हमे तुमसे प्यार कितना... - 12 Poonam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हमे तुमसे प्यार कितना... - 12

नमस्कार प्यारे रीडर्स,

माफी चाहती हूं 🙏 नेक्स्ट पार्ट नही लिख पाई और अपलोड कर पाई क्योंकि एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था जिसमे मेरे दाएं कंधे और दाएं घुटने में कुछ मसल्स डैमेज हो गए जिसकी वजह से सूजन और दर्द बना हुआ था। अभी थोड़ा सा बेहतर है तो लिखने की कोशिश है आगे के पार्ट्स भी देर से आ सकते हैं क्योंकि थोड़ा थोड़ा लिख रहीं हूं। इंतजार के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।😔

अब आगे पढ़िए....





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"ये सब क्या है गुप्ता जी अकाउंट्स में इतनी गड़बड़ी क्यूं है आई वांट एवरीवन इन मीटिंग रूम इन फाइव मिनट्स"
विराज ने गुस्से से फाइल्स को टेबल पर पटकते हुए कहा।
थोड़ी देर बाद सभी मीटिंग रूम में थे।



सुन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है की मेरे साथ क्या हो रहा है लेकिन मेरे दिमाग से उसका ख्याल निकल ही नही रहा, मैडी बस तू मुझसे मिल ले आज।

ठीक है ठीक है में आ रही हूं, उसी कैफे में मिलते हैं एक बजे,,, तू बस शांत रह! मैडी ने कायरा को समझाते हुए कहा और फिर फोन रख कर एक गहरी सांस ली फिर कुछ सोचते ही उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई।



एक के बाद एक अलग अलग स्टाफ के साथ मीटिंग चलती रही लेकिन विराज के चेहरे पर थकान बिलकुल नहीं थी।

है...हैलो.... सर....हैलो सर आपको मेरी आवाज़ आ रही है। एक आदमी अपने मोबाइल को कान पर लगाए दबी आवाज़ में बोल रहा था।

हां सुनाई दे रही है जल्दी बोलो क्या कहना चाहते हो। दूसरी तरफ से एक सख्त सी आवाज़ फोन पर सुनाई पड़ी।

अब आपका काम करना थोड़ा मुश्किल हो गया है विराज सर को शायद शक हो गया है। अभी तो दो ही दिन हुए हैं और उन्होंने मुझसे पिछले एक साल के सारे टेंडर्स की फाइल मांगी है। अगर उन्हें मुझ पर शक हो गया तो मेरी नौकरी चली जायेगी। में अब और आपकी बात नही मान सकता सर। उस आदमी ने वैसे ही दबी आवाज़ में कहा।

पागल मत बनो इतने में ही डर गए रिलैक्स रहो,,,एक काम करो उसे फाइल्स देदो और खुद कोई गड़बड़ मत करना में तुम्हे रात में फोन करता हूं और बताता हूं की आगे क्या करना है। इतना कह कर दूसरी तरफ वाले शख्स ने फोन तुरंत काट दिया।

सर..... सर.... सर सर सर वोह आदमी कहता रह गया लेकिन फोन कट चुका था।



________________

दोपहर एक बजे
"टी बार कैफे"

"टेक अ चिल पिल गर्ल" एक लड़की जो बिल्कुल मॉडर्न ड्रेसअप में थी हाथ में कॉफी ☕ का कप उठाते हुए बोली।

क्या ऐसा होता है की एक ही नज़र में प्यार 💕 हो जाए की दिन रात एक ही चेहरा नज़र आए। सामने बैठी कायरा ने अपनी दोनो हाथों की कोहनी को टेबल से टिकाए अपनी दोनो हथेलियों को चेहरे के नीचे थोडी से टिकाए मुस्कुराते हुए कहा।

ऐसा होता है या नही मुझे नही पता,, लेकिन तेरे केस में यही लग रहा है की तुझे पहली नज़र का प्यार हो गया है। मैडी ने अपने हाथों को बालों में फसते हुए कहा।

