हमे तुमसे प्यार कितना... - 9 - तूफान Poonam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हमे तुमसे प्यार कितना... - 9 - तूफान

उधर मायरा जैसे ही ऑफिस पहुंची किसी स्टाफ ने आके उससे से कहा की बॉस कबसे तुम्हारा वेट कर रहें हैं जाओ जल्दी। मायरा ने अपनी सीट पर अपना बैग रखा और तुरंत अपने बॉस मिस्टर नीरज चोपड़ा के केबिन में पहुंच गई। केबिन का डोर नॉक करने से पहले उसने एक लंबी सांस भरी फिर नॉक करके अंदर चली गई।



गुड मॉर्निंग सर....आपने बुलाया!,,,,,,,मायरा ने अंदर आते ही मुस्कुराते हुए कहा।
मिस्टर चोपड़ा जो अपनी फाइलों में उलझे हुए थे उन्होंने अपना चश्मा ठीक करते हुए "गुड मॉर्निंग" कह कर जवाब दिया फिर बैठने को कहा।

सर बताइए क्या बात है मुझे बहुत टेंशन हो रही है आज आपने सुबह आते ही बुला लिया मुझसे कोई गलती हुई है क्या,,,,,? मायरा के चेहरे पे परेशानी के भाव आ गए थे।

मुझे तुम्हे कुछ बताना है। मिस्टर नीरज ने हाथ में पैन घुमाते हुए सीरियस अंदाज़ में कहा।

मायरा उन्हे एक टक देखने लगी थी और जैसे आंखों से ही पूछना चाह रही हो क्या बताना चाहते हैं वो मेरे सब्र का इम्तिहान मत लीजिए जो कहना है बता दीजिए।

मिस्टर नीरज चोपड़ा ने मायरा की खामोशी और चेहरे के एक्सप्रेशन समझते ही कहा "मुझे तुम्हे ये बताना है की इतनी छोटी सी उम्र में बिना किसी एक्सपीरियंस के भी तुम कमाल की टैलेंटेड लड़की हो"

मायरा हैरानी से अपने बॉस की तरफ देख रही थी।

हैरान मत हो तुम्हारे ही काम की बात कर रहा हूं बहुत अच्छे डिजाइंस बनाए हैं तुमने, बेहतरीन,,,,, मिस्टर चोपड़ा ने आगे कहा।

थैंक्यू सो मच सर फॉर योर काइंड गेस्चर। मायरा ने उत्सुकता से कहा।

कुछ पल सोचने के बाद मिस्टर चोपड़ा ने आगे कहा मैंने जैसा सोचा है अगर वैसा ही हुआ तो तुम्हारे करियर के लिए सुनहरे रास्ते खुल जायेंगे। कीप इट अप!

थोड़ी देर और बात करने के बाद मायरा जब वापिस अपनी डैस्क पर पहुंची तो उसे लगा जिस तरीके से उसने अपना बैग रखा था अब वो उसी पोजीशन में नही है शायद उसके बैग को किसीने छेड़ा है। कुछ पल के लिए उसके हाथ रुक गए और उसके चेहरे पर इरिटेशन और परेशानी के भाव आ गए। उसने एक भय के साथ अपने बैग को उठाया और उम्मीद करने लगी की जो वोह सोच रही है ऐसा बिल्कुल भी ना हो। फिर उसने बिना पल गवाए अपने बैग को खोला और उसमे देखा एक गिफ्ट पैक था।
जिसका डर था वोही हुआ,,,,,मायरा अपनी दोनो भौहें सिकोड़ के और दोनो आंखें छोटी छोटी करके उस गिफ्ट पैक को घूर रही थी।
एक बड़ी सी खूबसूरत तरीके से पैक करा हुआ चॉकलेट🍫 का पैक था और एक चिट जिसपे कंप्यूटर से प्रिंट किया हुआ था ❣️"फॉर माय एंजल"❣️

