ो इन बातों को तुम्हारे पापा को खुश करने के लिए पैसे वाला बन जाऊंगा और क्या लेंगे तुम्हारे पापा,,""

सूजी,," हां यह बात भी ठीक हैं "",,,

आशीष ,,"यार अब तुमसे मिलने का बड़ा दिल कर रहा है तुम्हें पास से देखे हुए महीना बीत गया है तो फिर आज आ जाओ,,""

सूजी ,,"बोलो कहां आना है शहर के पार्क में मिले"",,,

आशीष,," नहीं यार वहां मिलने का मन नहीं है तुम एक काम करो मेरे रूम पर आ जाओ वही आराम से बैठ कर बातें करेंगे,,""

सूजी,," नहीं यार मैं तुम्हारे रूम पर बिल्कुल नहीं आऊंगी, पिछली बार तुम्हारे रूम पर आई थी तो तुम कुछ ज्यादा ही करीब आने की कोशिश कर रहे थे ,और तुम्हें संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है ,,बाहर ही मिल लो यही ज्यादा अच्छा है,,,"""

आशीष मन ही मन में ,,"यह साली तो कुछ ज्यादा ही भाव खा रही है ",,फिर बेहद धीमी आवाज में,," यार दरअसल मुझे बुखार भी आया हुआ है अगर तुम यहां आ जाती तो मेरी दवा दारू भी हो जाती,, और तुम मुझे डॉक्टर के पास ही ले जाती,,""

सूजी उसकी बात सुनकर ,,"नहीं यार मैं वहां नहीं आ पाऊंगी तुम समझा करो तुम अपने किसी और दोस्त को बुला लो जो तुम्हें डॉक्टर के पास ले जाए,,"""

आशीष,," तुम्हारी बात ठीक है सूजी पर पिछले महीने से मेरे घर से पैसे नहीं आ पाए ,,मेरे पिताजी का व्यापार में थोड़ा घाटा हो गया था ,,क्या तुम कुछ रुपए भेज सकती हो ताकि मैं डॉक्टर के पास जा सकूं,,,""

सूजी ,अब एक लंबी सांस लेती है और,," हां यह काम मैं कर सकती हूं"",

आशीष ,,""ठीक है सूजी तुम ₹5000 मेरे अकाउंट में भेज दो अगर हो सके तो तुम भी आ जाओ वरना मुझे किसी और दोस्त को बुलाना पड़ेगा,,""

सूजी ,,"नहीं मैं तुम्हारे घर तो बिल्कुल भी नहीं आऊंगी ,,तुम लड़कों का कोई भरोसा नहीं हैं ,जब तुम ठीक हो जाओगे तो हम बाहर किसी रेस्टोरेंट में मिल लेंगे"",,,,

आशीष अब मन ही मन मुस्कुरा उठाता हैं,,"" ठीक है फिर तुम पैसे भेजो अच्छा तो फोन रखता हूं बाय"" और फिर एक प्यारी सी किस फोन पर सूजी को दे देता है,,,,

सूजी ,भी उसे फोन पर है एक चुम्मा सप्लाई कर देती हैं,,,,,

आशीष ,,अब एक लंबी सांस लेते हुए कुर्सी से खड़ा हो गया था ,,""चलो पैसों का बंदोबस्त हुआ, हॉल से बाहर निकलते निकलते आशीष के मोबाइल पर बैंक अकाउंट का मैसेज आ गया था जिसमें ₹5000 डिपॉजिट दिखाए जाने लगे थे,,,,,

दूसरी तरफ,,,,,

रवीना अब अपने घर की पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर रही थी और फिर तेजी से अपने कमरे की तरफ बढ़ गई थी,,,,,,,

रवीना अब एक लंबी सांस लेती है और एक्टिंग करती हुई ऊंची आवाज में ,,"" रेणुका,,, रेणुका कहां हो तुम,, और दरवाजा खोल कर अपने कमरे में प्रवेश करती चली जाती है ,,,जहां सोफे पर रेणुका बैठी हुई थी,,,,,

रवीना अब अपने चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान ले आई थी और रेणुका के पास जाकर बैठ जाती है फिर उसके हाथों को अपने हाथ में ले ली थी, """अब कैसी तबीयत है तुम्हारी मैं तो बहुत घबरा गई थी आशीष को अकेला छोड़ कर सीधा गई हूँ,,, वह भी बहुत नाराज हो रहा था पर मुझे तुम्हारी चिंता ज्यादा थी इसलिए उसे अकेला छोड़ कर सीधा भाग गई,,,"''

रेणुका लंबी सांस लेते हुवे,,,"" अब तो काफी राहत है रवीना ,सिर भी हल्का हो गया हैं,,पता नहीं मुझे क्या हुआ था ,,,एकदम से पूरे बदन में आग लग गई थी,,,"

रवीना रेणुका की बात सुनकर मन ही मन में हंसने लगी थी ,पर उसने अपने चेहरे को ऐसा बनाए रखा था कि रेणुका को उसकी फिलिंग का कोई अंदाजा ना हो,,,,

"""मुझे लगता है रेणुका शहर की हवा जो बेहद प्रदूषित है उसकी वजह से तुम्हें यह साइड इफेक्ट हुआ होगा तुम्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए चलो मैं तुम्हें डॉक्टर के पास ले चलती हूं,,""

रेणुका,," नहीं, नहीं अब मैं ठीक हूं "",फिर अपने चेहरे पर थोड़े निराशा के भाव लाते हवे,,"" मेरी वजह से तुम्हारा भी सारा मूड ऑफ हो गया तुम्हारा वह प्रेमी भी क्या सोच रहा होगा,,""

रवीना ,,""अरे तुम छोड़ो उसे ,,,मेरी बहन के आगे मैं हर किसी को छोड़ सकती हूं "",,,और फिर प्यार से रेणुका के दोनों गालों को पकड़कर उन्हें चूम लेती हैं,,,,,

क्रमशः,,


क्या रेणुका समझ पाएगी रवीना की चतुराई या फिर अब रेणुका ही दिखा देगी रवीना को आईना जाने के लिए बने रहे कहानी के साथ