हम्मम! कायरा की आंखे चमक उठी थी।

लेकिन पहले हमें उसका नाम पता करना होगा, उसके बारे में पता करना होगा कहां रहता है क्या करता है मैरिड तो नही या किसी से कमिटेड तो नही अगर सिंगल हुआ तो फिर आगे क्या करना है सोचेंगे सिंगल नही हुआ तो भूल जाना। मैडी एक सांस में सब बोल गई।

अरे सांस तो लेले में सब समझ गई तेरी बात। कायरा ने पानी का ग्लास उसकी ओर करते हुए कहा।


कुछ देर और बात करके वोह दोनो कैफे से निकल गए।


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अपने ऑफिस के केबिन में बैठे मिस्टर नीरज चोपड़ा कोई फाइल पढ़ रहे थे। तभी किसी ने डोर नॉक किया।
"यस कम इन", मिस्टर नीरज चोपड़ा ने इजाज़त दी।

मायरा और हार्दिक अंदर आए। मिस्टर चोपड़ा ने उन्हें बैठने को कहा।

दोनो मन में बहुत सारी उलझन लिए चुपचाप बैठ गए। आखिर उन्हे लंच करते वक्त ही प्यून से ये मैसेज मिला था की बॉस ने कहा है लंच खतम करने के बाद तुरंत उनके केबिन में आ जाए।
दोनो ही सोच रहे थे की कहीं उनसे कुछ गड़बड़ तो नही हुई आखिर इतनी हड़बड़ी में हमे क्यों बुलाया।

सर.....हार्दिक ने कुछ कहना चाहा लेकिन तभी मिस्टर चोपड़ा ने एक फाइल दोनो के आगे कर दी।

मिस्टर चोपड़ा ने कहा "एक हफ्ते के बाद मेरी एक मीटिंग है उसकी डिटेल्स है इसमें, में चाहता हूं की तुम दोनो इसे ध्यान से पढ़ो और इस पर प्रेजेंटेशन बनाओ साथ ही इसके अकॉर्डिंग नए डिज़ाइन भी।
कुछ देर बाद ही मिस्टर चोपड़ा के असिस्टेंट ने भी उन्हे ज्वाइन कर लिया था।
करीब एक घंटा चारों में डिसकशन चलता रहा।


जब दोनो बाहर आए तो हार्दिक किसी से कुछ बात करने लगा और मायरा अपनी डैस्क की तरफ बढ़ गई उसने अपनी टेबल पर एक लाल गुलाब देखा और एक नोट जिसपर लिखा था "फॉर यू"। मायरा ने मुंह बना लिया।
हार्दिक उस आदमी से बात करने के बाद मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया।




लगातार मीटिंग्स अटेंड करने और फाइल्स चैक करने के बाद विराज काफी थक गया था। क्योंकि अभी वोह किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकता था इसलिए सब कुछ पर्सनली मैनेज कर रहा था। अपने केबिन की खिड़की के पास खड़े हो कर विराज सिगरेट का कश भरते हुए खिड़की से बाहर सड़क पर आती जाती गाडियां देख रहा था। इस वक्त उसका दिमाग एक दम शांत था।

पीछे थोड़ी दूरी बनाकर खड़े गुप्ता जी ने कुछ देर विराज को देखते रहने और उसे शांत देख कर कहा "सर उसका क्या करना है"

"कुछ नही! " एक पल सोचने के बाद विराज ने छोटा सा जवाब दिया।

गुप्ता जी गहरी नजरों से उसे देखते रहे फिर उन्होंने आगे कहा " पर सर उसे ऐसे ही छोड़ देंगे, उसने गदारी की है आपके साथ और साथ ही मुझे भी धोखे में रखा।"

विराज, गुप्ता जी की बात सुन कर, तुरंत पलट गया और अब वो उन्हे घूरने लगा।
गुप्ता जी घबराकर एक कदम पीछे हो गए।

यह देख कर विराज ने अपने कदम आगे बढ़ा लिए फिर गुप्ता जी के नज़दीक जाके उसने कहा "यही तो आपके रहते हुए भी ऐसा हुआ"


सर....मैने कुछ नही किया। गुप्ता जी ने घबराहट में ही कहा।






कहानी अभी जारी है...



धन्यवाद🙏