अपने लिए कॉफ़ी☕ बनाके कैफेटेरिया से अपने डैस्क तक ले जाती हुई नेहा ने जब मायरा को ऐसे खड़ा देखा तो उसके पास चली गई। उसके हाथ चॉकलेट का पैक देख के बोल पड़ी "फिर से"🤦🏻‍♀️
उसकी आवाज़ सुन कर मायरा ने अपना चेहरा पलटा और नेहा को देख कर अपनी चेयर पर बैठ गई और मुंह बनाते हुई बोली "ये है कौन क्यों मुझे परेशान कर रहा है"।

एक हाथ कमर पर रख और दूसरे हाथ से कॉफी का एक सिप लेते हुए नेहा ने कहा "मैडम, कोई आपका दीवाना है जो छुपके छुपके आपको तोहफे दे रहा है और एक आप है उसके इस रोमेंटिक😍🥰 अंदाज़ को एंजॉय करने के बदले गुस्सा हो रही हो। हाउ रूड!

मायरा ने गुस्से से उसे घूरा और वो चॉकलेट नेहा के हाथ में देते हुए बोली इस बार भी तू ही खाले इसे और एंजॉय कर उसके रोमेंटिक अंदाज़ को,,,,,,मुझे कोई शौक नहीं है।
मायरा का मन कर रहा था की अपनी चेयर पर खड़ी होक ज़ोर ज़ोर से चिल्लाके😠 सब स्टाफ से कहे की जो भी कोई बार बार ये हरकत कर रहा है वो बंद करदे क्योंकि अब तक तो उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन अब उसकी हरकते उसे परेशान कर रही हैं😡 और जब वो सामने आएगा तो उसका गला दबा देगी🤯। लेकिन मायरा ऐसा कुछ कर नही सकती थी क्योंकि एक तो ये ऑफिस था उप्पर से अगर ये बात ऑफिस में फैल गई तो सब उसका मज़ाक ना उड़ा ने लगे।😩😓😕🤐
आड़े तिरछे मुंह बनाते हुए😏 और मन भर उस इंसान को कोसते हुए🤬 मायरा वापिस अपने काम में लग गई थी।

एक जोड़ी आंखें जो कब से मायरा पर नज़र बनाए हुए थी उसने गुस्से में अपनी मुट्ठी कस ली,,,,,उसे कुछ सुनाई तो नही दे रहा था लेकिन मायरा के चेहरे के एक्सप्रेशन और उसकी हाथों की हरकत उसे दिखाई पढ़ रही थी। गुस्से में अपनी हाथों में पकड़ी हुई फाइल को वहीं पटक कर वोह दूसरी तरफ मुंह फेर के चला गया था।
एक जोड़ी आंखें और थी जो दूर से ही मायरा को घूर रही थी उसके चेहरे पर एक तिरछी विजई मुस्कान फैल गई उसने अपने बालों पर हाथ फेरा और गुनगुनाते हुए अपना काम करने लगा था।🤫☺️





एक गाड़ी बड़े से आलीशान एंट्रेंस गेट से निकल कर पैसेज से गुजरते हुए पोर्च की तरफ बढ़ रही थी, गेट खुला हुआ था क्योंकि धुलाई का काम चल रहा था।

देवीदास (माली) जो अपने पौधों से बात करने में व्यस्त था और साथ साथ थोड़ा पानी भी उन्हे दे रहा था उसने जैसे ही गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ सुनी तो अपनी नज़रे आवाज़ की तरफ दौड़ा दी।
गाड़ी पोर्च पे आके रुकी,,ड्राइवर ने तुरंत उतर कर पीछे का दरवाज़ा खोला।
मुरली, जो एंट्रेंस गेट की और उसके आस पास की धुलाई करने में, और देवीदास, जो पौधों की देखभाल करने में, व्यस्त थे दोनो गाड़ी के पास पहुंच चुके थे।
चमकते हुए काले जूते जो देखने से ही महंगे मालूम पड़ रहे थे पहने हुए एक पैर गाड़ी की दाएं तरफ से बाहर निकला,,दूसरे ही पल कसरत से गठा हुआ शरीर का लंबा चौड़ा ब्लैक कलर के सूट पहने हुए एक नौजवान बाहर निकला। उसने अपनी आंखों से चश्मा उतारा और पलट कर उन दोनो की तरफ देखा।

आपको किस्से मिलना है साहब!?,,,,,,देवीदास ने बड़ी ही शालीनता से हाथ जोड़ कर पूछा।

तभी आउटहाउस की तरफ से एक हाथ से अपनी धोती संभालते हुए और दूसरे हाथ से गमछी पकड़े हुए जीवन लाल (रसोइया) भागता हुआ आ पहुंचा।
और जल्दी जल्दी बोलने लगा "अरी भईया, विदेश से फोन आया था, आज बड़े मालिक के बेटे विराज बाबू आने वाले हैं।"
तभी उसे एहसास हुआ की उसके सामने देवीदास और मुरली के अलावा दो ऐसे शख्स और खड़े हैं जिसे वो जानता नही है। जीवन लाल ने तुरंत अपने मन में उठे प्रश्न का समाधान पाने के लिए हाथ जोड़ कर विनम्र भाव से सामने रौबदार शख्सियत के खड़े इंसान से पूछ लिया की "क्या आप विराज साहब हैं"?

हम्मम...! एक छोटा सा जवाब दे कर विराज घर के अंदर की ओर बढ़ गया था।
और उसके पीछे पीछे हाथ जोड़े तीनो नौकर।

तीनों ने अपना अपना परिचय दिया और फिर मुरली ने विराज को सीढ़ियों से ऊपर की तरफ चलने को कहा ताकि वो उसे उसका कमरा दिखा सके।
जब ये घर बनवाया गया था तभी रूपाली ने सबसे बड़ा कमरा विराज के लिए बनवाया था और उसकी बचपन की तस्वीरें भी लगाई थी उसमे इसी वजह से नौकर भी जानते थे विराज का कमरा कौनसा है जबकि वो तीनो ही पहली बार विराज से मिल रहे थे। महेश जी दो तीन सालों में एक बार तो जरूर ही आ जाया करते थे काम के सिलसिले में। चाहे अपने आने की सूचना दे कर आएं या बिना बताए अचानक आएं घर उन्हे एक दम साफ़ चकाचक मिलता था और कभी उन तीनो को के खिलाफ कोई शिकायत भी नही मिली थी इस लिया थोड़ा बहुत भरोसा करते थे महेश जी उन तीनो पे लेकिन अपने बेटे की बहुत फिक्र थी उन्हे, उन्हे शक था कोई उनकी कंपनी या तो हथियाना चाहता है या उन्हे बर्बाद करना चाहता है इसी वजह से कोई विराज को नुकसान भी पहुंचा सकता है यही वजह थी की विराज के आने की खबर किसी को नही थी। विराज खुद अचानक पहुंच कर जांच करना चाहता था इसी वजह से वो किसी पे भरोसा नहीं कर सकता था।

विराज अपने कमरे में पहुंचा एक नज़र पूरे कमरे पर डाली। पूरा कमरे में एंटीक डिज़ाइन का फर्नीचर रखा हुआ था। एक शीशे का स्लाइडर दरवाज़ा जिससे होते हुए बालकनी थी। विराज बालकनी की तरफ बढ़ गया,,,बालकनी भी बहुत बड़ी थी साफ थी एक काउच वहां भी रखा हुआ था। थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद उसे किसी आहट का एहसास हुआ विराज वापिस कमरे में आ गया। मुरली एक बार फिर उसके सामने उसके कमरे में था इस बार उसका सामान लेके। मुरली ने विराज का सारा सामान वहां एक साइड रखा और विराज के लिए कुछ खाना को लेकर आता हूं कह कर वापिस चला गया।
विराज ने अपना सामान अनपैक किया और टॉवल लेकर वाशरूम में घुस गया।
कुछ देर बाद जब वो नहा कर बाहर निकला तो उसके सामने टेबल पर उसके लिए नाश्ता रखा हुआ था।
विराज ने नाश्ता किया और फिर अपना लैपटॉप खोल कर कुछ काम करने लगा।


क्यों मूड खराब कर रखा है इतना अच्छा दिन है आज तुझे बॉस की तारीफ मिली और तू है की मुंह बना के बैठी है चल उठ और लंच के लिए चल,,,,नेहा ने मायरा को लगभग खींचते हुए कहा।
रहने दो नेहा कुछ लोगों को भाव खाने की आदत होती है यह तरीका है दूसरों की अटेंशन अपनी तरफ करने का।
हार्दिक ने अपनी कोहनी नेहा के कंधे पर टिकाते हुए कहा।
ऐसा कैसे कह सकते हो तुम अपनी दोस्त के बारे में,,,क्या तुम्हे वोह ऐसी लगती है,,,,कियान्श को अच्छा नहीं लगा था हार्दिक का मायरा के बारे में इस तरह से कहना। क्योंकि इतने दिनो में वो इतना तो जान ही गया था की मायरा एक समझदार और सुलझी हुई लड़की है उसे गुस्सा तो तुरंत आ जाता है छोटी छोटी बात पर लोगों को अपने तरफ आकर्षित करने के लिए वोह कोई उल्टी सीधी हरकत नही करती जो की आज कल की कुछ लड़कियां करती है।

ये क्या बकवास है मैने कब भाव दिखाया। मायरा गुस्से से उठ खड़ी हुई थी।

तो फिर तुम्हे अपने दोस्तों की बिलकुल फिक्र नहीं है क्योंकि अगर फिक्र होती तो अब तक हम कैंटीन में बैठे लंच कर रहे होते,,, सुबह से काम और काम करने के बाद एक लंच टाइम ही तो होता है जिससे हम थोड़ी देर रिलैक्स हो कर बैठते हैं और अपने पेट में कूद रहे चूहों को शांत करा सकते हैं लेकिन तुम तो हमसे ज्यादा उस स्ट्रेंजर को इंपोर्टेंस दे रही हो उसके बारे में सोच सोच के की कौन है वो जिससे उसे और बढ़ावा मिले। यहां ऐसे गुस्से में मुंह बना के बैठने से सिर्फ तुम्हारा समय खराब होगा और दिमाग भी।
मायरा को बात समझ में आ गई और उसने सब से सॉरी कह कर अपना टिफिन उठा के उनके साथ कैंटीन की तरफ चल पड़ी।
डेट्स लाइक माय मायरा! में हूं ना में पता लगाऊंगा उस चॉकलेट बॉय के बारे में और सबक भी सिखाऊंगा उसे हमारी मायरा के दिमाग में घुस के उसे गुस्सा दिलाने के लिए,,,, हार्दिक ने मायरा के कंधे पर हाथ रख कर कहा।
एंड सॉरी😞 टू तुम्हारा दिल दुखाने के लिए। हार्दिक ने अपने दोनो हाथों से अपने कान पकड़ लिए थे।

नो....तुमने जो भी कहा सही कहा में ही कुछ ज्यादा सोच रही थी ये टाइम तो मस्ती टाइम है लेट्स गो! मायरा ने चहकते हुए कहा।

सभी मुस्कुरा उठे बस एक को छोड़ के😕


शाम तक विराज के घर के बाहर सिक्योरिटी गार्ड्स की लाइन लग गई थी चारो तरफ से गार्ड्स ने विराज को प्रोटेक्ट करने के लिए घर के चारों तरफ से घेरा बना के पोजीशन ले लिया था।
और दो स्पेशल गार्ड्स (सिकंदर और श्याम) जिनके पास स्पेशल लाइसेंस गन थी वो घर के गेट के बाहर खड़े होके पहरे दारी कर रहे थे।
और एक बीएमडब्ल्यू (BMW) भी खरीद ली गई थी जो अगले दिन सुबह तक आ जानी थी और ड्राइवर भी अपॉइंट हो चुका था। घर में कई और नौकर भी रख लिए गए थे विराज की जरूरतों के हिसाब से लेकिन सब स्टाफ सिर्फ मर्द था एक भी औरत नही।
इन सब में विराज की सेफ्टी का बहुत ध्यान रखा गया था।

इतने गार्ड्स देख के तीनो नौकर समझ चुके थे की या तो कुछ होने वाला है यहां या फिर विराज बाबू लंबे समय के लिए आएं हैं।




अगली सुबह

अलार्म की ट्रिन ट्रिन ने आलीशान बिस्तर पर सोए इंसान की नींद में खलल डाल दिया,,,,उसने तकिए से अपने कान को ढक लिया लेकिन फिर भी आवाज़ बंद नहीं हुई। उसने अपनी भौहें सिकोड़ ली और गुस्से से अपना एक हाथ उठा के बिस्तर के साइड में रखे टेबल पर रखे हुए उस सुंदर से एंटीक अलार्म पर मारा,,अगले ही पल आवाज़ आना बंद हो गई।
या तो पुरानी चीजों की बात ही कुछ और थी या फिर वो अलार्म ही ऐसा था जिसकी तेज आवाज़ कुंभ करण को भी उठा दे।
दो चार मिनट बाद ही विराज बिस्तर से उठ बैठा फिर अलार्म घड़ी की तरफ देखा छे बज के पांच मिनट समय दिखा रहा था। वोह उठा और काउच की तरफ बढ़ा अपनी टीशर्ट उठाई और पहन ली।
उसे बिना टीशर्ट या शर्ट के (bare top) सोने की आदत थी।
बालकनी में जाके उसने गहरी सास ली और ठंडी हवा का आनंद लेने लगा। ये उसके देश भारत की हवा थी जो इससे पहले उसने महसूस नहीं की थी क्योंकि बचपन की यादें काफी धुंधली हो चुकी थी। ये सब उसके लिए नया था लेकिन वो जानता था वोह इसी देश की पैदाइश है ऑस्ट्रेलिया में उसका घर और बिज़नेस जरूर है लेकिन उसका और उसके परिवार का दिल इसी देश से जुड़ा हुआ है। कुछ पल शांति के बिताने के बाद उसने कसरत कर अपना खूब पसीना बहाया। अपनी भीगी टीशर्ट और चेहरे से टपकता पसीना ले कर वोह बाथरूम में घुस गया।

थोड़ी देर बाद विराज नीचे नाश्ते के लिए आ चुका था। आज उसका काम शुरू होना था जिसके लिए वोह यहां आया था। एक हाथ से फोन पकड़े हुए और आंखे फोन में गड़ाए हुए विराज जल्दी जल्दी नाश्ता कर रहा था।

जीवन लाल उसे देख रहा था की विराज के हाथ खाने पर जल्दी जल्दी चल रहे थे वो चाहता था उसे टोकना की इतनी जल्दी जल्दी खाना नही बल्कि धीरे धीरे खाना खाना चाहिए लेकिन उसकी हिम्मत नही हुई एक तो वो उसके मालिक ऊपर से पहली बार तो मिला था उनके स्वभाव के बारे में वो ज्यादा जनता नही था ऊपर से उसकी रौबदार शख्सियत। चौबीस घंटे भी नही हुए थे विराज को यहां आए हुए और इतने सारे स्टाफ हाथ बंधे उसकी खिदमत में आ खड़े हुए थे। सालों से शांत पड़ा ये सिसोदिया विला अब शोर से गूंज उठा था। और साथ ही विराज को अभी तक ज्यादा बात करता हुआ भी उसने नही देखा था। इसलिए जीवन लाल ने चुप रहना ही बेहतर समझा जबकि उसे तो बस फिक्र थी अपने साहब की।

विराज गाड़ी की पीछे सीट पर बैठ कर अपने ड्राइवर और पीछे से आ रहे उसके गार्ड्स की गाड़ियों से घिरा निकल पड़ा था अपने दादाजी (शिव राज सिसोदिया) की मेहनत से खड़ी कंपनी (एसआरएस प्राईवेट लिमिटेड) में जाने के लिए।

एक ज़ोर दार झटका लगा और विराज का सिर झटके से आगे वाली सीट से टकराया और उसने अपना सिर दोनो हाथ से पकड़ लिया।

सर सर आप ठीक तो हैं.....















कहानी अभी जारी है......

धन्यवाद🙏